नींद न आना एक ऐसा विकार है, जिसमें व्यक्ति को नींद आती ही नहीं है या वह ज्यादा समय के लिए नहीं सो पाता। इसके प्राइमरी इन्सोम्निया (Primary insomnia) और सेकेंडरी इन्सोम्निया (Secondary insomnia) नामक दो प्रकार होते हैं। प्राइमरी इन्सोम्निया वास्तविक विकार है जो किसी अन्य चिकित्सा समस्या से संबंधित नहीं होता। सेकेंडरी इन्सोम्निया में व्यक्ति को किसी अंदरूनी समस्या के कारण नींद नहीं आती। नींद न आने का ये प्रकार कुछ समय में ठीक हो सकता है (6 हफ्तों से कम समय में) या इसे ठीक होने में ज्यादा समय (6 हफ्ते से अधिक समय) भी लग सकता है।
नींद न आने के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन कई जोखिम कारक नींद की समस्याओं से संबंधित हैं। प्राइमरी इन्सोम्निया का सबसे मुख्य कारण तनाव है। डिप्रेशन, चिंता या किसी अन्य गंभीर मानसिक रोग से ग्रस्त व्यक्ति को सेकेंडरी इन्सोम्निया हो सकता है। इसके अलावा, श्वसन संबंधी समस्याओं, अल्जाइमर रोग जैसे मस्तिष्क विकार, हार्मोन समस्याओं, मस्तिष्क की चोट और कुछ दवाओं के दुष्प्रभाव के कारण भी सेकेंडरी इन्सोम्निया हो सकता है। कैफीन, शराब व तंबाकू का अधिक या नियमित सेवन, कोई दुर्घटना, शोर संबंधित समस्याएं और गर्भावस्था कुछ ऐसे कारक हैं, जो अनिद्रा को उत्तेजित करते हैं।
(और पढ़ें - नींद की कमी के कारण)
अनिद्रा का सबसे मुख्य लक्षण, केवल कुछ देर के लिए ही सो पाना, अचानक व जल्दी उठ जाना, थकान के बावजूद सो न पाना, ऐसा लगना जैसे बिलकुल सोए नहीं हैं, उठने के बाद सिरदर्द होना आदि है।
आमतौर पर व्यक्ति के लक्षणों और उसकी सोने की आदतों के बारे में जानकर अनिद्रा का निदान होता है। व्यक्ति को इस बात पर ध्यान देने के लिए कहा जा सकता है कि वह हर दिन कितने घंटे सो रहा है। कुछ मामलों में, डॉक्टर पोलीसोम्नोग्राफी (Polysomnography) भी कर सकते हैं, ताकि आराम करते समय और सोते समय शरीर के कार्यों को देखा जा सके।
होम्योपैथी में अनिद्रा का इलाज करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य को लक्षणों से जोड़ा जाता है ताकि इसके कारण का पता लगाया जा सके, फिर व्यक्ति को उचित दवा दी जाती है, जिससे समस्या को प्राकृतिक तरीके से धीरे-धीरे ठीक किया जा सके। नक्स वोमिका (Nux Vomica), सिलेशिया (Silicea) और कॉफिया क्रूडा (Coffea cruda) ऐसी होम्योपैथिक दवाएं हैं, जिन्हें अनिद्रा के उपचार के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- होम्योपैथी में अनिद्रा का उपचार कैसे होता है - Homeopathy me nind na aane ka ilaj kaise kiya jata hai
- होम्योपैथी में नींद न आने की दवा - Nind na aane ke liye homeopathic medicine
- होम्योपैथी में अनिद्रा के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me insomnia ke khan-pan aur jeevanshaili me badlav
- नींद न आने के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Nind na ane ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
- अनिद्रा के लिए होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Nind na aane ke homeopathic ilaj se jude anya sujhav
होम्योपैथी में अनिद्रा का उपचार कैसे होता है - Homeopathy me nind na aane ka ilaj kaise kiya jata hai
अनिद्रा का इलाज करने के लिए होम्योपैथिक दवाएं बहुत असरदार हो सकती हैं। होम्योपैथी में ऐसी दवा नहीं है जिसे लेने से व्यक्ति को नींद आने लगेगी, इसमें समस्या के कारण को ठीक करने पर ध्यान दिया जाता है और जोखिम कारक को कम किया जाता जाता है। ऐसा करने से नींद आने में धीरे-धीरे काफी सुधार आता है।
18 से 31 साल के लोगों पर किए गए एक अध्ययन में ये पाया गया कि होम्योपैथिक दवाओं से कॉफी के कारण होने वाली अनिद्रा की समस्या के बावजूद भी लोगों में नींद में सुधार देखा गया।
होम्योपैथिक दवा का सबसे ज्यादा असर देखने के लिए व्यक्ति के नींद के तरीके और जागते समय उसके दिमाग में चल रहे ख्यालों का ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे तुरंत असर के लिए सही दवा चुनने में मदद मिलती है।
लंबे समय से अनिद्रा से पीड़ित 30 लोगों पर किए गए एक अध्ययन से ये सामने आया कि हर व्यक्ति को उसके लक्षणों व अन्य कारक के आधार पर दी जाने वाली होम्योपैथिक दवा से सामान्य तौर पर किए जाने वाले उपचार से अधिक असर हुआ। डॉक्टर द्वारा बताई गई होम्योपैथिक दवा को सही समय पर लेने से नींद में काफी सुधार देखा गया।
(और पढ़ें - आधी रात को नींद खुलने के कारण)
होम्योपैथी में नींद न आने की दवा - Nind na aane ke liye homeopathic medicine
होम्योपैथी में नींद न आने के लिए निम्नलिखित दवाओं का उपयोग किया जाता है:
- एकोनिटम नेपेलस (Aconitum Napellus)
सामान्य नाम: मौंक्सहुड (Monkshood)
लक्षण: ये दवा उन लोगों पर ज्यादा असर करती है जिन्हें पैनिक अटैक आते हैं और बहुत डर लगता है। ये अधिकतर बूढ़े लोगों को दी जाती है। नीचे दिए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- डर लगना।
- लगातार डर लगना, जिससे धड़कन तेज और बेचैनी होती है।
- सिर भारी होना।
- सिर में दर्द के साथ जलन आभास होना।
- आंखों में जलन और सूजन। (और पढ़ें - आँखों की जलन के उपाय)
- तेज रौशनी में जाने की इच्छा न होना।
- आंखों से पानी आना। (और पढ़ें - बच्चों की आंख से पानी आने के कारण)
- शोर के प्रति संवेदनशीलता और संगीत से चिड़चिड़ापन।
- कान में दर्द। (और पढ़ें - कान के दर्द में क्या करें)
- चक्कर आना।
- डर लगने के साथ मतली।
- छाती की दाईं तरफ या पेट में दबाव महसूस होना।
- उंगलियों में झुनझुनी।
- बार-बार बुरे सपने आना, जिससे नींद खराब होती है। (और पढ़ें - सपनों का मतलब क्या होता है)
- चिंता वाले सपने आना। (और पढ़ें - चिंता के लिए योगासन)
- नींद न आना।
- लेटे हुए बार-बार इधर-उधर हिलना।
- सोने की कोशिश करते समय बेचैनी। (और पढ़ें - बेचैनी दूर करने के उपाय)
- गर्म मौसम में लक्षण बदतर होना और हवादार क्षेत्र में बेहतर हो जाना।
- अर्निका मोंटाना (Arnica Montana)
सामान्य नाम: लेपर्ड्स बेन (Leopard’s Bane)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए असरदार है जिन्हें अकेले रहना पसंद है और जिन्हें शारीरिक परिश्रम के कारण अनिद्रा की समस्या है। नीचे दिए लक्षण बेहतर करने के लिए इस दवा का उपयोग होता है:- किसी के छूने से और ऊंचाई से डर लगना।
- लगाताकर घबराहट होना।
- उलझन।
- काम करते समय आंखों में दर्द। (और पढ़ें - आंख में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
- उल्टी में खून आना। (और पढ़ें - खून की उल्टी के कारण)
- उल्टे हाथ-पैर में दर्द।
- त्वचा का काले-नीले रंग का होना।
- खुजली होना।
- सोते समय बेचैनी।
- लगातार मौत के सपने आना।
- सोते समय अपने आप मल आना। (और पढ़ें - आंत्र असंयम का इलाज)
- रात को चिंता वाले सपने आना।
- अचानक नींद से जाग जाना।
- हिलते-डुलते समय और नम व ठंडे मौसम में लक्षण बढ़ना।
- लेटने पर लक्षण बेहतर होना।
- कोक्यूलस (Cocculus)
सामान्य नाम: इंडियन कॉकल (Indian cockle)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें लगातार थकान के कारण अनिद्रा है और जिन्हें ऐसा लगता है कि वे सोने के लिए बहुत ज्यादा थके हुए हैं। इस दवा से नीचे दिए लक्षणों में आराम मिलता है:- समझने में समय लगना।
- बहुत ज्यादा दुःख होना।
- तेजी से बोलना।
- वर्टिगो।
- बैठने पर मतली होना, जो किसी चलते हुए वाहन में बैठने पर बढ़ जाती है। (और पढ़ें - मतली रोकने के घरेलू उपाय)
- सिर खाली महसूस होना।
- आंखों, हाथों, कंधों व चेहरे की मांसपेशियों में दर्द और हाथ-पैर मोड़ने में दर्द होना।
- खाने के बाद पेट दर्द होना और खाने की गंध बर्दाशत न होना।
- चलने पर घुटनों से आवाज आना।
- बार-बार उबासी आना।
- उनींदापन। (और पढ़ें - ज्यादा नींद आने के कारण)
- नींद पूरी न होने से, धूम्रपान से, पीरियड्स के दौरान और किसी भावनात्मक समस्या से लक्षण बढ़ जाना।
- कॉफिया क्रूडा (Coffea cruda)
सामान्य नाम: कॉफी (Coffee)
लक्षण: ये दवा अधिकतर उन लोगों को दी जाती है जिन्हें ज्यादा ख्याल आने के कारण नींद नहीं आती, जिन्हें लगातार रोना आता रहता है और जिन्हें जल्दबाज़ी में खाने की आदत है। इस दवा से निम्नलिखित लक्षण ठीक किए जा सकते हैं:- भावनात्मक रूप से अतिसंवेदनशीलता।
- दर्द बर्दाशत न होना।
- लगातार सिरदर्द होना। (और पढ़ें - सिर दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
- सिर भारी होना और जमाव महसूस होना।
- कानों में जलन।
- संगीत के प्रति संवेदनशीलता।
- हॉट फ्लैशेस।
- चेहरे पर पसीना आना। (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना रोकने के घरेलू उपाय)
- दांत में दर्द, जो ठंडे पानी से बेहतर हो जाता है।
- धड़कन तेज होना।
- उत्साह के कारण नींद न आना।
- उत्साहित कल्पना के कारण नींद न आना।
- लेटकर सोने की इच्छा होना, लेकिन नींद न आना।
- इग्नेशिया अमारा (Ignatia Amara)
सामान्य नाम: सेंट इग्नेशियस बीन (St. Ignatius bean)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए असरदार है जो अपने लिए सचेत रहते हैं और दुःखी रहते हैं। इस दवा को निम्नलिखित लक्षण अनुभव होने पर दिया जाता है:- बार-बार मूड बदलना। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में बदलते मूड के उपाय)
- अत्यधिक निराशा और मायूसी।
- सिर भारी होना, जो झुकने पर बढ़ जाता है।
- तेज सिरदर्द, जो धूम्रपान से बढ़ जाता है। (और पढ़ें - सिगरेट पीना छोड़ने के तरीके)
- गुस्से के कारण तेज सिरदर्द। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)
- आंखों में दर्द।
- चेहरे की मांसपेशियों में झटके आना।
- गले में गांठ महसूस होना। (और पढ़ें - गले के कैंसर के लक्षण)
- सोते समय हाथ-पैर में झटके।
- दुःख और मायूसी के कारण नींद न आना।
- सोते समय हाथों में खुजली।
- बार-बार उबासी आना।
- लंबे सपने आना।
- कॉफी और सिगरेट से लक्षण बदत्तर होना। (और पढ़ें - कैफीन के नुकसान)
- सोते समय हिलने-डुलने से लक्षण बेहतर होना।
- गाल की अंदरूनी तरफ दांत से काट लेना।
- खट्टी चीज़ें खाने का मन होना। (और पढ़ें - खट्टे फल खाने के फायदे)
- काली फोस्फोरिकम (Kali Phosphoricum)
सामान्य नाम: फॉस्फेट ऑफ़ पोटैशियम (Phosphate of potassium)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है जिन्हें स्ट्रेस या मानसिक परिश्रम के कारण अनिद्रा होती है। नीचे दिए लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है:- चिड़चिड़ापन।
- सुस्ती आना।
- डिप्रेशन और दुखी होना। (और पढ़ें - डिप्रेशन के घरेलू उपाय)
- याददाश्त खोना और भुलक्कड़पन। (और पढ़ें - कमजोर याददाश्त के लिए योग)
- बेचैनी और घबराहट।
- धूप से संवेदनशीलता।
- सुबह के समय माथे की दोनों तरफ दर्द।
- धुंधला दिखने के साथ आंखों की सूजन और झटके आना। (और पढ़ें - आंखों की सूजन के घरेलू उपाय)
- मसूड़ों में संवेदनशीलता।
- भूख लगने के बावजूद खाना देखने पर ही भूख मर जाना।
- ठंडा पानी पीने की इच्छा होना।
- खाते समय पसीना आना।
- बहुत जल्दी नींद खुल जाना।
- नींद में बोलना और दांत पीसना।
- पीठ के बल सोना।
- ऐसे सपने आना, जिनसे गुस्सा आता है।
- नक्स वोमिका (Nux Vomica)
सामान्य नाम: पाइजन नट (Poison nut)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:- अत्यधित चिड़चिड़ापन।
- तेज आवाज़, गंध और तेज रौशनी से घृणा।
- किसी के छूने पर अच्छा महसूस न करना।
- आंखों के ऊपर सिरदर्द महसूस होना।
- नशे की भावना होना, जो सुबह के समय और शराब व कॉफी से बदत्तर हो जाता है। (और पढ़ें - शराब की लत छुड़ाने के उपाय)
- आधी रात के बाद सो न पाना।
- खाने के बाद और तड़के सुबह सुस्ती। (और पढ़ें - थकान दूर करने के लिए क्या खाएं)
- थोड़ी देर सोने के बाद बेहतर महसूस होना।
- पीठ में दर्द, जो लेटने पर बढ़ जाता है। (और पढ़ें - पीठ दर्द के घरेलू उपाय)
- खाने के बाद लक्षण बढ़ना और सोने के बाद बेहतर होना।
- रात को 3 बजे के बाद सोने में दिक्कत होना।
- सिलेशिया (Silicea)
सामान्य नाम: सिलिका (Silica)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने पर ये दवा काम आ सकती है:- सहनशीलता न होना।
- कोई काम शुरू करने से पहले ही उसे न कर पाने का डर।
- चिड़चिड़ापन और कायरता।
- बच्चों का हमेशा चिड़चिड़ा और उत्तेजित रहना। (और पढ़ें - बच्चों में चिड़चिड़ेपन के कारण)
- मतली के साथ लगातार सिरदर्द होना।
- गर्दन में दर्द, जो ठंडी हवा में जाने से बदत्तर हो जाता है। (और पढ़ें - गर्दन में दर्द के घरेलू उपाय)
- तेज़ आवाज़ और मानसिक परिश्रम के प्रति संवेदनशीलता।
- पलकों की सूजन।
- गर्मी से पेट दर्द। (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करें)
- पेट के क्षेत्र में दबाव बनना।
- सिर में गर्मी की भावना के कारण अचानक जाग जाना।
- नींद में चलना, खासकर बच्चों में।
- चिंता वाले सपने आना।
- बार-बार नींद खुलना और उठने के बाद वापस नींद आने में दिक्कत होना।
होम्योपैथी में अनिद्रा के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me insomnia ke khan-pan aur jeevanshaili me badlav
होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:
क्या करें:
- होम्योपैथिक उपचार लेते समय अपने आस-पास की सफाई और पर्सनल हाइजीन का पूरा ध्यान रखें। ये जल्दी और असरदार उपचार के लिए महत्वपूर्ण है। (और पढ़ें - निजी अंगों की सफाई कैसे करें)
- नियमित व्यायाम या योग करके अपनी जीवनशैली सक्रीय बनाएं।
- आरामदायक कपडे पहनें जो शरीर से न चिपकें। इससे शरीर को पूरी हवा मिलेगी। कॉटन के या ऐसे ही हलके कपडे पहनें।
- एक स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें। (और पढ़ें - संतुलित आहार तालिका)
क्या न करें:
- प्रोसेस्ड या रेडी-टू-ईट खाना खाने से बचें। इनमें न केवल पोषक तत्व कम होते हैं, बल्कि इनमें नमक और प्रेज़रवेटिव की मात्रा भी काफी अधिक होती है।
- तीखे और उत्तेजक खाद्य पदार्थ न लें, जैसे प्याज, लहसुन और हींग।
- ज्यादा चीनी वाले खाद्य पदार्थ न लें।
- कॉफी और चाय जैसे पेय पदार्थों को अधिक मात्रा में न लें। (और पढ़ें - काली चाय के फायदे)
- परफ्यूम और रूम फ्रेशनर का उपयोग न करें।
- दवाओं को सीढ़ी धूप में न रखें।
(और पढ़ें - रात को जल्दी सोने के उपाय)
नींद न आने के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Nind na ane ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाएं आमतौर पर सुरक्षित होती हैं क्योंकि इन्हें प्राकृतिक पदार्थों से बनाया जाता है। व्यक्ति की जरुरत के अनुसार होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ध्यान से घोलकर बनाया जाता है और कम मात्रा में दिया जाता है। होम्योपैथिक डॉक्टर, व्यक्ति के लक्षणों और उसे बीमारियां होने की संभावना के आधार पर उसे उचित दवा देते हैं। योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा को उचित तरीके से लिया जाए, तो इनके दुष्प्रभाव नहीं होते और लक्षण भी कम होते हैं।
(और पढ़ें - गहरी नींद आने के घरेलू उपाय)
अनिद्रा के लिए होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Nind na aane ke homeopathic ilaj se jude anya sujhav
अनिद्रा या नींद की समस्याएं बहुत परेशान करने वाली स्थिति हो सकती है, क्योंकि सही तरीके से काम करने के लिए पूरी नींद लेना व्यक्ति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। थकान और सिरदर्द होने के अलावा, नींद पूरी न होने के कारण व्यक्ति को अपने नियमित कार्य करने में समस्याएं भी हो सकती हैं। होम्योपैथी में नींद के इलाज के लिए ऐसा समग्र उपचार मौजूद है जिससे न केवल लक्षण ठीक होते हैं, बल्कि दोबारा समस्या होने की संभावना भी कम होती है।
शहर के होम्योपैथिक डॉक्टर खोजें
अनिद्रा की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

Dr. Rutvik Nakrani
होमियोपैथ
6 वर्षों का अनुभव

Dr. Jyothi
होमियोपैथ
23 वर्षों का अनुभव

Dr. Urvashi Chaudhary
होमियोपैथ
8 वर्षों का अनुभव

Dr. Anita Kumari
होमियोपैथ
12 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
- MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Insomnia.
- Office on Women's Health [Internet] U.S. Department of Health and Human Services; Insomnia.
- National Heart, Lung and Blood Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Insomnia.
- Iris R. Bell. et al. Effects of Homeopathic Medicines on Polysomnographic Sleep of Young Adults with Histories of Coffee-Related Insomnia. Sleep Med. 2011 May; 12(5): 505–511. PMID: 20673648.
- British Homeopathic Association. [Internet]. United Kingdom. Insomnia.
- Naudé DF. et al. Chronic primary insomnia: efficacy of homeopathic simillimum.. Homeopathy. 2010 Jan;99(1):63-8. PMID: 20129178
- National Center for Homeopathy. [Internet]. Mount Laurel NJ. Aconitum napellus.
- William Beoricke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing. Médi-T 2000, Volume 1.
- University of Michigan. [Internet]. Ann Arbor, Michigan, United States. 1817; For Insomnia, Consider Cognitive Behavioral Therapy Before Medication.
- National Center for Homeopathy. [Internet]. Mount Laurel NJ. Coffea cruda.
- Brooks AJ. et al. Forsch Komplementmed. 2010 Oct;17(5):250-7. PMID: 20980764
- National Center for Homeopathy. [Internet]. Mount Laurel NJ. Kali phosphoricum.
- British Homeopathic Association. [Internet]. United Kingdom. Silicea .
- Wenda Brewster O’really PhD. Organon of the Medical art. 1st edition 2010 , 3rd impression 2017, pg 227, 228 and 229, aphorisms 259, 261 and 263.