मसूड़ों में कैंसर को गम कैंसर के नाम से भी जाना जाता है। इसमें मसूड़ों में असामान्य रूप से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं जो आगे चलकर ट्यूमर व कैंसर का रूप ले सकती हैं। मसूड़े वे हिस्से होते हैं, जिनमें दांत जड़े होते हैं।
यह मुंह के कैंसर का एक रूप है, जिसमें ज्यादातर मसूड़े की सतह पर कैंसर विकसित होता है। यह एक प्रकार का त्वचा कैंसर है, जिसे स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के रूप में जाना जाता है। वे किसी गांठ या घाव की तरह दिखना शुरू हो सकते हैं, जो ठीक नहीं होते हैं। इसमें दिखने वाले घाव लाल या सफेद रंग के हो सकते हैं और मसूड़े का मोटा होने जैसा महसूस हो सकता है। घाव के पास के दांत ढीले हो सकते हैं या दांत की फिटिंग खराब हो सकती है।
तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना, विशेष रूप से तंबाकू चबाना और नियमित रूप से अधिक मात्रा में शराब पीने से मसूड़ों के कैंसर का जोखिम बढ़ सकता है। आमतौर पर सबसे पहले एक डेंटिस्ट मसूड़ों में कैंसर की पहचान करते हैं। ऐसा तब होता है जब आप अपने दांतों की नियमित जांच के लिए उनके पास जाते हैं।
गम कैंसर के लक्षणों में शामिल हो सकते हैं :
- मसूड़ों पर सफेद, लाल या काले धब्बे
- खून बहना या मसूड़ों का चटकना
- मसूड़ों का मोटा होना
(और पढ़ें - मुंह के कैंसर की होम्योपैथिक इलाज)
- मसूड़ों के कैंसर के लक्षण - Gum Cancer symptoms in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर का क्या कारण है? - Gum Cancer causes in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर से जुड़े जोखिम कारक - Gum Cancer risk factor in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर का इलाज - Masudo ke cancer ka ilaj in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर के अन्य उपचार - Gum Cancer other treatments in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर के खतरे को कम कैसे करें - How to Minimize the risk of gum cancer in Hindi
- मसूड़ों के कैंसर की संभावित जटिलताएं क्या हैं? - Potential complications of gum cancer in Hindi
- मुंह का कैंसर और मसूड़ों के कैंसर में अंतर - Difference between oral cancer and gum cancer in Hindi
मसूड़ों के कैंसर के लक्षण - Gum Cancer symptoms in Hindi
मसूड़ों के कैंसर के सामान्य लक्षणों में शामिल हैं :
- मुंह की बदबू
- स्वाद बदल जाना या स्वाद न आना
- मसूड़ों का फटना
- मसूड़ों से खून बहना
- खाने में कठिनाई
- दांतों या डेंचर की फिटिंग ढीली पड़ना
- गांठ, जो अपने आप ठीक नहीं होती है
- ठीक न होने वाला घाव, जो सफेद, पीला, लाल, गहरा रंग या फीका दिखाई दे सकता है
- मसूड़ों में दर्द
- गर्दन में लिम्फ नोड्स की सूजन
- मसूड़ों का मोटा होना
- वजन कम होना
मसूड़े के कैंसर की जटिलताएं दुर्लभ हैं, लेकिन यह एक गंभीर बीमारी है। यदि इसके लक्षणों को जल्दी पहचान लिया जाए, तो इसका इलाज आसान है।
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मसूड़ों के कैंसर का क्या कारण है? - Gum Cancer causes in Hindi
कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने की वजह से कैंसर विकसित होता है, लेकिन वह क्या कारण है जिसकी वजह से कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ती हैं, यह स्पष्ट नहीं है। सामान्य तौर पर, कैंसर बनना तब शुरू होता है जब कोशिकाओं के डीएनए में असामान्य बदलाव (गड़बड़ी) होती है। हालांकि, कई जोखिम कारक इससे जुड़े हो सकते हैं जैसे तंबाकू व शराब का अत्यधिक मात्रा में सेवन करना आदि।
कैंसर के सामान्य कारणों में शामिल हैं :
- वायरस : कुछ वायरस, बैक्टीरिया और परजीवियों के संक्रमण को मनुष्यों में कई प्रकार के कैंसर के जोखिम कारकों के रूप में मान्यता दी गई है। दुनियाभर में, लगभग 15% से 20% कैंसर के मामले संक्रमण से जुड़े हैं। विकासशील देशों में यह प्रतिशत और भी अधिक है, क्योंकि इन देशों में कुछ प्रकार के संक्रमण बेहद आम हैं।
- बैक्टीरिया : यह बहुत ही सूक्ष्म जीव होते हैं जो केवल एक कोशिका से बने होते हैं। वैसे तो अधिकांश प्रकार के बैक्टीरिया हानिकारक नहीं होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो न सिर्फ लोगों को संक्रमित कर सकते हैं बल्कि बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं। यहां तक कि कुछ को बैक्टीरिया (जैसे एच पाइलोरी और क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस) को कैंसर से जुड़ा हुआ माना जाता है।
- परजीवी : कुछ ऐसे परजीवी कीड़े होते हैं, जो मानव शरीर के अंदर रह सकते हैं और यह कुछ प्रकार के कैंसर के विकास के जोखिम को भी बढ़ा सकते हैं। इन परजीवियों में ओपिस्थोरकिस विवेररिनी और क्लोनोरकिस सिनेंसिस शामिल हैं, जो कि कच्चा भोजन करने व अधपकी मछली खाने से हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। हालांकि, यह पित्त नलिकाओं के कैंसर से जुड़े हैं, लेकिन मसूड़ों में कैंसर व दूसरे प्रकार के कैंसर से जुड़े परजीवियों पर भी अध्ययन जारी है।
(और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)
मसूड़ों के कैंसर से जुड़े जोखिम कारक - Gum Cancer risk factor in Hindi
मसूड़ों व अन्य प्रकार के मुंह के कैंसर के सबसे बड़े जोखिम कारकों में शराब व तंबाकू का सेवन शामिल है। सामान्य तौर पर, महिलाओं की तुलना में पुरुषों में मुंह का कैंसर होना अधिक आम है, आमतौर पर 35-40 वर्ष की आयु के बाद इस तरह के कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। इसके अलावा कुछ अन्य कारक भी हैं जो मसूड़ों के कैंसर के विकास के जोखिम को बढ़ाते हैं, जैसे :
- अल्कोहल का अत्यधिक मात्रा में सेवन
- मुंह में लंबे समय से जलन या असहज महसूस करना
- स्वस्थ भोजन न करना
- ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण
- मुंह की साफ सफाई सही से न करना
- धूम्रपान या अन्य तंबाकू उत्पादों का उपयोग
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मसूड़ों के कैंसर का इलाज - Masudo ke cancer ka ilaj in Hindi
मसूड़ों के कैंसर का निदान यदि जल्दी हो जाए तो सफलतापूर्वक इसका इलाज किया जा सकता है। इसके उपचार में 'हेड एंड नेक कैंसर सर्जन' द्वारा सर्जरी शामिल है।
मसूड़ों के कैंसर के इलाज का लक्ष्य स्थिति को ठीक करने के अलावा निम्न चीजों पर फोकस करना है :
- ट्रीटमेंट के दौरान मुंह द्वारा किए जाने वाले कार्यों को सुरक्षित रखना
- कैंसर को वापस आने से रोकने के लिए उचित कदम उठाना
किसी भी कैंसर के इलाज की योजना इस बात पर निर्भर करती है कि कैंसर किस जगह पर है और कितना फैल चुका है। इसके अलावा ट्रीटमेंट इस बात पर भी निर्भर करता है कि कैंसर निचले मसूड़ों में है या ऊपरी मसूड़ों में।
ऊपरी मसूड़े के कैंसर के उपचार में आमतौर पर मैक्सिलेक्टॉमी (मुंह के अंदर ऊपर की तरफ कैंसर निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी) शामिल है।
निचले मसूड़े के कैंसर के उपचार में आमतौर पर मैंडिबुलेक्टॉमी (जबड़े के आसपास के कैंसर को निकालने के लिए की जाने वाली सर्जरी) और नेक डिस्सेक्शन (गर्दन में लिम्फ नोड्स को हटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी) शामिल है।
यदि कैंसर एडवांस्ड स्टेज पर है, तो कैंसर के वापस आने के जोखिम को कम करने के लिए सर्जरी से पहले या बाद में ट्यूमर को सिकोड़ने के लिए रेडिएशन, कीमोथेरेपी या दोनों का उपयोग किया जा सकता है। कुछ लोगों के लिए, रेडिएशन ही एकमात्र आवश्यक उपचार हो सकता है।
(और पढ़ें - ट्यूमर और कैंसर में अंतर)
मसूड़ों के कैंसर के अन्य उपचार - Gum Cancer other treatments in Hindi
आपके स्वास्थ्य की स्थिति और कैंसर के उपचार के किसी भी दुष्प्रभाव में मदद के लिए अन्य उपचारों की मदद ली जा सकती है :
- मतली होने पर एंटीनॉजिया (मतली को ठीक करने वाली) दवाएं
- जरूरी पोषण बनाए रखने में मदद करने के लिए डाइट काउंसलिंग (और पढ़ें - संतुलित आहार चार्ट)
- खाने, निगलने या बात करने की समस्याओं में मदद करने के लिए ऑक्यूपेशनल थेरेपी (शारीरिक, संवेदी या संज्ञानात्मक समस्याओं में मदद करने वाली चिकित्सा) व फिजिकल थेरेपी।
- दर्द से मुक्ति के लिए आवश्यकतानुसार दर्द निवारक दवाएं
- मसूड़ों को दोबारा सामान्य रूप देने के लिए रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी
मसूड़ों के कैंसर के खतरे को कम कैसे करें - How to Minimize the risk of gum cancer in Hindi
मसूड़ों के कैंसर के जोखिम को कम करने में निम्नलिखित चीजें मदद कर सकती हैं :
- खूब सारी सब्जियां और फल खाना
- मुंह की साफ-सफाई के लिए उचित कदम उठाना
- सिगरेट और धुंआ रहित तंबाकू जैसे उत्पादों का उपयोग छोड़ देना
- शराब की खपत को सीमित करना
- नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास जाना
(और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने का आसान तरीका)
मसूड़ों के कैंसर की संभावित जटिलताएं क्या हैं? - Potential complications of gum cancer in Hindi
यदि मसूड़ों के कैंसर का इलाज शुरू नहीं किया जाता है, तो इससे जुड़ी जटिलताएं गंभीर हो सकती हैं, यहां तक कि कुछ मामलों में जानलेवा भी साबित हो सकती हैं। आप एक बेहतरीन उपचार योजना और डॉक्टर के दिशा-निर्देशों का पालन करके इन जटिलताओं से बच सकते हैं। इनमें शामिल हैं :
- व्यक्ति पर कैंसर रोधी उपचार के बाद नकारात्मक प्रभाव पड़ना
- पहले के मुकाबले खाने, पीने या बात करने की क्षमता में कमी आना
- अनियंत्रित रूप से खून बहना
- दांत ढीले होना
- उपचार के बाद कैंसर के दोबारा होने का जोखिम
- असामान्य रूप से बढ़ने वाली कोशिकाओं का आस-पास के हिस्से तक फैलना
- शरीर के दूसरे अंगों तक कैंसर का प्रभाव पड़ना
- गर्दन में लिम्फ नोड्स तक कैंसर का प्रसार होना
(और पढ़ें - पित्त के कैंसर का इलाज)
मुंह का कैंसर और मसूड़ों के कैंसर में अंतर - Difference between oral cancer and gum cancer in Hindi
मुंह के कैंसर का प्रभाव मुंह से लेकर गले तक हो सकता है। मुंह या ओरल कैंसर में होंठ, जीभ, गाल के अंदर का हिस्सा, तालू, साइनस और गले का कैंसर शामिल हैं। जबकि मसूड़ों के कैंसर में सिर्फ मसूड़े व गंभीर स्थिति में आस-पास के ऊतक प्रभावित होते हैं।
(और पढ़ें - गले का कैंसर की पहचान)
मसूड़ों का कैंसर के डॉक्टर

Dr. Anil Gupta
ऑन्कोलॉजी
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Dr. Akash Dhuru
ऑन्कोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Anil Heroor
ऑन्कोलॉजी
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