पैरों में दर्द होना एक सामान्य स्थिति है, यह किसी भी उम्र में हो सकता है। अक्सर पैरों में दर्द किसी चोट, सूजन या पैरों की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव के कारण होता है। इसमें होने वाली असुविधा हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकती है और किसी व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को प्रभावित कर सकती है।
लंबे समय तक खड़े रहना, लंबे समय तक चलना या दौड़ना और फिटिंग वाले जूते न पहनना जीवनशैली के कुछ ऐसे कारक हैं, जिनसे पैरों में दर्द की समस्या हो सकती है। इसके अलावा पैर दर्द निम्नलिखित विभिन्न स्थितियों से जुड़ा हो सकता है :
- प्लांटर फैसीआइटिस : इस स्थिति में, प्लांटर फासिया (पंजे को एड़ी से जोड़ने वाले ऊतक की एक मोटी पट्टी की सूजन, जो एड़ी की हड्डी को पैर की उंगलियों से जोड़ती है) में सूजन आ जाती है।
इसके अलावा आयु बढ़ने के साथ प्लांटर फासिया घिसने लगती है तो ऐसी स्थिति में बार-बार प्लांटर फैसीआइटिस की समस्या होने लगती है।
अक्सर, प्लांटर फैसीआइटिस का संबंध एड़ी में कैल्शियम जमा होने से पाया गया है, जिसे चिकित्सकीय भाषा में कैल्केनियल स्पर के रूप में जाना जाता है। प्लांटर फैसीआइटिस का सबसे प्रमुख और सामान्य लक्षण एड़ी में दर्द (केवल खड़े होने पर) होना है। ज्यादातर इस समस्या का जोखिम उन लोगों को है जो किसी खेल से जुड़े हुए हैं या जिनका वजन ज्यादा है। - फुट कॉर्न : त्वचा की मोटी और कठोर परतों को कॉर्न्स कहते हैं। यह समस्या तब विकसित होती है, जब त्वचा किसी घर्षण या दबाव से खुद को बचाने की कोशिश करती है। इसकी वजह से पैर की नसों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है, जो कि दर्द का कारण बनता है।
- ब्यूनियंस : पैर की हड्डी को बढ़ने को ब्यूनियंस कहते हैं। यह एक प्रकार की गांठ होती है, जो अंगूठे के अंदरूनी हिस्से में विकसित होती है। यह दर्दनाक स्थिति है और अक्सर किसी चोट या गलत फिटिंग के जूते पहनने के कारण होती है।
- पैरों में मोच आने के कारण व्यक्ति को दर्द की स्थिति का सामना करना पड़ता है।
पैरों के दर्द को ठीक करने के लिए होम्योपैथिक दवाएं बहुत मददगार हैं। इसके लिए अर्निका, ब्रायोनिया, रस टाक्सिकोडेन्ड्रन, कैल्केरिया फ्लोरिका, पल्सेटिला, रूटा आदि दवाओं का उपयोग किया जाता है।
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