ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर या योनि से सफेद पानी आना, महिलाओं में एक आम समस्या है। योनि से असामान्य और अत्यधिक स्राव इसकी एक विशेषता है।
योनि से स्राव किसी भी महिला के शरीर क्रिया विज्ञान का सामान्य हिस्सा है। यह स्राव पतला पारदर्शी तरल पदार्थ के रूप में होता है जो योनि को नम रखता है और चिकनाई प्रदान करता है। यह योनि के संक्रमण को रोकने में भी मदद करता है। योनि से होने वाला स्राव एस्ट्रोजन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। एस्ट्रोजन एक महिला हार्मोन होता है। महिला के मासिक धर्म चक्र के चरण के समय अनुसार योनि से होने वाला स्राव बढ़ या घट सकता है और आमतौर पर ओव्यूलेशन के आसपास सबसे अधिक होता है।
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योनि से मोटा या पतला सफेद अथवा पीले रंग का पदार्थ स्रावित होना ल्यूकोरिया का सबसे आम लक्षण है। यह आमतौर पर अंडरगारमेंट्स पर दिखाई देता है। खुजली के बिना अत्यधिक स्राव आमतौर पर हार्मोनल असामान्यता के कारण होता है। हालांकि, जब जीवाणु या फंगल संक्रमण या एसटीडी के कारण ल्यूकोरिया होता है, तो इसके कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जिसमें योनि के आसपास तेज खुजली, खराश और सूजन, बार-बार पेशाब करने की इच्छा होने के साथ पेशाब करने पर जलन का अनुभव होना, सामान्य कमजोरी और सुस्ती, यौन गतिविधि के दौरान सूजन के साथ जननांग पथ में दर्द, पीठ के निचले हिस्से में दर्द, पेट में परेशानी और जांघों में दर्द, आदि शामिल है।
स्वच्छता की कमी और शुक्राणुनाशक क्रीम या मलहम का उपयोग प्रजनन क्षेत्र, विशेष रूप से योनि के आसपास की परत में परेशानी पैदा करते हैं तथा अत्यधिक स्राव का कारण भी बन सकते हैं। कुछ मामलों में प्रसव के दौरान गर्भाशय ग्रीवा और योनि के क्षेत्र में चोट, यौन गतिविधि और मांसपेशियों की चोट आदि से ल्यूकोरिया हो सकता है। कुछ महिलाओं में मधुमेह और एनीमिया जैसी कुछ बीमारियां भी ल्यूकोरिया का संभावित कारण हो सकती है।
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डॉक्टर आमतौर पर सटीक जाँच करने के लिए लक्षणों के बारे में पूछताछ करते हैं। शारीरिक परीक्षण या पेशाब की जांच करके किसी अन्य अंतर्निहित संक्रमण की संभावना का पता किया जा सकता है। होम्योपैथी कम से कम संभव दुष्प्रभावों के साथ इस समस्या के इलाज के लिए एक समग्र दृष्टिकोण की पेशकश करती है। इस समस्या को दूर करने के लिए बोरेक्स, ग्रेफाइट्स और कैंथारिस वेसिकेटोरिया जैसी होम्योपैथिक दवाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है।
- होम्योपैथी में ल्यूकोरिया का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Leucorrhea ka upchar kaise hota hai?
- लिकोरिया या ल्यूकोरिया की होम्योपैथिक दवा - Leucorrhea ki homeopathic medicine
- होम्योपैथी में श्वेत प्रदर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Leucorrhea ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
- ल्यूकोरिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Leucorrhea ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
- श्वेत प्रदर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Leucorrhea ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में ल्यूकोरिया का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Leucorrhea ka upchar kaise hota hai?
होम्योपैथी में केवल रोग के लक्षणों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया जाता है, जो सभी के लिए सामान्य होते हैं, बल्कि उनके मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कल्याण सहित रोगी के समग्र स्वास्थ्य के बारे में पर्याप्त जानकारी इकट्ठा की जाती है। इसलिए, एक ही होम्योपैथिक दवा अलग-अलग व्यक्तियों को अलग तरह से प्रभावित करती है। ल्यूकोरिया के लिए होम्योपैथिक उपचार न केवल योनि के अतिरिक्त स्राव से राहत प्रदान करता है, बल्कि यह महिला के समग्र स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए भी बहुत सहायक हो सकता है।
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लिकोरिया या ल्यूकोरिया की होम्योपैथिक दवा - Leucorrhea ki homeopathic medicine
ल्यूकोरिया के लिए उपयोग की जाने वाली आम होम्योपैथिक दवाएं नीचे दी गई हैं। इन दवाओं के साथ उनके लक्षण लिखे गए हैं, जिनमें इनका उपयोग किया जाता है:
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एंटीमोनियम क्रूडम (Antimonium Crudum)
सामान्य नाम: ब्लैक सल्फाइड ऑफ एंटीमनी (Black sulphide of antimony)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षण होने पर रोगी के लिए इस होम्योपैथिक उपचार की आवश्यकता होती है:- अंडाशय में कोमलता (टेंडरनेस)
- गर्भाशय पर दबाव महसूस करना
- मासिक धर्म से पहले दांत दर्द और सिरदर्द (और पढ़ें - दांत दर्द के घरेलू उपाय)
- योनि से पानी जैसा पदार्थ निकलना (और पढ़ें - योनि से स्राव के प्रकार)
- जननांग के आसपास खुजली होना
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एल्यूमिना (Alumina)
सामान्य नाम: ऑक्साइड ऑफ एल्यूमीनियम आर्गिला (Oxide of Aluminium Argilla)
लक्षण: व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखने पर एल्यूमिना से उपचार की आवश्यकता होती है:- कम या अपर्याप्त पीरियड आना (और पढ़ें - मासिक धर्म कम आने का इलाज)
- पीरियड बहुत जल्दी शुरू होते हैं और कम रहते हैं
- पीरियड के दौरान सूजन
- पीरियड से पहले शरीर में दर्द और सिरदर्द (और पढ़ें - मासिक धर्म में दर्द का इलाज)
- पीरियड समाप्त होने के बाद कमजोरी और थकान होना
- कंपकंपी और थकावट जैसे लक्षणों के साथ ल्यूकोरिया होना (और पढ़ें - थकान दूर करने के लिए क्या खाएं)
- योनि से मांस के रंग का स्राव होना
- पीरियड से पहले और बाद में पारदर्शी म्यूकस का स्राव होना
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बोरेक्स (Borax)
सामान्य नाम: बोरेट ऑफ सोडियम (Borate of Sodium)
लक्षण: इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों में राहत मिलती है:- योनि से लाल रंग का स्राव
- योनि से स्टार्च जैसा गाढ़ा स्राव
- योनि के किनारों पर सूजन और इंफ्लमैशन (और पढ़ें - योनि में सूजन का कारण)
- क्लाइटोरिस में चुभता हुआ दर्द
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कैल्केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
सामान्य नाम: कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of Lime)
लक्षण: कैल्केरिया कार्बोनिका निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने के लिए एक अच्छी दवा है:- मासिक धर्म से पहले सिरदर्द और ठंड लगना
- गर्भाशय में गंभीर दर्द (और पढ़ें - पेडू में दर्द का इलाज)
- पीरियड बहुत जल्दी शुरू होते हैं और बहुत लंबे समय तक रहते हैं
- पीरियड के दौरान बहुत अधिक खून बहता है (और पढ़ें - पीरियड्स में ज्यादा ब्लीडिंग होने से रोकने के उपाय)
- जननांग क्षेत्र में जलन महसूस होना और खुजली, विशेष रूप से पीरियड के पहले और बाद में (और पढ़ें - योनि में जलन का इलाज)
- सेक्स की इच्छा बढ़ना
- पीरियड से पहले स्तनों में सूजन और कोमलता
- चॉक जैसी न पचने वाली चीजों को खाने की तलब होना
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कैंथारिस वेसिकेटोरिया (Cantharis Vesicatoria)
सामान्य नाम: स्पेनिश फ्लाई (Spanish Fly)
लक्षण: कैंथारिस निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए प्रभावी उपाय है:- जल्दी और बहुत अधिक पीरियड आना
- योनि के बाहरी भाग में सूजन और रंग बिगड़ना
- जननांग क्षेत्र में जलन
- गर्भाशय से लगातार स्राव (और पढ़ें - योनि से रक्तस्राव के कारण)
- अंडाशय में जलन वाला दर्द
- अंडाशय की संवेदनशीलता
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ग्रेफाइट (Graphites)
सामान्य नाम: ब्लैक लेड (Black Lead)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों में ग्रेफाइट का उपयोग किया जाता है:- सेक्स की इच्छा कम होना (और पढ़ें - कामेच्छा की कमी का इलाज)
- योनि के बाहरी भाग पर मुहांसे और फफोले होना
- योनि के आसपास पीड़ा होना
- अंडाशय में दर्दनाक सूजन, जो मासिक धर्म के बाद बढ़ जाती है
- दाएं अंडाशय में दर्द होना
- बाहों को ऊपर की तरफ करने पर गर्भाशय में दर्द
- गर्भाशय से बहुत कम स्राव
- अंगों में भारीपन महसूस होना
- स्तनों में संवेदनशीलता (और पढ़ें - निप्पल में दर्द का इलाज)
- योनि से सफेद और पानी जैसे तरल पदार्थ का अत्यधिक स्राव होता है
- पेट और जांघों के बीच के भाग में संवेदनशीलता
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काली बाइक्रोमिकम (Kali Bichromicum)
सामान्य नाम: बाइक्रोमेट ऑफ पोटाश (Bichromate of Potash)
लक्षण: काली बाइक्रोमिकम निम्नलिखित लक्षणों से छुटकारा पाने में मदद करता है:- जल्दी पीरियड आने के साथ-साथ चक्कर आना, मतली और सिरदर्द
- जननांग क्षेत्र में सूजन
- योनि के आसपास इंफ्लमैशन और नमी
- योनि से पीला स्राव होना
- योनि से अत्यधिक स्त्राव के दौरान पीठ और पेट के निचले हिस्से में दर्द होता है (और पढ़ें - मासिक धर्म में पेट दर्द का इलाज)
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क्रिओसोटम (Kreosotum)
सामान्य नाम: क्रियोसोट (Kreosote)
लक्षण: यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में प्रभावी है:- पीरियड के दौरान काले रक्त का स्राव
- जलन और पेट में ऐंठन के साथ ल्यूकोरिया
- पीरियड के दौरान कब्ज, दबाने पर दर्द, और पसीना आने जैसे लक्षण हो सकते हैं (और पढ़ें - कब्ज का होम्योपैथिक इलाज)
- पीरियड के बाद ल्यूकोरिया
- लेटने से ही पीरियड का स्राव होता हो
- थकावट और पैरों में थकान के साथ योनि से स्राव (और पढ़ें - टांगों की कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
- पीले रंग का ल्यूकोरिया स्राव
- बाहरी जननांगों में दर्दनाक ऐंठन
- योनि में तेज दर्द के साथ खुजली
- सेक्स के बाद जननांग के अंगों में दर्द और सूजन (और पढ़ें - सेक्स के बाद ऐंठन का इलाज)
- पेशाब करने से पहले योनि से अत्यधिक स्राव
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नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)
सामान्य नाम: कॉमन साल्ट (Common salt)
लक्षण: यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के लिए अच्छी तरह से काम करता है:- जननांग अंगों में दबाव महसूस करना, विशेष रूप से सुबह के दौरान
- सिरदर्द और पेट में ऐंठन के साथ गर्भाशय से अत्यधिक स्राव
- जननांग अंगों में खुजली (और पढ़ें - खुजली का होम्योपैथिक इलाज)
- यौन इच्छा में कमी
- योनि में सूखापन, जो संभोग को दर्दनाक बनाता है (और पढ़ें - सेक्स के दौरान दर्द का इलाज)
- चलने के दौरान योनि से स्राव बढ़ जाता है जो हरे या पीले रंग का दिखाई देता है
- जघन बालों का टूटना
- स्तनों में संवेदनशीलता
- योनि के बाहरी भाग में पीड़ा
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प्लेटिना (Platina)
सामान्य नाम: प्लैटिनम धातु (The Metal platinum)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षणों वाले व्यक्ति को प्लैटिना की आवश्यकता होती है:- प्रजनन अंगों में झुनझुनी महसूस होना
- जलन के साथ अंडाशय में संवेदनशीलता
- पीरियड बहुत जल्दी और अधिक होते हैं
- पीरियड में खून गाढ़ा और धब्बेदार होना
- गर्भाशय में ऐंठन (और पढ़ें - गर्भाशय संकुचन क्यों होता है?)
- असामान्य यौन इच्छा (और पढ़ें - महिलाओं की यौन समस्याओं के प्रकार)
- लगातार उदासी महसूस होना
होम्योपैथी में श्वेत प्रदर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Leucorrhea ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
होम्योपैथिक दवाओं के साथ आपको कुछ बातें ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है, इसके लिए आपको निम्नलिखित खान-पान और जीवनशैली के बदलाव करने चाहिए:
क्या करें
- व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें और यह भी सुनिश्चित करें कि आपके आस-पास के वातावरण को भी साफ और स्वच्छ रखा जाए।
- जॉगिंग या योग जैसे व्यायाम होम्योपैथिक उपचार की प्रभावशीलता में सहायक हो सकते हैं। इसलिए एक सक्रीय जीवनशैली बनाए रखें। (और पढ़ें - व्यायाम करने का सही समय)
- अपनी शारीरिक मुद्रा सही बनाए रखें।
- आरामदायक कपड़े पहनें, जिससे शरीर अच्छी तरह से हवादार रहे। कृत्रिम पदार्थ से निर्मित वस्त्र पहनने के बजाय, जो पसीने को अवशोषित नहीं करते हैं, प्राकृतिक उत्पाद से निर्मित कपड़े जैसे सूती वस्त्र का विकल्प चुनें।
क्या न करें
- कॉफी और चाय जैसे पेय पदार्थों का सेवन कम से कम कम किया जाना चाहिए।
- प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन न करें, क्योंकि इनमें उच्च मात्रा में नमक होता है, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है।
- मीठे पेय या खाद्य पदार्थों का सेवन भी न करें क्योंकि वे ब्लड ग्लूकोस के स्तर को प्रभावित कर सकते हैं। (और पढ़ें - मीठा खाने के नुकसान)
- प्याज, लहसुन या हींग जैसे उत्तेजक खाद्य पदार्थों का उपयोग कम करें।
- तेज सुगंधित उत्पादों जैसे इत्र और रूम फ्रेशनर का उपयोग न करें।
- तापमान नियंत्रण के कृत्रिम स्रोतों जैसे एयर कंडीशनिंग या रूम हीटर का उपयोग न करें।
ल्यूकोरिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Leucorrhea ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाएं एक तरह से प्राकृतिक यौगिकों से प्राप्त होती हैं जिनका न्यूनतम दुष्प्रभाव होता है। ये दवाएं उपयोग करने के लिए पूरी तरह से सुरक्षित हैं। स्वास्थ्य समस्या के मूल कारण से निपट सकने वाली दवा का पता करने के लिए व्यक्ति का पूरा मेडिकल इतिहास लिया जाता है। इस वजह से, इन दवाओं से किसी भी तरह की एलर्जी होने की संभावना भी बहुत कम होती है। जब तक एक प्रमाणित चिकित्सक की देखरेख में दवाओं की उचित खुराक ली जाती है, तब तक होम्योपैथिक उपचार से बहुत कम जोखिम होता है।
(और पढ़ें - पेट में गैस का होम्योपैथिक इलाज)
श्वेत प्रदर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Leucorrhea ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
ल्यूकोरिया एक काफी सामान्य समस्या है जिसकी शिकायत कई महिलाएं करती हैं। इस समस्या के कई कारण हो सकते हैं और यद्यपि यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण जोखिम पैदा नहीं करती है, लेकिन किसी अंतर्निहित संक्रमण या बीमारी का संकेत हो सकती है। इसलिए, लक्षणों को ठीक करना और किसी अन्य समस्या को रोकना अत्यावश्यक है। यह होम्योपैथिक दवाओं की मदद से किया जा सकता है, जो लक्षणों को कम करने और साथ ही मूल कारणों को खत्म करने में मदद करती हैं। जब उचित जीवन शैली और आहार परिवर्तन के साथ सही खुराक में इन दवाओं को लिया जाता है, तो होम्योपैथिक उपचार अधिकांश स्थितियों की पुनरावृत्ति को रोकने में भी मदद करता है।
(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन का होम्योपैथिक इलाज)
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12 वर्षों का अनुभव
संदर्भ
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