स्ट्रेच मार्क्स या खिंचाव के निशान शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं, लेकिन ये खासकर कमर, पेट, ब्रेस्ट को अधिक प्रभावित करते हैं. आमतौर पर स्ट्रेच मार्क्स त्वचा के तेजी से खिंचने या सिकुड़ने के कारण होते हैं. लगभग 90 प्रतिशत लोगों में स्ट्रेच मार्क्स होते हैं और ऐसा होना सामान्य है. ऐसे में परेशानी तब होती है, जब इन निशानों की वजह से लोग अपने पसंद के कपड़े नहीं पहन पाते हैं. ऐसे में यह जरूरी है कि खिंचाव के निशान पर वक्त रहते ध्यान दिया जाए और इसे हटाने या कम करने के तरीके आजमाएं. आज इस खास लेख में आप जानेंगे कि स्ट्रेच मार्क्स होने के कारण, लक्षण व हटाने के तरीके क्या हैं -
(और पढ़ें - स्ट्रेच मार्क्स हटाने की क्रीम)
- स्ट्रेच मार्क्स क्या होते हैं?
- स्ट्रेच मार्क्स कब होते हैं?
- स्ट्रेच मार्क्स कितने प्रकार के होते हैं?
- स्ट्रेच मार्क्स क्यूँ होते हैं?
- लड़कियों के स्ट्रेच मार्क्स क्यों होते हैं?
- पुरुषों के स्ट्रेच मार्क्स क्यों होते हैं?
- स्ट्रेच मार्क्स के लक्षण
- स्ट्रेच मार्क्स को कैसे ठीक करें?
- स्ट्रेच मार्क क्रीम कब लगाना चाहिए?
- स्ट्रेच मार्क्स पर तेल कब लगाना चाहिए?
- प्रेगनेंसी स्ट्रेच मार्क्स के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है?
- क्या पुराने स्ट्रेच मार्क्स हटाए जा सकते हैं?
- स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए क्या खाना चाहिए?
- स्ट्रेच मार्क्स के लिए सबसे अच्छी सर्जरी कौन सी है?
- स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए घरेलू उपाय
- सारांश
स्ट्रेच मार्क्स क्या होते हैं?
स्ट्रेच मार्क्स, जिसे हिंदी में "त्वचा के खिंचाव के निशान" भी कहा जाता है, स्किन पर पड़ने वाले लम्बे, पतले और हल्के या गहरे रंग के निशान होते हैं। ये निशान तब बनते हैं जब हमारी त्वचा बहुत जल्दी फैलती है या सिकुड़ती है। स्किन की बीच की परत जिसे "डर्मिस" कहा जाता है, जब तेजी से खिंचती है तो उसमें छोटे-छोटे टिशू फट जाते हैं और वहाँ स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं। ये मार्क्स शुरुआत में लाल, गुलाबी, बैंगनी या भूरे रंग के हो सकते हैं, और समय के साथ ये हल्के सफेद या सिल्वर रंग के हो जाते हैं। ये स्किन की नॉर्मल प्रॉबलम है और स्वास्थ्य के लिए कोई खतरा नहीं है, लेकिन देखने में कुछ लोगों को यह असहज लग सकते हैं। आमतौर पर ये पेट, जांघ, हिप्स, कमर, छाती और बांहों पर नजर आते हैं।
स्ट्रेच मार्क्स कब होते हैं?
स्ट्रेच मार्क्स आमतौर पर तब होते हैं जब शरीर का आकार या वजन बहुत जल्दी चेंज होता रहता है। सबसे ज्यादा मामलों में ये प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) के दौरान देखने को मिलते हैं, क्योंकि इस समय महिला के पेट की त्वचा बहुत तेजी से फैलती है। इसके अलावा किशोरावस्था में जब शरीर तेजी से बढ़ता है (जैसे हाइट या मसल्स में बदलाव होता है), या वजन अचानक बढ़ता या कम होता है, तब भी स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं। बॉडीबिल्डिंग करने वालों में भी ये नॉर्मल है क्योंकि मसल्स का आकार तेजी से बदलता है। कुछ हार्मोनल बदलाव या स्टेरॉइड दवाओं के लंबे इस्तेमाल से भी स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं।
(और पढ़ें - स्ट्रेच मार्क्स के लिए नारियल तेल)
स्ट्रेच मार्क्स कितने प्रकार के होते हैं?
स्ट्रेच मार्क्स मैनली दो प्रकार के माने जाते हैं — रेड स्ट्रेच मार्क्स (Striae Rubrae) और व्हाइट स्ट्रेच मार्क्स (Striae Albae)।
रेड स्ट्रेच मार्क्स : ये निशान शुरुआत में बनते हैं और इनका रंग लाल, गुलाबी या बैंगनी होता है। जब स्किन के नीचे की रक्त नलिकाएं जो फटी हुई स्किन के कारण दिखने लगती हैं। ये नए स्ट्रेच मार्क्स होते हैं और इस स्टेज में इनका इलाज या कम करना आसान होता है।
व्हाइट स्ट्रेच मार्क्स : जब स्ट्रेच मार्क्स पुराने हो जाते हैं तो उनका रंग हल्का सफेद या सिल्वर जैसा हो जाता है। इस में स्किन की इलास्टिसिटी काफी कम हो जाती है और इन्हें हटाना या कम करना मुश्किल हो जाता है। ये आमतौर पर लंबे समय तक बने रहते हैं।
कुछ मामलों में एक तीसरे प्रकार के स्ट्रेच मार्क्स भी होते हैं — Striae Gravidarum, जो विशेष रूप से गर्भावस्था के दौरान बनने वाले स्ट्रेच मार्क्स होते हैं। लेकिन नॉर्मली ये ऊपर के दो प्रकार के ही माने जाते हैं।
स्ट्रेच मार्क्स क्यूँ होते हैं?
वैसे तो स्ट्रेच मार्क्स या खिंचाव के निशान से कोई प्रॉबलम नहीं होती, लेकिन इसका प्रभाव लोगों के व्यक्तित्व पर पड़ सकता है. स्ट्रेच मार्क्स होने का सबसे प्रमुख कारण गर्भावस्था को माना गया है. अन्य कारण कुछ इस प्रकार हैं -
- वजन बढ़ना.
- किशोरावस्था.
- ब्रेस्ट सर्जरी.
- कोर्टिसोल हार्मोन का बढ़ना.
- व्यायाम करना.
- जेंडर यानी महिलाओं में पुरुषों की तुलना में स्ट्रेच मार्क्स होने का जोखिम अधिक होता है.
- मार्फन सिंड्रोम यानी आनुवंशिक बीमारी, जो त्वचा के फाइबर को कमजोर करती है और असामान्य वृद्धि का कारण बनती है.
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लड़कियों के स्ट्रेच मार्क्स क्यों होते हैं?
लड़कियों या महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स कई वजहों से हो सकते हैं, और यह एक बहुत सामान्य स्किन कंडीशन है। सबसे पहली और नॉर्मल कारण है प्रेग्नेंसी । जब महिला का पेट धीरे-धीरे बढ़ता है, तो उस पर खिंचाव पड़ता है, जिससे पेट, जांघों, कमर और छाती पर स्ट्रेच मार्क्स आ सकते हैं।
दूसरी बड़ी वजह होती है हार्मोनल बदलाव, जो कि किशोरावस्था (puberty) में लड़कियों को होता है। इस समय शरीर तेजी से बदलता है — जैसे हाइट बढ़ना, वजन बढ़ना या ब्रेस्ट का भरना — और स्किन के अंदर खिंचाव के कारण निशान बन सकते हैं।
तीसरी वजह है वजन का जल्दी बढ़ना या घटना। अगर कोई लड़की अचानक बहुत वजन बढ़ा ले या डाइटिंग करके तेजी से घटा ले, तो स्किन में जो टाइटनेस होती है, वो खतम होने लगती है और स्ट्रेच मार्क्स आ जाते हैं।
इसके अलावा बर्थ कंट्रोल पिल्स, हार्मोनल दवाइयाँ, या स्टेरॉइड क्रीम्स का लंबे समय तक इस्तेमाल करने से भी स्किन की इलास्टिसिटी (लचीलापन) घटती है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स बन सकते हैं .कुछ मामलों में यह जेनेटिक भी होता है .
तो अगर किसी लड़की के शरीर पर स्ट्रेच मार्क्स हैं, तो वो अकेली नहीं है। यह पूरी तरह नॉर्मल है और इससे घबराने या शर्माने की जरूरत नहीं है। थोड़ी देखभाल और सही स्किन केयर से इन्हें कम किया जा सकता है।
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पुरुषों के स्ट्रेच मार्क्स क्यों होते हैं?
अब बात करते हैं लड़कों या पुरुषों की। बहुत से लोग सोचते हैं कि स्ट्रेच मार्क्स सिर्फ महिलाओं को होते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। पुरुषों को भी स्ट्रेच मार्क्स हो सकते हैं, और इसकी कई आम वजहें होती हैं।
सबसे पहली और सबसे आम वजह है जिम जाकर मसल्स बनाना। जब कोई लड़का बॉडीबिल्डिंग शुरू करता है और बहुत कम समय में मसल्स को बड़ा कर लेता है, तो स्किन उस बदलाव को झेल नहीं पाती और फटने लगती है, जिससे स्ट्रेच मार्क्स बन जाते हैं — खासकर कंधों, बाजुओं और छाती के पास।
दूसरी वजह है वजन का तेजी से बढ़ना या घटना। अगर कोई लड़का अचानक मोटा हो जाए या फिर वज़न कम करने के चक्कर में बहुत तेजी से पतला हो जाए, तो स्किन का लचीलापन टूटता है और वहां स्ट्रेच मार्क्स दिखने लगते हैं। ये पेट, जांघों, पीठ और कमर के पास ज़्यादा दिखते हैं।
तीसरी वजह होती है हॉर्मोनल बदलाव, खासकर जब लड़के किशोरावस्था (teenage) में होते हैं। इस दौरान हाइट तेजी से बढ़ती है, बॉडी में कई बदलाव आते हैं और स्किन पर खिंचाव पड़ता है, जिससे निशान पड़ सकते हैं।
कुछ मामलों में स्टेरॉइड दवाओं का लंबे समय तक उपयोग करना, या कोई हार्मोनल बीमारी जैसे कुशिंग सिंड्रोम भी स्ट्रेच मार्क्स की वजह बन सकती है। और हां, जेनेटिक्स भी रोल निभाता है। अगर परिवार में किसी को स्ट्रेच मार्क्स हैं, तो लड़कों में भी इसके चांस ज्यादा हो जाते हैं।
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स्ट्रेच मार्क्स के लक्षण
स्किन का रंग बदलना स्ट्रेच मार्क्स होने का प्रमुख लक्षण हो सकता है.
- शुरुआत में स्ट्रेच मार्क्स आने से पहले, त्वचा पतली और गुलाबी दिखाई दे सकती है. साथ ही इसमें जलन व खुजली भी महसूस हो सकती है.
- गुलाबी, बैंगनी, लाल, नीले या गहरे भूरे रंग की लाइंस . स्ट्रेच मार्क्स के रंग आपकी त्वचा के रंग के अनुसार अलग हो सकते हैं.
- स्किन पर पतली व चमकदार रेखाएं, जो समय के साथ सफेद दिखाई दे सकती हैं.
- स्ट्रेच मार्क्स दिखाई देने से पहले त्वचा में खुजली और जलन हो सकती है.
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स्ट्रेच मार्क्स को कैसे ठीक करें?
स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह से मिटाना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन उन्हें हल्का और कम ज़रूर किया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले स्किन को हाइड्रेट और मॉइस्चराइज़ करें। इसके लिए आप रोज़ाना अच्छी क्वालिटी की क्रीम या तेल लगा सकते हैं जैसे नारियल तेल, बादाम तेल या विटामिन E ऑयल। स्किन को धीरे-धीरे मसाज करने से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है और स्किन रिपेयर जल्दी होती है।
इसके अलावा कुछ लोग एलोवेरा जेल भी लगाते हैं जो स्किन को ठंडक देता है और स्किन को री न्यू करने में मदद करता है । बाज़ार में कई एंटी-स्ट्रेच मार्क क्रीम्स भी मिलती हैं जिनमें कोको बटर, शीया बटर, हायल्यूरॉनिक एसिड और रेटिनोल जैसे तत्व होते हैं जो स्किन को रिपेयर करते हैं।
अगर स्ट्रेच मार्क्स बहुत गहरे हैं और घरेलू उपायों से फर्क नहीं दिख रहा, तो डर्मेटोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। आप माइक्रोनिडलिंग, लेजर ट्रीटमेंट या केमिकल पील जैसे ट्रीटमेंट भी करवा सकते हैं। ये प्रोफेशनल ट्रीटमेंट्स पुराने निशानों पर भी असर दिखा सकते हैं। साथ ही, हेल्दी डाइट और भरपूर पानी पीना भी स्किन की हेल्थ के लिए ज़रूरी है।
स्ट्रेच मार्क्स को कम करने के लिए ट्रीटमेंट से संबंधित एक स्टडी
एक स्टडी "Management of Stretch Marks (with a focus on Striae Rubrae)" में बताया गया कि स्ट्रेच मार्क्स, जिन्हें स्ट्राइए डिस्टेन्से भी कहा जाता है, स्किन का नॉर्मल इशू है जो स्किन के खिंचाव के कारण होता है , जिससे त्वचा की संरचना में परिवर्तन होता है।
- स्ट्रेच मार्क्स होने के बहुत से कारण होते हैं जैसे -
- गर्भावस्था: गर्भवती महिलाओं में 50–90% तक स्ट्रेच मार्क्स देखे जाते हैं।
- तेजी से वजन बढ़ना या घटाना: त्वचा के तेजी से खिंचाव के कारण।
- मांसपेशियों का तेजी से विकास: बॉडीबिल्डिंग या किशोरावस्था के दौरान।
- एंडोक्रिन प्रॉबलम : जैसे कुशिंग सिंड्रोम। टॉपिकल कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का उपयोग: लंबे समय तक उपयोग से त्वचा की लोच में कमी।
- फैमिली हिस्ट्री
अध्ययन से पता चला है कि स्ट्रेच मार्क्स तब होते हैं जब स्किन की डर्मल फाइबर नेटवर्क में गड़बड़ी होती है और कोलेजन तथा इलास्टिन फाइबर्स में चेंजेस होते हैं।
स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह से रोकना मुमकिन नहीं है लेकिन, लेकिन विशेष रूप से प्रारंभिक अवस्था (स्ट्राइए रूब्रे) में उनके रूप को सुधारने के लिए कुछ ट्रीटमेंट ऑप्शन है जैसे -
1. लेज़र और लाइट थेरेपी:
- नॉन-अब्लेटिव फ्रैक्शनल लेज़र: ये लेज़र स्किन की ऊपरी परत को नुकसान पहुंचाए बिना डर्मिस को सुधारते हैं, जिससे कोलेजन फिर से बनता है और त्वचा की बनावट में सुधार होता है।
- 1064-एनएम लॉन्ग-पल्स्ड Nd:YAG लेज़र: इस लेज़र ने स्ट्रेच मार्क्स की उपस्थिति को कम करने में प्रभावशीलता दिखाई है, और इसके साइड इफेक्ट्स भी नहीं है।
2. माइक्रोनीडलिंग:
इस तकनीक में स्किन में सि के द्वारा छोटी छोटी चोटें बनाई जाती हैं, जो कोलेजन को बनाने में मदद करती हैं , जिससे त्वचा की लोच में सुधार होता है और स्ट्रेच मार्क्स कम दिखाई देते हैं।
3. टॉपिकल उपचार:
टॉपिकल ऑइंटमेंट्स और क्रीम्स लगाने के रिज़ल्ट मिले जुले हैं। हालांकि कुछ प्रोडक्टस स्किन को हाइड्रेट करने और लोच में सुधार करने का दावा करते हैं, लेकिन वो फिर भी लेज़र और माइक्रोनीडलिंग के असर से थोड़ा कम असरदार हैं।
अध्ययन में देखा गया कि लेज़र उपचार और माइक्रोनीडलिंग ने स्ट्राइए रूब्रे की उपस्थिति में सुधार दिखाया है। स्ट्रेच मार्क्स, विशेष रूप से स्ट्राइए रूब्रे, एक सामान्य सौंदर्य संबंधी चिंता हैं। हालांकि उन्हें पूरी तरह से रोकना कठिन हो सकता है, लेकिन शुरुआत में ही इलाज करने से बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। लेज़र थेरेपी और माइक्रोनीडलिंग जैसे उपचार विकल्प त्वचा की उपस्थिति में महत्वपूर्ण सुधार प्रदान करते हैं और इनके साइड इफेक्ट भी नहीं हैं।
यहाँ एक टेबल डी जा रही है जो लेजर थेरेपी के असर को दिखाती है -
स्ट्रेच मार्क क्रीम कब लगाना चाहिए?
स्ट्रेच मार्क्स की क्रीम लगाने का सबसे सही समय है नहाने के बाद, जब स्किन थोड़ी नम होती है। इस समय स्किन के पोर्स खुले होते हैं और क्रीम या तेल अच्छे से अंदर तक पहुंचते हैं, जिससे उनका असर ज़्यादा होता है। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी क्रीम लगाना फायदेमंद रहता है, क्योंकि रात के समय स्किन खुद को रिपेयर करती है। प्रेग्नेंसी के दौरान तो क्रीम को तीसरे महीने से ही शुरू कर देना चाहिए, ताकि स्किन में इलास्टिसिटी बनी रहे और स्ट्रेच मार्क्स बनने की संभावना कम हो।
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स्ट्रेच मार्क्स पर तेल कब लगाना चाहिए?
स्ट्रेच मार्क्स पर तेल लगाने का सबसे अच्छा समय है नहाने के बाद, जब स्किन थोड़ी गीली होती है। इस समय तेल अच्छे से स्किन में समा जाता है और मॉइस्चर को लॉक कर देता है। इसके अलावा रात को सोते समय भी तेल लगाना फायदेमंद होता है, क्योंकि रात भर स्किन को आराम मिलता है और तेल अपना असर बेहतर तरीके से दिखाता है। अगर आप गर्भवती हैं तो दूसरे तिमाही (3-4 महीने) से ही तेल लगाना शुरू कर दें, खासकर पेट, जांघ, कमर और छाती पर। दिन में दो बार तेल लगाने से सबसे अच्छे रिजल्ट्स मिलते हैं।
प्रेगनेंसी स्ट्रेच मार्क्स के लिए सबसे अच्छा तेल कौन सा है?
प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेच मार्क्स से बचने या उन्हें कम करने के लिए सबसे अच्छे तेलों में शामिल हैं:
- नारियल का तेल (Coconut Oil): यह स्किन को मॉइस्चर करता है और सूजन कम करता है।
- बायो-ऑयल (Bio-Oil): यह मार्केट में काफी लोकप्रिय है और खास कर स्ट्रेच मार्क्स और स्कार्स के लिए बना होता है।
- बादाम तेल (Almond Oil): इसमें विटामिन E होता है जो स्किन को पोषण देकर इलास्टिसिटी बढ़ाता है।
- ऑलिव ऑयल (Olive Oil): इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स और हेल्दी फैट्स होते हैं, जो स्किन रिपेयर में मदद करते हैं।
- अरंडी का तेल (Castor Oil): इसे रात में लगाकर हल्के हाथों से मसाज करना फायदेमंद माना जाता है।
इन सभी में से कोई भी तेल ले सकते हैं, लेकिन सबसे ज़रूरी है नियमित रूप से लगाना और हल्के हाथों से मालिश करना।
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क्या पुराने स्ट्रेच मार्क्स हटाए जा सकते हैं?
पुराने स्ट्रेच मार्क्स को पूरी तरह मिटाना मुश्किल होता है, लेकिन उन्हें हल्का और कम ज़रूर किया जा सकता है। घरेलू उपाय जैसे नारियल तेल, एलोवेरा जेल, या विटामिन E ऑयल से कुछ हद तक फर्क आता है, लेकिन इनका असर धीरे होता है। अगर आप जल्दी असर चाहते हैं, तो मेडिकल ट्रीटमेंट्स जैसे माइक्रोनिडलिंग, लेजर थेरेपी, केमिकल पील या रेटिनोल क्रीम्स भी ट्राइ कर सकते हैं। डर्मेटोलॉजिस्ट इन ट्रीटमेंट्स से स्ट्रेच मार्क्स को काफी हद तक हल्का कर सकते हैं।
स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए क्या खाना चाहिए?
स्ट्रेच मार्क्स हटाने या कम करने के लिए आपको ऐसी डाइट लेनी चाहिए जो स्किन की हेल्थ को बेहतर बनाए। इसके लिए ये चीज़ें शामिल करें:
- विटामिन C: संतरा, नींबू, आंवला, पपीता – ये कोलेजन बनाने में मदद करते हैं जिससे स्किन की इलास्टिसिटी बनी रहती है।
- विटामिन E: बादाम, सूरजमुखी के बीज, मूंगफली – स्किन को रिपेयर करते हैं।
- जिंक: कद्दू के बीज, अंडा, दालें – स्किन की मरम्मत और नए टिशू बनाने में मदद करता है।
- प्रोटीन: दाल, अंडे, दूध, पनीर – स्किन के लिए जरूरी बिल्डिंग ब्लॉक है।
- ओमेगा-3 फैटी एसिड: अलसी के बीज, अखरोट – सूजन को कम करता है।
साथ ही, भरपूर पानी पीना बहुत ज़रूरी है ताकि स्किन अंदर से हाइड्रेटेड और हेल्दी रहे।
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स्ट्रेच मार्क्स के लिए सबसे अच्छी सर्जरी कौन सी है?
स्ट्रेच मार्क्स के लिए विभिन्न मेडिकल उपचार उपलब्ध हैं. इनकी मदद से स्ट्रेच मार्क्स को हल्का जरूर किया जा सकता है, लेकिन इन्हें पूरी तरह से साफ करना संभव नहीं है -
- मेडिकल उपचार- स्ट्रेच मार्क्स हटाने के मेडिकल ट्रीटमेंट थोड़े महंगे होते हैं. साथ ही इनमें से कौन-सा उपचार बेहतर होगा, वो विशेषज्ञ मरीज की स्थिति को देखकर ही बताते हैं -
- पल्सड डाई लेजर थेरेपी - यह नए और लाल खिंचाव के निशान पर इस्तेमाल की जाने वाली दर्द रहित थेरेपी है. इसमें लेजर लाइट का उपयोग किया जाता है. इसमें लाइट की एनर्जी त्वचा के नीचे खिंचाव के निशान पैदा करने वाले रक्त वाहिकाओं में सुधार लाती है.
- फ्रैक्शनल सीओ2 लेजर थेरेपी - यह एक नया उपचार है, जो पुराने व सफेद खिंचाव के निशान पर प्रभावकारी हो सकता है. एक अध्ययन से पता चला है कि इस थेरेपी के करीब 5 सेशन लेने से निशान फीके पड़ सकते हैं.
- एक्साईमर लेजर थेरेपी - इसमें अल्ट्रावायलेट बी (यूवीबी) लेजर किरणों का उपयोग किया जाता है. अध्ययन से पता चलता है कि यह एक सुरक्षित तरीका है और 1 से 4 महीनों में इसका असर देखा जा सकता है.
- माइक्रोडर्माब्रेशन - इस प्रक्रिया में व्यक्ति की ऊपरी परत को रगड़ने के लिए छोटे क्रिस्टल का उपयोग किया जाता है. वहीं, इससे संबंधित अध्ययन से यह पता चला है कि अगर इसका उपयोग स्किन पील के साथ किया जाए, तो नए व लाल रंग के खिंचाव के निशान को फीका करने में मदद मिल सकती है.
- कॉस्मेटिक सर्जरी - इसमें खिंचाव के निशान वाली त्वचा को हटाया जा सकता है. हालांकि, इस तरह की सर्जरी के निशान रह सकते हैं. साथ ही यह प्रक्रिया महंगा और दर्दनाक हो सकती है.
- केमिकल पील - यह एक प्रकार का एसिडिक सोल्यूशन है, जो मृत और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को हटाने और नई त्वचा के विकास को बढ़ावा देने के लिए आपकी त्वचा की ऊपरी परतों को जलाता है. यह उपचार आपके खिंचाव के निशान को थोड़ा हल्का कर सकता है, लेकिन पूरी तरह से उनसे छुटकारा नहीं दिला सकता है.
- रेडियोफ्रीक्वेंसी - इसमें गर्मी पैदा करने के लिए रेडियो वेव एनर्जी का उपयोग किया जाता है, जिससे व्यक्ति का शरीर कोलेजन बनाने के लिए ट्रिगर करता है. एक छोटे से अध्ययन में पाया गया कि यह उपचार सुरक्षित है और खिंचाव के निशान में सुधार कर सकता है, लेकिन इस विषय में वैज्ञानिकों को और शोध करने की आवश्यकता है.
- अल्ट्रासाउंड - यह रेडियोफ्रीक्वेंसी उपचार की तरह उपयोगी हो सकता है. इस प्रक्रिया में साउंड वेव के जरिए कोलेजन उत्पादन को बढ़ावा दिया जाता है.
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स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए घरेलू उपाय
स्ट्रेच मार्क्स हटाने के कई घरेलू उपाय हैं जो आसानी से घर में उपलब्ध चीज़ों से किए जा सकते हैं। ये उपाय पूरी तरह से नेचुरल होते हैं और स्किन को बिना नुकसान पहुँचाए धीरे-धीरे निशानों को हल्का करने में मदद करते हैं। आइए जानें कुछ असरदार और आसान घरेलू नुस्खे:
1. नारियल तेल (Coconut Oil) - नारियल तेल में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। यह स्किन को मॉइस्चर करता है और रिपेयरिंग में मदद करता है। इसे हल्का गुनगुना करें और स्ट्रेच मार्क्स पर 5 मिनट तक मालिश करें। दिन में 1-2 बार इस्तेमाल करें, खासकर नहाने के बाद।
2. एलोवेरा जेल (Aloe Vera Gel) - एलोवेरा स्किन को ठंडक देता है, टिशूज़ की मरम्मत करता है और स्किन की इलास्टिसिटी बढ़ाता है। फ्रेश एलोवेरा जेल निकालें और सीधे स्ट्रेच मार्क्स पर लगाएं। 20 मिनट बाद गुनगुने पानी से धो लें। रोज़ाना 1 बार इस्तेमाल करें।
3. बादाम तेल (Almond Oil) - बादाम तेल में विटामिन E भरपूर होता है, जो स्किन को पोषण देता है और स्ट्रेच मार्क्स को हल्का करता है। नहाने के बाद स्ट्रेच मार्क्स पर तेल से हल्के हाथों से मसाज करें।
4. नींबू का रस और शहद - नींबू में ब्लीचिंग गुण होते हैं और शहद स्किन को सॉफ्ट बनाता है। एक चम्मच नींबू का रस और एक चम्मच शहद मिलाकर पेस्ट बनाएं। स्ट्रेच मार्क्स पर लगाएं और 15 मिनट बाद धो लें।
5. एग व्हाइट (Egg White) - अंडे की सफेदी में प्रोटीन और अमीनो एसिड होते हैं, जो स्किन को रिपेयर करने में मदद करते हैं। एक अंडे का एग व्हाइट निकालकर ब्रश या उंगलियों से स्ट्रेच मार्क्स पर लगाएं और सूखने पर गुनगुने पानी से धो लें और बाद में मॉइस्चराइज़र लगाएं।
6. आलू का रस (Potato Juice) - आलू में नैचुरल ब्लीचिंग एजेंट होते हैं और ये स्किन टोन को समान करने में मदद करता है। इसके लिए आलू को काटें और उसका रस निकालें या सीधे स्लाइस को स्ट्रेच मार्क्स पर रगड़ें। 10 मिनट बाद धो लें।
7. चीनी स्क्रब (Sugar Scrub) - चीनी एक नैचुरल एक्सफोलिएटर है जो डेड स्किन को हटाता है और नए सेल्स बनने में मदद करता है। 1 चम्मच चीनी में थोड़ा सा बादाम तेल और नींबू का रस मिलाएं। इस स्क्रब से हफ्ते में 2 बार स्ट्रेच मार्क्स पर 5 मिनट मसाज करें।
बस आप ये याद रखें कि किसी भी उपाय का असर दिखने में समय लगता है – कम से कम 4 से 8 हफ्ते। रोज़ाना मॉइस्चराइज़र लगाना न भूलें। हेल्दी डाइट लें जो विटामिन C, E और जिंक से भरपूर हो और खूब पानी पिएं ताकि स्किन अंदर से हाइड्रेट रहे।
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स्ट्रेच मार्क्स हटाने के लिए एक जड़ी बूटी - मंडूकपर्णी या गोटू कोला के प्रभाव के लिए स्टडी
इस अध्ययन "The Natural Centella asiatica Extract Acts as a Stretch Mark Eraser: A Biological Evaluation" में स्ट्रेच मार्क्स को हटाने के लिए मंडूकपर्णी या गोटू कोला के बारे बात की गई है ।
इस अध्ययन का उद्देश्य Centella asiatica (CAST) या मंडूकपर्णी के प्राकृतिक अर्क की प्रभावशीलता का मूल्यांकन करता है, जो स्ट्रेच मार्क्स के ट्रीटमेंट में सहायक हो सकता है। इसका उद्देश्य यह समझना है कि यह अर्क स्ट्रेच मार्क्स और फाइब्रोसिस को कैसे प्रभावित करता है?
इसके लिए मंडूक पर्णी की अलग अलग खुराकों जैसे 1, 5, 10, 25, और 50 µg/mL का उपयोग किया गया। और ये देखा गया कि मंडूकपर्णी ने फाइब्रोब्लास्ट की क्षमता को बढ़ाया, जिससे 36 घंटे में लगभग 85% घाव भरने में मदद मिली।
स्ट्रेच मार्क्स वाले फाइब्रोब्लास्ट्स में CTGF और PTK2 जीन की अभिव्यक्ति में क्रमशः 63% और 66% की वृद्धि देखी गई। लेकिन मंडूकपर्णी लेने के बाद इन जीनों की अभिव्यक्ति में क्रमशः 128% और 58% की कमी आई।
स्ट्रेच मार्क्स वाले त्वचा में कोलेजन I की मात्रा में 10% की वृद्धि देखी गई। लेकिन मंडूकपर्णी अर्क लेने से , यह मात्रा 10% तक कम हो गई, जो सामान्य त्वचा के स्तर के करीब थी।
स्ट्रेच मार्क्स के कारण कोलेजन फाइबर की दिशा में 33% की कमी देखी गई। गोटू कोला लेने के बाद, यह 49% तक बढ़ गई, जिससे त्वचा की संरचना में सुधार हुआ।
स्ट्रेच मार्क्स वाले त्वचा में इलास्टिन की मात्रा में 11% की कमी देखी गई। मंडूकपर्णी के इस्तेमाल के बाद , इलास्टिन की मात्रा में 37% तक बढ़ गई , जिससे त्वचा की ईलैस्टिसटी में सुधार हुआ।
कुल मिला कर ये निष्कर्ष निकाला गया कि - Centella asiatica का प्राकृतिक अर्क स्ट्रेच मार्क्स के उपचार में प्रभावी हो सकता है। यह फाइब्रोब्लास्ट की क्षमता को बढ़ाता है, फाइब्रोसिस से संबंधित जीनों की अभिव्यक्ति को कम करता है, कोलेजन और इलास्टिन में सुधार करता है, और त्वचा की संरचना और लोच में सुधार करता है। इस प्रकार, यह अर्क स्ट्रेच मार्क्स की दृश्यता को कम करने में सहायक हो सकता है।
सारांश
तो ये थे स्ट्रेच मार्क्स के निशान से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां. अगर स्ट्रेच मार्क्स के निशान को पहले से ही पहचान लिया जाए और इसका उपाय किया जाए, तो कुछ हद तक उसे गहरा होने से रोका जा सकता है. उम्मीद है कि यहां बताए गए लक्षणों को जानने के बाद स्ट्रेच मार्क्स के निशान को पहचानना आसान हो सकता है. अगर स्ट्रेच मार्क्स के निशान गहरे हैं, तो बेहतर है कि इस बारे में त्वचा रोग विशेषज्ञ की सलाह ली जाए।
स्ट्रेच मार्क्स होने के कारण, लक्षण और उपचार के डॉक्टर
Dr. Divyanshu Srivastava
डर्माटोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. G.ARUN
डर्माटोलॉजी
6 वर्षों का अनुभव

Dr. Ashwin charaniya
डर्माटोलॉजी
8 वर्षों का अनुभव
