शरीर में अत्यधिक वसा के जमने पर मोटापा घेर लेता है। मोटापा खासतौर पर पेट, ठोड़ी के नीचे, जांघों और नितंबों पर होता है। मोटापा यानि ओबेसिटी अपने आप में कोई रोग नहीं है लेकिन ये कई खतरनाक रोगों का कारण जरूर है। मोटापे का असर व्यक्ति की आयु पर भी पड़ता है एवं इसके कारण कई अन्य रोग जैसे कि हाइपरटेंशन, डायबिटीज, स्ट्रोक और कुछ प्रकार के कैंसर होने का भी खतरा रहता है। पुरुषों में 30 या इससे ज्यादा और महिलाओं में 28.6 या इससे ज्यादा बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) का स्तर मोटापे का संकेत देता है।
आयुर्वेद में ओबेसिटी या स्थौल्य का समग्र उपचार संभव है। कुछ आयर्वेदिक जड़ी बूटियों जैसे शिलाजीत, हरीतकी और मुस्ता का उपयोग मोटापे के इलाज में किया जाता है। आयुर्वेद में वजन को नियंत्रित एवं शरीर को डिटॉक्सिफाई (सफाई) करने के लिए रुक्ष-उष्ण (सूखे और गर्म गुणों से युक्त जड़ी बूटियां) बस्ती (एनिमा) का प्रयोग किया जाता है। इसमें जड़ी बूटियों को गर्म कर रेचक (दस्त के लिए) के रूप में दी जाती हैं ताकि शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाला जा सकता है। अतिरिक्त वसा को घटाने और मांसपेशियों को मजबूती देने में कुछ योगासन और मुद्राएं जैसे कि कोबरा, मत्स्य, ऊंट और गाय की मुद्रा मदद करती हैं।
(और पढ़ें - बॉडी को डिटॉक्स कैसे करें)
डायबिटीज से बचने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे।और अपने जीवन को स्वस्थ बनाये।