दाद या टिनिया एक संक्रामक त्‍वचा विकार है जो कि डर्माटोफाइट नामक कवक के समूह के कारण होता है। यह एक सामान्‍य स्थिति है जो कि बच्‍चों, वयस्‍कों और यहां तक कि पशुओं को भी प्रभावित करती है।

चेहरे, सिर की त्‍वचा, पैरों, नाखूनों, ग्रोइन (पेट के नीचे जांघ के बगल वाला हिस्‍सा), दाढ़ी या पूरे शरीर पर दाद हो सकते हैं। दाद को रिंगवर्म भी कहा जाता है एवं टिनिया अक्‍सर त्‍वचा पर गोल आकार के घाव बनाते हैं, इसीलिए इस समस्‍या को रिंगवर्म कहा जाता है।

संक्रमित व्‍यक्‍ति या पशु की त्‍वचा के सीधे संपर्क में आने से दाद फैल सकता है। ये संक्रमण बिल्लियों से सबसे ज्‍यादा फैलता है। तौलिए, हेयर ब्रश, लिनेन, एक साथ नहाने और स्‍विमिंग पूल से भी इंफेक्‍शन फैल सकता है। ये जीवाणु गर्म और उमस भरे वातावरण में सबसे ज्‍यादा पनपते हैं।

पसीना या स्‍कैल्‍प (सिर की त्‍वचा), स्किन या नाखून पर लगी मामूली चोट से भी संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाता है। निम्‍न स्थितियों में व्‍यक्‍ति में दाद का खतरा बढ़ जाता है –

  • कुपोषण
  • साफ-सफाई का ध्‍यान न रखना
  • किसी बीमारी या दवा से इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर होना
  • कोई ऐसा खेल खेलना जिसमें दूसरे व्‍यक्‍ति से स्किन स्‍पर्श होती हो जैसे कि कुश्‍ती

दाद के लक्षण इस प्रकार हैं :

  • शरीर और ग्रोइन पर –
    आमतौर पर ये छोटे गोल आकार के घाव के रूप में शुरू होते हैं जो कि धीरे-धीरे बढ़ते हैं। जैसे-जैसे घाव बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे घाव के बीच का हिस्‍सा साफ दिखाई देने लगता है। अमूमन संक्रमित व्‍यक्‍ति के संपर्क में आने के 5 से 10 दिन के बाद घाव दिखने लगता है।
     
  • सिर की त्‍वचा पर –
    ये छोटे दाने की तरह दिखता है जिसका आकार बढ़ता रहता है। ये सिर की त्‍वचा पर गंजेपन का एक धब्‍बा बनाने लगता है। इसकी वजह से बाल कमजोर और आसानी से टूट सकते हैं। सिर की त्‍वचा में दाद बच्‍चों में ज्‍यादा होते हैं।
     
  • पैरों में –
    ये रूखे और फटी त्‍वचा की तरह दिखते हैं और पैरों की उंगलियों के बीच होते हैं। इनमें हल्‍के से गंभीर खुजली हो सकती है।
     
  • नाखूनों पर –
    प्रभावित नाखून मोटा, बेरंग और कमजोर हो जाता है।

रिंगवर्म इंफेक्‍शन के इलाज के लिए होम्‍योपैथी सुरक्षित किफायती विकल्‍प एवं सहायक चिकित्‍सा है। एलोपैथी में दाद के इलाज के लिए सबसे पहले एंटीफंगल (फंगस रोकने वाली) क्रीम लगाने के लिए दी जाती है।

इसके साथ ही दाद को जल्‍दी ठीक करने के लिए फंगस-रोधी और सूजन-रोधी दवाएं भी दी जाती हैं। इसकी वजह से ड्रग रेसिस्‍टेंटस (दवा के असर में कमी आना) और अन्‍य त्‍वचा संक्रमण हो सकते हैं, जिनका इलाज करना मुश्किल हो सकता है।

लंबे समय तक संक्रमित रहने की वजह से व्‍यक्‍ति को दूसरों के सामने जाने में शर्मिंदगी महसूस हो सकती है। इससे व्‍यक्‍ति के आत्‍मविश्‍वास और जीवन की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है।

होम्‍योपैथिक दवाओं से रिंगवर्म का इलाज किया जा सकता है। दाद के इलाज में उपयोगी कुछ होम्‍योपैथिक दवाओं में आर्सेनिक एल्‍बम, बोविस्‍ता, कैल्‍केरिया कार्बोनिकम, क्लेमाटिस, डुल्‍कामारा, ग्रेफाइट, लाइकोपोडियम, नेट्रम म्‍यूरिएटिकम, सोरिनम, रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन, सीपिया, सिलेसिया , सल्‍फर और टेलुरियम का नाम शामिल हैं।

  1. दाद की होम्योपैथिक दवा - Daad ki homeopathic dawa
  2. होम्योपैथी में रिंगवर्म के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Ringworm ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. दाद की होम्योपैथी मेडिसिन कितनी लाभदायक है - Ringworm ki homeopathic dawa kitni faydemand hai
  4. रिंगवर्म के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Daad ki homeopathic medicine ke nuksan aur jokhim karak
  5. दाद के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Daad ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
दाद की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

दाद के इलाज में निम्‍न होम्‍योपैथिक दवाएं दी जाती हैं -

  • आर्सेनिकम एल्‍बम (Arsenicum Album)
    सामान्‍य नाम –
    आर्सेनियस एसिड (Arsenious acid)
    लक्षण – ये दवा शरीर के सभी अंगों पर कार्य करती है और जलन भरे दर्द, कमजोरी, चिड़चिड़ापन एवं बेचैनी के इलाज में उपयोगी है। इस दवा से अन्‍य निम्‍न लक्षणों का इलाज किया जा सकता है –
    • प्रभावित हिस्‍से पर अत्‍य‍धिक खुजली और सूजन
    • त्‍वचा पर सूखे और पपड़ीदार दाने होना जो कि खुजलाने और ठंडे मौसम में और बदतर हो जाएं
    • अर्टिकेरिया (पित्ती) जिसमें बहुत जलन और बेचैनी हो

आधी रात के बाद, उमस और बारिश के मौसम में, ठंडी चीजें खाने या पीने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। गर्म चीज पीने और गरमाई में रहने पर व्‍यक्‍ति को बे‍हतर महसूस होता है।

  • बोविस्‍ता (Bovista)
    सामान्‍य नाम –
    पफबॉल (Puffball)
    लक्षण – बोविस्‍ता त्‍वचा संक्रमणों खासतौर पर एक्जिमा और अर्टिकेरिया में इस्‍तेमाल की जाती है। इस दवा से लाभ पाने वाले लोगों में निम्‍न लक्षण दिखाई देते हैं –
    • हल्‍के उपकरणों से भी त्‍वचा पर गहरा धब्‍बा पड़ जाना
    • व्‍यक्‍ति के उत्‍साहित होने पर अर्टिकेरिया
    • मेरुदण्‍ड की हड्डी के सिरे पर अत्‍यधिक खुजली
    • पूरे शरीर पर दाने
    • बगल से प्‍याज जैसी बदबू आना

सुबह उठने और नहाने के बाद लक्षण गंभीर हो जाते हैं जबकि खाना खाने के बाद बेहतर होते हैं।

  • कैल्‍केरिया कार्बोनिकम (Calcarea Carbonicum)
    सामान्‍य नाम –
    कैल्‍शियम कार्बोनेट (Calcium carbonate)
    लक्षण – ये दवा त्‍वचा पर प्रभावशाली है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को ठीक किया जा सकता है –
    • अस्‍वस्‍थ त्‍वचा
    • घाव जो कि भरने में ज्‍यादा समय ले
    • सिर की त्‍वचा पर बहुत ज्‍यादा पसीना आना, यहां तक कि इससे तकिया तक गीला हो जाए
    • छूने पर सिर बर्फ जैसा ठंडा लगना
    • सुबह उठने पर सिर की त्‍वचा पर गंभीर खुजली होना

मानसिक या शारीरिक थकान होने, ठंडे और नमी के मौसम में लक्षण और बढ़ जाते हैं। शुष्‍क मौसम में व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

  • क्लेमाटिस (Clematis)
    सामान्‍य नाम –
    वर्जिन बोवर (Virgin’s bower)
    लक्षण – त्‍वचा और प्रजनन ग्रंथियों के लिए वर्जिन बोवर एक चमत्‍कारिक दवा है। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है –
    • त्‍वचा पर पपड़ीदार और परतदार घाव होना, जिसमें बहुत लालिमा और जलन हो
    • फुंसी खासतौर पर चेहरे, हाथों और सिर के पीछे
    • वृषण में सूजन और अंडकोष की थैली में सूजन
    • मूत्र मार्ग में दर्द और झुनझुनी का एहसास होना जो कि रात के समय बढ़ जाए
    • पेशाब कम आना, बूंद-बूंद पेशाब आना

रात के समय और बिस्‍तर की गरमाई में लक्षण और खराब हो जाते हैं जबकि खुली हवा में बेहतर महससू होता है।

  • डुल्‍कामारा (Dulcamara)
    सामान्‍य नाम –
    बिटर स्‍वीट (Bitter sweet)
    लक्षण – ये दवा त्‍वचा से जुड़े उन लक्षणों को ठीक करने में उपयोगी है जो गर्मी के मौसम के आखिर में उभरते हैं। इस समय मौसम उमस भरा और नमीयुक्‍त होता है। निम्‍न लक्षणों को इस दवा से ठीक किया जा सकता है –
    • सिर पर दाद के घाव, जिनमें से खुजलाने पर खून आने लगे
    • हाथों, चेहरे और बांह पर फुंसियां
    • होंठों पर छाले
    • महिलाओं में माहवारी शुरू होने से ठीक पहले त्‍वचा पर चकत्ते पड़ना
    • त्‍वचा पर लाल धब्‍बे और छोटे फ्लूइड से भरी फुंसियां

ये सभी लक्षण रात, ठंडे या उमस वाले मौसम में खराब हो जाते हैं, जबकि गरमाई में आराम मिलता है।

  • ग्रेफाइट (Graphites)
    सामान्‍य नाम –
    ब्‍लैक लेड (Black lead)
    लक्षण – ये दवा ओवरवेट, आसानी से ठंड लगने वाले और कब्‍ज से ग्रस्‍त लोगों पर बेहतर असर करती है। ये त्‍वचा से जुड़े निम्‍न लक्षणों को ठीक करने में मददगार है –
    • सिर की त्‍वचा पर खुजलीदार फुंसियां होना, जिसमें से बदबूदार गंध आए
    • जीभ और मुंह के आसपास छाले
    • सूखी और रूखी त्‍वचा
    • फुंसियां, जिनमें से चिपचिपा पदार्थ निकले
    • त्‍वचा अस्‍वस्‍थ दिखने के साथ मुंह, निप्‍पल, गुदा और पैर की उंगलियों के बीच दरारें पड़ना

रात में, गरमाई में और माहवारी के दौरान एवं बाद में लक्षण और गंभीर रूप ले लेते हैं। व्‍यक्‍ति को अंधेरे और प्रभावित हिस्‍से को ढकने पर राहत मिलती है।

  • लाइकोपोडियम क्लेवेटम (Lycopodium Clavatum)
    सामान्‍य नाम –
    क्‍लब मॉस (Club moss)
    लक्षण – ये दवा उन लोगों पर बेहतर असर करती है, जिनकी त्‍वचा पर लक्षण बहुत धीरे-धीरे सामने आते हैं और शारीरिक कार्यों में धीरे-धीरे कमजोरी आने लगती है। ये नीचे बताए गए लक्षणों से भी राहत दिलाने में मददगार है –
    • कान के पीछे फुंसियां और एक्जिमा के साथ गाढ़ा पीले रंग का डिस्‍चार्ज (तरल पदार्थ निकलना) होना
    • पेट से जुड़ी समस्‍याएं
    • पसीना ज्‍यादा आना, खासतौर पर पैर और बगल में

दाईं करवट लेटने, शाम 4 से 8 बजे के बीच और गरमाई में लक्षण बदतर हो जाते हैं। ठंडे मौसम और आधी रात के बाद लक्षणों में सुधार आता है।

  • नेट्रम म्‍यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)
    सामान्‍य नाम –
    क्‍लोराइड ऑफ सोडियम (Chloride of sodium)
    लक्षण – ये दवा लंबे समय से हो रहे रिंगवर्म इंफेक्‍शन का इलाज करती है। नीचे बताए गए लक्षणों को भी दवा से ठीक किया जा सकता है –
    • तैलीय त्‍वचा खासतौर पर शरीर के बाल वाले हिस्‍सों पर
    • सिर की त्‍वचा, कोहनी और घुटनों पर सूखी फुंसियां होना
    • प्रभावित हिस्‍से पर खुजली और जलन होना जो कि थकान होने पर और बढ़ जाए

गरमाई और मानसिक थकान होने पर लक्षण बढ़ जाते हैं। नहाने और खुली हवा में बाहर जाने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • सोरिनम (Psorinum)
    सामान्‍य नाम –
    स्‍कैबीज वेसिकल (Scabies vesicle)
    लक्षण – ये दवा सभी प्रकार की त्‍वचा से जुड़ी स्थितियों के इलाज में उपयोगी है। ये खासतौर पर बदबूदार फुंसियों के इलाज में लाभकारी है। इस दवा से ठीक होने वाले अन्‍य लक्षण इस प्रकार हैं –
    • अत्‍यधिक खुजली होना जो कि बर्दाश्‍त न हो
    • सिर और जोड़ों के मोड़ जैसे कि कोहनी और घुटनों पर दाद के घाव बनना, खुजली करने और बिस्‍तर की गरमाई में ये और बदतर हो जाते हैं।
    • कानों के पीछे एक्जिमा और किसी भी तरह की थकान होने के बाद अर्टिकेरिया

कॉफी पीने, मौसम बदलने और ठंड में लक्षण गंभीर रूप ले लेते हैं। व्‍यक्‍ति को गर्म कपड़े पहनने, गर्मी के मौसम में और गरमाई में आराम मिलता है।

  • रुस टॉक्सिकोडेंड्रोन (Rhus Toxicodendron)
    सामान्‍य नाम -
    पॉइजन आइवी (Poison ivy)
    लक्षण – त्‍वचा और श्‍लेष्‍मा झिल्लियों में संक्रमण जैसे कि सेलुलाइटिस, अर्टिकेरिया और सेप्टिक फैलने की स्थितियों में इस दवा की सलाह दी जाती है। ये दवा नीचे बताए गए लक्षणों से भी राहत दिलाने में मददगार है –
    • त्‍वचा पर नमी वाली फुंसियां होना, जिनमें गंभीर खुजली हो
    • फुंसियों में लालिमा और सूजन
    • जोड़ों में दर्द और अकड़न
    • पैरों में झुनझुनाहट के साथ साइटिका

रात के समय, नींद के दौरान और ठंडे एवं बारिश के मौसम में लक्षण बढ़ जाते हैं। शुष्‍क मौसम, गरमाई या गर्म सिकाई और प्रभावित हिस्‍से को हल्‍के हाथों से रगड़ने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • सीपिया (Sepia)
    सामान्‍य नाम –
    कटलफिश का स्याही के रंग का जूस (Inky juice of cuttlefish)
    लक्षण – ये दवा खासतौर पर रिंगवर्म इंफेक्‍शन से ग्रस्‍त महिलाओं को दी जाती है। इसके अलावा इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों से भी राहत मिल सकती है –
    • हर बार वसंत ऋतु में रिंगवर्म के घाव दिखना
    • जोड़ों के मोड़ पर खुजली होना एवं खुजलाने पर भी राहत न मिलना
    • पैरों में पसीना आना, पैरों की उंगलियों में अधिक पसीना आने के बाद बदबू भी आना

दोपहर से पहले और शाम में, उमस और बाईं करवट लेटने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। गरमाई और गर्म सिकाई करने पर लक्षणों में आराम मिलता है।

  • सिलेसिया (Silicea)
    सामान्‍य नाम –
    सिलिका (Silica)
    लक्षण – ये दवा केलॉइड, त्‍वचा में उभार आने और त्‍वचा से जुड़ी उन स्थितियों के इलाज में उपयोगी है, जिनके दाग बनते हैं। निम्‍न लक्षणों की स्थिति में सिलेसिया दी जाती है –
    • सिर की त्‍वचा पर अधिक पसीना आने के साथ ही बदबूदार गंध आना
    • त्‍वचा पर फुंसियां, फोड़े और अल्‍सर होना
    • फुंसियां, जिनमें दिन और शाम के समय खुजली हो

सुबह, मासिक धर्म के दौरान और बारिश एवं ठंडे मौसम में लक्षण गंभीर हो जाते हैं। गरमाई और गर्मी के मौसम में लक्षण बेहतर होते हैं।

  • सल्‍फर (Sulphur)
    सामान्‍य नाम –
    सबलिमेट सल्‍फर (Sublimated sulphur)
    लक्षण – खुजली और जलन वाली त्‍वचा से जुड़ी समस्‍याओं के लिए सल्‍फर बेहतरीन दवा है। जिन अन्‍य लक्षणों में इस दवा की जरूरत होती है, वो इस प्रकार हैं –
    • सिर की त्‍वचा रूखी और खुजली होना, जिसमें खुजलाने पर जलन हो
    • रूखी और अस्‍वस्‍थ त्‍वचा
    • सिर की त्‍वचा पर रूखे दाद (टिनिया कैपिटिस) के साथ बाल झड़ने की समस्‍या होना
    • त्‍वचा पर पस भरे दाने जैसी फुंसियां होना
    • खुजली जो कि गरमाई में बढ़ जाए और वसंत ऋतु में अक्‍सर होती रहे

सुबह के समय (खासतौर पर 11 बजे), आराम करने और शराब पीने पर लक्षण बढ़ जाते हैं। शुष्‍क मौसम में लक्षणों में सुधार आता है।

  • टेलुरियम (Tellurium)
    सामान्‍य नाम –
    टेलुरियम मैटल (Tellurium metal)
    लक्षण – ये दवा त्‍वचा और रीढ़ की हड्डी में संक्रमण के लिए बहुत उपयोगी है। ये उन लोगों पर बेहतर असर करती है जिनमें लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और जिनके पूरे शरीर में दर्द रहता है। टेलुरियम नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक करने में मददगार है –
    • दाद की बदबूदार फुंसियां
    • हाथ और पैरों में गंभीर खुजली
    • पैरों से बदबूदार पसीना आना
    • एक्‍जिमा जिसमें गोल चकत्ते हों

ये सभी लक्षण रात के समय, ठंडे मौसम में, छूने पर और आराम करने पर बढ़ जाते हैं जबकि शुष्‍क मौसम में व्‍यक्‍ति को बेहतर महसूस होता है।

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होम्‍योपैथिक दवाओं का ज्‍यादा से ज्‍यादा लाभ पाने के लिए होम्‍योपैथी चिकित्‍सक मरीज को जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव करने की भी सलाह देते हैं। इसमें कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों को न खाने के लिए कहा जाता है, जिनके औषधीय गुण दवाओं के प्रभाव पर असर डाल सकते हैं।

इसके साथ ही मरीज को स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाने के लिए कहा जाता है। होम्योपैथिक ट्रीटमेंट लेने के दौरान निम्‍न बातों का ध्‍यान रखना चाहिए –

क्‍या करें

क्‍या न करें

  • औषधीय गुणों से युक्‍त खाद्य और पेय पदार्थ न लें
  • ऐसे कैफीनयुक्‍त पेय पदार्थ न लें जिनकी तेज खुशबू हो
  • तेज खुशबू वाले परफ्यूम का इस्‍तेमाल न करें
  • गुस्‍से और दुख जैसी भावनाओं से बचें, क्‍योंकि इनकी वजह से लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)
  • कोई भी चीज जैसे कि नमक, चीनी और मसाले अधिक मात्रा में खाने से बचें

चिकित्‍सा के क्षेत्र में उपलब्‍ध कई तरीकों में से होम्‍योपैथी एक बहुत ही सुरक्षित और आसान तरीका है जो कि संक्रमण एवं बीमारी से खुद लड़ने के लिए मरीज की प्रतिरक्षा प्रणाली को उत्तेजित करती है। होम्‍योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्‍वों से तैयार किया जाता है, इसलिए इनके कोई दुष्‍प्रभाव नहीं होते हैं और ये सभी उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित मानी जाती हैा।

यदि अनुभवी होम्‍योपैथी चिकित्‍सक की देखरेख में ट्रीटमेंट ली जाए तो फंगल को बढ़ने से रोकने, सूजन, लालिमा एवं खुजली को कम करने तथा त्‍वचा को फिर से स्‍वस्‍थ बनाने में मदद मिलती है। ये थेरेपी समस्‍या को दोबारा होने से भी रोकती है।

होम्‍योपैथिक दवाओं को प्राकृतिक तत्‍वों से बहुत पतली मात्रा में बनाया जाता है। पतली खुराक होने की वजह से ही इन दवाओं के कोई हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं लेकिन इससे दवाओं के औषधीय गुणों पर कोई असर नहीं पड़ता है।

वैसे तो होम्‍योपैथिक दवाएं अधिकतर लोगों पर सुरक्षित और असरकारी होती हैं लेकिन अनुभवी होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक की सलाह से ही इन दवाओं का सेवन करना चाहिए।

(और पढ़ें - दाद के घरेलू उपाय)

होम्‍योपैथी डॉक्‍टर को दवाओं और उनकी कितनी खुराक देनी है, इसकी सटीक जानकारी होती है और वे मरीज के लक्षणों एवं कुछ बीमारियों को लेकर प्रवृत्ति को ध्‍यान में रखते हुए उचित दवा की सलाह देते हैं।

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दाद त्‍वचा पर होने वाला एक आम फंगल इंफेक्‍शन है। रिंगवर्म की एलोपैथी ट्रीटमेंट में आमतौर पर क्रीम लगाने और एंटीफंगल दवाएं खाने को दी जाती हैं। हालांकि, एलोपैथी में दवाओं के बेअसर होने की स्थिति बढ़ने की वजह से फंगल इंफेक्‍शन ठीक होने में ज्‍यादा समय लेता है।

(और पढ़ें - दाद का आयुर्वेदिक इलाज)

होम्‍योपैथी रिंगवर्म इंफेक्‍शन का तेज और सुरक्षित इलाज है एवं इसमें दवा का असर कम होने या साइड इफेक्‍ट का खतरा भी नहीं रहता है। ये बीमारी को जड़ से खत्‍म करने के लिए व्‍यक्‍ति की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करती है और उसे दोबारा होने से रोकती है। होम्‍योपैथी डॉक्‍टर की सलाह के बिना कभी भी इन दवाओं को नहीं लेना चाहिए।

Dr. Anmol Sharma

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Dr. Sarita jaiman

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Dr.Gunjan Rai

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DR. JITENDRA SHUKLA

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24 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. American Skin Association. [Internet] New York, U.S. What is tinea (ringworm)?
  2. MedlinePlus Medical Encyclopedia. [Internet] US National Library of Medicine; Ringworm
  3. The Royal Children's Hospital Melbourne [internet]: Victoria State Government. Ringworm
  4. Johns Hopkins Medicine [Internet]. The Johns Hopkins University, The Johns Hopkins Hospital, and Johns Hopkins Health System; Tinea Infections (Ringworm)
  5. Piyu Amit Uttamchandani, Aditya Dilipkumar Patil. Homoeopathy an Alternative Therapy for Dermatophyte Infections International Journal of Health Sciences & Research, January 2019, Vol 9, Issue 1
  6. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1 Homoeopathic Materia Medica
  7. The European Committee for Homeopathy. [Internet] Belgium Homeopathy: a holistic approach
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