खराब दिनचर्या और खानपान की गलत आदतों के कारण लोग अक्सर कई रोगों की चपेट में आ जाते हैं. इन्हीं बीमारियों में से एक है फैटी लिवर की समस्या. यह समस्या आमतौर पर खानपान की गलत आदतों के कारण पैदा होती है, जो रोजमर्रा के कार्यों के साथ-साथ पूरे शरीर की कार्य क्षमता और गतिविधि को भी प्रभावित कर सकती है. ऐसे में व्यक्ति को पता होना चाहिए कि फैटी लिवर के दौरान कौन से खाद्य पदार्थ नुकसानदायक हो सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है? अगर नहीं, तो यहां दिए लिंक पर क्लिक करके जानें.
आज इस लेख में आप फैटी लिवर में चावल खाने के बारे में विस्तार से जानेंगे -
(और पढ़ें - लिवर फैटी हो तो क्या करे)
- फैटी लिवर क्या है?
- फैटी लिवर में चावल का सेवन
- फैटी लिवर में ब्राउन चावल का सेवन
- फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक
- फैटी लिवर से जुड़े डाइट टिप्स
- सारांश
फैटी लिवर क्या है?
आहार को पचाने और शरीर को ऊर्जावान बनाने में लिवर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. लेकिन जब लिवर में वसा की मात्रा ज्यादा हो जाती है तब फैटी लिवर की समस्या हो सकती है. इस समस्या को भी दो भागों में बाटा गया है.
- नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज
- अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज
नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में गलत आहार का सेवन करने के कारण फैटी लिवर की समस्या होती है. जबकि अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज में शराब का अत्यधिक सेवन करने के कारण लिवर में सूजन आ जाती है और कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और व्यक्ति फैटी लिवर की समस्या से ग्रस्त हो जाता है.
(और पढ़ें - फैटी लीवर की होम्योपैथिक दवा)
फैटी लिवर में चावल का सेवन
चावल हाई ग्लाइसेमिक फूड होता है, जो रक्त शर्करा को बढ़ा सकता है. ऐसे में रक्त शर्करा फैटी लिवर डिजीज का कारण बन सकती है. ऐसे व्यक्तियों को फैटी लिवर की समस्या होने पर चावल का सेवन नहीं करना चाहिए.
फैटी लिवर में ब्राउन चावल का सेवन
लिवर की अच्छी सेहत के लिए ब्राउन राइस बेहद उपयोगी है. ब्राउन राइस में फाइबर मौजूद होता है, जो आपके लिवर के कार्यां में सुधार लाता है और उसे स्वस्थ रखने में मदद करता है. दरअसल, घुलनशील फाइबर शरीर से विषाक्त पदार्थों को आसानी से निकालता है.
(और पढ़ें - फैटी लिवर का आयुर्वेदिक इलाज)
फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक
फैटी लिवर के जोखिम को बढ़ाने वाले कारक निम्न प्रकार से हो सकते हैं -
(और पढ़ें - फैटी लीवर के घरेलू उपाय)
फैटी लिवर से जुड़े डाइट टिप्स
अगर कोई फैटी लिवर की समस्या से पीड़ित है, तो उसे इन डाइट टिप्स को फॉलो करना चाहिए -
- वसा का सेवन सीमित मात्रा में करें.
- उन खाद्य पदार्थों से दूर रहे हैं, जिनमें कैलोरी ज्यादा है और जो मोटापे को बढ़ा सकते हैं.
- ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थों (सफेद चावल, ब्रेड, कद्दू, आलू, तरबूज, कॉर्नफ्लेक्स, केक, बिस्कुट, खजूर, मुरमुरा, पोहा, मैदा, इंस्टेंट ओट्स आदि) का सेवन करने से बचें.
- अपनी डाइट में कम ग्लाइसेमिक खाद्य पदार्थ (पालक, मेथी, चौलाई, बैंगन, हरी बींस, गोभी, खीरा, टमाटर, ब्रोकली, सब्जियों का सूप, मूंगफली, अलसी के बीज, बादाम, अखरोट, कद्दू के बीज और सूरजमुखी के बीज, जलीय पौधे, अंडा, मीट, मसाले आदि) को जोड़ें.
- अपनी डाइट में ताजे फल और हरी सब्जियों को जोड़ें.
- फल, सब्जियां, साबुत अनाज की ब्रेड जैसे फाइबर से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
- खूब पानी पिएं.
नोट - फैटी लिवर की समस्या में सफेद चावल की जगह ब्राउन चावलों को जगह दी जा सकती है. ये फैटी लिवर के जोखिम को कम करने में भी उपयोगी है.
(और पढ़ें - लिवर रोग के लक्षण)
सारांश
फैटी लिवर से ग्रस्त मरीज को चावल नहीं खाने चाहिए, क्योंकि इससे ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ सकती है और फैटी लिवर की समस्या गंभीर रूप ले सकती है। वहीं, अगर ब्राउन राइस की बात की जाए, तो इसमें फाइबर ज्यादा होता है, जिस कारण से यह पाचन तंत्र और लिवर के लिए अच्छा है। इसलिए, फैटी लिवर की अवस्था में डॉक्टर की सलाह पर सीमित मात्रा में ब्राउन राइस का सेवन किया जा सकता है।
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