मुंह का कैंसर होंठ की अंदरूनी तरफ, जीभ, मुंह की निचली तरफ और मसूड़ों को प्रभावित करता है। विश्व भर में होने वाले कैंसर के मुख्य प्रकार में से ये ग्यारहवें स्थान पर आता है। मुंह के कैंसर के सबसे आम कारण तंबाकू खाना और सिगरेट पीना हैं। इनके अलावा, अत्यधिक शराब पीना, आर्टिफिशियल दांतों के कारण जख्म, अस्वस्थ आहार और एचपीवी इन्फेक्शन के कारण भी मुंह का कैंसर हो सकता है।
मुंह के कैंसर के इलाज के लिए आमतौर पर कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी की जाती है। हालांकि, समस्या के स्तर और गंभीरता के आधार पर सर्जरी भी की जा सकती है।
मुंह के कैंसर के इलाज के लिए होम्योपैथिक उपचार को मुख्य उपचार के साथ उपयोग करना एक अच्छा विकल्प है। शुरूआती चरणों के लिए वैकल्पिक होम्योपैथिक दवाएं उपयोगी व सुरक्षित होती हैं। ये दवाएं एंटी-कैंसर दवाओं के दुष्प्रभावों को कम करने में भी मदद करती हैं। होम्योपैथिक दवाओं से रोगी के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होती है और व्यक्ति का जीवनकाल भी बढ़ता है।
मुंह के कैंसर के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाएं हैं, आर्सेनिकम एल्बम, कैल्केरिया कार्बोनिका, कंड्यूरगो, कोनियम मैकुलेटम, हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस, लैकेसिस, लाइकोपोडियम क्लेवेटम, फायटोलेका डिकेन्डरा, थूजा ऑक्सिडेंटलिस, सेबल सेरेलुटा और चेलिडोनियम आदि।
- मुंह के कैंसर का होम्योपैथिक इलाज कैसे होता है - Homeopathy me muh ke cancer ka ilaaj kaise hota hai
- मुंह में कैंसर की होम्योपैथिक दवा - Muh ke cancer ki homeopathic medicine
- होम्योपैथी में मुंह में कैंसर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me muh ke cancer ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
- मुंह में कैंसर के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Muh me cancer ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
- मुंह में कैंसर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Muh ke cancer ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
मुंह के कैंसर का होम्योपैथिक इलाज कैसे होता है - Homeopathy me muh ke cancer ka ilaaj kaise hota hai
होम्योपैथी में समस्या का इलाज करने के लिए आमतौर पर किए जाने वाले उपचार से अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य उपचार के साथ दी जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं न केवल बीमारी के लक्षण को ठीक करती हैं, बल्कि व्यक्ति को कुछ समस्याएं होने की संभावना को भी कम करती है।
शुरूआती चरणों में उपचार लेने से होम्योपैथिक दवाएं कैंसर को बढ़ने व फैलने से रोकती हैं। बाद के चरणों में होम्योपैथिक दवाएं एंटी-कैंसर दवाओं के दुष्प्रभावों को रोकती हैं, जैसे मतली, उल्टी, कमजोरी और भूख न लगना। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं रोगी का स्वास्थ्य बेहतर करती हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार करती हैं। इसके लिए व्यक्ति के मानसिक लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है, जैसे तनाव, चिंता और डिप्रेशन।
कुछ अध्ययनों में, होम्योपैथिक दवाओं के संयोजन से कैंसर पर सकारात्मक प्रभाव देखे गए हैं। इन दवाओं से कीमोथेरेपी के कारण होने वाली मुंह की सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
केस स्टडीज से ये भी पाया गया है कि होम्योपैथी से कुछ हद तक दोबारा कैंसर होने की संभावना भी कम होती है।
मुंह में कैंसर की होम्योपैथिक दवा - Muh ke cancer ki homeopathic medicine
मुंह के कैंसर के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं:
- लाइकोपोडियम क्लेवेटम (Lycopodium Clavatum)
सामान्य नाम: क्लब मॉस (Club moss)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए ज्यादा अच्छी है, जिनके शरीर का ऊपरी भाग पतला है और निचला भाग सूजा हुआ है, जैसे पानी भरने के कारण फूल जाता है। ये लोग मानसिक रूप से बहुत बुद्धिमान, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर होते हैं। लाइकोपोडियम को अलग-अलग प्रकार के कैंसर के इलाज में उपयोग किया जाता है, जैसे लिवर कैंसर, मुंह का कैंसर आदि। नीचे दिए लक्षणों में इस दवा से राहत मिलती है:- मुंह सूखने के बाद भी पानी पीने का मन न होना।
- जीभ में सूजन के साथ उसपर छोटे-छोटे फोड़े।
- जीभ पर छालों के कारण तेज दर्द और मुंह में जलन।
- मुंह का स्वाद कड़वा होना और जीभ पर मोटी सफ़ेद परत जमना।
- खाने का स्वाद खट्टा लगना।
- खट्टी डकार आना।
- बार-बार पेट में गैस होना।
- उदासी, डिप्रेशन, डर और चिड़चिड़ापन।
- पेट में बेचैनी होना।
- मौत का डर लगना।
- व्यक्ति का आत्मविश्वास खो जाना और उसे डर लगना। ऐसे में व्यक्ति किसी से बात करना पसंद नहीं करता।
- गर्मी या ताप से लक्षण बढ़ जाना।
- मुंह और गले में दर्द होना, जो गर्म खाने-पीने से कम हो जाता है।
किसी जीव के शरीर में या बाहर किए जाने वाले दोनों ही प्रकार के टेस्ट में लाइकोपोडियम का कैंसर पर सकरात्मक प्रभाव देखा गया है, जैसे लिवर कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्रैस्ट कैंसर, पित्त का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर आदि।
अध्ययनों से ये भी पाया गया है कि इस दवा से कैंसर कोशिकाओं को खत्म करने में मदद मिलती है और ये दवा कैंसर कोशिकाओं को नुकसान भी पहुंचाती है। इसके कारण कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि कम होती है और ये फैलती भी नहीं हैं।
- थूजा ऑक्सिडेंटलिस (Thuja Occidentalis)
सामान्य नाम: आर्बर विटै (Arbor Vitae)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को ज्यादा सूट करती है, जिनका रंग गोरा है और मांसपेशियां कमजोर हैं। इन लोगों को बारिश में और नम मौसम में समस्या अधिक होती है। थूजा का उपयोग कई प्रकार के कैंसर के इलाज में किया जाता है। इससे निम्नलिखित लक्षण ठीक किए जा सकते हैं:- मसूड़ों में गांठ बनना, जिससे आसानी से खून निकल आता है।
- जीभ पर गले के पास ट्यूमर होना, जिससे बोलना मुश्किल हो जाता है। (और पढ़ें - ब्रेन ट्यूमर का होम्योपैथिक इलाज)
- जीभ के नीचे मौजूद रक्त कोशिकाओं का गाढ़ा लाल या बैंगनी दिखना।
- मुंह में मीठा, कड़वा या सड़े हुए अंडे का स्वाद आना।
- जीभ पर और मुंह के अलग-अलग हिस्सों में दर्दनाक छाले होना।
- ताप से, सुबह व दोपहर के 3 बजे के बीच और कॉफी पीने से दर्द बदतर हो जाना।
लैब एक्सपेरिमेंट में ये सिद्ध हुआ है कि थूजा ऑक्सिडेंटलिस से कैंसर कोशिकाएं खत्म होती हैं, लेकिन जानवरों पर किए गए अध्ययन में ये पाया गया कि इस दवा से कैंसर कोशिकाओं को नुकसान होता है, जिससे कोशिकाओं का विकास भी सीमित होता है।
- आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
सामान्य नाम: आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड (Arsenic trioxide)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अच्छी है, जो कमजोर हैं और उन्हें खून की कमी है। अलग-अलग प्रकार के कैंसर में ये दवा उपयोग की जाती है, जैसे त्वचा का कैंसर और मुंह का कैंसर। आर्सेनिकम एल्बम खासकर मुंह के कैंसर के उन मामलों के लिए मददगार है, जो किसी विषाक्त वस्तु के प्रभाव के कारण होता है। इस दवा से शरीर के कार्यों को संतुलित करने में भी मदद मिलती है। नीचे दिए लक्षणों में ये दवा दी जाती है:- कैंसर के कारण होठों, जीभ और मुंह के अंदरूनी हिस्सों में छाले होना।
- मसूड़ों से खून आने के साथ अत्यधिक जलन।
- मुंह के अंदर जलन व दर्द, जो रात के समय बढ़ जाते हैं।
- जीभ के सूखेपन और लाली के साथ चुभन वाला दर्द।
- मसूड़ों से खून आने के कारण मुंह का स्वाद मिट्टी जैसा होना।
- गर्म पानी पीने की इच्छा होना, जिससे जलन व दर्द में राहत मिलती है।
- दर्द होना, जो कुछ ठंडा पीने से बढ़ जाता है।
- अत्यधिक कमजोरी, बेचैनी के साथ चिंता होना और मौत का डर लगना।
एक अध्ययन में ये सिद्ध हुआ है कि आर्सेनिकम एल्बम से कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के कारण होने वाली मुंह की सूजन कम होती है। (और पढ़ें - सूजन कम करने के घरेलू उपाय)
वैज्ञानिक तौर पर ये सिद्ध हुआ है कि ये दवा मुख्य उपचार के साथ दी जाए, तो इससे कैंसर के विकसित चरणों में मदद मिलती है और इससे मुंह व दिमाग के कैंसर के शुरूआती मामलों में कोशिकाओं का विकास भी रुकता है।
- कंड्यूरगो (Condurango)
सामान्य नाम: कोंडोर प्लांट (Condor Plant)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अच्छी है, जो कैंसर के कारण कमजोर व निर्बल हो चुके हैं। नीचे दिए लक्षणों के लिए ये दवा बहुत ही अच्छी है:- मुंह के कैंसर के कारण जीभ के अलग-अलग हिस्सों में दर्दनाक फोड़े या गांठें होना, जिससे मुंह में जलन व दर्द होता है।
- मुंह के कोनों में मांस फटना, जिससे बहुत दर्द होता है।
जानवरों पर किए गए अध्ययन से ये साबित हुआ है कि इस दवा से फेफड़ों के कैंसर के मामले में कोशिकाओं को खत्म किया जाता है। अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टिट्यूट ने ये भी माना है कि ये दवा ग्रासनली के कैंसर के इलाज के लिए भी मददगार है।
- रूटा ग्रेवियोलेंस (Ruta Graveolens)
सामान्य नाम: रू बिटरवर्ट (Rue Bitterwort)
लक्षण: ये दवा मजबूत व स्वस्थ शरीर वाले लोगों के लिए अच्छी है।- इस दवा का उपयोग बड़ी आंत व मुंह के कैंसर जैसे अन्य कैंसर के इलाज में मददगार है। (और पढ़ें - जीभ के कैंसर के लक्षण)
- इस दवा का उपयोग बड़ी आंत व मुंह के कैंसर जैसे अन्य कैंसर के इलाज में मददगार है। (और पढ़ें - जीभ के कैंसर के लक्षण)
- हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस (Hydrastis Canadensis)
सामान्य नाम: गोल्डन सील (Golden Seal)
लक्षण: ये दवा बूढ़े लोगों के लिए अच्छी है, जो कमजोर हैं और आसानी से थक जाते हैं, खासकर किसी लंबी बीमारी के कारण। हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस को मुंह की श्लेष्मा झिल्ली और पेट व लिवर के कैंसर के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है। निम्नलिखित लक्षणों के इलाज के लिए ये दवा मददगार है:- श्लेष्मा झिल्ली से गाढ़ा व चिपचिपा पीला रिसाव होना।
- मुंह के कैंसर के साथ छाले होना। (और पढ़ें - मुंह के छाले के कारण)
- जीभ फूलना, ढीली होना और उसपर दांतों के निशान बनना।
होम्योपैथी में मुंह में कैंसर के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me muh ke cancer ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
होम्योपैथिक दवाओं को बहुत ही नियंत्रित व कम खुराक में दिया जाता है, जिसने कारण उनके प्रभाव पर आसानी से बुरा असर पड़ सकता है। होम्योपैथिक उपचार के साथ आपको खान-पान व जीवनशैली के कुछ बदलाव करने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:
क्या करें:
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं, जिसमें पौष्टिक आहार और थोड़ा व्यायाम शामिल हो।
- जब हो पाए, तब प्राकृतिक और आर्गेनिक खाना खाएं, जिसमें आर्टिफिशियल रंग या फ्लेवर न हों।
- घर के अंदर साफ़-सफाई रखें और घर को हवादार बनाने, ताकि ताज़ी हवा आ सके।
- आरादायक कपडे पहनें, जो मौसम के अनुसार सही हों।
- किताबें पढ़ें और दिमाग को शांत करने वाली मेडिटेशन करें ताकि आपको चिंता या स्ट्रेस न हों। (और पढ़ें - दिमाग शांत करने के उपाय)
क्या न करें:
- स्ट्रांग पेय पदार्थ न लें, जैसे कॉफ़ी, तीखे सूप या जड़ी बूटी, जिनसे होम्योपैथिक दवाओं के कार्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
- ऐसा खाना-पीना न लें, जो तीखा हो, जिसमें आर्टिफिशयल फ्लेवर य रंग हों।
- अस्वस्थ, खराब या साड़ी हुई सब्जियां, मीट या मछली न खाएं।
- नमक व चीनी को अधिक मात्रा में न लें।
- अत्यधिक खाने से बचें।
- नम व गीले वातावरण में न रहें।
- तेज परफ्यूम या एयर फ्रेशनर का इस्तेमाल न करें।
- ऐसी स्थितियों से दूर रहें, जिनसे दिमाग में तनाव, चिंता या उदासी बढ़ती है।
मुंह में कैंसर के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Muh me cancer ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक दवाएं बहुत ही सुरक्षित होती हैं और मुंह के कैंसर के शुरूआती चरणों में इलाज के लिए ये बहुत असरदार हैं। इनसे दर्द, कमजोरी, मतली, उल्टी, त्वचा की सूजन और अन्य दुष्प्रभाव ठीक होते हैं, जो कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी के कारण होते हैं। हालांकि, कोई भी दवा लेने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना बहुत आवश्यक है।
(और पढ़ें - मुंह के कैंसर का ऑपरेशन कैसे होता है)
मुंह में कैंसर के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Muh ke cancer ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
मुंह के कैंसर के शुरूआती चरणों के लिए होम्योपैथी एक बहुत ही अच्छा विकल्प है। अगर एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह से ली जाए, तो इन दवाओं से शुरूआती चरणों में कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि कम होती है। बाद के चरणों में, मुख्य उपचार के साथ होम्योपैथी का उपयोग किया जाता है, जिससे कीमोथेरेपी व रेडिएशन थेरेपी के कारण हुए दुष्प्रभाव ठीक किए जाते हैं।
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