किडनी इंफेक्शन को पायलोनेफ्राइटिस कहा जाता है. किडनी इंफेक्शन अक्सर मूत्र पथ में संक्रमण के कारण होता है, जो एक या दोनों किडनी में फैलता है. किडनी इंफेक्शन अचानक हो सकता है या पुराना हो सकता है. ये अक्सर दर्दनाक होता है और अगर तुरंत इलाज न किया जाए, तो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं.

अगर इस संक्रमण का सामना बार-बार करना पड़ रहा है, तो इसका उपचार आयुर्वेद में पा सकते हैं. किडनी इंफेक्शन के लिए वरुण, गोक्षुरा और पुनर्नवा जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल किया जा सकता है.

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आज इस लेख में जानेंगे किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक इलाज के बारे में-

  1. किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक इलाज
  2. किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक टिप्स
  3. किडनी इंफेक्शन से बचने के उपाय
  4. सारांश
किडनी इंफेक्शन का आयुर्वेदिक उपचार व दवा के डॉक्टर

आयुर्वेद के अनुसार, वात, कफ या पित्त दोष में कोई भी असंतुलन रोग का कारण बनता है. पित्त या विशेष रूप से पचका पित्त को किडनी के इंफेक्शन के लिए काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है. आयुर्वेद के अनुसार, गुर्दे के संक्रमण को मुत्रवाहा श्रोतो विकार (पेशाब में कठिनाई) कहा जाता है, जिसमें गुर्दे और मूत्र पथ के संक्रमण की स्थिति शामिल है. किडनी इंफेक्शन की स्थिति में जड़ी-बूटियां जैसे वरुण, गोक्षुरा और पुनर्नवा की मदद ले सकते हैं. आइए विस्तार से जाने किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक इलाज के बारे में-

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वरुण

किडनी के संक्रमण के लिए वरुण एक और बेहतरीन जड़ी बूटी है. आयुर्वेद में मूत्र पथ के संक्रमण के लिए इसे आमतौर पर बहुत लाभकारी माना जाता है. यह जड़ी बूटी मूत्र पथ में रुकावट में बहुत उपयोगी है. इसका उपयोग आयुर्वेद द्वारा किडनी, मूत्रवाहिनी और मूत्राशय की पथरी सहित विभिन्न प्रकार के मूत्र विकारों के इलाज के लिए किया जाता है. प्रारंभिक शोध के अनुसार, वरुण में मूत्र, एंटी-बैक्टीरियल और लिथोलिटिक (स्टोन तोड़ने वाले) गुण नहीं होते हैं.

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गोक्षुरा

गोक्षुरा (ट्रिबुलस टेरेस्ट्रिस) एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो आमतौर पर अपनी प्रतिरक्षा-बढ़ाने, कामोत्तेजक और कायाकल्प गुणों के लिए जानी जाती है. गोक्षुरा समय के साथ किडनी के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करने के लिए अंतिम आयुर्वेदिक समाधान बन गया है. गोखरु चूर्ण या गोकुरशादी गुग्गुलु दोनों ही रूपों में मौजूद है. गोक्षुरा का चूर्ण रूप, अतिरिक्त यूरिक एसिड के उत्सर्जन में सहायता करके किडनी के स्वस्थ कामकाज को सुनिश्चित करता है.

पुनर्नवा

पुनर्नवा जलन को नियंत्रित करने में मदद करता है, क्योंकि इसमें मूत्रवर्धक प्रभाव होता है. यह पेशाब के प्रवाह को बढ़ाता है और पेशाब के दौरान जलन जैसे यूटीआई के लक्षणों को कम करता है.

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किडनी इंफेक्शन की अवस्था में निम्न आयुर्वेदिक टिप्स का पालन किया जा सकता है-

  • खाने में कैलोरी की मात्रा अधिक और प्रोटीन की मात्रा कम होनी चाहिए.
  • फास्ट फूड, मैदा, पैक्ड, बेक्ड, प्रोसेस्ड और प्रिजर्व फूड्स के सेवन से बचें.
  • सब्जियों को ज्यादा पानी में पकाएं.
  • पनीर, नमकीन, चाय, कॉफी, जैम, सॉस, चीज, फल या फलों के रस, नट्स के अधिक सेवन से बचें.
  • किडनी इंफेक्शन में टमाटर के रस में काली मिर्च और नमक मिलाकर लें. अपने दिन की शुरुआत इस ताजा जूस से करें.
  • तरबूज व किडनी के लिए भी अच्छा होता है. इसे या तो कच्चा या जूस के रूप में लिया जा सकता है.
  • अंजीर उत्सर्जन अंग के लिए भी अच्छे होते हैं. आप एक से अधिक कप पानी में 2 अंजीर उबाल कर एक मिश्रण तैयार कर लें. इसे एक महीने तक खाली पेट लेना चाहिए.
  • लौकी का पल्प और जूस यूरिन और उत्सर्जन अंगों की समस्याओं के इलाज में काफी उपयोगी होता है.
  • किडनी की बीमारी के लिए नारियल पानी बहुत फायदेमंद होता है.
  • किडनी फेलियर की स्थिति में मूली के पत्तों का जूस बहुत अच्छा हो सकता है. एक कप मूली के पत्तों का जूस रोजाना दो बार लेना चाहिए.
  • एक चम्मच तुलसी के पत्तों का रस शहद में मिलाएं. इसे लगभग 5 से 6 महीने तक सुबह के समय लेना चाहिए. 
  • स्वस्थ मानसिकता बनाए रखना आवश्यक है. व्यायाम और शारीरिक गतिविधियां खून में मेंटल के फ्लो को बनाए रखने में मदद करती है. यह हड्डियों को मजबूत करता है और उत्सर्जन अंग में स्टोन बनने की आशंका को भी कम करता है.
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महिलाएं विशेष रूप से मूत्र पथ के संक्रमण के जोखिम को कम कर सकती हैं, क्योंकि उनमें ये संक्रमण होने की आशंका अधिक रहती है. ऐसे में उन्हें नीचे बताए गए उपायों को अपनाना चाहिए-

  • भरपूर मात्रा में तरल पदार्थों का सेवन करें, खासकर पानी. जब यूरिन पास करते हैं, तो तरल पदार्थ शरीर से बैक्टीरिया को दूर करने में मदद कर सकते हैं.
  • जितनी जल्दी हो सके यूरिन पास करें. यूरिन को रोककर ना रखें, यूरिन करने की इच्छा होने पर इसमें देरी करने से बचें.
  • सेक्स के बाद यूरिन करने जरूर जाएं. सेक्स के बाद जितनी जल्दी हो सके यूरिन पास करने से मूत्रमार्ग से बैक्टीरिया को साफ करने में मदद मिलती है, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है.
  • यूरिन पास करने के बाद और मल त्याग के बाद आगे से पीछे की ओर वॉश करने या पोंछने से बैक्टीरिया को मूत्रमार्ग में फैलने से रोकने में मदद मिलती है.
  • जननांग क्षेत्र में केमिकल युक्त प्रोडक्ट के उपयोग से बचें. अपने जननांग क्षेत्र में डिओडोरेंट स्प्रे जैसे उत्पादों का उपयोग करना परेशान कर सकता है.

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किडनी इंफेक्शन अक्सर मूत्र पथ में संक्रमण के कारण होता है, जो एक या दोनों किडनी में फैल सकता है. किडनी इंफेक्शन अचानक हो सकता है या पहले का हो सकता है. यूरिन इंफेक्शन के लिए आयुर्वेदिक दवा जैसे वरुण, गोक्षुरा और पुनर्नवा जैसी जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल यूरिनरी ट्रैक्ट के उपचार को प्राकृतिक और प्रभावी बनाती है और सामान्य PH स्तर को बनाए रखने और बिना किसी दुष्प्रभाव के हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने का काम करती है. लेकिन, किडनी इंफेक्शन के लिए आयुर्वेद की मदद लेने से पूर्व डॉक्टर की राय जरूर लें.

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