महिलाओं में होने वाली सामान्य समस्याओं में से एक योनि में यीस्ट संक्रमण भी है। इस प्रकार का फंगल इंफेक्शन तब होता है जब मुंह, पाचन तंत्र या योनि में पाया जाने वाला कैंडीडा एल्बीकैंस नामक कवक तेजी से बढ़ने लगता है और योनि के ऊतकों को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस प्रकार के संक्रमण में योनि से सफेद पानी आने और योनि में एवं इसके आसपास खुजली की शिकायत रहती है।
योनि में फंगल संक्रमण कैंडिडा एलबिकन्स की असामान्य वृद्धि के कारण होता है, ये एक ऐसा यीस्ट है जो योनि के प्राकृतिक फ्लोरा को बनाता है। कैंडिडिआसिस लगभग हर उम्र की महिला को प्रभावित करता है और अपने जीवन में लगभग 75 प्रतिशत महिलाएं एक न एक बार इस इंफेक्शन का शिकार जरूर होती हैं। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो कैंडिडिआसिस की वजह से ल्यूकोरिया जैसी योनि से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं। हार्मोनल चिकित्सा, कुछ एंटीबायोटिक और एचआईवी कारणों की वजह से कैंडिडिआसिस का खतरा बढ़ जाता है।
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आयुर्वेदिक ग्रंथों में कैंडिडिआसिस और अन्य महिला प्रजनन संबंधित समस्याओं को योनि व्यापात (योनि को प्रभावित करने वाले रोग) के तहत वर्गीकृत किया गया है। योनि में यीस्ट संक्रमण के इलाज के लिए पंचकर्म थेरेपी की स्नेहन (शुद्धिकरण की विधि), अभ्यंग (तेल मालिश) के साथ पिच्चू (औषधीय टेंपन) का इस्तेमाल किया जाता है। फंगलरोधी जड़ी बूटियों जैसे कि मंजिष्ठा और दारुहरिद्रा योनि में यीस्ट इंफेक्शन को बढ़ने से रोकने में लाभकारी हैं।
आयुर्वेद में योनि में यीस्ट संक्रमण को ठीक करने के लिए आहार में कुछ जरूरी बदलाव जैसे कि यव (जौ), तेल और पिप्पली का नियमित सेवन करने की सलाह दी गई है। निजी अंगों की साफ-सफाई रखकर भी योनि में संक्रमण होने की समस्या को नियंत्रित एवं रोका जा सकता है।
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