स्किज़ोफ्रेनिया एक गंभीर मानसिक बीमारी है। ये बीमारी ज्यादातर बचपन में या फिर किशोरावस्था में होती है। सिजोफ्रेनिया के मरीज को ज्यादातर भ्रम और डरावने साए दिखने की शिकायत होती है। कई अन्य समस्याएं भी इस बीमारी के मरीज को हो सकती हैं।

आहार परिवर्तनों की सहायता से, आप इस समस्या को बढ़ने एवं लक्षणों को बिगड़ने से रोक सकते हैं। निर्धारित सिजोफ्रेनिया से पीड़ित रोगियों के लिए, दवाओं के साथ कुछ आहार परिवर्तन, रोगी के जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं। इस लेख में, पोषक तत्वों और आहार संबंधी परिवर्तनों के बारे में चर्चा करेंगे, जिसका पालन करके इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है :

(और पढ़ें - मानसिक रोग की होम्योपैथिक दवा)

  1. सिजोफ्रेनिया में क्या खाना चाहिए - What to eat in schizophrenia in Hindi
  2. सिजोफ्रेनिया में क्या न खाएं और परहेज - What to avoid with schizophrenia in Hindi
  3. सिजोफ्रेनिया के दौरान सही वजन करें मेन्टेन - Maintain a healthy weight in Schizophrenia in Hindi
  4. सिज़ोफ्रेनिया के दौरान कैसे करें फूड एलर्जी का पता - How to know food allergies during schizophrenia in Hindi
  5. सिजोफ्रेनिया के लिए भारतीय डाइट प्लान - Indian diet plan for Schizophrenia in Hindi
स्किज़ोफ्रेनिया में क्या खाएं, क्या नहीं, परहेज के डॉक्टर

चलिए आगे जानते की सिजोफ्रेनिया की समस्या में क्या खाना चाहिए।

नियासिन युक्त आहार - Niacin rich foods good for Schizophrenia in Hindi

कई अध्ययन इस तथ्य का समर्थन करते हैं कि नियासिन (विटामिन बी 3) सिजोफ्रेनिया के रोगियों की स्थिति में सुधार लाने में सहायक हो सकता है। साथ ही, इसकी कमी से शरीर में विपरीत परिणाम देखे जा सकते हैं। इस बीमारी के दौरान, यह आवश्यक पोषक तत्व कुछ खाद्य पदार्थों द्वारा लिया जा सकता है, जैसे कि हरी सब्जियां, अंडे, मछली और मुर्गा आदि। इन्हें अपने नियमित आहार में अवश्य शामिल करें। (और पढ़ें - विटामिन बी की कमी के लक्षण)

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विटामिन बी12 एवं फोलिक एसिड - Folic acid help with Schizophrenia in Hindi

सिल्वर (2000) के द्वारा 644 शय्याग्रस्त साइकॉटिक्स पर किए गए एक अध्ययन में बताया कि 78.3 फीसद स्किजोफ्रेनिक रोगियों में विटामिन बी 12 की कमी थी। कुछ अध्ययन सिंगल कार्बन मेटाबॉलिज्म में परिवर्तन और स्किज़ोफ्रेनिया के साइको-पैथोफिजियोलॉजी में इसकी भूमिका में फॉलिक एसिड, विटामिन बी12 और होमोसिस्टीन के योगदान की तरफ इशारा करते हैं। अन्य शोध कहते हैं कि विटामिन बी 12 का नियमित सेवन इस रोग के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। आहार के माध्यम से इन पोषक तत्वों को लेना इस बीमारी के लक्षणों को नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकता है। मांस उत्पादकों, दूध और दूध उत्पादों और फर्मेंटेड खाद्य उत्पादों में विटामिन बी 12 अच्छी मात्रा पाया जाता है, इसके अलावा सप्लीमेंट की मदद से भी इसकी आवश्यकता पूरी की जा सकती है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से एक बार विचार-विमर्श अवश्य कर लें। फोलिक एसिड के लिए, सभी हरी पत्तेदार सब्जियां, लोबिया, मूंगफली, सूरजमुखी के बीज आदि का सेवन कर सकते हैं। (और पढ़ें - विटामिन बी 12 की कमी के लक्षण)

जिंक - Zinc rich foods for Schizophrenia in Hindi

कई शोध अध्ययन बताते हैं कि जस्ता (जिंक) और सिजोफ्रेनिया के निम्न स्तर के बीच एक करीबी रिश्ता है। इस पोषक तत्व को सीप, केकड़ा और झींगा मछली आदि के माध्यम से ले सकते हैं। यदि शाकाहारी हैं, तो मशरूम, पालक, लहसुन, ब्रोकली और जिंक फोर्टीफाइड अनाज से इसकी पूर्ति कर सकते हैं। जिंक सप्लीमेंट के रूप में भी आसानी से उपलब्ध होता है, लेकिन इसे शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से अवश्य बात कर लें। (और पढ़ें - जिंक की कमी के लक्षण)

कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड - Eat low glycemic index foods in schizophrenia in Hindi

कई अध्ययनों से पता चला है कि टाइप 2 मधुमेह और रक्त में शुगर की मात्रा का बढ़ना, एंटीसाइकोटिक उपचार से काफी हद तक जुड़ा हुआ है (जो इस बीमारी का एक सामान्य उपचार है) और यह ज्ञात है कि सिजोफ्रेनिया वाले अधिकांश लोगों की डाइट ज्यादातर खराब देखी गई है और ऐसे में उनके शुगर की मात्रा बढ़ने के आसार बढ़ जाते हैं। ऐसे में कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स वाला भोजन लेने की कोशिश करें, इसके अलावा मैदा, चीनी, सॉफ्ट ड्रिंक, फलों के जूस, मिठाई और केक जैसी चीजों से परहेज करें। (और पढ़ें - ब्लड शुगर का नार्मल रेंज)

आवश्यक फैट - Essential fats foods for Schizophrenia in Hindi

कई शोध यह बताते है कि ओमेगा 3 फैटी एसिड स्किज़ोफ्रेनिया के लक्षणों को रोकने और कम करने में मदद करता है और रोग की रफ्तार भी धीमी करता है। इसकी पूर्ति के लिए, सप्ताह में कम से कम दो बार मछली खाने की कोशिश करें और रोजाना, बीज व सूखे मेवे का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा मछली के तेल के कैप्सूल के जरिए भी ओमेगा 3 प्राप्त कर सकते हैं।

यदि सप्लीमेंट लेना चाह रहे हैं, तो जिसमें ईपीए, डीएचए और जीएलए शामिल हैं, उनका चयन करें, लेकिन उन्हें शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से चर्चा करें। ईपीए एवं डीएचए का सबसे अच्छा स्रोत मछलियां हैं, इनके लिए बांगड़ा, कटला, हिलसा, रवास आदि का नियमित सेवन कर सकते हैं। शाकाहारी रोगियों के लिए, बीज सबसे अच्छे विकल्प हैं, जैसे कि अलसी के बीज, सूरजमुखी बीज और कद्दू के बीज। इन्हें आप दलिया, दाल और सलाद पर छिड़क कर खा सकते हैं। (और पढ़ें - कॉड लिवर ऑयल के फायदे)

फाइबर - Fiber good for Schizophrenia in Hindi

कई अध्ययनों से पता चलता है कि सिजोफ्रेनिया से ग्रसित लोगों में अक्सर फाइबर की कमी देखी जाती है। ऐसे में फलों में नाशपाती, सेब, अमरूद, पपीता आदि और सब्जियों में चौलाई, मेथी के पत्ते, लौकी इसका बेहतरीन स्रोत होते हैं। फाइबर "खराब" कोलेस्ट्रॉल और अपच को कम करने में मदद करता है। फाइबर युक्त आहार कुछ स्वास्थ्य समस्याओं को दूर रखने में भी मदद करता है, जो अक्सर सिजोफ्रेनिया से जुड़े होते हैं, जैसे हृदय रोग, मधुमेह और मोटापा। इन फलों और सब्जियों में कई विटामिन और मिनरल भी होते हैं जो शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। (और पढ़ें - फाइबर युक्त आहार)

एंटीऑक्सीडेंट - Antioxidants rich food for Schizophrenia in Hindi

सिजोफ्रेनिया वाले लोगों के मस्तिष्क में फ्रोंटल कोर्टेक्स में ज्यादा मात्रा में ऑक्सीकरण देखा जाता है। शरीर के अन्य अंगों की तुलना में, मस्तिष्क के ऊतक अपने उच्च ऑक्सीजन की खपत, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड की उच्च मात्रा और एंटीऑक्सीडेंट एंजाइमों के निम्न स्तर के कारण, ऑक्सीडेटिव तनाव के लिए अधिक असुरक्षित हैं। इसलिए, ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करने के लिए एंटीऑक्सिडेंट थेरेपी मददगार साबित हो सकती है। सुनिश्चित करें कि रोगी अपने दैनिक आहार में विटामिन ए, सी, डी और ई पर्याप्त मात्रा में ले रहे हैं। यदि आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, तो डॉक्टर से सप्लीमेंट के बारे में अवश्य पूछें। (और पढ़ें - ऑक्सीजन की कमी के लक्षण)

एक रिसर्च के अनुसार, सिजोफ्रेनिया वाले रोगियों में हृदय रोग का खतरा बढ़ा रहता है। मरीजों की आहार आदतें अक्सर खराब होती हैं, धूम्रपान और शारीरिक निष्क्रियता आमतौर देखी जाती है और एंटीसाइकोटिक दवाएं वजन बढ़ाने, रक्त में ग्लूकोज और ट्रायग्लिसराइडिमिया की मात्रा बढ़ाने में योगदान कर सकती हैं। सिजोफ्रेनिया वाले लोगों में मेटाबोलिक सिंड्रोम भी काफी अधिक देखा जाता है। ऐसे में हृदय रोग से बचने के लिए शारीरिक रूप से सक्रिय रहें, अपने भोजन में वसा का चयन सोच-समझ कर करें, पैकेट वाले खाद्य पदार्थों एवं तले हुए भोजन से परहेज करें और साथ ही अपने आहार में फाइबर की अच्छी मात्रा शामिल करें। (और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने का आसान तरीका)

सिजोफ्रेनिया के रोगियों में वजन बढ़ना एक चिंता का विषय है, जो कि साइकोटिक दवाओं, व्यायाम की कमी, मेटाबोलिक परिवर्तनों और खराब आहार के कारण होता है। एक छोटे से अध्ययन से पता चलता है कि स्किजोफ्रेनिक रोगियों, विशेष रूप से पुरुषों में 2-5 गुना विसेरल फैट (आंत की चर्बी) हो सकता है, जो हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाता है। कई अध्ययन बताते हैं कि आहार, दिनचर्या एवं व्यवहार में परिवर्तन से सिजोफ्रेनिया वाले व्यक्तियों के वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए, अपने रोजाना ली जाने वाली कैलोरी की मात्रा को नियंत्रित रखें, संतुलित आहार लेने की कोशिश करें, जिसमें साबुत अनाज, दालें और फलियां, दूध और दूध से बने उत्पाद, सभी रंगीन फल और सब्जियां, कम वसा युक्त मीट और अंडा, सूखे मेवे आदि शामिल हों। (और पढ़ें - वजन कम करने के उपाय)

अपने शरीर व लक्षणों के अनुसार, कस्टमाइज डाइट प्लान के लिए, आप अपने पोषण विशेषज्ञ के साथ चर्चा कर सकते हैं।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले कुछ व्यक्ति कुछ खाद्य पदार्थों के प्रति संवेदनशील होते हैं, जिनका सेवन इस समस्या को और बढ़ा सकता है। यहां हमने उन्हें प्रबंधित करने का तरीका बताया है, आइये जानते हैं -

1. अपनी फूड एलर्जी को पहचाने - यदि आपको किसी ऐसे खाद्य पदार्थ पर संदेह है जो सामान्य संदिग्धों में से एक हो सकता है जैसे कि ग्लूटेन (गेहूं, राई, जौ), डेयरी (सभी प्रकार के - गाय, भेड़, बकरी, दूध, पनीर, क्रीम आदि), सोया, खमीर और अंडे। ऐसी स्थिति में आप एलिमिनेशन डाइट से उसको जानने की कोशिश कर सकते हैं। आप थोड़े-थोड़े समय के लिए एक-एक कर भोजन या खाद्य पदार्थों को छोड़कर देख सकते हैं कि आपको किस भोजन से एलर्जी है। (और पढ़ें - खाने से एलर्जी के लक्षण)

2. फूड इन्टॉलरेंस टेस्ट करके पता लगा सकते है एलर्जी का - आप आईजीजी एलिसा ब्लड टेस्ट करा सकते हैं, जिससे आप अपने एंटीबॉडी के द्वारा फूड इन्टॉलरेंस का पता लगा सकते हैं। किसी भी तरह से, अपने आहार में बहुत बड़ा परिवर्तन न करें या अपने आहार को स्वस्थ और संतुलित बनाए रखने के लिए, आहार विशेषज्ञ के मार्गदर्शन के बिना किसी भी भोज्य पदार्थ को न त्यागें। (और पढ़ें - एंटीबॉडी क्या है)

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यहां हम एक सैंपल डाइट प्लान साझा कर रहे हैं, जिसे सिजोफ्रेनिया के दौरान आसानी से उपयोग किया जा सकता है -

सुबह खाली पेट - गर्म पानी (1 गिलास) + बादाम (4-5) + अखरोट (5-7 टुकड़े)
सुबह का नाश्ता - पनीर / अंडा सैंडविच (2) + स्ट्रॉबेरी स्मूदी (बिना चीनी) (1 गिलास)
मध्य आहार - कोई भी मौसमी फल (100-150 ग्राम)
दोपहर का भोजन - बाजरा की रोटी (2) + चने की सब्जी (1 कटोरी) + कोई भी मौसमी हरी सब्जी (1-2 कटोरी) + सलाद (1 कटोरी)
शाम की चाय - हर्बल चाय (1 कप) + अंकुरित भेल (1 कटोरी)
रात का खाना - चपाती (2) + सोया / मछली की करी (1 कटोरी) + मिश्रित सब्जी (1 कटोरी)
सोने के समय - हल्दी दूध (1 गिलास)

(और पढ़ें - भीगे चने खाने के फायदे)

Dr. Dhanamjaya D

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Dt. Surbhi Upadhyay

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8 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

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  5. Bitanihirwe Byron K Y, Woo Tsung-Ung W Oxidative Stress in Schizophrenia: An Integrated Approach. Neurosci Biobehav Rev. 2011 Jan 1; 35(3): 878–893. PMID: 20974172
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