अस्थमा (दमा) विभिन्न एलर्जी से होने वाली श्वास की नालियों या वायुमार्ग में होने वाली बीमारी है। इसका परिणाम वायुमार्गों के संकुचित होना होता है और जिस से श्वास-रहितता, खांसी और घबराहट हो सकती है। राहत पाने के लिए आज दवायें मौजूद हैं किंतु इनसे अस्थमा का उपचार नहीं होता, केवल अस्थमा के अटेक को रोका जाता है।
- अस्थमा के लिए योग के फायदे - Asthma ke liye yoga ke fayde
- दमा के लिए योगासन - Yoga for Asthma in Hindi
- अस्थमा के लिए प्राणायाम के फायदे - Pranayama for Asthma in Hindi
- दमा के लिए षट्कर्म के लाभ - Shatkarma for Asthma in Hindi
- अस्थमा के लिए ध्यान के फायदे - Meditation for Asthma in Hindi
- सारांश
दमा के लिए योगासन - Yoga for Asthma in Hindi
योग आसन शरीर को लचीला बनाते हैं और जीवन से भर देते हैं। अस्थमा के बहुत सारे मरीज़ों को छाती में कठोरता महसूस होती है जो योग से डोर हो जाती है। हालांकि, योग आसन को व्यायाम के हल्के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता, उनके इस से कई अधिक शक्तिशाली प्रभाव होते हैं। उदाहरण के तौर पर, योगासन गहन अंगों की मालिश करके सीधा उनको प्रभावित करते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में 3 से 4 वर्षों तक पवनमुक्तासन पर किए गए शोध में बहुत विशिष्ट प्रभाव पाए गए थे। पवनमुक्तासन शरीर में प्राण को परिचालित करता है। यह भौतिक शरीर के बारे में जागरूकता भी विकसित करता है - अस्थमा से योग के उपचार में सबसे महत्वपूर्ण शब्द है "जागरूकता"। अगर आप में जागरूकता होगी, तो आप अवश्य अस्थमा या अन्य बीमारियों से निजात पा सकेंगे। पवनमुक्तासन के अलावा इस आसन की पूरी शृंखला है जो आप कर सकते हैं। इस में शामिल हैं
- पवनमुक्तासन
- उत्तानपादासन
- चक्र पादासान
- पद्द सभांचलान
- नावासन
पवन्मुक्तासन शृंखला के हर आसन को 1 मिनिट के लिए करें, और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं।
अस्थमा के लिए प्राणायाम के फायदे - Pranayama for Asthma in Hindi
प्राणायाम श्वास व्यायाम नहीं है, बल्कि शरीर में प्राण पैदा और परिसंचालित करने की एक विधि है। अस्थमा के दृष्टिकोण से, शायद यह सबसे महत्वपूर्ण पहलू है योग का। अस्थमा में बुनियादी अंतर्निहित समस्या फेफड़ों की सूजन है, और प्राणायाम से फेफड़ों में सूजन कम हो जाती है।
अस्थमा का उपचार केवल फेफड़ों को खोलना नहीं है, बल्कि फेफड़ों की सूजन से छुटकारा पाना है। प्राण जीवन शक्ति उत्पन्न करता है, और जितनी ज़्यादा आप में यह शक्ति होगी, उतना ही आप विभिन्न उत्तेजनाओं को दूर कर सकते हैं और उनका सामना कर सकते हैं। आपके सिस्टम में भी अधिक ताकत और स्थिरता आ जाएगी।
"प्राण" या "जीवन-शक्ति" एक सामान्य शब्द है और हर कोई जानता है कि "शारीरिक ऊर्जा" क्या है - हमें तुरंत पता चल जाता है जब हमारी जीवनशक्ति कम होती है, या जब हम अच्छा महसूस करते हैं। योग में इस जीवन शक्ति को बहुत महत्त्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन वैज्ञानिक आज तक इसको न ही समझ पाए हैं और न ही इसकी व्याख्या ठीक से कर पाए हैं।
जीवन-शक्ति बढ़ाने में प्राणायाम सबसे अधिक सहायता कर सकता है, क्योंकि योग प्राण को समझता है। प्राणयाम न केवल प्राण पैदा करने में मदद करता है बल्कि प्राण का संरक्षण करता है और इसका जागरूकता के साथ इस्तेमाल करता है। प्राणायाम श्वसन की मांसपेशियों को भी विकसित करता है, और आपकी मांसपेशियों पर जितना ज्यादा नियंत्रण होता है, उतना आप अधिक आत्मविश्वास महसूस करेंगे जब आपको अस्थमा का अटैक हो।
प्राणायाम की शुरुआत एक अच्छे गुरु के साथ ही करें। दमा को नियंत्रित रखने के लिए आप निम्न प्राणायाम कर सकते हैं -
- सरल प्राणायाम
- नाड़ी शोधन प्राणायाम या अनुलोम-विलोम प्राणायाम
- कपालभाती प्राणायाम
एक बार जब अस्थमा के आसन और प्राणायाम में एक बुनियादी आधार बन जाए तो आप षट्कर्म पर जा सकते हैं।
दमा के लिए षट्कर्म के लाभ - Shatkarma for Asthma in Hindi
हठ योग के छः क्रिया, जिन्हे षट्कर्म केहते हैं, बहुत शक्तिशाली हैं। यह क्रिया शरीर से बलगम को निकालती हैं और मानव व्यक्तित्व के गहरे स्तर पर प्रभाव डालती हैं।
षट्कर्म की नेती क्रिया के अभ्यास में नाक से और कुंजल क्रिया के अभ्यास में पेट से बलगम को निकालने में मदद मिलती। शरीर से बलगम निकल देने से फेफड़ों पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। चिकित्सा के प्राच्य प्रणाली में इस सिद्धांत के कई स्पष्टीकरण हैं। शुद्धिकरण प्रक्रिया वात, पित्त और कफ को संतुलित करती है (आयुर्वेद में इन तीन दोष के संतुलन को मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है)।
अगर आप इसे सही ढंग से पूरा कर लेते हैं तो आपको राहत महसूस होगी, और आप हल्का, खुश और मजबूत महसूस करेंगे। लेकिन ध्यान रहे की षट्कर्म केवल किसी गुरु के निर्देशन में ही करने चाहिए।
(और पढ़ें - पंचकर्म क्या है)
अस्थमा के लिए ध्यान के फायदे - Meditation for Asthma in Hindi
पहले तीन चरणों के बाद आता है ध्यान या मैडिटेशन। ध्यान व्यक्ति के मानसिक पक्ष के साथ-साथ भावनात्मक पक्ष को प्रभावित करता है।
शुरुआत में हम मानसिक समस्याओं से निजात पाना सीखते हैं। हम मानसिक समस्याओं या अति विचलित मन से शुरू करते हैं। मन विचलित होने के कई सरल लक्षण हैं जिन्हे आप खुद पहचान सकते हैं जैसे
- लगातार कुछ न कुछ सोचते रहने की वजह से नींद न आना
- एकाग्रता में कमी या ध्यान केंद्रित न कर पाना
दैनिक जीवन के दबाव और तनाव के कारण यह कई लोगों के लिए सामान्य स्थिति है। तो शुरू में, हम ध्यान से उन तनावों को खत्म करते हैं और मानसिक संतुलन पैदा करते हैं।
विश्राम के बाद, हम मन को मजबूत करने और स्थिर करने का काम शुरू करते हैं। योग निद्रा के बिना योगिक उपचार पूर्ण नहीं है। योग निद्रा तीन स्तरों पर आराम देता है - शारीरिक, मानसिक, और भावनात्मक।
योग हमारी जागरूकता बढ़ाता है, कारण और प्रभाव में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे आपकी जागरूकता बढ़ती है आप देख सकते हैं कि अस्थमा का कारण क्या है। तब आप खुद अपने चिकित्सक बन जाते हैं!
इन बातों का खास तौर से ध्यान रखें:
- याद रहे की योगाभ्यास से आराम निरंतर अभ्यास करने के बाद ही मिलता है और धीरे धीरे मिलता है।
- आसन से जोड़ों का दर्द बढे नहीं, इसके लिए अभ्यास के दौरान शरीर को सहारा देने वाली वस्तुओं, तकियों व अन्य उपकरणों की सहायता जैसे ज़रूरी समझें वैसे लें।
- अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक जोर न दें। अगर दर्द बढ़ जाता है तो तुरंत योगाभ्यास बंद कर दें और चिकित्सक से परामर्श करें।
- यह ज़रूर पढ़ें: योग के नियम।
सारांश
दमा (अस्थमा) के लिए योग अत्यंत लाभकारी हो सकता है। योग की कुछ विशेष मुद्राएँ, जैसे प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, और भ्रामरी, फेफड़ों की कार्यक्षमता को बढ़ाने और श्वसन तंत्र को मजबूत करने में मदद करती हैं। इनसे सांस लेने की क्षमता सुधरती है और श्वसन मार्ग में होने वाली सूजन और तनाव को कम किया जा सकता है। योग तनाव को भी कम करता है, जो दमा के अटैक को नियंत्रित करने में सहायक है। नियमित योगाभ्यास से दमा रोगियों को श्वास की समस्याओं में राहत मिल सकती है और उनकी जीवनशैली बेहतर हो सकती है। हालांकि, इसे किसी विशेषज्ञ की देखरेख में करना चाहिए।