साइनस हवा से भरी गुहाएं होती हैं जो गाल की हड्डी, आंखों और नाक के आसपास मौजूद होती हैं। इन गुहाओं में बलगम होता है, जो सांस लेने वाली हवा को गर्म करने और छानने में मदद करता है। हालांकि, इन गुहाओं में मौजूद ब्लॉकेज स्वाभाविक रूप से बलगम के निकास को रोकती है और इससे आसपास के ऊतकों में सूजन हो सकती है। इस स्थिति को साइनसाइटिस के रूप में जाना जाता है।
साइनसाइटिस एक्यूट (अचानक या तेज प्रभावित करने वाली स्थिति) या क्रोनिक (धीरे-धीरे या लंबे समय से प्रभावित करने वाली स्थिति) हो सकती है। एक्यूट साइनसाइटिस के लक्षण चार सप्ताह से कम समय तक रहते हैं और अक्सर 10 दिनों के भीतर दूर हो सकते हैं। दूसरी ओर, क्रोनिक साइनसाइटिस (जिसे क्रोनिक राइनोसाइनिटिस भी कहा जाता है) में, चिकित्सा हस्तक्षेप के बाद भी लक्षण 12 सप्ताह से अधिक समय तक बने रह सकते हैं।
एक्यूट साइनसाइटिस अक्सर वायरल या बैक्टीरियल इंफेक्शन का परिणाम हो सकता है और क्रोनिक साइनसाइटिस अलग-अलग एलर्जी के कारण होता है, जो सूजन को कम करने से रोकता है और लक्षणों को बनाए रखता है। ऐसे मामलों में, साइनसाइटिस का सटीक कारण निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
साइनसाइटिस से जुड़े कई लक्षण हैं। इनमें गाल के आसपास दर्द और सूजन, नेजल कंजेशन (नाक में जमाव व भरी हुई नाक) से आंख और नाक में दर्द, हरा या पीला डिस्चार्ज के साथ नाक ब्लॉक होना, गंभीर सिरदर्द, दांत दर्द और सांसों की बदबू शामिल है। कुछ लोगों में चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण भी हो सकते हैं। एक्यूट साइनसाइटिस अक्सर ठंड लगने के रूप में शुरू होता है और अंततः एक बैक्टीरियल इंफेक्शन में बदल सकता है। यदि संक्रमण होता है, तो बुखार, थकान और खांसी जैसे अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं।
एक डॉक्टर लक्षणों की जांच की बाद कुछ इमेजिंग टेस्ट करके साइनसाइटिस का निदान करने में सक्षम हो सकता है। साइनसाइटिस को यदि एलर्जी ने ट्रिगर किया है तो एलर्जी टेस्टिंग के जरिए इलाज मुमकिन है। साइनस गुहाओं में ब्लॉकेज की जगह की पहचान करने के लिए अन्य तकनीकों जैसे कि राइनोस्कोपी और नेजल एंडोस्कोपी का भी उपयोग किया जा सकता है।
साइनसाइटिस के उपचार के लिए होम्योपैथिक ट्रीटमेंट में बेलाडोना, आर्सेनिकम एल्बम और हेपर सल्फ जैसे उपाय मौजूद हैं।