पाइल्स या बवासीर होना आम है. इस समस्या से महिला और पुरुष सामान रूप से प्रभावित हो सकते हैं. पाइल्स के इलाज के कई प्रभावी तरीके हैं. बवासीर से पीड़ित लोग घरेलू उपचार और जीवनशैली में बदलाव करके इसके लक्षणों से छुटकारा पा सकते हैं.

हालांकि, बवासीर खतरनाक नहीं हैं, लेकिन ये दर्दनाक हो सकती है. कुछ मामलों में तो इसे छोटी सर्जरी या फिर दवाइयों के जरिए ठीक किया जाता है, लेकिन कुछ खास प्रकार के बवासीर को ठीक करने में इंजेक्शन का सहारा लिया जाता है.

आज इस लेख में जानेंगे कि इंजेक्शन से बवासीर का इलाज कब होता है, इसे कैसे लगाया जाता है और इसका खर्च कितना है -

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  1. क्या है बवासीर का इंजेक्शन?
  2. पाइल्स का इंजेक्शन कैसे लगाया जाता है?
  3. इंजेक्शन के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है?
  4. इंजेक्शन की लागत कितनी है?
  5. सारांश
पाइल्स का इंजेक्शन से इलाज, प्रक्रिया व कीमत के डॉक्टर

इसे बवासीर का आधुनिक उपचार माना जाता है. इसमें खास प्रकार के केमिकल एजेंट को बवासीर स्थित एरिया में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वह सिकुड़ कर मुरझा जाता है. बवासीर के इलाज में इस उपचार की सफलता दर को अच्छा माना गया है. जब बवासीर को हटा दिया जाता है, तो आमतौर पर एक निशान पीछे रह जाता है, जो भविष्य में बवासीर को उसी क्षेत्र में बनने से रोकता है.

इस प्रक्रिया के बारे में अहम बात यह है कि इसमें रोगी को सामान्य एनेस्थीसिया नहीं दिया जाता है. यह एक न्यूनतम इनवेसिव प्रक्रिया है, जो ग्रेड-1 और ग्रेड-2 आंतरिक बवासीर के उपचार में प्रभावी है.

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ग्रेड-1 या ग्रेड-2 बवासीर होने पर बवासीर का इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जाती है. ग्रेड-1 या ग्रेड-2 बवासीर तब विकसित होता है, जब मलाशय के आसपास की रक्त वाहिकाएं सूज जाती हैं, दर्द पैदा होता है और मल त्याग करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में डॉक्टर ग्रेड-1 या ग्रेड-2 बवासीर को सिकोड़ने के लिए इस इंजेक्शन का उपयोग कर सकते हैं. आइए, जानते हैं कि ये पूरी प्रक्रिया कैसे की जाती है -

  • इस प्रक्रिया में सबसे पहले डॉक्टर गुदा में एक एनोस्कोप डालते हैं. एनोस्कोप एक छोटी ट्यूब होती है, जो डॉक्टर को गुदा के अंदर अधिक स्पष्ट रूप से देखने में मदद करती है. डॉक्टर सीधे ब्लड वेसल में एक केमिकल इंजेक्ट करते हैं. जिससे बवासीर का आकार छोटा हो जाता है या वो सिकुड़ जाता है. इंजेक्शन के लिए एनेस्थीसिया या बेहोश करने की क्रिया की आवश्यकता नहीं है.
  • इंजेक्शन के दौरान स्क्लेरोसेंट नामक केमिकल सोल्यूशन को सीधे ब्लड वेसल में डालने के बजाय सबम्यूकोसा (आंत की आंतरिक परत के नीचे टिश्यू का क्षेत्र) में इंजेक्ट किया जाता है.
  • इंजेक्शन, डेंटेट लाइन के ऊपर दिए जाते हैं. ये वह लाइन होती है, जहां बाहरी संवेदनशील त्वचा अंदर की कम संवेदनशील म्यूकोसा बन जाती है और इस बिंदु से ऊपर इंजेक्शन लगाने से इंजेक्शन काफी हद तक दर्द रहित होते हैं.
  • उपचार में आमतौर पर 5-10 मिनट लगते हैं. अगर आवश्यक हो, तो कुछ दिनों बाद यह प्रक्रिया फिर से की जा सकती है.
  • उपचार के बाद सावधानी के तौर पर आराम करने के लिए कहा जाता है.

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ज्यादातर लोग इंजेक्शन लगने के बाद 5-7 दिन में ठीक हो जाते हैं. कभी-कभी, ठीक होने के लिए 7-10 दिन लग सकते हैं. चूंकि, यह सर्जरी नहीं है, इसलिए हेमोराहाइडेक्टोमी (एक प्रकार की सर्जरी) की तुलना में इसमें ठीक होने में बहुत कम समय लगता है. अगर प्रोसीजर के बाद किसी को दर्द का एहसास होता है, तो उस स्थिति में डॉक्टर दर्द की दवा लेने की सलाह दे सकते हैं. वहीं, बहुत सारे तरल पदार्थ पीने और प्रोसीजर के बाद फाइबर सप्लीमेंट लेने से कब्ज से बचने में मदद मिल सकती है.

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यह इंजेक्शन आंतरिक बवासीर को सिकोड़ने की प्रक्रिया है. भारत में इस इंजेक्शन की लागत संपूर्ण उपचार के लिए आवश्यक सत्रों की संख्या पर निर्भर करती है. प्रत्येक सत्र की लागत लगभग 5000 रुपये है. चूंकि, कुछ रोगियों को कई इंजेक्शन की आवश्यकता होती है, इसलिए कीमत बढ़ सकती है. अगर यह प्रक्रिया किसी के बीमा में कवर होती है, तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताना चाहिए.

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इंजेक्शन के प्रयोग से बवासीर की नसें सिकुड़ने लगती हैं और कुछ ही दिन में ठीक होकर उस क्षेत्र में निशान छोड़ जाती हैं. इसे बिना किसी चीर-फाड़ या सर्जरी के किया जाता है, इसलिए मरीज के जल्दी ठीक होने की संभावना रहती है. बेशक, यह प्रक्रिया सर्जरी के मुकाबले सुरक्षित है, लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह पर ही करवाना चाहिए.

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