कई बार शरीर में ऐसी समस्‍याएं या परेशानियां पैदा होने लगती हैं जिनका पता तक नहीं चल पाता है। कुछ ऐसी बीमारियां होती हैं जो खासतौर पर पुरुषों या महिलाओं में ही देखी जाती हैं। इनमें से एक थायराइड भी है जो अकसर महिलाओं में ही देखा जाता है। 

थायराइड की बीमारी से महिलाएं ज्‍यादा ग्रस्‍त होती हैं लेकिन ‍किसी ना किसी कारणवश महिलाएं इसे नज़रअंदाज कर देती हैं। महिलाओं में थायराइड ग्रंथि बहुत महत्‍वपूर्ण होती है क्‍योंकि ये शरीर के अधिकतर हार्मोंस को नियंत्रित करती है। थायराइड ग्रंथि में किसी प्रकार की गड़बड़ी होने पर हार्मोन असंतुलन हो सकता है इसलिए महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वो थायराइड की समस्‍या को अनदेखा ना करें।

थायराइड ग्लैंड गले के बीचो-बीच एक ऑर्गन होता है। इसका काम थायराइड हार्मोन पैदा करना है। थायराइड हार्मोन बहुत जरूरी हार्मोन होता है। यह दिल, दिमाग, त्वचा, बालों और मांसपेशियों को अत्‍यधिक प्रभावित करता है। इसलिए अगर किसी कारणवश थायराइड ग्लैंड काम करना बंद कर दे या काम ज्यादा करने लगे तो दोनों ही स्थिति में थायराइड प्रॉब्‍लम का शिकार हो सकते हैं। कई बार थायराइड ग्लैंड द्वारा थायराइड हार्मोन ज्यादा उत्‍पादित होने लगता है जिसे हाइपरथायराइडिज्म कहते हैं। अगर थायराइड ग्रंं‍थि कम मात्रा में इस हार्मोन का उत्‍पादन करने लगे तो इसे हाइपोथायरायडिज्म कहते हैं। 

हाइपोथायराइडिज्‍म और हाइपरथायराइडिज्‍म, दोनों थायराइड के ही प्रकार हैं लेकिन महिलाएं हाइपोथायराइडिज्‍म से ज्‍यादा ग्रस्‍त होती हैं। इसलिए आज इस लेख के ज़रिए हम आपको महिलाओं में होने वाले हाइपोथायराइडिज्‍म के बारे में बताने जा रहे हैं।

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  1. महिलाओं में थायराइड के लक्षण - Mahilao me thyroid ke lakshan
  2. महिलाओं में थायराइड के प्रभाव - Mahilaon me thyroid ka prabhav
  3. महिलाओं में थायराइड के कारण - Mahilaon me thyroid kaise hota hai
  4. महिलाओं में थायराइड के लिए आहार - Mahilaon me thyroid ke liye diet
  5. थायराइड की जांच कैसे होती है? - Thyroid ka ilaj kaise kiya jata hai
  6. सारांश

थायराइड होने पर थायराइड ग्रंथि में सूजन आ जाती है लेकिन जरूरी नहीं है कि सभी महिलाओं में ऐसा हो। थायराइड हार्मोन भोजन को पचाने में मदद करता है। भोजन पचने से शरीर में एनर्जी आती है। शरीर में थायराइड हार्मोन की कमी होने की वजह से ठीक तरह से भोजन का पाचन नहीं हो पाता है। इस कारण शरीर में एनर्जी लेवल में कमी आती है। इसलिए थायराइड से ग्रस्‍त महिला को थकान, सुस्ती और बहुत ज्यादा नींद आने की शिकायत रहती है। थायराइड हार्मोन शरीर में एक गर्माहट लाता है जबकि थायराइड हार्मोन की कमी वजह से हमेशा ठंड लगती रहती है। 

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यह भी देखा गया है कि शरीर में थायराइड हार्मोन की मात्रा कम होने पर डाइट या जीवनशैली में कोई खास बदलाव किए बिना ही वजन बढ़ने लगता है। थायराइड हार्मोन में ज़रा सी भी कमी आने पर दो या तीन महीने में दो से ढाई किलो वजन बढ़ सकता है।

(और पढ़ें - वजन कम करने और घटाने के उपाय)

इसके अलावा थायराइड हार्मोन कम पैदा होने की वजह से बाल झड़ने लगते हैं, त्वचा रूखी हो जाती है और नाखून भी कमजोर हो जाते हैं। साथ ही टांगों, मांसपेशियों में दर्द रहता है। कुछ महिलाओं को कब्ज की समस्या भी हो जाती है।

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थायराइड का महिलाओं की माहवारी और प्रेगनेंसी पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है -

पीरियड्स पर प्रभाव:

थायराइड हार्मोन की कमी होने से पीरियड्स पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। हालांकि, यह आम समस्या है। कई महिलाओं और लड़कियों के पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं। शरीर में थायराइड हार्मोन कम होने की वजह से पीरियड्स (ब्लीडिंग) कम हो सकते हैं, ब्लीडिंग ज्यादा हो सकती है या फिर कई बार पीरियड्स बंद हो जाते हैं। ये स्थितियां परेशानी का सबब बनती हैं। ऐसे में आपको डाॅक्टर के पास जाकर अपना चेकअप करवाना चाहिए। थायराइड हार्मोन का लेवल चैक करने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है।

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प्रेग्नेंसी पर असर:

प्रेग्नेंसी की बात करें तो थायराइड हार्मोन कम होने पर महिलाओं को गर्भधारण (कन्सीव) करने में दिक्कत आ सकती है। दरअसल, शरीर में थायराइड हार्मोन कम होने के कारण ओव्यूलेशन (अंडा ओवरी से बाहर निकलना) बाधित होता है। थायराइड में पीरियड्स रेग्युलर होने के बावजूद ओव्यूलेशन न होने के कारण प्रेग्नेंसी होने में दिक्कत हो सकती है। 

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अगर आप प्रेग्नेंट हो भी जाती हैं तो मिसकैरेज होने की आशंका बनी रहती है। यदि गर्भ ठहर भी गया है तो समय से पहले बच्‍चे का जन्‍म हो सकता है। अगर प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को थायराइड है तो बच्चे में भी थायराइड हार्मोन की प्राॅब्लम हो सकती है। थायराइड हार्मोन की कमी से बच्चे को हृदय और मस्तिष्क सम्बंधित समस्या हो सकती है। 

इसलिए समय-समय पर थायराइड हार्मोन का चेकअप करवाते रहना जरूरी है ताकि समय पर समस्‍या का इलाज किया जा सके। अगर समय पर थायराइड का इलाज ना करवाया जाए तो इसकी वजह से शरीर में कोलेस्ट्रोल की मात्रा बढ़ सकती है और हार्ट अटैक या स्ट्रोक भी आ सकता है।

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अगर आपके शरीर में आयोडीन की मात्रा कम हो गई या फिर आप वायरल संक्रमण की चपेट में आ गए हैं तो आपकी थायराइड ग्रंथि में सूजन आ सकती है। इसकी वजह से थायराइड ग्रंथि ठीक तरह से काम करना बंद कर देती है। इसके अलावा थायराइड हार्मोन कम होने के निम्‍न कारण भी हो सकते हैं:

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क्या खाएंं

शरीर में थायराइड हार्मोन की मात्रा कम होने पर आयोडाइज्ड नमक का प्रयोग करना चाहिए। मांसाहार भोजन करने वाले हफ्ते में दो बार मछली का सेवन करें। बादाम, काजू दूध और दही भी अच्छे विकल्प हैं। काजू और बादाम थायराइड ग्लैंड के सहायक सेलेनियम नामक मिनरल की मात्रा को बढ़ाने में मदद करते हैं।

डाइट के साथ-साथ तीन महीने के लिए हफ्ते में तीन घंटे सैर, योग या कोई भी अन्य एक्सरसाइज करनी चा‍हिए। थायराइड हार्मोन के कम होने की वजह से चिड़चिड़ापन, मूड स्विंग हो सकता है। इसके लिए योग या मेडिटेशन करें। 

क्या ना खाएं

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थायराइड होने की आशंका होने पर तुरंत डाॅक्टर के पास जाएं। थायराइड की जांच के लिए थायराइड फंक्शन टेस्ट किया जाता है। थायराइड फंक्शन टेस्ट तकरीबन 200 से 300 रुपए के बीच होता है। ये ब्‍‍‍‍लड टेस्ट हमेशा खाली पेट करवाना जाताा है। टेस्ट की रिपोर्ट में टीएसएच (थायरायड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) का स्तर देखा जाता है। इसकी सामान्य वैल्यू 0.5 से लेकर 5 के बीच होती है। 5 से ज्यादा टीएसएच का स्तर होने का मतलब है कि थायराइड ग्लैंड सही से काम नहीं कर रहा।

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महिलाओं में थायराइड की समस्या कई कारणों से हो सकती है, जैसे आनुवंशिकता, ऑटोइम्यून विकार, आयोडीन की कमी, और तनाव। इसके लक्षणों में थकान, वजन में बदलाव, बालों का झड़ना, त्वचा का सूखापन, दिल की धड़कन का असामान्य होना, और मासिक धर्म की अनियमितता शामिल हो सकते हैं। थायराइड के इलाज में सही आहार, नियमित जांच, और डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं का सेवन महत्वपूर्ण होता है। इसके अलावा, योग और ध्यान जैसी जीवनशैली में बदलाव भी थायराइड के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं। सही समय पर इलाज और चिकित्सक की सलाह से थायराइड को नियंत्रित रखा जा सकता है।

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