ब्लड (खून) में शुगर का लेवल सामान्य से कम होने को हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। यह परेशानी अधिकांश ऐसे लोगों में पाई जाती है, जो हाई शुगर के लिए दवाएं लेते हैं। हालांकि, जिन्हें शुगर नहीं है या जो ऐसी कोई दवा नहीं लेते उनका भी शुगर लेवल अचानक गिर सकता है। देखा जाए तो ब्लड में शुगर की कमी होना अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, हां ये किसी अंदरूनी समस्या का संकेत जरूर हो सकता है।

  1. क्या है लो ब्लड शुगर?
  2. ब्लड शुगर के कम होने की वजह
  3. लो ब्लड शुगर के लक्षण
  4. लो ब्लड शुगर में क्या करें?
  5. लो ब्लड शुगर हो सकता है घातक
  6. सारांश

जैसा कि हम जाने हैं कि डायबिटीज (मधुमेह) मनुष्य के जीवन को कितना प्रभावित करता है और इसका अभी तक कोई स्थाई इलाज भी नहीं है। इसलिए डायबिटीज को सिर्फ नियंत्रित किया जा सकता है। यही वजह है कि इस तरह की बीमारी को लेकर, इसके हर छोटे-बड़े विस्तार को जानना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

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ब्लड शुगर के स्तर में उतार-चढ़ाव पूरे दिन होते रहते हैं और स्वस्थ लोगों में भी ये सर्कल चालू रहता है। हालांकि, ये परिवर्तन एक निश्चित सीमा के भीतर होते हैं। इसलिए इसमें ज्यादा चिंतित होने की जरूरत नहीं होती। एक बार जब ब्लड शुगर सामान्य सीमा (70 मिलीग्राम/ डीएल) से नीचे चला जाता है, तो इसे शुगर (मधुमेह) में हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्लड शुगर कहा जाता है। जब यह गैर-मधुमेह (नॉन-डायबिटीक) रोगियों के साथ होता है तो इसे नॉन डायबिटीक हाइपोग्लाइसीमिया कहा जाता है। इसके दो कारण होते हैं-

  • उपवास या व्रत (जब किसी व्यक्ति ने 8 घंटे या उससे अधिक समय तक कुछ भी नहीं खाया हो) तो लो ब्लड शुगर की स्थिति उत्पन्न हो सकती है
  • रि-एक्टिव या प्रतिक्रियाशील (शरीर में हाइपरिन्युलिनिज्म या बहुत अधिक इंसुलिन, प्री-डायबिटीज और हाई शुगर वाले खाद्य पदार्थ के कारण हो सकता है)

क्या है डॉक्टर की राय?
myUpchar से जुड़े डॉक्टर आयुष पांडे के मुताबिक लो ब्लड शुगर को इंसुलिन के रि-एक्शन और इंसुलिन के शॉक के रूप में भी जाना जाता है। यह बेहद खतरनाक और यहां तक कि जानलेवा हो सकता है।

डॉक्टर आयुष पांडे के मुताबिक लो ब्लड शुगर के लक्षण हर व्यक्ति में एक जैसे ही होते हैं। जो इस प्रकार हो सकते हैं-

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (एडीए) के मुताबिक हाइपोग्लाइसीमिया (लो ब्लड शुगर) के इलाज के लिए 15-15 का नियम है। यह नियम कहता है कि 15 ग्राम फास्ट एक्टिंग कार्बोहाइड्रेट लेने से सिर्फ 15 मिनट में आपका ब्लड शुगर नॉर्मल या सामान्य हो जाएगा। अगर फिर भी ब्लड शुगर सामान्य सीमा (70 मिलीग्राम/ डीएल) से नीचे है, तो एक बार फिर 15 ग्राम फास्ट एक्टिंग कार्बोहाइड्रेट लिया जा सकता है और 15 मिनट बाद फिर से इसकी जांच करनी चाहिए। लगातार ऐसा करना जरूरी है, जब तक कि ब्लड शुगर न्यूनतम सीमा से ऊपर (70 से अधिक) ना चला जाए। कार्बोहाइड्रेट के लिए आप इन चीजों का सेवन कर सकते हैं-

  • 3 चम्मच शहद/चीनी
  • एक कप दूध और 20 अंगूर
  • इन सभी के सेवन से आपको हर किसी के हिस्से से अलग-अलग 15 ग्राम तक कार्बोहाइड्रेट मिलता है।
  • अगर किसी बच्चे को लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसेमिक) की समस्या है तो आप बच्चे की उम्र के आधार पर कार्बोहाइड्रेट की संख्या में 6-8 ग्राम की कमी कर सकते हैं। कम उम्र में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम ही होगी।
  • कार्बोहाइड्रेट के बाकी स्रोत के सेवन से बचना जरूरी है। जैसे गेहूं की रोटी या ऐसे पदार्थ जिसमें कार्बोहाइर्डेट के साथ ज्यादा फैट होता है। जैसे- चॉकलेट इनका सेवन नहीं करना चाहिए। ये दोनों प्रकार के खाद्य पदार्थ लो ब्लड शुगर में घातक हो सकते हैं और इमरजेंसी की स्थिति में उपयुक्त नहीं हैं।
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यह सब करने के बाद भी, आपका ब्लड शुगर (रक्त शर्करा) सामान्य सीमा से नीचे रह सकता है। यह विशेष रूप से शुगर के उन मरीजों में होता है जो डायबिटीज की टाइप 1 (इंसुलिन-निर्भर डायबिटीज के रूप में भी जाना जाता है) की लिस्ट या वर्ग में आते हैं। ऐसी स्थिति में आपको तुरंत मेडिकल ट्रीटमेंट लेना चाहिए।

कुल मिलाकर कई ऐसे तरीके हैं जिनके जरिए आप लो ब्लड शुगर की स्थिति को सामान्य सीमा में ला सकते हैं। उसके लिए आपको उचित नियमों का पालन करना होगा। हालांकि, इसके बाद भी कमोवेश स्थिति बनी रहती है तो ये आपके लिए घातक भी हो सकता है। इस दौरान डॉक्टर की सलाह लेना सबसे अच्छा विकल्प है।

लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) के दौरान शरीर में शुगर की कमी से कई लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, जैसे कमजोरी, चक्कर आना, पसीना आना, भूख लगना, हाथ-पैर कांपना और दिल की धड़कन तेज होना। कुछ मामलों में व्यक्ति को भ्रम महसूस हो सकता है या अचानक थकान का अनुभव हो सकता है। ऐसे समय में जल्दी से शुगर बढ़ाने के लिए ग्लूकोज टैबलेट, फलों का रस, या कोई मीठा पदार्थ लेना फायदेमंद होता है। नियमित अंतराल पर भोजन करने से लो ब्लड शुगर से बचाव किया जा सकता है। अगर समस्या बार-बार होती है, तो डॉक्टर से परामर्श करना जरूरी है।

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