आजकल की व्यस्त जीवनशैली के कारण शरीर में चोट लगने की सम्भावना बढ़ गई है। हर व्यक्ति को कभी न कभी मोच आती है, हालांकि सही प्राथमिक उपचार पता होने से और अधिक नुक्सान होने से रोका जा सकता है।
“लिगामेंट” (Ligament: दो हड्डियों को जोड़ने वाले ऊतक) में खिंचाव या चोट लगने को मोच या “स्प्रेन” (Sprain) कहा जाता है। आमतौर पर, मोच टखने, पीठ और जांघ में आती है।
इस लेख में मोच के प्रकार, मोच आने पर क्या करें, क्या लगाएं और मोच का पता कैसे चलता है के बारे में बताया गया है।
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- मोच के प्रकार क्या होते हैं - Moch kitne prakar ki hoti hai
- कैसे पता चलता है कि मोच आई है - Moch ka pata kaise chalta hai
- मोच आने पर क्या करें - Moch ke liye prathmik upchar
- मोच आने पर क्या लगाएं - Moch aane par kya lagate hai
मोच के प्रकार क्या होते हैं - Moch kitne prakar ki hoti hai
गंभीरता के आधार पर मोच को 3 डिग्री में विभाजित किया जाता है। ये डिग्री निम्नलिखित हैं -
- पहली डिग्री
पहली डिग्री का मतलब है कि लिगामेंट में खिंचाव आया है परन्तु ये फटा नहीं है। इसमें हल्का दर्द व सूजन होते हैं और जोड़ों में हलकी अकड़न भी होती है।
- दूसरी डिग्री
दूसरी डिग्री का अर्थ है कि लिगामेंट का कुछ हिस्सा फटा है। इसमें दर्द, सूजन, नील पड़ना, जोड़ न हिला पाना और चलने में कठिनाई जैसी समस्याएं होती हैं।
- तीसरी डिग्री
तीसरी डिग्री का अर्थ है कि लिगामेंट पूरी तरह फट गया है। इसमें बहुत अधिक दर्द, सूजन, जोड़ न हिला पाना और चलने में दर्द होना जैसे लक्षण होते हैं। (और पढ़ें - घुटनों में दर्द का इलाज)
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कैसे पता चलता है कि मोच आई है - Moch ka pata kaise chalta hai
निम्नलिखित समस्याएं होने से मोच का पता चल जाता है -
- जोड़ या मांसपेशियों में दर्द होना। (और पढ़ें - जोड़ों में दर्द के घरेलू उपाय)
- प्रभावित क्षेत्र में कमजोरी महसूस होना।
- जोड़ हिलाने में कठिनाई होना।
- प्रभावित क्षेत्र में सूजन और लाली होना। (और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)
- प्रभावित क्षेत्र में गर्मी महसूस होना। (और पढ़ें - हॉट फ्लैशेस क्या है)
- मोच वाला क्षेत्र सुन्न भी हो सकता है।
(और पढ़ें - मांसपेशियों में दर्द के लक्षण)
मोच आने पर क्या करें - Moch ke liye prathmik upchar
मोच आने पर निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं -
- प्रभावित जोड़ को ज़्यादा हिलाएं नहीं।
- एक साफ कपड़े में बर्फ लपेटकर प्रभावित क्षेत्र पर रखें। आप आइस पैक का उपयोग भी कर सकते हैं। दिन में 6-7 बार 15-20 मिनट तक प्रभावित क्षेत्र पर ठंडी सिकाई करें।
- प्रभावित जोड़ पर गरम पट्टी का उपयोग करें और जोड़ को पूरी तरह से हिलाना-डुलाना न छोड़ें।
- प्रभावित क्षेत्र को थोड़ा ऊपर उठा कर रखें।
- 2-3 दिन बाद प्रभावित जोड़ को धीरे-धीरे इस्तेमाल करना शुरू कर दें।
पीठ या गर्दन में मोच की स्थिति में जोड़ को बिलकुल भी हिलाना नहीं चाहिए क्योंकि ऐसा करने से तंत्रिकाओं को नुक्सान हो सकता है। अगर आपको मोच वाले क्षेत्र में छूने से बहुत अधिक दर्द हो रहा है, तो डॉक्टर के पास जाएं। प्रभावित क्षेत्र में लाली और गर्माहट बढ़ने का मतलब इन्फेक्शन (संक्रमण) भी हो सकता है, इसीलिए ऐसा अनुभव होने पर चिकित्सा अवश्य लें।
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दर्द और सूजन कम करने के लिए आइबुप्रोफेन (Ibuprofen), एस्पिरिन (Aspirin) और नेप्रोक्सेन (Naproxen) जैसी दवाओं का उपयोग किया जाता है।
(और पढ़ें - मोच के घरेलू उपाय)
मोच आने पर क्या लगाएं - Moch aane par kya lagate hai
मोच पर लगाने के लिए बाजार में अलग-अलग कंपनियों की दर्द निवारक क्रीम व स्प्रे उपलब्ध हैं। आम तौर से आइबुप्रोफेन (Ibuprofen) या डाइक्लोफेनेक (Diclofenac) युक्त स्प्रे या क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे -
- केपजेसिन एच पी क्रीम (Capzacin Hp Cream)
- आईसी हॉट वैनिशिंग जेल (Icy Hot vanishing gel)
- मायोफ्लेक्स क्रीम (Myoflex cream)
- वोल्टेरेन स्प्रे (Voltaren Spray)
- सलोनपेस स्प्रे (Salonpas sray)
चेतावनी: डॉक्टर से पूछे बिना खुद और बच्चों को कोई दवा न दें। ऐसा करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
नोट: प्राथमिक चिकित्सा या फर्स्ट ऐड देने से पहले आपको इसकी ट्रेनिंग लेनी चाहिए। अगर आपको या आपके आस-पास किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्वास्थ्य समस्या है, तो डॉक्टर या अस्पताल से तुरंत संपर्क करें। यह लेख केवल जानकारी के लिए है।