मनोविदलता (स्किज़ोफ्रेनिया) एक मानसिक विकार है जिसे मतिभ्रम (ऐसी चीज़ों या आवाज़ों का सुनाई देना जिनका कोई अस्तित्व ही न हो), डिप्रेशन, मूड बदलने और भ्रम के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसका असर व्यक्ति की सोचने और समझने की क्षमता पर पड़ता है जिससे उसके व्यवहार में बदलाव आता है।
आयुर्वेद के अनुसार स्किज़ोफ्रेनिया किसी एक प्रकार के मानसिक विकार से संबंधित नहीं हो सकता है लेकिन स्किज़ोफ्रेनिया के लक्षण कई प्रकार के उन्माद (मानसिक विकार) से मिलते-जुलते होते हैं। खराब और दूषित पेय या खाद्य पदार्थ, मानसिक संतुलन खोने और गलत जीवनशैली की वजह से शरीर में त्रिदोष खराब होने लगते हैं जिससे स्किज़ोफ्रेनिया जैसे मानसिक विकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
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स्किज़ोफ्रेनिया के प्रमुख इलाज के रूप में पंचकर्म थेरेपी जैसे कि विरेचन (दस्त की विधि), वमन (औषधियों से उल्टी लाने की विधि), स्नेहन (तेल लगाने की विधि) और तप (सिकाई) की सलाह दी जाती है। इसके साथ ही दिमाग को तेज करने वाली जड़ी बूटियों जैसे कि अश्वगंधा, जटामांसी, सर्पगंधा और वच एवं सारस्वतारिष्ट तथा महाकल्याणक घृत जैसे मिश्रण दिए जाते हैं।
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