शरीर में यूरिक एसिड ज्यादा हो जाए, तो इस स्थिति को हाइपरयूरिसीमिया (hyperuricemia) कहा जाता है. इससे गाउट की समस्या हो सकती है, जिससे जोड़ों में दर्द होने लगता है. इसे ठीक करने में आयुर्वेदिक दवा प्रभावशाली है. इस अवस्था में डॉक्टर की सलाह पर पुनर्नवादी व कैशोर गुग्गुल जैसी आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप यूरिक एसिड की रामबाण आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में विस्तार से जानेंगे -

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  1. यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवाएं
  2. सारांश
यूरिक एसिड के लिए आयुर्वेदिक दवा के डॉक्टर

यूरिक एसिड के निदान और इलाज में कई दवाइयां काम करती हैं, लेकिन इसकी रामबाण दवा के तौर पर आयुर्वेदिक पुनर्नवा व कैशोर गुग्गुल दवाएं काम की हैं. आइए, यूरिक एसिड की आयुर्वेदिक दवाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं -

कैशोर गुग्गुल

इस आयुर्वेदिक दवा में शुद्ध गुग्गुलसोंठकाली मिर्च, वैविदंग, दंती मूल, निशोथहरड़बहेड़ाआंवला और गिलोय जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं. इन जड़ी-बूटियों में प्राकृतिक एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं. यह दवा शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालकर रक्त को शुद्ध करती है. इसके सेवन से यूरिक एसिड के निर्माण को शरीर संतुलित करता है और गाउट को भी कंट्रोल करता है. यह डाइजेस्टिव सिस्टम को बूस्ट करके स्किन को नरिश करती है. यह दवा घाव और अल्सर को भी ठीक करने में मदद करती है.

त्रिफला

त्रिफला में बिभीतकी, अमालाकी और हरितकी तीन फलों के गुण होते हैं. एंटी इंफ्लेमेटरी गुण से युक्त होने की वजह से त्रिफला यूरिक एसिड के प्रभाव को नियंत्रित करता है. इससे गाउट की वजह से होने वाली सूजन को कम कर सकने में मदद मिलती है.

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पुनर्नवादी गुग्गुल

यह आयुर्वेदिक दवा यूरिक एसिड और गाउट होने की स्थिति में बढ़िया औषधीय इलाज के तौर पर काम करती है. यह शरीर में हेल्दी फ्लूइड स्तर को बनाए रखने में मददगार है और शरीर में पानी जमा होने से होने वाले सूजन को भी कम करने में सहायक है. यह एक एंटी इंफ्लेमेटरी आयुर्वेदिक दवा है, जो साइटिका और पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को ठीक करने में मददगार है. अपने एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और एनाल्जेसिक गुणों के कारण पुनर्नवादी जोड़ों में होने वाले सूजन को कम करके शरीस से टॉक्सिन को दूर करती है.

नवकार्षिक चूर्ण

इस आयुर्वेदिक दवा में आंवला, हरितकी, बिभीतकी, मंजिष्ठा, गिलोयवच और दारुहरिद्रा जैसी जड़ी-बूटियां होती हैं. बढ़े हुए यूरिक एसिड को ठीक करने में यह आयुर्वेदिक दवा प्रभावशाली तरह से काम करती है. यह दवा एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर काम करती है और शरीर से अतिरिक्त यूरिक एसिड को बाहर करती है. यह शरीर की इम्यूनिटी पावर को भी बढ़ाती है.

यह आयुर्वेदिक दवा खून को साफ करती है, मेटाबॉलिज्म को सुधारती है और शरीर में गर्माहट को भी रेगुलेट करती है. बढ़े हुए यूरिक एसिड की वजह से जोड़ों में होने वाले दर्द और सूजन को भी यह दवा कम करने में मदद करती है.

चंद्रप्रभा वटी

काली मिर्च, दारुहरिद्रा, वच, धनिया, वाय विडंग, पिप्पली व कपूर जैसी जड़ी-बूटियों से युक्त यह आयुर्वेदिक दवा दर्द व सूजन से छुटकारा दिलाने के साथ ही पेशाब के दौरान होने वाली जलन को भी कम करने में फायदेमंद है. इसके मसल्स रिलैक्स करने वाले गुण जोड़ों में दर्द से राहत दिलाते हैं और मजबूती प्रदान करते हैं.

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गोक्षुरादि गुग्गुल

नागरमोठ, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, हरड़, बहेड़ा, आंवला, शुद्ध गुग्गुल और गोखरू इस दवा में शामिल होते हैं. यह यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन को ठीक करने में सहायता करती है. पेशाब के दौरान होने वाली जलन को भी इस दवा के सेवन से ठीक किया जा सकता है. यह यूरिनरी स्टोन को तोड़कर उन्हें शरीर से बाहर निकालने में सहायती है. इसके सेवन से यूरिक एसिड के दौरान होने वाले दर्द और सूजन से भी राहत मिलती है.

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यूरिक एसिड का स्तर बढ़ जाए, तो शरीर में टॉक्सिन जमा हो जाते हैं. इसकी वजह से गाउट की समस्या हो जाती है, जिससे जोड़ों में दर्द रहने लगता है. यूरिक एसिड की रामबाण आयुर्वेदिक दवा के तौर पर त्रिफला, पुनर्नवादी व चंद्रप्रभा वटी प्रमुख है. ध्यान रहे कि किसी भी आयुर्वेदिक दवा के सेवन से पहले आयुर्वेदिक एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि एक ही दवा का असर सभी पर अलग-अलग तरह से होता है.

(और पढ़ें - यूरिक एसिड के घरेलू उपाय)

Dr. Harshaprabha Katole

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