जब शराब पीने से लिवर डैमेज होता है, तो इससे अल्कोहल लिवर डिजीज होने का जोखिम रहता है. लगातार शराब का सेवन करने से लिवर में सूजन हो जाती है. अल्कोहल लिवर डिजीज के 4 प्रकार माने गए हैं. नॉजिया, भूख न लगना, थकान व पीलिया आदि अल्कोहल लिवर डिजीज के लक्षण हैं. शराब का सेवन करते रहना, परिवार में किसी को पहले से अल्कोहल लिवर डिजीज होना आदि इसके जोखिम कारक हैं. अल्कोहल लिवर डिजीज के इलाज के तौर पर डॉक्टर अल्कोहल से दूरी, कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और दवाइयों का सेवन करने की सलाह दे सकते हैं.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि अल्कोहल लिवर डिजीज के प्रकार, लक्षण, जोखिम और उपचार क्या हैं -
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- क्या है अल्कोहल लिवर डिजीज?
- अल्कोहल लिवर डिजीज के प्रकार
- अल्कोहल लिवर डिजीज के लक्षण
- अल्कोहल लिवर डिजीज का जोखिम
- अल्कोहल लिवर डिजीज का इलाज
- सारांश
क्या है अल्कोहल लिवर डिजीज?
लिवर का काम शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालना, एनर्जी को सुरक्षित रखना, हार्मोन और प्रोटीन का निर्माण करने के साथ कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर को नियमित करना है. ऐसे में जब व्यक्ति शराब का अधिक सेवन करता है, तो उसे अल्कोहल लिवर डिजीज होने की आशंका रहती है. इसकी वजह से लिवर में सूजन आ जाती है और फैट बनने लगता है.
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अल्कोहल लिवर डिजीज के प्रकार
अल्कोहल लिवर डिजीज के सभी 4 प्रकारों के बारे में नीचे बताया गया है -
अल्कोहल फैटी लिवर डिजीज
ज्यादा मात्रा में शराब के सेवन से लिवर मे फैटी एसिड जमा होने लगता है. ऐसा थोड़े दिनों में या कुछ मामलों में साल भी लग सकते हैं. इसका कोई लक्षण नहीं है, लेकिन अगर शराब से दूरी बना ली जाए, तो यह रोग ठीक हो सकता है.
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अल्कोहलिक हेपेटाइटिस
यह अल्कोहल लिवर डिजीज का एक गंभीर प्रकार है. हेपेटाइटिस के चलते लिवर में सूजन हो जाती है. ऐसा कई सालों की हेवी ड्रिंकिंग से होता है. इसके लक्षण में पीलिया, लिवर का बड़ा हो जाना (हेपटोमेगली), शरीर का तापमान 96.8 डिग्री फारेनहाइट से कम या 100.4 डिग्री फारेनहाइट से अधिक रहना.
इसके अलावा, दिल की धड़कन का प्रति मिनट 90 बीट होना, रेस्पिरेटरी दर का प्रति मिनट 20 सांस से ज्यादा होना और व्हाइट ब्लड सेल काउंट का प्रति माइक्रोलीटर्स 12000 से ऊपर या 4000 से कम होना अल्कोहलिक हेपेटाइटिस के लक्षण हैं. यदि इस अवस्था पर आने के बावजूद व्यक्ति शराब का सेवन बंद नहीं करता है, तो उसे सिरोसिस होने का खतरा रहता है.
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फाइब्रोसिस
जब लिवर में कुछ तरह के प्रोटीन का निर्माण होने लगता है, जिसमें कोलेजन भी शामिल है, तो इस स्थिति को फाइब्रोसिस कहा जाता है. माइल्ड फाइब्रोसिस ठीक हो सकता है.
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सिरोसिस
जब लंबे समय तक लिवर में इंफ्लेमेशन बना रहता है, जिससे स्केयरिंग और लिवर का काम करना बंद हो जाता है, तो इस स्थिति को लिवर सिरोसिस कहा जाता है. यह एक गंभीर बीमारी है, जिसमें जान जाने का खतरा भी रहता है. सिरोसिस डैमेज को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन शराब से परहेज करके आगे होने वाले खतरे से जरूर बचा जा सकता है.
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अल्कोहल लिवर डिजीज के लक्षण
अल्कोहल लिवर डिजीज की स्थिति में कुछ लोगों को कोई लक्षण ही नहीं होता, जब तक कि यह रोग गंभीर स्थिति में न आ जाए. वैसे इसके लक्षण निम्न हैं -
- नॉजिया
- भूख का न लगना
- पीलिया
- थकान महसूस होना
- पेट में डिसकम्फर्ट महसूस होना
- दिनोंदिन प्यास का बढ़ता जाना
- पैरों और पेट में सूजन
- वजन का कम होता जाना
- स्किन का गहरा या हल्का पड़ जाना
- हाथ-पैरों का लाल होना
- डार्क बाउल मूवमेंट
- बेहोशी आना
- बार-बार मूड में बदलाव आना
- कन्फ्यूजन की स्थिति
- मसूड़ों से खून निकलना
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अल्कोहल लिवर डिजीज का जोखिम
कुछ स्थिति में अल्कोहल लिवर डिजीज का जोखिम बहुत बढ़ जाता है -
- परिवार में किसी को अल्कोहल लिवर डिजीज का होना.
- व्यक्ति का लगातार शराब का सेवन करना.
- शराब के सेवन के साथ वजन का ज्यादा होना.
- पहले से हेपेटाइटिस सी का होना.
- दिनभर शराब पीते रहना.
- पौष्टिक भोजन से दूरी.
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अल्कोहल लिवर डिजीज का इलाज
अल्कोहल लिवर डिजीज के उपचार के रूप में सबसे पहले अल्कोहल से दूरी बनाई जाती है. इसके बाद कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी और दवाइयों के सेवन के साथ डॉक्टर लाइफस्टाइल में भी बदलाव लाने की सलाह देते हैं. आइए, अल्कोहल लिवर डिजीज के उपचार के बारे में विस्तार से जानते हैं -
अल्कोहल से दूरी
शराब से दूरी बनाकर अल्कोहल लिवर डिजीज के शुरुआती स्टेज में इस रोग को ठीक किया जा सकता है. फैटी लिवर डिजीज की स्थिति में दो से छह सप्ताह के बीच कंडीशन को ठीक किया जा सकता है. इस रोग का पता लगते ही डॉक्टर शराब का सेवन करने से मना कर देते हैं. जो लोग रोजाना सीमा से अधिक शराब का सेवन करते हैं, उन्हें बिना मेडिकल सपोर्ट के ड्रिंकिंग बंद नहीं करनी चाहिए, यह जिंदगी के लिए खतरनाक हो सकता है.
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कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी
अल्कोहल लिवर डिजीज के उपचार के लिए रिहेबिलिटेशन केंद्र में व्यक्ति को रखा जाता है, ताकि उसे करीब से मॉनिटर किया जा सके.
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दवाइयों का सेवन
बेंजोडाइजेपाइन (benzodiazepines) जैसी दवा के सेवन से शराब पर निर्भरता वाले व्यक्ति के विदड्रॉअल लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है. एकैम्प्रोसेट (acamprosate), विविट्रोल (vivitrol), टोपामैक्स (topamax), बैक्लोफेन (baclofen), डाइसल्फिरम (disulfiram) से भी मदद मिल सकती है.
इसके अलावा, कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids) नामक दवा की मदद से एक्यूट अल्कोहलिक हेपेटाइटिस वाले लोगों में इंफ्लेमेशन को कम करने में मदद मिल सकती है. डॉक्टर रोजाना मल्टी विटामिन लेने की भी सलाह दे सकते हैं.
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लाइफस्टाइल में बदलाव
वजन कम करने और स्मोकिंग को छोड़ने जैसी डॉक्टर की सलाह भी अल्कोहल लिवर डिजीज के उपचार में मदद करती है, क्योंकि ज्यादा वजन और स्मोकिंग दोनों अल्कोहल लिवर डिजीज की स्थिति को और बदतर कर सकते हैं.
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लिवर ट्रांसप्लांट
जिन लोगों को लिवर फेलियर की समस्या हो जाती है, उनके लिए लिवर ट्रांसप्लांट ही एकमात्र विकल्प बचता है. इसके लिए डोनर की उपलब्धता जरूरी है, जो लिवर दान कर सके. ट्रांसप्लांट के लिए उन लोगों को चुना जाता है, जो कम से कम छह महीने से शराब से दूर हों.
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सारांश
अल्कोहल लिवर डिजीज में शराब के ज्यादा सेवन से लिवर में सूजन और इंफ्लेमेशन हो जाता है. हालांकि, इस स्थिति में ड्रिंकिंग को तुरंत बंद कर देने से मदद मिलती है. अल्कोहल लिवर डिजीज के चार प्रकार हैं - अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज, अल्कोहलिक हेपेटाइटिस, फाइब्रोसिस और सिरोसिस. इसके लक्षण में पीलिया, नॉजिया, भूख का न लगना, कन्फ्यूजन की स्थिति होना और मसूड़ों से खून निकलना शामिल है. यदि परिवार में किसी को पहले से अल्कोहल लिवर डिजीज है या व्यक्ति को पहले से हेपेटाइटिस सी है, तो इससे अल्कोहल लिवर डिजीज का जोखिम और बढ़ जाता है.
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अल्कोहल लिवर डिजीज: प्रकार, लक्षण, जोखिम व इलाज के डॉक्टर

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