लेरिन्जाइटिस स्वर तंत्रों में सूजन की वजह से होता है। यह आमतौर पर स्वर तंत्रों में अधिक दबाव या वायरल या बैक्टीरिया संक्रमण के कारण होता है। लेरिन्जाइटिस से जुड़े सबसे आम लक्षण हैं आवाज़ भारी या कमज़ोर पड़ जाना। कभी कभी तो व्यक्ति बोल भी नहीं पाता। यह अक्सर गले में खराश और सूखी खाँसी के साथ होता है।

ज्यादातर मामलों में, यह स्थिति स्वयं ही ठीक हो जाती है और इसके गंभीर परिणाम भी नहीं होते। ये समस्या आमतौर पर कुछ दिनों तक या अधिकतम 2 सप्ताह तक रहती है। अगर यह समस्या काफी दिनों तक ठीक न हों तो यह क्रोनिक (दीर्घकालिक) लेरिन्जाइटिस बीमारी हो सकती है। अगर ऐसा कुछ अनुभव होता है तो आप अपने डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें। शुरुआत में इस स्थिति को ठीक करने के लिए आप कुछ आसान और सरल प्राकृतिक घरेलू उपाय से भी दर्द और सूजन से छुटकारा पा सकते हैं।

(और पढ़ें - गला बैठना (लेरिन्जाइटिस))

 यहाँ आपको लेरिन्जाइटिस के लक्षणों को ठीक करने के लिए कुछ घरेलू उपाय बताये जा रहे हैं - 

  1. लेरिन्जाइटिस के लिए सेब के सिरके के फायदे - Laryngitis ka upay hai apple vinegar
  2. लेरिन्जाइटिस के लिए प्याज के रस के फायदे - Laryngitis par kare onion syrup ka upyog
  3. लेरिन्जाइटिस के लिए अदरक के फायदे - Swar tantra ke gharelu upay hai ginger
  4. लेरिन्जाइटिस को ठीक करने के लिए गर्म पानी और नमक के फायदे - Laryngitis ka upay hai warm salt water
  5. लेरिन्जाइटिस के लिए नींबू पानी के फायदे - Laryngitis par gharelu upay kare nimboo pani se
  6. लेरिन्जाइटिस के लिए लहसुन के फायदे - Laryngitis se chutkara pane ka tarika hai lehsun
  7. लेरिन्जाइटिस के लिए फिटकरी के फायदे - Laryngitis ko door karne ka tarika hai slippery elm
  8. लेरिन्जाइटिस के लिए शहद के फायदे - Lambe samay tak Laryngitis ka nuskha hai honey
  9. लेरिन्जाइटिस के लिए नीलगिरी के फायदे - Laryngitis ho jane par kare eucalyptus oil ka upyog
  10. लेरिन्जाइटिस के लिए मुलेठी के फायदे - Laryngitis ka gharelu nuskha hai licorice root
  11. सारांश

सेब के सिरके में रोगाणुरोधी गुण होते हैं जो कि संक्रमणों से लड़ने में मदद करते हैं और इस प्रकार सेब के सिरके को लेरिन्जाइटिस के इलाज करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सेब के सिरका को इस्तेमाल करने के दो तरीके

पहला तरीका

  1. कच्चा और अनफ़िल्टर्ड सेब साइडर सिरका के दो चम्मच और एक चम्मच शहद आधा कप पानी में मिलाएं।
  2. इस उपाय को प्रभावी बनाने के लिए आप लाल मिर्च की एक चुटकी भी मिलाकर पी सकते हैं।
  3. इस मिश्रण को पूरे दिन में दो बार ज़रूर पियें।

दूसरा तरीका

  1. कच्चा और अनफ़िल्टर्ड सेब साइडर सिरका का एक चम्मच एक ग्लास गर्म पानी में मिलाएं।
  2. अब इस मिश्रण का इस्तेमाल गलारे करने के लिए तब तक करें जब तक आपको किसी भी प्रकार का आराम न मिल जाये। 

(और पढ़ें - सेब के सिरके के फायदे और नुकसान)

प्याज का सिरप एक प्राकृतिक दवाई के रूप में कार्य करता है और यह गले में होने वाली सूजन के लिए एक प्रभावी प्राकृतिक घरेलू उपाय है।

प्याज के जूस का इस्तेमाल कैसे करें -

  1. सबसे पहले तीन से चार मध्यम आकार के प्याज काट लें।
  2. अब चार कप पानी में उन टुकड़ों को डाल दें।
  3. इसे तब तक उबालें जब तक आपका मिश्रण गाढ़ा न बन जाये।
  4. अब इस मिश्रण की पांच चम्मच को एक ग्लास गर्म पानी में मिलाएं।
  5. उसमे एक चम्मच शहद और कुछ बूँदें नींबू के जूस की मिलाएं।
  6. इस मिश्रण को धीरे धीरे पी जाये। 

(और पढ़ें - प्याज के फायदे और नुकसान)

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ताज़ा अदरक आपके गले के लिए अच्छा है क्योंकि यह स्वर तंत्र की श्लेष्म झिल्ली को मुलायम बनाता है और सूजन को भी कम करता है।

अदरक को इस्तेमाल करने के दो तरीके -

पहला तरीका

  1. पतले पतलेटुकड़ों में सबसे पहले अदरक को काट लें।
  2. अब उसे एक गर्म पानी के बर्तन में 10 मिनट के लिए डाल दें।
  3. फिर उसे ढक कर रख दें।
  4. 10 मिनट के बाद मिश्रण को छान लें और ठंडा होने के लिए रख दें।
  5. अब इस मिश्रण को पी जाएँ।
  6. अदरक से बनी चाय को पूरे दिन में कई बार ज़रूर पियें।

दूसरा तरीका

आप अदरक के टुकड़ों को भी पूरे दिन चबा सकते हैं।

(और पढ़ें - अदरक के फायदे और नुकसान)

नमक का गर्म पानी बैक्टीरिया को मारने में मदद करता है साथ ही स्वर तंत्र और गले की सूजन का भी इलाज करता है।

नमक के गर्म पानी को इस्तेमाल कैसे करें

  1. एक या आधा चम्मच नमक को एक ग्लास गर्म पानी में डालें और उससे गलारे करें।
  2. इस उपाय को पूरे दिन में कई बार करने की कोशिश करें।

नींबू के जूस का अम्लीय प्रभाव बैक्टीरिया और वायरस को मरता है और स्वर तंत्र के विभिन्न लक्षणों को राहत प्रदान करता है। इसके अलावा यह बलगम को निकालने में भी मदद करता है।

नींबू का इस्तेमाल कैसे करें

  1. एक ग्लास गर्म पानी में एक नींबू का जूस निचोड़ लें।
  2. अब उसमे समुंद्री नमक मिलाएं (अगर आपके पास समुंद्री नमक नहीं है तो साधारण नमक का भी इस्तेमाल कर सकते हैं)।
  3. इस मिश्रण का इस्तेमाल पूरे दिन में कई बार ज़रूर करें। 

(और पढ़ें - नींबू के फायदे और नुकसान)

लहसुन में रोगाणुरोधी गुण बैक्टीरिया और वायरस को मारने में मदद करते हैं। यह एक प्राकृतिक निराधार के रूप में भी कार्य करता है।

लहसुन का इस्तेमाल दो तरीकों से करें

पहला तरीका

कच्चा लहसुन का एक टुकड़ा चबाकर निगल लें।

दूसरा तरीका

  1. इसके अलावा कई लहसुन की फाकों को काट लें।
  2. अब उन्हें मिक्सर में डालें और उसमे बराबर मात्रा में सेब का सिरका और पानी को दो दो चम्मच मिलाएं।
  3. मिश्रण को मिक्स करने के बाद 4 घंटे के लिए उसे ऐसे ही छोड़ दें।
  4. 4 घंटे के बाद उसमे शहद को मिलाएं और फ्रिज में कुछ देर के लिए रख दें।
  5. अब इस सिरप को 6 से 8 घंटे के दौरान एक या तीन चम्मच ज़रूर लें। 

(और पढ़ें - लहसुन के फायदे और नुकसान)

स्लिपरी एल्म में म्यूसिलेज होता है जो पानी के साथ मिलाकर एक जेल जैसा पदार्थ बनाता है और इस प्रकार गले में जलन और सूजन से राहत मिलती है।

स्लिपरी एल्म​ का इस्तेमाल कैसे करें –

  1. कुछ ताज़ा स्लिपरी एल्म को पानी में मिलाएं।
  2. पानी में डालने से यह जेल में परिवर्तित हो जाता है।
  3. पूरे दिन में कई बार इस जेल पदार्थ को निगलने की कोशिश करें इससे आपके गले की सूजन कम होगी।
  4. इसके अलावा आप स्लिपरी एल्म गोलियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

नोट - स्लिपरी एल्म गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए मन किया जाता है।

शहद गले की सूजन, जलन को कम करने के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

शहद को इस्तेमाल करने के दो तरीके

पहला तरीका

कुछ कच्चे शहद का पूरे दिन में कई बार सेवन करें।

दूसरा तरीका

  1. आप इसके अलावा शहद और नींबू से बनी हर्बल चाय का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  2. चाय बनाने के लिए, एक कप गर्म पानी में एक या आधा नींबू और दो चम्मच शहद को मिला लें।
  3. आप इसमें एक चुटकी लाल मिर्च भी मिला सकते हैं।
  4. इस मिश्रण को पूरे दिन में एक या दो बार ज़रूर पियें। 

(और पढ़ें - शहद के फायदे और नुकसान)

नीलगिरी तेल में मौजूद प्राकृतिक एंटीवायरल और जीवाणुरोधी गुण गले की सूजन को कम करने के लिए बेहद लाभकारी है।

नीलगिरी तेल का इस्तेमाल कैसे करें

  1. नीलगिरी तेल की इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका है कि इसको भाप की तरह इस्तेमाल करें।
  2. एक बर्तन में नीलगिरी तेल की कुछ बूँदें डालें।
  3. अब अपने सिर को तौलिये से ढक लें और उसकी गर्म गर्म भाप को 10 मिनट के लिए सूंघें।
  4. इस उपाय को पूरे दिन में दो बार ज़रूर इस्तेमाल करें।
  5. इसके अलावा आप गोलियां और ऐसे कफ सिरप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिनमे नीलगिरी तेल का मिश्रण हो

(और पढ़ें - नीलगिरी तेल के फायदे और नुकसान)

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मुलेठी एक और प्रभावी उपाय है जो आपके गले की समस्या को आराम देने में मदद करता है। इसमें एंटीवायरल और सूजनरोधी गुण पाए जाते हैं। इसमें प्राकृतिक कफ को निकालने के गुण होते हैं जो बलगम को आसानी से निकालता है।

मुलेठी का इस्तेमाल कैसे करें -

  1. पांच मिनट के लिए एक कप गर्म पानी में एक चम्मच सूखी मुलेठी की जड़ों को उबालने के लिए रख दें।
  2. पांच मिनट के बाद इस मिश्रण को छानकर पी जाएँ।
  3. पूरे दिन में तीन बार इस मिश्रण का इस्तेमाल करें।
  4. आप मुलेठी की गोलियों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। 

(और पढ़ें - मुलेठी के फायदे और नुकसान)

नोट - मुलेठी अलग अलग तरह से प्रभाव डालती है। जिन लोगो को उच्च रक्तचाप, गुर्दे की बीमारी, लीवर की बीमारी या ह्रदय से जुडी समस्याएं हैं वो इसका इस्तेमाल न करें। यह गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए भी निर्धारित नहीं की जाती है।

लेरिन्जाइटिस, जिसे गले में सूजन या आवाज की समस्या के रूप में जाना जाता है, के लिए आयुर्वेदिक उपचार प्रभावी और प्राकृतिक समाधान प्रदान करता है। अदरक, तुलसी, हल्दी, और मुलेठी जैसी जड़ी-बूटियां सूजन को कम करने और गले की मांसपेशियों को शांत करने में मदद करती हैं। शहद के साथ अदरक का सेवन गले की खराश और आवाज की समस्या में राहत देता है। हल्दी वाला दूध शरीर में संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। इसके अलावा, भाप लेने और गुनगुने पानी से गरारे करने से भी गले की स्थिति में सुधार होता है। ये औषधियां न केवल समस्या का समाधान करती हैं, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती हैं।

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