जब भी हम पूजा-पाठ के दौरान ईश्वर को भोग लगाने के लिए कोई भोजन बनाते हैं तो वह पूरी तरह से सात्विक भोजन होता है। आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि सात्विक भोजन ही शरीर के लिए बेस्ट और भारतीय परंपरा में काफी अहम भी माना जाता है। दरअसल, आहार 3 प्रकार का होता है- सात्विक, तामसिक और राजसिक। आयुर्वेद और योग साहित्य में सुझाए गए खाद्य पदार्थों पर आधारित, ताजा, हल्की चिकनाई वाला, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन को सात्विक भोजन कहते हैं। दूसरों शब्दों में कहें तो सात्विक भोजन वह जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति देता है।
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दरअसल, सात्विक संस्कृत शब्द "सत्व" से लिया गया है। सत्व भारतीय योग दर्शन की एक अवधारणा है जिसका मतलब है शुद्ध, सच्चा, नैतिक, ऊर्जावान, स्वच्छ, मजबूत, बुद्धिमान और जीवित या अति आवश्यक। इस प्रकार, सात्विक आहार में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है जो इसके अर्थ का अनुपालन करते हैं। सात्विक भोजन का अर्थ सिर्फ उसमें शामिल खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका अर्थ खाने की आदतों से भी जुड़ा है जैसे- संयम में रहकर खाने की आदत और अधिक खाने से बचना।
आयुर्वेद के मुताबिक, सात्विक भोजन या आहार का सेवन करना इसलिए भी जरूरी है ताकि शरीर और मन के बीच के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सके। तो आखिर सात्विक भोजन क्या है और इसे खाने से शरीर को कौन-कौन से फायदे होते हैं इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।