टाइफाइड को भारत में मोतीझरा, मियादी बुखार और आंत्र बुखार के नाम से जाना जाता है। टाइफाइड एक संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे तक आसानी से फैलती है। इस संक्रमण की मुख्य वजह साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया होता है। टाइफाइड बुखार एक गंभीर रोग होता है जिसकी अनदेखी करने से मरीज की मृत्यु भी हो सकती है। टाइफाइड का बैक्टीरिया दूषित खाने और पानी की वजह से फैलता है। सामान्यतः बच्चे इस रोग की चपेट में आ जाते हैं। अपने बच्चों और घर के अन्य सदस्यों को इस घातक बीमारी से बचाने के लिए आपको टाइफाइड वैक्सीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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इस लेख में टाइफाइड बुखार के गंभीर परिणामों को देखते हुए टाइफाइड वैक्सीन के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही इसमें टाइफाइड टीकाकरण क्या है, टाइफाइड टीके की खुराक और उम्र, टाइफाइड वैक्सीन की कीमत, टाइफाइड वैक्सीन के साइड इफेक्ट और टाइफाइड वैक्सीन किसे नहीं दी जानी चाहिए, आदि विषयों को भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।
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- टाइफाइड टीकाकरण क्या है - Typhoid tikakaran kya hai
- टाइफाइड वैक्सीन की खुराक और उम्र - Typhoid vaccine ki dose
- टाइफाइड वैक्सीन (इंजेक्शन) का नाम और कीमत - Typhoid vaccine name and cost in India in Hindi
- टाइफाइड वैक्सीन के नुकसान - Typhoid vaccine side effects in Hindi
- टाइफाइड वैक्सीन किसे नहीं लेनी चाहिए - Typhoid vaccine kise nahi leni chahiye
- भारत में टाइफाइड वैक्सीन - Typhoid vaccine in India
टाइफाइड टीकाकरण क्या है - Typhoid tikakaran kya hai
टाइफाइड बुखार से बचाव के लिए ही बच्चों व वयस्कों को टाइफाइड टीका लगाया जाता है। टाइफाइड रोग के एक गंभीर संक्रामक रोग है। साल्मोनेला टाइफी (Salmonella typhi) नामक बैक्टीरिया इस रोग की मुख्य वजह होता है। टाइफाइड के रोगाणु व्यक्ति की आंतों और रक्तप्रवाह में रहते हैं। साल्मोनेला टाइफी से संक्रमित व्यक्ति के मल के किसी भी तरह से संपर्क में आने की वजह से यह रोग अन्य व्यक्ति को भी हो जाता है। केवल व्यक्तियों से ही यह रोग अन्य लोगों में संक्रमित होता है, जानवर इस रोग को फैलाने में सक्षम नहीं होते हैं।
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यदि समय रहते इस रोग का उपचार नहीं किया जाए तो टाइफाइड के कारण 5 में से 1 व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। वहीं अगर समय पर टाइफाइड मरीज का उपचार किया जाए तो 100 मामलों में 4 से भी कम के लिए यह रोग घातक सिद्ध होता है।
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साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया दूषित खाने या पानी के माध्यम से व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, जो 1-3 सप्ताह तक आंतों में रहता है। उसके बाद यह आंतों की परत से होते हुए खून में चला जाता है। खून के माध्यम से यह अन्य ऊतकों और अंगों में फैल जाता है। आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली साल्मोनेला टाइफी से नहीं लड़ सकती है, क्योंकि यह बैक्टीरिया आपकी कोशिकाओं में प्रतिरक्षा प्रणाली से प्रभावित हुए बिना सुरक्षित रह सकता है।
टाइफाइड होने पर व्यक्ति में निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते हैं।
- ज्यादा समय तक तेज बुखार होना।
- कमजोरी महसूस होना। (और पढ़ें - कमजोरी को दूर करने के उपाय)
- पेट में दर्द होना। (और पढ़ें - पेट में गैस के उपाय)
- भूख कम लगना, (और पढ़ें - बच्चों में भूख ना लगने का समाधान)
- त्वचा पर चकत्ते होना और रैशज होना।
- थकान, (और पढ़ें - थकान दूर करने के उपाय)
- कुछ समझ ना आना (confusion)
- दस्त और कब्ज होना,
- निमोनिया
- किडनी और ब्लैडर इंफेक्शन
- अग्नाशयशोथ (Pancreatitis)
- मायोकार्डिटिस (Myocarditis: हृदय संबंधी समस्या)
- एंडोकार्डिटिस (Endocarditits: हृदय की आंतरिक परत में संक्रमण), आदि।
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भारत में हर वर्ष टाइफाइड के कई मामले सामने आते हैं। इस रोग से बचाव के लिए ही टाइफाइड वैक्सीन का इस्तेमाल किया जाता है। टाइफाइट की वैक्सीन दो प्रकार की होती हैं। पहली निष्क्रिय वैक्सीन (inactivated vaccine) होती है, जो इंजेक्शन के माध्यम से दी जाती है, जबकि दूसरी वैक्सीन में जीवित और कमजोर (live, attenuated vaccine) बैक्टीरिया का प्रयोग किया जाता है, इस वैक्सीन को खाने या पीने वाली दवाओं की तरह लिया जाता है।
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टाइफाइड वैक्सीन की खुराक और उम्र - Typhoid vaccine ki dose
जिन लोगों में टाइफाइड होने की संभावना अधिक होती है उनको टाइफाइड की वैक्सीन दी जाती है। उदाहरण के तौर पर निम्न परिस्थिति वाले लोगों को ये वैक्सीन लेनी चाहिए।
- टाइफाइड के मरीजों के पास रहना या संपर्क में रहना। (और पढ़ें - पोलियो का टीका क्यों लगवाना चाहिए)
- टाइफाइड पर अध्ययन करने वाली लैब में काम करना।
- उन देशों की यात्रा पर जाना, जहां पर टाइफाइड होने की संभावनाएं अधिक होती है। (और पढ़ें - टाइफाइड के घरेलू उपाय)
टाइफाइड वैक्सीन लेने की उम्र
- इंजेक्शन के रूप में टाइफाइड वैक्सीन को एक खुराक में दिया जाता है और इसके बाद हर दो साल में इसकी बूस्टर डोज दी जाती है। टाइफाइड का इंजेक्शन किसी भी उम्र में दिया जा सकता है। (और पढ़ें - डीपीटी वैक्सीन कब लगाया जाता है)
- टाइफाइड की खाने वाली दवा चार खुराक दी जाती है। जो एक ही सप्ताह में एक-एक दिन छोड़कर (जैसे 1,3,5,7वें दिन) दी जाती है। चारों खुराक के बाद टाइफाइड से बचाव के लिए हर पांच साल में इसकी बूस्टर डोज लेने की आवश्यकता होती है। टाइफाइड की दवा मात्र 6 साल से अधिक आयु के बच्चों व वयस्कों को दी जाती है। (और पढ़ें - टाइफाइड फीवर डाइट चार्ट)
- इसके अलावा कुछ बच्चों को टाइफाइड की संभावना होने पर, डॉक्टर इस वैक्सीन को 2 साल से छोटे बच्चों को भी देने की सलाह दे सकते हैं।
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टाइफाइड वैक्सीन (इंजेक्शन) का नाम और कीमत - Typhoid vaccine name and cost in India in Hindi
टाइफाइड के वायरस से बचाव के लिए देश में टाइफाइड वैक्सीन कई ब्रांड में उपलब्ध है। ब्रांड के आधार पर इस वैक्सीन की मात्रा और कीमत अलग-अलग हो सकती है। देश में मिलने वाले कुछ टाइफाइड वैक्सीन और उनकी कीमतों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।
टाइफाइड वैक्सीन | अनुमानित कीमत |
वैक टाइफ वैक्सीन (VacTyph Vaccine) | 200 |
टाइफिम वी वैक्सीन (Typhim Vi Vaccin) | 362 |
टाइफिरिक्स इंजेक्शन (Typherix 25 mcg Injection) | 250 |
बायो टाइफ इंजेक्शन (Bio Typh 25 mcg Injection) | 160 |
टाइपबार टीसीवी वैक्सीन (Typbar TCV Vaccine) | 1799 |
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टाइफाइड वैक्सीन के नुकसान - Typhoid vaccine side effects in Hindi
सामान्यतः टाइफाइड वैक्सीन से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस वैक्सीन को लेना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस वैक्सीन की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।
टाइफाइड वैक्सीन से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-
इंजेक्शन से होने वाले साइड इफेक्ट
- इंजेक्शन की जगह पर दर्द, सूजन और लालिमा होना, (और पढ़ें - सूजन को कम करने के उपाय)
- वैक्सीन के बाद सिर दर्द
- शिशु, बच्चों और व्यस्कों को वैक्सीन से बुखार आना।
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टाइफाइड के इंजेक्शन से गंभीर दुष्प्रभाव बेहद ही कम मामलों में सामने आते हैं।
टाइफाइड की खाने वाली दवा से होने वाले साइड इफेक्ट
- बुखार (और पढ़ें - बुखार कम करने के घरेलु उपाय)
- सिरदर्द
खाने वाली दवा से होने वाले दुर्लभ मामले
- पेट में दर्द होना, (और पढ़ें - पेट दर्द का उपाय)
- उल्टी होना, (और पढ़ें - उल्टी को रोकने का तरीका)
- त्वचा पर रैशज होना। (और पढ़ें - रैशज के उपाय)
वैक्सीन की वजह से होने वाली एलर्जिक प्रतिक्रिया के लक्षण
- व्यवहार में परिवर्तन,
- सांस लेने में मुश्किल होना, (और पढ़ें - सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करें)
- चक्कर आना,
- गला बैठना, (और पढ़ें - गला बैठने पर क्या करें)
- शीतपित्त,
- पीलिया, (और पढ़ें - पीलिया का उपाय)
- दिल की धड़कने तेज होना
- चेहरे और गले में सूजन आना,आदि।
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टाइफाइड वैक्सीन किसे नहीं लेनी चाहिए - Typhoid vaccine kise nahi leni chahiye
कई बार कुछ विशेष परिस्थितियों में टाइफाइड वैक्सीन को लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को शिशु या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते हैं। आगे जानते हैं कि किन लोगों को टाइफाइड वैक्सीन नहीं दिया चाहिए।
- यदि किसी व्यक्ति को टाइफाइड वैक्सीन की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हुई हो, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)
- टाइफाइड की खाने वाली दवा 6 साल से कम आयु के बच्चे को नहीं देनी चाहिए। (और पढ़ें - टायफाइड में क्या खाना चाहिए)
- वैक्सीन लेते समय यदि बच्चा या व्यक्ति अधिक बीमार हो, तो ऐसे में वैक्सीन की खुराक लेने से पहले ठीक होने तक का इंतजार करना चाहिए। साथ ही इस बारे में अपने डॉक्टर से जरूर बात करें। (और पढ़ें - बच्चो के बुखार का इलाज)
- टाइफाइड वैक्सीन में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए।
- उल्टी या दस्त होने पर वैक्सीन को लेने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें। (और पढ़ें - नवजात शिशु को खांसी क्यों होती है)
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को टाइफाइड के लिए खाने वाली दवा नहीं लेनी चाहिए, ऐसे लोगों के लिए टाइफाइड से बचाव लिए इंजेक्शन लगवाना चाहिए।
- किसी भी प्रकार की एंटीबायोटिक दवा लेने के करीब तीन दिनों बाद तक टाइफाइड की दवा नहीं खानी चाहिए। (और पढ़ें - बुखार में क्या खाना चाहिए)
किसी भी तरह की समस्या से बचने के लिए आपको अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही टाइफाइड वैक्सीन लेना चाहिए।
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भारत में टाइफाइड वैक्सीन - Typhoid vaccine in India
कुछ वर्ष पहले के आकंड़ों के अनुसार भारत की करीब 50 प्रतिशत जनसंख्या खुले में शौच करती थी। वहीं ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बेहद ही कम लोगों को पीने का साफ पानी मिल पाता था। एक सर्वें में एशिया के अन्य बड़े पांच देशों के मुकाबले भारत में ही प्रति लाख व्यक्ति करीब 493.5 मामले टाइफाइड के दर्ज किये गये थे, जो चीन, वियतनाम, इंडोनेशिया और पाकिस्तान से काफी अधिक थे।
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टाइफाइड के मामलों की गंभीरता को कम करने के लिए भारत के हर व्यक्ति को जागरूक होकर, इस रोग से बचाव के लिए वैक्सीन का उपयोग करना चाहिए। समय पर टाइफाइड वैक्सीन लेने से आप और आपका परिवार इस रोग से सुरक्षित बने रहते हैं।
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