परिचय

कलाई के अंदर के लिगामेंट हाथ को सही स्थिति में बनाए रखते हैं। लिगामेंट कलाई व हाथ के हिलने ढुलने की गति को नियंत्रण में रखते हैं। पट्टी जैसे मजबूत तथा लचीले ऊतकों को लिगामेंट्स कहा जाता है, जो जोड़ के अंदर दो हड्डियों को जोड़कर रखते हैं। जब कलाई में मौजूद लिगामेंट्स में अधिक खिंचाव आ जाता है या फिर ये क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो कलाई में मोच आ जाती है।

शरीर का संतुलन बिगड़ना, फिसल कर गिरना और हाथ के बल गिरना कलाई में मोच आने के कुछ मुख्य कारण हैं। इस स्थिति में आपको प्रभावित हिस्से में दर्द, कमजोरी और छूने पर दर्द होना आदि समस्याएं होने लग जाती हैं। कलाई में मोच आने पर प्रभावित क्षेत्र में सूजन व लालिमा आ जाती है प्रभावित हिस्सा नीला भी पड़ सकता है। कभी-कभी कलाई में झुनझुनी या जलन महसूस हो सकती है और कलाई से चड़क जैसी आवाज भी आ सकती है।

कलाई में मोच का परीक्षण करने के लिए एक्स रे और एमआरआई आदि टेस्ट करने की आवश्यकता पड़ सकती है। कलाई में किसी प्रकार की चोट लगने से बचाव करना और फिसलन वाली जगह पर ना दौड़ना आदि से कलाई में मोच आने से रोकथाम की जा सकती है।

बर्फ से सिकाई और पर्याप्त आराम देकर कलाई में मोच का इलाज तुरंत शुरू कर दिया जाना चाहिए। कलाई में चोट लगने के बाद कुछ दिन तक रोजाना लगातार 15 से 20 मिनट तक बर्फ की सिकाई करने की सलाह दी जाती है, जिससे दर्द कम हो जाता है। यदि कलाई में गंभीर रूप से मोच आ गई है, तो उसका इलाज करने के लिए ऑपरेशन करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। यदि मोच हल्की ही है, तो वह कुछ दिनों में ठीक हो जाती है जबकि गंभीर मोच पूरी तरह से ठीक होने में हफ्ता और यहां तक कि एक महीने का समय भी लग सकता है।

(और पढ़ें - कलाई की हड्डी टूटने का इलाज​)

  1. कलाई की मोच क्यूँ आती है? - Sprained Wrist in Hindi
  2. कलाई में मोच की जटिलताएं - Sprained Wrist Complications in Hindi
  3. कलाई में मोच के प्रकार - Types of Sprained Wrist in Hindi
  4. कलाई में मोच के लक्षण - Symptoms of Sprained Wrist in Hindi
  5. कलाई में मोच के कारण व जोखिम कारक - Causes & Risk Factors of Sprained Wrist in Hindi
  6. कलाई में मोच का परीक्षण - Diagnosis of Sprained Wrist in Hindi
  7. कलाई में मोच से बचाव - Prevention of Sprained Wrist in Hindi
  8. कलाई में मोच का इलाज - Sprained Wrist Treatment in Hindi
  9. सारांश
कलाई में मोच के लक्षण , कारण और उपचार के डॉक्टर

कलाई में मोच क्या है?

जब कलाई को सहारा प्रदान करने वाली लिगामेंट्स में सामान्य सीमा से ज्यादा खिंचाव आ जाता है या फिर वे क्षतिग्रस्त हो जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में कलाई में मोच आ जाती है। यह आमतौर पर कलाई के अचानक या तेजी से मुड़ जाने के कारण होता है, जैसे हाथ के बल जमीन पर गिरना।

(और पढ़ें - कलाई में दर्द का इलाज​)

कलाई की मोच से क्या जटिलताएं हो सकती हैं?

कलाई में मोच आने पर कुछ समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:

  • कलाई की मोच पूरी तरह से ठीक होने में अक्सर थोड़ा ज्यादा समय ले लेती है, लेकिन आमतौर पर यह पूरी तरह से ठीक हो जाती है।
  • कलाई में थोड़ी बहुत चोट लगने पर जब लिगामेंट्स ठीक होने लग जाता है, तो कलाई की अकड़न भी ठीक होने लग जाती है।
  • यदि कलाई की हड्डी में कोई गुप्त फ्रैक्चर (जिसे ऑकल्ट फ्रैक्चर भी कहा जाता है) हुआ है, तो कई बार उसको कलाई की मोच समझ लिया जाता है। अगर इस मामले का इलाज ना किया जाए, तो टूटी हुई हड्डी ठीक नहीं हो पाती है और इसके लिए ऑपरेशन करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है। (और पढ़ें - कोहनी में फ्रैक्चर का इलाज)
  • यदि लिगामेंट्स का कोई एक हिस्सा अधिक क्षतिग्रस्त हो गया है, तो उसका पता लगाना अक्सर मुश्किल हो सकता है और यदि इसका समय पर इलाज ना किया जाए तो लंबे समय तक रहने से मरीज को अपंग बना सकता है। 
  • यदि आपको पहले कभी कलाई की मोच हो चुकी है और उस समय उसका इलाज ठीक से नहीं हो पाया था, तो ऐसी स्थिति में कलाई की हड्डियां व लिगामेंट्स कमजोर हो जाते हैं। यदि समय पर इलाज ना किया जाए तो इससे गठिया भी विकसित हो सकता है। 

(और पढ़ें - हड्डियों में दर्द का इलाज)

कलाई में मोच के कितने चरण हैं?

कलाई में मोच की स्थिति हल्की या गंभीर हो सकती है। लिगामेंट क्षतिग्रस्त होकर हड्डी से कितना दूर हो गया है, उसके अनुसार ही कलाई में मोच की स्टेज को निर्धारित किया जाता है।

  • ग्रेड 1:
    इस चरण में लिगामेंट्स में काफी खिंचाव आ जाता है लेकिन वे क्षतिग्रस्त नहीं हो पाते हैं। यह हल्की मोच होती है। (और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव का कारण)
     
  • ग्रेड 2:
    इसमें लिगामेंट का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो जाता है। यह हल्की मोच होती है और इसमें जोड़ों को स्थिर रखने के लिए प्लास्टर चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।
     
  • ग्रेड 3:
    इस स्थिति में लिगामेंट्स पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है, यह एक गंभीर प्रकार की मोच होती है। इस स्थिति का इलाज करने के लिए मेडिकल इलाज और ऑपरेशन की आवश्यकता भी पड़ सकती है। 

(और पढ़ें - कलाई में दर्द के घरेलू उपाय)

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कलाई में मोच के लक्षण क्या हैं?

कलाई में मोच आने से काफी दर्द होता है। इसके अलावा इस स्थिति में निम्नलिखित कुछ अन्य लक्षण भी पैदा हो जाते हैं, जैसे:

  • सूजन
  • कलाई को हिलाने पर लगातार तेज दर्द होना
  • नील पड़ना
  • छूने पर दर्द होना
  • कलाई के आस-पास की त्वचा का रंग बदल जाना
  • कलाई के अंदर चड़क जैसी आवाज आना
  • मोच से प्रभावित क्षेत्र के आस-पास की त्वचा गर्म महसूस होना
  • मुट्ठी बंद करने या किसी वस्तु को उठाने में कमजोरी और अस्थिरता महसूस होना

(और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि कलाई, हाथ या बाजू में सामान्य रूप से कोई बदलाव दिखाई दे रहा है, लगातार झुनझुनी हो रही है या फिर त्वचा सुन्न हो गई है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लें। (और पढ़ें - टिटेनी रोग क्या है)

निम्नलिखित स्थितियां होने पर डॉक्टर को दिखाना बहुत जरूरी होता है:

  • यदि दर्द लगातार 2 हफ्तों से भी अधिक समय से हो रहा है और लगातार बदतर होता जा रहा है। तो यह अत्यधिक गंभीर मोच या चोट का संकेत हो सकता है। 
  • यदि कोई चोट सामान्य रूप से ठीक ना हो रही हो। 
  • कलाई में अचानक से अकड़न आ जाना। 

(और पढ़ें - चोट लगने पर क्या करें)

कलाई में मोच कैसे आती है?

ऐसी कई स्थितियां हैं जो कलाई में मोच का कारण बन सकती हैं, जैसे हाथ के बल जमीन पर गिरना, किसी तेज दबाव को कलाई के साथ रोकना और मुड़ी हुई या खिंची हुई कलाई को एकदम से मोड़ने की कोशिश करना। 

रोजाना के सामान्य कार्य करने के दौरान कलाई में मोच आने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। कुछ मौसमी परिस्थितियों में, जैसे कि बारिश, तूफान के दौरान जब कोई व्यक्ति फिसल कर हाथ के बल गिर जाता है, तो उसकी कलाई में मोच आ सकती है। 

एक एथलीट के लिए भी कलाई में मोच आने का खतरा बढ़ जाता है। कोई भी खेल कलाई में मोच और हाथ या कलाई में किसी प्रकार की चोट का खतरा थोड़ा बहुत बढ़ा देता है। कलाई में मोच आने का खतरा खासकर कम उम्र के पुरुषों को होता है, जो फुटबॉल, बास्केटबॉल और बेसबॉल जैसे खेल खेलते हैं। 

(और पढ़ें - नाड़ीग्रन्थि पुटी का इलाज)

गिरना कलाई में मोच आने का सबसे आम कारण है, लेकिन इसके अलावा निम्नलिखीत स्थितियों में भी कलाई में मोच आ सकती है:

  • कलाई पर कुछ तेजी से लगना। 
  • कलाई का तेजी से मुड़ना। 
  • कलाई के हिस्से पर अधिक दबाव पड़ना। 

(और पढ़ें - मिडियन तंत्रिका में चोट का इलाज)

कलाई में मोच आने का खतरा कब बढ़ता है?

निम्नलिखित कुछ स्थितियां हैं जिनमें कलाई की मोच का खतरा अधिक बढ़ जाता है:

  • बास्केटबॉल खेलना
  • बेसबॉल खेलना
  • जिम्नास्टिक करना 
  • पानी में डुबकी लगाना (गोताखोर)
  • गीली या चिकनी सतह पर चलना
  • स्थिति के अनुसार उचित जूते ना पहनना
  • वर्षा ऋतू या सर्दियों का मौसम

(और पढ़ें - मोच के घरेलू उपाय)

कलाई में मोच का परीक्षण कैसे किया जाता है?

इस स्थिति की जांच करने के लिए डॉक्टर कलाई का परीक्षण करते हैं, लक्षणों की जांच करते हैं और स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति के बारे में पूछते हैं। इसके अलावा परीक्षण के दौरान डॉक्टर पहले कभी कलाई या हाथ पर लगी चोट के बारे में भी पूछ सकते हैं। 

डॉक्टर आपकी बांह व हाथ की अच्छी तरह से जांच करते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके की कहीं कोई हड्डी तो नहीं टूटी है। जांच के दौरान डॉक्टर हाथ सुन्न होने या फिर छूने पर दर्द होने जैसी समस्याओं का पता भी लगा सकते हैं। यदि लिगामेंट का कोई हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है, तो उसका परीक्षण करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। (और पढ़ें - हड्डी टूटने का इलाज)

  • एक्स रे:
    कलाई में मोच है या नहीं और मोच किस चरण में है आदि का पता लगाने के लिए डॉक्टर एक्स रे जैसे इमेजिंग टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि यदि लिगामेंट में किसी प्रकार की चोट आई है, तो एक्स रे टेस्ट की मदद से उसका पता नहीं लगाया जा सकता है। यदि मोच आदि के कारण कोई हड्डी टूट गई है, तो एक्स रे टेस्ट की मदद से उसका पता लगाया जा सकता है। (और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या है)
     
  • एमआरआई और सीटी स्कैन:
    कुछ गंभीर मामलों में एमआरआई स्कैन, सीटी स्कैन और आर्थ्रोग्राम आदि टेस्ट किए जा सकते हैं। एमआर आर्थ्रोग्राम में प्रभावित हिस्से में इंजेक्शन के द्वारा एक विशेष प्रकार की डाई को डाला जाता है, जिसकी मदद से लिगामेंट्स और जोड़ों को काफी स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

(और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)

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कलाई में मोच आने से रोकथाम कैसे करें?

कलाई में मोच से बचाव करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि आमतौर पर ये अचानक से होने वाली किसी दुर्घटना के कारण होता है। हालांकि कुछ उपाय हैं, जिनकी मदद से कलाई में चोट आदि लगने से बचाव किया जा सकता है:

  • कलाई की मोच आमतौर पर अचानक से गिरने आदि के कारण होती है, जिसकी पूरी तरह से रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि जिम्नास्टिक या कोई खेल खेलने के दौरान कलाई को सुरक्षा प्रदान करने वाले उपकरण (रिस्टबैंड या रिस्टगार्ड) का उपयोग करने से गिरने जैसी स्थितियों में कलाई में मोच आने से बचाव किया जा सकता है।
  • कलाई में चोट आदि लगने से बचाव करने के लिए खेल के माहौल को सुरक्षित बनाए रखना बहुत जरूरी होता है। (और पढ़ें - मोच आने पर क्या करे)
  • मैदान में खेल या प्रैक्टिस शुरू करने से पहले मैदान की अच्छे से जांच की जानी चाहिए और पता लगा लेना चाहिए कि वहां पर कोई अनावश्यक वस्तु, बड़ा गड्ढा या नुकीली वस्तु तो नहीं पड़ी है या फिर मैदान गीला तो नहीं है।
  • अपने आस-पास ध्यान रखने से भी गिरने आदि की संभावनाएं कम हो जाती हैं। 
  • गीली या चिकनी सतह पर दौड़ने या चलने के दौरान खास सावधानी बरतें।
  • ऐसी एक्सरसाइज करें जो आपकी कलाईयों को मजबूत बनाती हैं, डॉक्टर आपको ऐसी एक्सरसाइज के बारे में बता सकते हैं। (और पढ़ें - एक्सरसाइज करने का सही टाइम)
  • कलाई के लिए सुरक्षात्मक ब्रेस या फिर टेप का इस्तेमाल करें, जो आपकी कलाई को पीछे की तरफ अधिक मुड़ने से बचाव करती है। इसका इस्तेमाल खासकर उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनकी कलाई पहले से ही क्षतिग्रस्त हो रखी है।
  • यदि कलाई में मोच की समस्या काफी दिनों से हो रही है, तो इस बारे में डॉक्टर से पूछें कि कौन सी गतिविधि के कारण आपकी कलाई क्षतिग्रस्त हुई है और इसकी रोकथाम करने के लिए क्या करना चाहिए। 

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज)

कलाई में मोच का इलाज कैसे किया जाता है?

कलाई में हल्की या मध्यम मोच आमतौर पर अपने आप ही ठीक हो जाती है। इस प्रकार की मोच को ठीक होने के लिए सिर्फ कुछ समय की आवश्यकता होती है। कुछ उपाय हैं, जिनकी मदद से ठीक होने में लगने वाले समय को कम किया जा सकता है:

  • अपनी कलाई को कम से कम 48 घंटों तक आराम दें
  • सूजन को कम करने के लिए कलाई की बर्फ से सिकाई करें। प्रभावित कलाई की दिन में कम से कम तीन से चार बार लगातार 20 से 30 मिनट तक बर्फ से सिकाई करें और ऐसा कम से कम दो से तीन दिन तक करते रहें। 
  • किसी पट्टी के साथ कलाई पर दबाव देकर रखें (और पढ़ें - बर्फ की सिकाई के फायदे)
  • अपनी कलाई को हृदय के स्तर से ऊपर रखें, इसके लिए आप सोते समय अपनी कलाई के नीचे कुछ अतिरिक्त तकिए लगा सकते हैं। 
  • दर्द को कम करने के लिए पेन किलर और सूजन को कम करने के लिए नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी दवाएं लें। (और पढ़ें - नसों में सूजन का इलाज)
  • कलाई पर प्लास्टर आदि बांध ले ताकि कलाई हिल ना पाए। प्लास्टर आदि को कुछ ही समय के लिए रखना चाहिए, जब तक आप डॉक्टर के पास ना चलें जाएं। उसके बाद यदि डॉक्टर आपको प्लास्टर लगाने को कहें तो ही प्लास्टर का इस्तेमाल करें। लंबे समय तक प्लास्टर का इस्तेमाल करने से कुछ मामलों में कलाई में अधिक अकड़न आ जाती है और मांसपेशियां कमजोर पड़ने लग जाती है। (और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी दूर करने के उपाय)
  • यदि आपके डॉक्टर सलाह दें तो स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज व कलाई की मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज करें। आपकी स्थिति के अनुसार सही एक्सरसाइज व स्ट्रेचिंग का चुनाव करने के लिए फिजिकल थेरेपिस्ट के पास जाना अधिक बेहतर हो सकता है। 
  • कलाई में मोच के गंभीर चरणों में लिगामेंट्स बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाता है, ऐसी स्थिति में सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ सकती है। यदि लिगामेंट पूरी तरह से हड्डी से हट गया है, तो सर्जरी की मदद से लिगामेंट्स को फिर से हड्डी से जोड़ दिया जाता है।

(और पढ़ें - चोट की सूजन का इलाज)

कलाई में मोच आने पर सबसे पहले कलाई को आराम दें और उसे अधिक न हिलाएं। चोटिल क्षेत्र पर बर्फ से 15-20 मिनट तक सिकाई करें, जिससे सूजन और दर्द कम होगा। कलाई को स्थिर रखने के लिए एल्युमिनियम पट्टी या सपोर्ट बैंडेज का उपयोग करें। हाथ को ऊंचा रखें ताकि सूजन कम हो। दर्द और सूजन को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की सलाह पर दर्द निवारक दवाएं ली जा सकती हैं। अगर दर्द और सूजन कुछ दिनों में कम न हो या स्थिति गंभीर हो, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें।

Dr.Vasanth

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