पश्चिमी चिकित्सा में साइनसाइटिस को एलर्जी का नतीजा माना जाता है।
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पश्चिमी चिकित्सा में साइनसाइटिस को एलर्जी का नतीजा माना जाता है।
योग आपको साइनसाइटिस से ही नहीं बल्कि उसकी वजह से होने वाली दिक्कतों से भी राहत प्रदान करता है, जैसे कि माइग्रेन व बंद नाक। इसके अलावा योग नाक के निचले हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है जो साइनसाइटिस की वजह से सूज जाती हैं। साँस लेने के व्यायाम या प्राणायामों से गले की पाइप्स भी सॉफ हो जाती हैं, और खाँसी या कोई गले से संबंधी समस्या से राहत मिलती है।
(और पढ़ें - व्यायाम के फायदे)
अनुलोम-विलोम प्राणायाम, जो की नाड़ीशोधन प्राणायाम का एक प्रकार है, रोज़ करने से सभी नाड़ी अच्छी तरह से शुद्ध हो जाती हैं। इसके कारण श्वास लेने और छोड़ने में आसानी होती है। यह प्राणायाम ख़ास तौर से सभी नाड़ी से अवरोध को हटाता है और इस वजह से शरीर में ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। अनुलोम-विलोम प्राणायाम हर किसी को करना चाहिए, ख़ास तौर से अगर आप साइनसाइटिस से पीड़ित हैं। अनुलोम-विलोम प्राणायाम 2-3 मिनिट के लिए करें और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: अनुलोम-विलोम करने का तरीका और फायदे)
कपालभाती प्राणायाम से तंत्रिका तंत्र (Nervous System) प्रबल होता है। यह साइनसाइटिस से पीड़ित रोगियों के लिए बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह संपूर्ण श्वास प्रणाली को उत्तेजित करता है, और नाक की मासपेशियों को रिलॅक्स करके सूजन कम करता है। कपालभाती प्राणायाम 1-2 मिनिट के लिए करें और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: कपालभाती करने का तरीका और फायदे)
उत्तानासन सिर और श्वसन के अंगों में ऊर्जा बढ़ाता है और साइनस ग्लॅंड्स को साफ करने में मदद करता है। इस से आपके साइनस खुल जाते हैं और बंद नाक को खोलने में शाएटा मिलती है। उत्तानासन को 1-2 मिनिट के लिए करें, और जैसे अभ्यास बढ़ने लगे, इसे ज़्यादा देर कर सकते हैं। (और पढ़ें: उत्तानासन करने का तरीका और फायदे)
कर्नापीड़ासन में आपका शरीर औंधी स्तिति में होता है और आप अपनी टाँगों से कानों पर दबाव डालते हैं। इन दोनो ही की वजह से साइनस में से म्यूकस निकल जाता है और ज़ुकाम या साइनसाइटिस में बहुत लाभ होता है। कर्नापीड़ासन को शुरुआत में सिर्फ़ 1-2 मिनिट के लिए ही करें। (और पढ़ें: कर्नापीड़ासन करने का तरीका और फायदे)
सर्वांगासन ख़ास तौर से साइनसाइटिस से राहत दिलाने में समर्थ है। इसे आप जितनी देर कर सकते हैं बिना परेशानी के, ज़रूर करें। कोई अचांबे की बात नैन होगी अगर इसे करते करते ही आपको अपने साइनस ग्लॅंड्स खाली होते महसूस हों। इस आसन को भी शुरुआत में 1-2 मिनिट के लिए करें, और फिर अभ्यास बढ़ने पर धीरे धीरे अवधि बढ़ा सकते हैं। (और पढ़ें: सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे)
शवासन में आपका शरीर सबसे अधिक आराम की स्तिथि में होता है। इस आसन को योगाभ्यास के अंत में ज़रूर। इस आसन को भी 5-10 मिनिट के लिए करें। (और पढ़ें: शवासन करने का तरीका और फायदे)