डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम एक प्रकार का स्लीप डिसऑर्डर है. यह तब होता है जब किसी व्यक्ति को रात में सोने के सामान्य समय से 2-3 घंटे बाद नींद आती है. इस वजह से व्यक्ति देर से सोता है और सुबह देर से जागता है. ऐसा आनुवंशिक, क्रोनिक इनसोम्निया व नींद की खराब आदतों के कारण हो सकता है. इसके इलाज के तौर पर ब्राइट लाइट थेरेपी और मेलाटोनिन सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दी जाती है.
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आज इस लेख में आप डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के लक्षण, कारण व इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- क्या है डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम?
- डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के लक्षण
- डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के कारण
- डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम का इलाज
- सारांश
क्या है डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम?
डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम होने की स्थिति में रात को देरी से नींद आती है और अगली सुबह देरी से नींद खुलती है. अगर सोने का समय रात के 10 बजे का है, तो इस सिंड्रोम वाले व्यक्ति को 12-1 बजे तक नींद नहीं आती है और सुबह भी वह देर तक सोता रहता सकता है. शोध के अनुसार, अमूमन छोटे बच्चों और किशोरों को डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम का सामना करना पड़ता है. इसे सर्कैडियन रिदम डिसऑर्डर भी कहा जाता है. सर्कैडियन रिदम ही व्यक्ति के शरीर को सोने, भोजन पचाने व हार्मोन को नियमित करने आदि में मदद करता है. जिन्हें सर्कैडियन रिदम डिसऑर्डर होता है, उनके सोने और जागने का साइकल डिस्टर्ब रहता है.
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डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के लक्षण
डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम वाले लोग रोजाना निश्चित समय पर सोने में सक्षम नहीं होते हैं. इन लोगों की नींद के समय और गुणवत्ता में कोई फर्क नहीं पड़ता है. ये लोग रोजाना देरी से सोते हैं और उतनी ही देरी से जागते भी हैं. आइए, इसके लक्षण के बारे में विस्तार से जानते हैं -
डिप्रेशन और अन्य व्यवहारिक समस्याएं
अगर रात में नींद पूरी नहीं होती है, तो इससे डिप्रेशन होने की आशंका रहती है. दिन में नींद आने से काम भी समय पर पूरा नहीं हो पाता है. बच्चों और किशोरों की पढ़ाई ठीक से नहीं हो पाती है, जो उनके खराब परफॉर्मेंस के रूप में सामने आती है.
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दिन में ड्राउजीनेस
दिन में ड्राउजीनेस तब महसूस होता है, जब रात में नींद पूरी नहीं होती, लेकिन सुबह खास समय पर जागना जरूरी होता है. नींद पूरी नहीं होती है, तो काम पर ध्यान देने में मुश्किल होती है और ड्राउजीनेस जैसा महसूस हो सकता है.
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सुबह जागने में दिक्कत
डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम वाले लोगों को अन्य लोगों की तुलना में बहुत देरी से अंदरूनी क्लॉक से सिग्नल मिलता है. इसकी वजह से ये लोग कन्वेंशनल समय पर सुबह जाग नहीं पाते हैं.
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समय पर नींद आने में दिक्कत
चूंकि, डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम वाले लोगों की अंदरूनी क्लॉक देरी से शरीर को सिग्नल भेजती है कि अब सोने का समय हो रहा है. यही वजह है कि ये लोग आम समय पर सो नहीं पाते हैं. इसका मतलब है कि ये लोग आधी रात तक जागते रह सकते हैं.
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डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के कारण
यूं तो डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के कोई खास कारण ज्ञात नहीं हैं, लेकिन इसे आनुवंशिक, क्रोनिक इनसोम्निया और नींद की खराब आदतों से जोड़कर देखा जाता है. आइए, इन कारणों बारे में विस्तार से जानते हैं -
आनुवंशिक
अगर परिवार में किसी को पहले से डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम है, तो इस कंडीशन के विकसित होने की आशंका रहती है. शोध के अनुसार, जिन लोगों को डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम होता है, उनमें से 40 प्रतिशत लोगों के परिवार में यह पहले किसी को हो चुका होता है.
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नींद की खराब आदतें
अगर किसी व्यक्ति को सुबह की धूप कम मिलती है, तो उसे डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम होने की आशंका ज्यादा रहती है. यदि रात में बहुत ज्यादा रोशनी मिले, तो भी इसके लक्षण बढ़ सकते हैं.
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क्रोनिक इनसोम्निया
शोध के अनुसार, क्रोनिक इनसोम्निया वाले 10 प्रतिशत लोगों को डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम होने के चांसेज रहते हैं.
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मनोवैज्ञानिक और न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर
अगर डिप्रेशन, एंग्जायटी, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर हो, तो भी डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम होने की आशंका रहती है.
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प्यूबर्टी के बाद के बदलाव
किशोरावस्था के दौरान शरीर का स्लीप साइकल लंबा हो जाता है, जिसमें देरी से सोना और देरी से जागना शामिल होता है. इस समय बढ़ते बच्चे अधिक सामाजिक भी हो जाते हैं और उन पर अधिक जिम्मेदारियां आ जाती हैं.
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डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम का इलाज
डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के इलाज में एक नहीं, बल्कि कई तरीकों की मदद ली जाती है. इसके इलाज का उद्देश्य नींद के शेड्यूल को सामान्य करना है और इसके लिए शरीर के क्लॉक को एडजस्ट किया जाता है. डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम का इलाज लक्षण और लाइफस्टाइल पर भी निर्भर करता है, जिसमें अंदरूनी क्लॉक को एडवांस करना, ब्राइट लाइट थेरेपी और मेलटोनिन सप्लीमेंट का सेवन शामिल है. आइए, डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम के इलाज के बारे में विस्तार से जानते हैं -
नींद की आदतों में सुधार
रोज रात को बिस्तर पर नियत समय पर जाना और बिस्तर पर जाने से पहले इलेक्ट्रॉनिक चीजों से दूरी बनाकर रखना जरूरी है. इसके साथ ही रात को सोने के समय से पहले कैफीन, शराब, तंबाकू और ज्यादा एक्सरसाइज से दूरी बनाने के लिए भी कहा जाता है.
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मेलाटोनिन सप्लीमेंट
मेलाटोनिन एक हार्मोन है, जो सोने और जागने के साइकल को नियंत्रित करता है. हर व्यक्ति के लिए इसकी मात्रा और समय अलग-अलग है. इसलिए, यहां डॉक्टर की सलाह बहुत काम आती है.
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ब्राइट लाइट थेरेपी
जागने के बाद 30 मिनट तक व्यक्ति को रोशनी के करीब बैठने के लिए कहा जाता है. सुबह की यह रोशनी अंदरूनी क्लॉक को एडवांस करके रात में जल्दी सोने के लिए प्रेरित करती है.
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अंदरूनी क्लॉक को देर करना
इसे क्रोनोथेरेपी भी कहा जाता है, जिसमें बिस्तर पर जाने के समय को हर 6 दिन पर 1 से ढाई घंटे देर कर दिया जाता है. जब तक कि नींद का शेड्यूल सामान्य नहीं हो जाता है, तब तक ऐसा ही किया जाता है.
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अंदरूनी क्लॉक को एडवांस करना
इस इलाज के तौर पर डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम से जूझ रहे व्यक्ति को रोजाना रात को 15 मिनट पहले बिस्तर पर जाने की सलाह दी जाती है. रोजाना समय से पहले जागने के लिए भी कहा जाता है.
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सारांश
सीधे शब्दों में कहा जाए, तो डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम एक बॉडी क्लॉक डिसऑर्डर है. इसमें नींद के साइकल में देरी हो जाने से देर से नींद आती है और व्यक्ति सुबह भी देरी से जागता है और उसे दिन में ड्राउजीनेस लगता रहता है. आनुवंशिक, क्रोनिक इनसोम्निया और नींद की खराब आदतों को डिलेड स्लीप वेक फेज सिंड्रोम का कारण माना जाता है. इसके इलाज के रूप में अंदरूनी क्लॉक को एडवांस करना, मेलटोनिन सप्लीमेंट का सेवन और ब्राइट लाइट थेरेपी से मदद मिलती है. डॉक्टर की मदद से नींद को ट्रैक पर लाने में मदद मिलती है.
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डिलेड स्लीप वेक फेस सिंड्रोम के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

Dr. Hemant Kumar
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