छाती में दर्द को उद: शूल भी कहा जाता है। छाती के किसी भी हिस्से में तेज या हल्का दर्द उठ सकता है। सीने में दर्द के दो सबसे सामान्य कारणों में खांसी और छाती में बलगम जमा होना शामिल हैं। सीने में दर्द होने के अन्य कारणों में अपच, हाइपरएसिडिटी, छाती में अल्सर, फेफडों में तरल जमना, दमा और हृदय रोग शामिल हैं। इन समस्याओं का उपचार कर इनसे जुड़े लक्षणों जैसे कि छाती में दर्द को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।
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आयुर्वेद में उपरोक्त समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए शुद्धिकरण चिकित्साएं जैसे कि वमन (औषधियों से उल्टी लाने की विधि), विरेचन (दस्त) और बस्ती (एनिमा की विधि) का उल्लेख किया गया है। छाती में दर्द के कारण को दूर करने के लिए तुलसी, वासा (अडूसा), हरिद्रा (हल्दी), पिप्पली, पुनर्नवा, कुटकी, सितोपलादि चूर्ण, सूतशेखर, हिंग्वाष्टक चूर्ण और रसोनादि वटी जैसी जड़ी बूटियों एवं औषधि का प्रयोग किया जाता है।