प्राइमरी इनसोम्निया ऐसी कंडीशन है, जिसमें नींद आने में दिक्कत होती है. यह सेकंडरी इनसोम्निया से अलग होता है. प्राइमरी इनसोम्निया के लक्षण में सुबह जागने में मुश्किल होती है, पूरे दिन नींद आती रहती है और ध्यान केंद्रित करने में भी दिक्कत होती है. इसका कोई जाना-पहचान कारण नहीं है, लेकिन यह सर्कैडियन रिदम पैटर्न से जरूर जुड़ा हुआ है. प्राइमरी इनसोम्निया के इलाज में लाइफस्टाइल में बदलाव के साथ-साथ काउंसलिंग व एक्यूपंक्चर से मदद मिल सकती है.

आज इस लेख में आप प्राइमरी इनसोम्निया के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. प्राइमरी इनसोम्निया के लक्षण
  2. प्राइमरी इनसोम्निया के कारण
  3. प्राइमरी इनसोम्निया का इलाज
  4. सारांश
प्राइमरी इनसोम्निया के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

प्राइमरी इनसोम्निया का मतलब है कि व्यक्ति की नींद पूरी नहीं हो रही है. जब तीन सप्ताह से अधिक समय तक ऐसे ही लक्षण दिखते रहते हैं और दिन में व्यक्ति उनींदापन महसूस करता है, तो इसे प्राइमरी इनसोम्निया कहा जाता है. आइए, प्राइमरी इनसोम्निया के लक्षणों के बारे में जानते हैं -

  • सुबह जागने में परेशानी.
  • दिन भर थकान और नींद आने जैसा महसूस होना.
  • मोटिवेशन की कमी.
  • जम्हाई लेते रहना.
  • भूख लगना.
  • सिरदर्द.
  • जागे हुए में भी आवाज या रोशनी से संवेदनशीलता.
  • शारीरिक गतिविधि के लिए एनर्जी की कमी महसूस होना.
  • चिड़चिड़ापन.

ये लक्षण कुछ दिन तक लगातार भी रह सकते हैं, लेकिन किसी रात नींद पूरी कर लेने से ठीक भी हो सकते हैं.

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प्राइमरी इनसोम्निया का कोई एक या यूं कहें कि जाना पहचान कारण नहीं है. हां, इसके कुछ जोखिम जरूर हैं, जिससे प्राइमरी इनसोम्निया का पता चलता है. यह कंडीशन कुछ दिन से लेकर कुछ महीने, यहां तक कि कुछ साल तक भी चल सकती है. प्राइमरी इनसोम्निया उन लोगों को होने की ज्यादा आशंका रहती है, जिनके परिवार में किसी को यह रह चुका है या है. शोध के अनुसार, सर्कैडियन रिदम पैटर्न (circadian rhythm pattern) प्राइमरी इनसोम्निया से संबंधित है, लेकिन इसके भी पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं. इसके अलावा, जो लोग किसी न किसी बात को लेकर चिंतित रहते हैं, उन्हें भी प्राइमरी इनसोम्निया होने के चांसेज रहते हैं.

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कई बार प्राइमरी इनसोम्निया कुछ दिनों के बाद अपने आप ठीक हो जाता है. कई बार शारीरिक या मानसिक थकान इतनी ज्यादा हो जाती है कि व्यक्ति गहरी नींद में सो जाता है और इस तरह से उसका प्राइमरी इनसोम्निया अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कई बार ऐसा नहीं भी हो पाता है. व्यक्ति दिन में सो जाता है, जिसकी वजह से रात में नींद नहीं आती है. ऐसे में जरूरी है कि इसका उपाय ढूंढा जाए. लाइफस्टाइल बदलाव और चिकित्सकीय इलाज के जरिए प्राइमरी इनसोम्निया को ठीक किया जा सकता है. आइए, प्राइमरी इनसोम्निया के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -

लाइफस्टाइल में बदलाव

नींद को नियमित करने के लिए लाइफस्टाइल में कुछ बदलाव करने की जरूरत पड़ती है, जो इस प्रकार है -

  • दोपहर या शाम के बाद से कैफीन से परहेज.
  • शराब से दूरी.
  • शाम के बाद मोबाइल फोन, लैपटॉप या टीवी को न देखना.
  • रात को सोने से कुछ घंटे पहले से तेज रोशनी से दूर रहना.
  • रात को सोने से पहले ही अपने काम शेड्यूल करके रखना ताकि काम की चिंता न सताए.
  • सोने से पहले हल्की एक्सरसाइज करना.
  • दिन में बिल्कुल नहीं सोना.

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मेडिकल इलाज

मेडिकल थेरेपी के लिए डॉक्टर की मदद ली जा सकती है. इसमें दवाइयां और काउंसलिंग जैसी थेरेपी शामिल है. आइए इनके बारे में जानते हैं -

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बेहतर नींद के लिए मेलाटोनिन को सप्लीमेंट के रूप में लेने के लिए Sprowt Melatonin बेहतर विकल्प है. इसे प्राकृतिक तत्वों से बनाया गया है, जिस कारण इसके साइड इफेक्ट्स नहीं हैं -

प्राइमरी इनसोम्निया की स्थिति में रात में ठीक से नींद नहीं आती है और दिन में उनींदापन महसूस होता रहता है. इसके लक्षण में सिरदर्द, थकान, सुबह जागने में दिक्कत व भूख लगना शामिल है. प्राइमरी इनसोम्निया का कोई खास कारण नहीं है, लेकिन इसे सर्कैडियन रिदम पैटर्न और पारिवारिक इतिहास के मामलों से जरूर जोड़कर देखा जाता है. लाइफस्टाइल में बदलाव और चिकित्सकीय इलाज के जरिए प्राइमरी इनसोम्निया का इलाज किया जा सकता है. किसी भी तरह के इलाज से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि एक ही इलाज हर व्यक्ति पर समान रूप से असर दिखाए.

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