बवासीर को पाइल्स भी कहा जाता है. यह समस्या अक्सर मल त्याग के दौरान ज्यादा जोर लगाने के कारण होती है. लंबे समय तक कब्ज की परेशानी से जूझ रहे लोगों को बवासीर की परेशानी अधिक होती है. बवासीर के दो प्रकार माने गए हैं- आंतरिक और बाहरी. बाहरी बवासीर को मस्से वाली बवासीर भी कहा जाता है.
अगर मस्से वाली बवासीर का लंबे समय तक इलाज न किया जाए, तो यह थक्के के रूप में विकसित होने लगती है, जिसे थ्रोम्ब के रूप में जाना जाता है. इसमें अधिक दर्द का अनुभव हो सकता है. मस्से वाली बवासीर का इलाज घर में आसानी से किया जा सकता है. वहीं, गंभीर मामले में ज्यादा दर्द होने पर डॉक्टर बवासीर को सर्जरी से ठीक करने की सलाह दे सकते हैं.
इस लेख में आप मस्से वाली बवासीर के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे-
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मस्से वाली बवासीर के लक्षण
मस्से वाली बवासीर होने पर मरीज गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है. इसकी गंभीरता के आधार पर लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं मस्से वाली बवासीर के लक्षण -
- गुदा के बाहर आसपास की स्किन पर एक या अधिक कोमल और नीले रंग की गांठें बनना.
- गुदे या मलाशय क्षेत्र के आसपास खुजली का अनुभव होना.
- गुदे के आसपास दर्द होना. विशेष रूप से गुदे के आसपास दर्द शुरुआती अवस्था में 24 से 48 घंटों के भीतर होता है. इसके अलावा, मरीज नीचे बैठता है, तो उसे दर्द का अनुभव हो सकता है.
- शौचालय का इस्तेमाल करने पर कुछ व्यक्तियों को ब्लीडिंग की परेशानी भी हो सकती है. इस तरह के लक्षण में ब्लड, टॉयलेट पेपर या टॉयलेट में दिखता है.
- गुदा के चारों ओर गांठ महसूस हो सकती है. इसमें मरीज को लगता है कि गुदा में सूजन आ गई है.
- मस्से वाली बवासीर के गंभीर मामलों में गुदे के क्षेत्र को साफ रखना मुश्किल हो सकता है.
ये लक्षण अन्य स्थितियों के कारण भी हो सकते हैं. ऐसे में इस तरह के लक्षण दिखने पर मरीजों को तुरंत डॉक्टर से सलाह लेने की आवश्यकता होती है, ताकि जल्द से जल्द परीक्षण करके इलाज शुरू किया जा सके.
एनआईडीडीके के अनुसार, मस्से वाली बवासीर के लक्षण कुछ दिनों में ठीक हो सकते हैं. शरीर आमतौर पर समय के साथ बवासीर को धीरे-धीरे अवशोषित कर लेता है.
मस्से वाली बवासीर के कारण
मस्से वाली बवासीर तब होती है, जब गुदे के आसपास की स्किन के नीचे एक या एक से अधिक कोमल उभार बन जाते हैं. यह फैली हुई रक्त वाहिकाएं होती हैं, जो बड़ी होकर बाहर की ओर विकसित होने लगती हैं. उभरी हुई रक्त वाहिका के अंदर रक्त का थक्का हो सकता है. यह एक सख्त गांठ बनी सकती है और कुछ मामलों में तेज दर्द पैदा कर सकती है. मस्से वाली बवासीर के कई अन्य कारण हो सकते हैं, जैसे-
शौच करते समय जोर लगना
मस्से वाली बवासीर का सबसे आम कारण मल त्याग करते समय बार-बार जोर लगाना है. यह अक्सर कब्ज या दस्त के गंभीर मामलों के कारण होता है. इसकी वजह से तनाव क्षेत्र में ब्लड पूल बन जाता है.
देर तक शौचालय में बैठना
काफी देर तक टॉयलेट सीट पर बैठे रहने की वजह से मलाशय और गुदा के आसपास के ऊतकों पर दबाव पड़ सकता है. इसकी वजह से मस्से वाली बवासीर हो सकती है.
टिश्यू का कमजोर होना
जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, गुदा और मलाशय के आसपास के ऊतक कमजोर होने लगते हैं. इस स्थिति में मस्से वाली बवासीर होने की आशंका अधिक होती है.
गर्भावस्था
गुदे की नसों पर पेट के बढ़ते दबाव के कारण गर्भवती महिलाओं को मस्से वाली बवासीर होने का खतरा अधिक रहता है.
भारी वजन उठाने से
बार-बार भारी सामान उठाने वाले लोगों को भी मस्से वाली बवासीर होने का जोखिम अधिक रहता है.
फाइबर की कमी
कम फाइबर वाले आहार का सेवन करने वालों को कब्ज की परेशानी हो सकती है, जिससे मस्से वाली बवासीर होने का खतरा बढ़ सकता है.
मस्से वाली बवासीर का इलाज
बवासीर की शुरुआती अवस्था में मस्से को सुखाने के लिए दवाइयां और क्रीम का इस्तेमाल किया जाता है. अगर इन दवाओं और क्रीम से रोगी को लाभ नहीं मिलता है, तो डॉक्टर कई अन्य तरीकों जैसे - रबर बैंड लिगेशन, स्क्लेरोथेरेपी इत्यादि का सहारा लेकर इलाज करने की कोशिश करते हैं. यह उपचार बवासीर के गंभीर मामलों जैसे- अधिक दर्द और लगातार रक्तस्राव होने पर अपनाया जाता है. आइए जानते हैं बवासीर के मस्सों को सुखाने के लिए अपनाए जाने वाले कुछ बेहतरीन उपचार -
रबर बैंड लिगेशन
बवासीर के मस्सों को सुखाने के लिए रबर बैंड लिगेशन उपचार प्रक्रिया की सिफारिश की जाती है. इस प्रक्रिया में रक्त की आपूर्ति को अवरुद्ध करने के लिए बवासीर के बेस पर दो या तीन रबर बैंड लगाए जाते हैं, जिससे कुछ ही दिनों में बवासीर के मस्से अपने आप सूख जाते हैं.
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स्क्लेरोथेरेपी
गंभीर परिस्थिति में बवासीर के मस्से को सुखाने के लिए डॉक्टर स्क्लेरोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं. इस थेरेपी में बवासीर के मस्से को सिकोड़ने और नष्ट करने के लिए एक केमिकल को गुदा में इंजेक्ट करता है, जिससे बवासीर के मस्से कुछ ही दिनों में सूख जाते हैं.
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लेजर उपचार
लेजर उपचार सुरक्षित, प्रभावी और कम दर्द वाली प्रक्रिया है, जिसका इस्तेमाल आसपास के स्वस्थ ऊतकों को नुकसान पहुंचाए बिना बवासीर के मस्सों को सिकोड़ने और हटाने के लिए उपयोग किया जाता है. इस उपचार प्रक्रिया में एक मस्से को सुखाने के लिए संकीर्ण लेजर बीम का उपयोग होता है. यह पसंदीदा और सबसे अच्छा उपचार विकल्प है, क्योंकि इसमें विभिन्न लाभ होते हैं. इससे बेहद कम समय और सरलता से बवासीर के मस्से सुखाने में मदद मिलती है.
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सर्जरी
घातक बवासीर के मस्से सुखाने के लिए केवल सर्जरी को ही प्रभावी माना जाता है. जब बवासीर की बीमारी दूसरे चरण को पार कर जाती है, तो यह खतरनाक स्वरूप में आ जाती है. इस स्थिति में बवासीर से अधिक रक्त बहने और मस्से का आकार तेजी से बढ़ने लगता है. ऐसे में केवल सर्जरी ही कारगर इलाज होता है. जब अन्य सभी उपचार विकल्प विफल हो जाते हैं, तो डॉक्टर निम्नलिखित में से किसी भी सर्जरी की सिफारिश कर सकते हैं-
- हेमोराहाइडेक्टोमी - गंभीर बवासीर के इलाज के लिए हेमोराहाइडेक्टोमी सबसे प्रभावी प्रक्रिया है. यह प्रक्रिया केवल ग्रेड-4 आंतरिक बवासीर के लिए निर्धारित है. यदि रबर बैंड लिगेशन थेरेपी स्थिति का इलाज करने में विफल रहती है, तो इस सर्जरी को करवाने की सलाह दी जाती है. मूत्र पथ के संक्रमण और मूत्राशय को खाली करने में अस्थायी कठिनाई हेमोराहाइडेक्टोमी से जुड़ी कुछ सामान्य जटिलताएं हैं.
- हेमरॉयड स्टेपलिंग - यह आंतरिक बवासीर के लिए प्रभावी सर्जरी विकल्प है. यह सर्जरी प्रक्रिया स्टेपलिंग द्वारा रक्तस्रावी ऊतक में रक्त के प्रवाह को काटने के लिए की जाती है. रक्तस्राव, मूत्र प्रतिधारण और दर्द इस सर्जरी प्रक्रिया से जुड़ी कुछ सामान्य जटिलताएं हैं. कुछ मामलों में हेमरॉयड स्टेपलिंग सर्जरी से सेप्सिस नामक रक्त संक्रमण हो सकता है.
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सारांश
मस्से वाली बवासीर होने के कई कारण हो सकते हैं. इस स्थिति में मरीज को काफी ज्यादा दर्द का अनुभव होता है. कुछ लोगों को मलाशयन और गुदे पर सूजन की भी परेशानी हो सकती है. ऐसे में घरेलू उपायों से इसे ठीक करने की कोशिश की जाती है. इसके अलावा, गंभीर मामलों में डॉक्टर सर्जरी का भी सहारा लेने की सलाह दे सकते हैं. बस ध्यान रखें कि बवासीर के लक्षणों को नजरअंदाज न करें. किसी भी तरह का लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, ताकि समय पर उचित इलाज करके गंभीर मामलों से बचा जा सके.
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