दाद या टिनिया एक संक्रामक त्वचा विकार है जो कि डर्माटोफाइट नामक कवक के समूह के कारण होता है। यह एक सामान्य स्थिति है जो कि बच्चों, वयस्कों और यहां तक कि पशुओं को भी प्रभावित करती है।
चेहरे, सिर की त्वचा, पैरों, नाखूनों, ग्रोइन (पेट के नीचे जांघ के बगल वाला हिस्सा), दाढ़ी या पूरे शरीर पर दाद हो सकते हैं। दाद को रिंगवर्म भी कहा जाता है एवं टिनिया अक्सर त्वचा पर गोल आकार के घाव बनाते हैं, इसीलिए इस समस्या को रिंगवर्म कहा जाता है।
संक्रमित व्यक्ति या पशु की त्वचा के सीधे संपर्क में आने से दाद फैल सकता है। ये संक्रमण बिल्लियों से सबसे ज्यादा फैलता है। तौलिए, हेयर ब्रश, लिनेन, एक साथ नहाने और स्विमिंग पूल से भी इंफेक्शन फैल सकता है। ये जीवाणु गर्म और उमस भरे वातावरण में सबसे ज्यादा पनपते हैं।
पसीना या स्कैल्प (सिर की त्वचा), स्किन या नाखून पर लगी मामूली चोट से भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। निम्न स्थितियों में व्यक्ति में दाद का खतरा बढ़ जाता है –
- कुपोषण
- साफ-सफाई का ध्यान न रखना
- किसी बीमारी या दवा से इम्यून सिस्टम कमजोर होना
- कोई ऐसा खेल खेलना जिसमें दूसरे व्यक्ति से स्किन स्पर्श होती हो जैसे कि कुश्ती
दाद के लक्षण इस प्रकार हैं :
- शरीर और ग्रोइन पर –
आमतौर पर ये छोटे गोल आकार के घाव के रूप में शुरू होते हैं जो कि धीरे-धीरे बढ़ते हैं। जैसे-जैसे घाव बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे घाव के बीच का हिस्सा साफ दिखाई देने लगता है। अमूमन संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 5 से 10 दिन के बाद घाव दिखने लगता है।
- सिर की त्वचा पर –
ये छोटे दाने की तरह दिखता है जिसका आकार बढ़ता रहता है। ये सिर की त्वचा पर गंजेपन का एक धब्बा बनाने लगता है। इसकी वजह से बाल कमजोर और आसानी से टूट सकते हैं। सिर की त्वचा में दाद बच्चों में ज्यादा होते हैं।
- पैरों में –
ये रूखे और फटी त्वचा की तरह दिखते हैं और पैरों की उंगलियों के बीच होते हैं। इनमें हल्के से गंभीर खुजली हो सकती है।
- नाखूनों पर –
प्रभावित नाखून मोटा, बेरंग और कमजोर हो जाता है।
रिंगवर्म इंफेक्शन के इलाज के लिए होम्योपैथी सुरक्षित किफायती विकल्प एवं सहायक चिकित्सा है। एलोपैथी में दाद के इलाज के लिए सबसे पहले एंटीफंगल (फंगस रोकने वाली) क्रीम लगाने के लिए दी जाती है।
इसके साथ ही दाद को जल्दी ठीक करने के लिए फंगस-रोधी और सूजन-रोधी दवाएं भी दी जाती हैं। इसकी वजह से ड्रग रेसिस्टेंटस (दवा के असर में कमी आना) और अन्य त्वचा संक्रमण हो सकते हैं, जिनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है।
लंबे समय तक संक्रमित रहने की वजह से व्यक्ति को दूसरों के सामने जाने में शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और जीवन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।
होम्योपैथिक दवाओं से रिंगवर्म का इलाज किया जा सकता है। दाद के इलाज में उपयोगी कुछ होम्योपैथिक दवाओं में आर्सेनिक एल्बम, बोविस्ता, कैल्केरिया कार्बोनिकम, क्लेमाटिस, डुल्कामारा, ग्रेफाइट, लाइकोपोडियम, नेट्रम म्यूरिएटिकम, सोरिनम, रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, सीपिया, सिलेसिया , सल्फर और टेलुरियम का नाम शामिल हैं।