नवजात शिशु को कई तरह की पेट की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें उसको पेट दर्द होना एक आम समस्या मानी जाती है। शिशु पेट दर्द की समस्या को न बता पाने के कारण रोना शुरू कर देता है।

शिशु के रोने का कारण पेट दर्द ही है, इसका अनुमान लगा पाना अभिभावकों के लिए काफी मुश्किल भरा होता है। शिशुओं को पेट दर्द होने के कई कारण हो सकते हैं। कई तरह के पेट दर्द गंभीर भी होते हैं और जिनके लिए आपको डॉकटरी सलाह लेने की जरूरत होती है। लेकिन अधिकतर पेट दर्द सामान्य होते हैं और यह समय के साथ अपने आप ही ठीक हो जाते हैं।

शिशुओं में होने वाली पेट दर्द की समस्या को इस लेख में विस्तार से बताया जा रहा है। साथ ही इसमें आप नवजात शिशु को पेट दर्द के लक्षण, नवजात शिशु को पेट दर्द के कारण व इलाज, शिशु को पेट दर्द होने पर डॉक्टर के पास कब लेकर जाएं और शिशु को पेट दर्द में खाने को क्या दें, आदि के बारे में भी बताया गया है।

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  1. नवजात शिशु में पेट दर्द के लक्षण - Navjat shishu me pet dard ke lakhan
  2. शिशु को पेट दर्द के कारण और इलाज - Shishu me pet dard ke karan aur ilaj
  3. शिशु को पेट दर्द में डॉक्टर के पास कब ले जाएं? - Shishu ko pet dard me doctor ke paas kab le jaye?
  4. नवजात शिशु को पेट दर्द में क्या आहार दें? - Navjaat shishu ko pet dard me kya bhojan de
  5. सारांश
नवजात शिशु के पेट में दर्द के डॉक्टर

शिशु के पेट में दर्द होने के कारण के आधार पर उसके लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं। नीचे बताए गए कुछ सामान्य संकेत आपके शिशु के पेट दर्द की ओर इशारा करते हैं।

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शिशु के पेट में दर्द का कारण है कोलिक

कोलिक की समस्या में शिशु लगातार रोता रहता है। यह सामान्य दो से तीन सप्ताह के शिशुओं को होता है। करीब 5 महीने तक के शिशुओं को कोलिक की समस्या हो सकती है। इसको शिशुओं के गैस से होने वाले दर्द के रूप में भी जाना जाता है। अगर आपका शिशु सप्ताह में किसी भी तीन दिन लगातार दो घंटों तक रोता रहें तो यह कोलिक हो सकता है।

क्यों होता है?

इसके मुख्य कारणों के बारे में कुछ भी सही तरह से नहीं कहा जा सकता है। पाचन क्रिया और आंतों में हवा भरने की वजह से कोलिक हो सकता है, जबकि कई लोग शिशु के द्वारा मां के दूध में मौजूद कुछ तत्वों को न पचा पाना भी इसकी वजह मानते हैं। 

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क्या करें?

फिलहाल कोलिक का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है। लेकिन माता-पिता शिशु के पेट दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर से उचित सलाह ले सकते हैं। आमतौर पर शिशु का 3 से 4 महीनों का होते ही कोलिक के लक्षणों में सुधार होने लगता है और 5 महीने का होने पर अधिकतर शिशुओं में कोलिक की समस्या समाप्त हो जाती है।

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नवजात शिशु को कब्ज के कारण पेट दर्द

कब्ज शिशुओं की पेट संबंधी एक आम समस्या होती है। यह समस्या मुख्य रूप से उन शिशुओं में देखी जाती है जिन्होंने हाल ही में ठोस आहार लेना शुरू किया होता है। शिशु को सामान्य से कम मल आना या तीन से ज्यादा दिनों में मात्र एक बार मल आने को कब्ज की समस्या कहा जाता है।

क्यों होती है?

शिशुओं को दूध से एलर्जी, आहार में फाइबर की कमी, पानी कम पीना और मल देरी से आना कब्ज होने की मुख्य वजह होती हैं। 

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क्या करें?

अगर आपके शिशु ने ठोस आहार लेना शुरू कर दिया है, तो आप मल को ढीला करने वाले खाद्य पदार्थ शिशु को खाने में दे सकती हैं। इसके लिए शिशु को ओटमिल, खुबानी, नाशपाती और मटर दी सकती हैं। इसके साथ ही मल को सख्त करने वाले खाद्य पदार्थ जैसे – केला, सेब, गाजर और चावल कम से कम देने का प्रयास करें। शिशु को अधिक तरल और स्तनपान कराने से भी कब्ज की समस्या दूर होती है।  

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शिशु को दस्त की वजह से पेट में दर्द

दस्त में शिशु को बार-बार पानी की तरह मल आता है। इसकी वजह से बच्चों को निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है।

क्यों होते हैं?

शिशु में दस्त सामान्यतः रोटावायरस के कारण होता है। इसके अलावा कैम्पिलोबैक्टर, साल्मोनेला, ई कोलाई बैक्टीरिया की वजह से भी दस्त हो सकते हैं। दूषित आहार और जीवाणुओं के चलते भी आपके शिशु को दस्त होना आम बात है। 

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क्या करें? 

दस्त में आपके शिशु के शरीर में पानी की कमी (डीहाइड्रेशन) हो जाती है। इस स्थिति में शिशु को पानी और मां का दूध देना महत्वपूर्ण होता है। शिशु में पानी की कमी को पूरा करने के लिए किसी भी तरह की दवा देने से पहले डॉक्टर से अवश्य सलाह लें। अगर आपने शिशु को ठोस आहार देना शुरू कर दिया है तो दस्त में उसको स्वस्थ और हल्का भोजन ही देने का प्रयास करें।

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शिशु के पेट में दर्द की वजह है रिफ्लक्स

अधिकतर शिशु खाना खाने के बाद मुंह से थूक निकालने और उल्टी करने लगते हैं। इस स्थिति को गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स (gastroesophageal reflux) या रिफ्लक्स (Reflux) के नाम से जाना जाता है। शिशु, बच्चों और बड़ों में यह होना आम बात है। जब आपके शिशु की आहार नली (Esophages/ एसोफेगस) और पेट के बीच का हिस्सा सही तरह से कार्य नहीं कर पाता है, तब आपके शिशु को रिफ्लक्स की समस्या होने लगती है। इसमें भोजन और गैस्ट्रिक एसिड पेट से निकलकर गले तक आने लगते हैं।

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क्यों होता है?

लोअर एसोफिजिअल स्फिंक्टर (Lower Esophageal Sphincter/ आहार नली के निचले हिस्से में मौजूद गोलकार यंत्र, जो भोजन को पेट तक पहुंचने के बाद आहार नली के मुख को बंद कर देता है, ताकि भोजन या एसिड वापस बाहर न आ सकें) का अविकसित होना। अविकसित लोअर एसोफिजिअल स्फिंक्टर सही तरह से बंद नहीं हो पाता है, जिसकी वजह से पेट का खाना मुंह में आने लगता है।

क्या करें? 

इस स्थिति में आप शिशु को थोड़े-थोड़े समय में खाना खिलाएं या दूध पिलाती रहें। इसके साथ ही शिशु या बच्चे को दूध पिलाते या खाना खिलाते समय उसके सिर के पीछे किसी तकिए को रखें या उसका सिर ऊपर करके रखें। इस समस्या में डॉक्टर आपके बच्चे या शिशु को पेट में बनने वाले एसिड को कम करने के लिए दवा दे सकते हैं, ताकि आपके शिशु का खाना बाहर आते समय उसको ज्यादा परेशानी का सामना न करना पड़े।

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शिशु के पेट दर्द का कारण है गैस होना

जो शिशु हाल ही में ठोस आहार लेना शुरू करते हैं उनके पेट में गैस होना आम बात है। गैस की वजह से भी शिशु और बच्चे को पेट दर्द हो सकता है। 

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क्यों होती है?

पहली बार किसी नए खाद्य पदार्थ को खाने से शिशुओं को गैस की समस्या हो सकती है। शिशु को गैस होना, उसकी आंतों के अविकसित होने का भी संकेत होता है। साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि आपके शिशु के पाचन तंत्र में मौजूद स्वस्थ बैक्टीरिया विकसित होने की प्रक्रिया में हैं।

क्या करें?

शिशुओं और बच्चों में गैस होना किसी गंभीर समस्या की ओर इशारा नहीं करती है। लेकिन माता-पिता शिशु के पेट की मसाज तकनीक को अच्छी तरह से समझकर, शिशु को इस समस्या में आराम दे सकते हैं। इसके लिए आप अपने शिशु को पैरों के सहारे बैठाकर उसकी पीठ पर हल्की मसाज भी कर सकते हैं। कुछ माता-पिता इस समय शिशु को गैस कम करने वाली ड्रोप भी देते हैं, लेकिन अध्ययन इस तरीके को प्रभावी नहीं बताते हैं। 

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नवजात शिशु के पेट दर्द की वजह है पेट का फ्लू

यदि आपके शिशु को दस्त और उल्टियां हो रहीं हैं, तो यह गैस्ट्रोएन्टराइटिस (Gastroenteritis) की समस्या होती है। इसको पेट के फ्लू के नाम से भी जाना जाता है।

क्यों होता है?

पाचन तंत्र की परत में सूजन, लालिमा व जलन होने पर पेट का फ्लू होता है। इसके साथ ही गैस्ट्रोएन्टराइटिस रोटावायरस, एडिनोवायरस, कैलसीवायरस और एस्ट्रोवायरस के कारण भी होता है। रोटावायरस इसकी मुख्य वजह माना जाता है। 

क्या करें?

अगर पेट में फ्लू के कारण शिशु को उल्टी और दस्त के साथ ही बुखार व भूख कम लग रही है, तो ऐसे में आपके शिशु के शरीर में जल्द ही पानी की कमी हो सकती है। इस स्थिति में आप शिशु को पर्याप्त मात्रा में तरल चीजें (जैसे – बच्चों को दिए जाने वाला ढिब्बे का दूध या मां का दूध) देने का प्रयास करें। इससे शिशु को ठीक होने में मदद मिलती हैं।  

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शिशु को पेट दर्द होने के अन्य कारण और इलाज - Shishu ko pet dard hone ke anya karan aur ilaj

संक्रमण

कई बार सर्दी जुकाम और फ्लू होने पर भी शिशु को पेट दर्द होने लगता है। कई बार शिशु के श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से में ज्यादा बलगम बनने लगता है, जो शिशु के गले से पेट में जाकर उसके पेट को खराब कर सकता है।

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क्या करें?

संक्रमण के आधार पर ही उसका इलाज किया जाता है। ऐसे में आप अपने डॉक्टर से बात करें।

दूध न पचना

शिशु के शरीर में लेक्टैज न बनने के कारण उसको दूध ना पचने की समस्या हो सकती है। लेक्टैज शरीर में बनने वाला एंजाइम हैं, जो गाय के दूध व अन्य डेयरी उत्पाद में मौजूद शर्करा (Sugar: शुगर) को पचाने के लिए जरूरी होता है।

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क्या करें?

ऐसा होने पर आप अपने बच्चों को कुछ दिनों के लिए दूध या दूध से बनी चीजों को न दें।

मोशन सिकनेस

अगर यात्रा के दौरान आपका शिशु बीमार रहता है, तो उसको मोशन सिकनेस की समस्या हो सकती है। यह आपके शिशु में पेट की समस्या का कारण है। लेकिन मोशन सिकनेस की समस्या दो साल से कम आयु के शिशु में बेहद कम होती है।

क्या करें?

अगर शिशु को मोशन सिकनेस की समस्या हो तो आपको अपनी लंबी यात्रा के दौरान थोड़े-थोड़े समय के रूकना चाहिए। इससे शिशु या बच्चा ताजी हवा ले पाता है। साथ ही इस बात का भी ध्यान दें कि यात्रा से पहले शिशु ने थोड़ा भोजन अवश्य लिया हो। मोशन सिकनेस की समस्या में बच्चे को किसी भी तरह की दवा देने से पहले डॉक्टर से जरूर बात कर लें।

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आंतों में रूकावट

आपका शिशु ठीक हो, और थोड़ी ही देर में वह तेज-तेज रोने लगे, तो यह शिशु की आंतों में रूकावट का लक्षण हो सकता है। शिशु में पीयलोरिक स्टेनोसिस (pyloric stenosis: पेट से छोटी आंत को जोड़ने वाली मांसपेशियां मोटी हो जाती हैं, जिसकी वजह से आहार इनसे गुजर नहीं पाता है।) और इंटुस्सुसेप्शन (Intussusception : आंतों की परत अंदर की ओर फोल्ड हो जाना।) दो तरह से आंतों में रूकावट हो जाती है। इस स्थिति के अन्य संकेतों में शिशु को उल्टी होना और यह लक्षण समय के साथ बढ़ जाते हैं। 

क्या करें?

शिशु को इस तरह की समस्या होने पर आपको उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए।

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शिशु के पेट दर्द में घरेलू उपायों से आराम मिल सकता है, लेकिन आपके शिशु को जल्द आराम न मिले तो आपको उसे अपने डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। इसके अलावा निम्न तरह के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से मिलें। (और पढ़ें - )

  • यदि आपके शिशु के मल और उल्टी में खून आने लगे।
  • शिशु के खाने और सोने की आदत में बदलाव होना। पेट दर्द में शिशु को खाना खाते और सोते समय परेशानी होने लगती है, जिसका प्रभाव उसकी सेहत पर पड़ता है।
  • पेट में दर्द के साथ ही शिशु को दस्त और बुखार होना।
  • पेट में सूजन आना। किसी संक्रमण, चोट या अन्य कारण के चलते शिशु के पेट में तरल इकट्ठा हो सकता है, जिसकी वजह से शिशु के पेट में सूजन आ जाती है।
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शिशु में पेट दर्द के कारणों के अनुसार ही उसको आहार दिया जा सकता है। इस दौरान आप डॉक्टर से शिशु को पेट दर्द में देने वाले खाद्य पदार्थों के बारे में सलाह कर सकते हैं। आगे आपको कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बताया जा रहा है जिन्हें आप शिशु को पेट दर्द में दे सकते हैं। (और पढ़ें - )

  • मां का दूध –
    शिशु की किसी भी तरह की समस्या में मां का दूध ही उपयोगी माना जाता है। मां के दूध में पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं, जो मां से बच्चे तक आंतों के लिए स्वस्थ बैक्टीरिया को प्रदान करते हैं। इससे शिशु की पाचन क्रिया मजबूत होने में मदद मिलती है।
     
  • फलों का रस –
    शिशु को पेट दर्द में आप फलों का रस दे सकते हैं, लेकिन आप फलों के रस में पानी मिलाकर ही शिशु को दें। फलों में प्राकृतिक मिठास होती हैं जो ऊर्जा का स्त्रोत मानी जाती है। पानी मिला जूस शिशु आसानी से पचा पाते हैं।
     
  • सब्जियों का सूप भी दे सकते हैं।
     
  • आप शिशु को जौ, जई और चावल से बना सिरियल्स भी दे सकते हैं।  

नवजात शिशु के पेट में दर्द होना एक सामान्य समस्या है, जो अक्सर गैस, कब्ज, या कोलिक (रोने और बेचैनी) के कारण होती है। यह समस्या दूध पचाने में कठिनाई, अतिरिक्त हवा निगलने, या मां के आहार से भी जुड़ी हो सकती है। शिशु को आराम देने के लिए, हल्के हाथों से पेट की मालिश करें, शिशु को पेट के बल लिटाकर पीठ सहलाएं, या गर्म पानी में भीगा हुआ कपड़ा पेट पर रखें। दूध पिलाने के बाद डकार दिलाना भी गैस की समस्या कम कर सकता है।

यदि शिशु का दर्द बार-बार होता है, बहुत तेज है, या अन्य लक्षण जैसे उल्टी, दस्त या बुखार के साथ है, तो डॉक्टर से परामर्श अवश्य करें। इसके अलावा, मां को अपने आहार में भारी या गैस बनाने वाले खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए। घरेलू उपाय करते समय शिशु की संवेदनशीलता का ध्यान रखें और किसी भी नई दवा या नुस्खे का उपयोग करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह लें।

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