धात रोग जिसे धातु रोग के नाम से भी जानते हैं, यह पुरुषों में होने वाली एक बीमारी है। इसमें किसी भी समय आकस्मिक रूप से वीर्यपात (वीर्य का रिसाव) होने लगता है, चाहे आपके मन में सेक्स को लेकर कोई इच्छा हो या नहीं। ऐसा अमूमन सोते समय या पेशाब या मल त्याग करते समय होता है। यह समस्या अक्सर रोगी के चिड़चिड़ेपन और उसके यौन अंगों में दुर्बलता से जुड़ी होती है।

अत्याधिक हस्तमैथुन या सेक्स करना भी धातु रोग का कारण बन सकता है। इसके अलावा मूत्र और जननांग अंगों की क्षीणता के कारण भी धात रोग हो सकता है। पुरुषों से संबंधित इस विकार के बारे में कई तरह के मिथ भी फैले हुए हैं जिनके पीछे की सच्चाई आज हम आपको इस लेख के जरिए बताने जा रहे हैं।

मिथक 

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनुष्य में सबसे महत्वपूर्ण तरल पदार्थ वीर्य को माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार 40 बार भोजन करने से खून की एक बूंद बनती है और खून की 40 बूंदें अस्थि मज्जा (बोन मैरो) की एक बूंद बनाती हैं और अस्थि मज्जा की 40 बूंदें वीर्य की एक बूंद बनाती हैं। यहां तक कि वीर्य की एक बूंद के नुकसान को आयुर्वेदिक प्रणाली में एक बड़े नुकसान के रूप में देखा गया है।

ये मान्यताएं इस मिथक और सेक्स को लेकर लोगों के अशिक्षित होने के कारण अभी तक बनी हुई हैं, जबकि आधुनिक चिकित्सा में इनका कोई आधार नहीं है। जब ऐसे मिथक लंबे समय तक दिमाग में बने रहते हैं तो नतीजा ये होता है कि लोग इन्हें सच मान लेते हैं और इस वजह से वो चिंता एवं अवसाद से ग्रस्त हो जाते हैं।

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फैक्ट

नवंबर 1991 में, दिल्ली के शोधकर्ता एम.एस. भाटिया और एस. सी. मलिक ने बताया कि धात सिंड्रोम सहित दिमाग से संबंधित यौन विकारों वाले रोगियों में न्यूरोटिक अवसाद (न्यूरोसिस से संबंधित एक मानसिक विकार [39%]) और एंग्जायटी न्यूरोसिस (चिंता में रहना और दिल घबराना [21%]) था। बता दें, भाटिया और मलिक का यह शोध 'ब्रिटिश जर्नल ऑफ साइकियाट्री' में प्रकाशित हो चुका है। इसका शीर्षक था 'धात सिंड्रोम - अ यूजफुल डायग्नोस्टिक एंटिटी इन इंडियन कल्चर।'

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कारण और उपचार

हरियाणा में इस विषय पर एक अध्ययन किया गया था। इसमें 18 से 60 आयु वर्ग के पुरुषों ने भाग लिया था। इस अध्ययन में पाया गया कि 81 फीसदी लोग कम से कम एक यौन विकार से पीड़ित थे। यह अध्ययन 'द जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर' में प्रकाशित हुआ था, जिसमें इस बात का पता चला कि ग्रामीण भारतीय पुरुषों में यौन संबंधी विकार अधिक पाए जाते हैं।
अब तक, मेडिकल साइंस में धात सिंड्रोम के भौतिक कारण का पता नहीं चल पाया है। फिर भी, सामान्य यौन क्रियाओं के बारे में गलत धारणाएं बनी हुई हैं और यह शरीर के साथ-साथ मन को भी प्रभावित करती हैं। ऐसे रोगियों की मदद काउंसलिंग और चिंता व अवसाद रोधी दवाओं से की जा सकती है। 

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