भारत में पान खाना काफी लोकप्रिय शोक है। इस आदत का मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा जैसे पूर्वी भारत के राज्यों में पालन किया जाता है। यह आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी लोकप्रिय है। अन्य शब्दों में, पान खाना देश के लगभग सभी हिस्सों में लोकप्रिय है।
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पान लगाने के लिए जिन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है उनमें कत्था भी एक आवश्यक सामग्री है। हमारे देश में पान का उपयोग लोग पार्टियों, विवाहों में भोजन के बाद अक्सर करते हैं। लंबे समय से देश में कत्था का उत्पादन किया जा रहा है और यह बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाने वाला उत्पाद है।
जब आप पान वाले को पान लगाते हुए देखते हैं तो अक्सर आपके मन में ये सवाल आता होगा कि आखिर ये लाल पाउडर बनता कैसे है, इसे पान के पत्ते पर क्यों लगाया जाता है और इसके क्या फायदे हैं। आप के इन सभी सवालों का जवाब इस लेख में दिया गया है, साथ ही आपको कत्था से जुड़ी कुछ ऐसी बातें भी पता चलेंगी जिनके बारे में आपको कोई जानकारी नहीं होगी।
- कत्था क्या होता है? - Kattha kya hai in hindi
- कत्था कैसे बनाया जाता है? - Katha banane ka tarika in hindi
- कत्थे का उपयोग - Kattha ka use in hindi
- कत्था के फायदे - Kattha ke fayde in hindi
- कत्था के नुकसान - Kattha ke nuksan in hindi
- सारांश
कत्था क्या होता है? - Kattha kya hai in hindi
कत्था खैर के पेड़ की लकड़ी से निकाला जाता है। खैर का पेड़ अंग्रेजी में कटेचु या कत्च ट्री कहलाता है। यह बिहार, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश और नेपाल के जंगलों में व्यापक रूप से उगने वाला एक मध्यम पर्णपाती पेड़ है। इस पेड़ की विभिन्न किस्में पायी जाती हैं। बबूल भी इसी परिवार का पेड़ है।
खैर के पेड़ की टहनी, छाल और लकड़ी को औषधीय उद्देश्य के लिए भी उपयोग किया जाता है। कत्था दो प्रकार का होता हैं - लाल कत्था और सफेद कत्था। लाल कत्था पान में उपयोग किया जाता है जबकि सफेद कत्थे का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है। कत्थे का उपयोग खदिरारिष्ट जैसी आयुर्वेदिक दवाओं में किया जाता है।
खैर के तने के अंदर की मजबूत लकड़ी को काट कर कत्था उत्पादन करने के लिए इसे संसाधित किया जाता है जिसका उपयोग पान में किया जाता है।
कत्था बनाने का काम एक महत्वपूर्ण वन आधारित निर्माण उद्योग है। कत्था बनाने की प्रक्रिया के दौरान निकलने वाले अवशेष उत्पाद, जिसे कच्छ (cutch) कहा जाता है, का उपयोग टैनिंग उद्योग और कई उद्योगों में एक योजक (एडिटिव) और संरक्षक (प्रिजरवेटिव) के रूप में किया जाता है।
कत्था कैसे बनाया जाता है? - Katha banane ka tarika in hindi
कत्था कैसे बनता है? ये सवाल आपके भी मन में कई बार आया होगा जब आपने पान की दुकान पर खड़े होकर पान वाले को पान लगाते हुए देखा होगा। चलिए हम आपको बताते हैं कि कत्था बनाने का तरीका क्या है। सबसे पहले खैर के बड़े पेड़ का तना काट कर उसके अंदर की मजबूत लकड़ी को चिप्स जैसे काटा जाता है।
कटी हुई लकड़ी को उबालने के लिए एक तार के पिंजरे में लगभग 8-9 किग्रा लकड़ी रख कर पानी में डाली जाती है ताकि एक्सट्रैक्टर (निकालने वाले) की गर्म सतह के साथ सीधे संपर्क से बचाया जा सके। लगभग 25-27 लीटर पानी के साथ लकड़ी वाले पिंजरों को इन एक्सट्रैक्टर में रखा जाता है। पानी के साथ लगभग तीन घंटे तक उबलते चिप्स द्वारा एक्सट्रैक्शन किया जाता है।
प्रत्येक एक्सट्रैक्टर से निकले उत्पाद को मलमल के कपड़े की मदद से फिल्टर किया जाता है और फिर आपस में मिक्स किया जाता है और आग पर खुले पैन में डाला जाता है। इसके बाद लगभग दो दिनों तक कत्था के क्रिस्टलाइजेशन के लिए इसे छाया में रखा जाता है।
पूर्ण क्रिस्टलाइजेशन के बाद दही जैसे पदार्थ को फ्रेम और प्लेट जैसे प्रकार के फिल्टर के माध्यम से निकला जाता है और फिर इस कत्था की गुणवत्ता में सुधार के लिए इसे ठंडे पानी से धोया जाता है। इसके बाद इस पर से खदिर (कत्च) के बचे अंश को हटाने के लिए कैनवास कपड़े के साथ लकड़ी के अलग-अलग फ्रेम पर रखा जाता है।
आखिरकार कत्था को तार के कटर या चाकू की मदद से एक समान टुकड़ो में काट दिया जाता है और छाया में सूखाया जाता है। कत्था को हटाने के बाद बचे हुए हिस्से को फिर से आग पर एक खुले पैन में डाला जाता है और तब तक रखा जाता है जब तक कि यह चिपचिपा न हो जाए। फिर सूखने के लिए लकड़ी के फ्रेम में रखा जाता है। यह सुखी सामग्री कच्छ कहलाती है।
खैर के पेड़ की लकड़ी से काटे हुए लगभग 100 किलोग्राम चिप्स से 5 किलोग्राम कत्था और 14 किलोग्राम कच्छ प्राप्त होता है, हालाँकि, यह उत्पादन चिप्स की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।
कत्थे का उपयोग - Kattha ka use in hindi
कत्था पान के पत्ते से पान बनाते समय उस पर लगाने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उत्पाद है, यह चबाने पर लाल रंग देता है।
रेडी मेड पान (यानी, पान-मसाला जैसे उत्पाद) और गुटखा (तंबाकू के साथ पान-मसाला) के आने के बाद तथा लोगों के बीच इसकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण, कत्था के उपयोग में कई गुना वृद्धि हुई है।
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कत्था का उपयोग एस्ट्रिंजेंट और शीतलन के रूप में तथा पाचन के लिए भी किया जाता है। आयुर्वेदिक और यूनानी (प्राचीन) दवाओं की प्रणाली में, कत्था को उपयोग किया जाता है। कत्था गले, मुंह और मसूड़ों की परेशानी में आराम दिलाता है तथा खांसी और दस्त में भी उपयोगी होता है।
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इसे त्वचा के अल्सर, फोड़े और फुंसी के इलाज के लिए त्वचा पर लगाया जाता है। कत्था न केवल शरीर के दर्द के उपाय के रूप में बल्कि अन्य बीमारियों के लिए बनने वाली दवाओं में भी उपयोग किया जाता है।
कत्था के फायदे - Kattha ke fayde in hindi
ऐसा माना जाता है कि केटेचु यानी खैर के पेड़ में ऐसे रसायन होते हैं जो सूजन को कम कर सकते हैं और बैक्टीरिया को मार सकते हैं। हालाँकि, इस पर कोई प्रामाणिक आधुनिक शोध उपलब्ध नहीं है, लेकिन आयुर्वेद में इसका उपयोग एक औषधि के रूप में होता रहा है। कत्था के कुछ औषधीय फायदे निम्नलिखित हैं -
- इसमें एंटीफंगल गुण होते है जो फंगल संक्रमण को रोकते हैं।
- यह त्वचा के विभिन्न विकारों जैसे संक्रमण, एलर्जी और पिग्मेंटेशन के इलाज के लिए भी जाना जाता है।
- यह प्राकृतिक जन्म नियंत्रण एजेंट के रूप में भी कार्य कर सकता है।
- यह दांत की समस्याओं का इलाज करने में भी प्रभावी है। यह मुंह साफ करने वाले उत्पाद में एक घटक के रूप में उपयोग किया जाता है।
- शहद के साथ मिक्स करके इससे दस्त का इलाज किया जा सकता है। यह पाचन तंत्र को ठंठा रखता है। (और पढ़ें - दस्त में क्या खाना चाहिए)
- यह खून साफ करने का काम भी करता है।
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कत्था के नुकसान - Kattha ke nuksan in hindi
कत्था उपयोग करने से सामान्य तौर पर कोई हानिकारक प्रभाव पर वैज्ञानिक शोध के अभाव के चलते इस पर जानकारी उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए इसका उपयोग एक सीमित मात्रा में ही किया जाना चाहिए। अधिक मात्रा में कत्था पथरी का कारण बन सकता है।
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लाल कत्था आमतौर पर पान में उपयोग किया जाता है, इसका औषधि के रूप में उपयोग नहीं होता है। औषधि के रूप में केवल सफेद कत्थे का ही उपयोग करें। कोई भी औषधीय इस्तेमाल करने से पहले एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
सारांश
कत्था मुख्य रूप से खैर (Acacia catechu) के पेड़ की लकड़ी से बनाया जाता है। इसे उबालकर, छानकर और फिर ठोस रूप में तैयार किया जाता है। कत्था का उपयोग मुख्य रूप से पान में स्वाद और रंग देने के लिए किया जाता है, लेकिन यह आयुर्वेद में भी महत्वपूर्ण है। इसके स्वास्थ्य लाभों में मुख रोगों की रोकथाम, पाचन सुधार, घाव भरने में सहायता और एंटीबैक्टीरियल गुण शामिल हैं। हालांकि, अधिक मात्रा में सेवन करने से दांतों पर दाग, एसिडिटी और कुछ मामलों में स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, संतुलित मात्रा में ही इसका उपयोग करना चाहिए।
उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें कत्था है
- Myupchar Ayurveda Nimbadi Churna Tablet - ₹399
- Baidyanath Irimedadi Tel - ₹113
- Baidyanath Khadiradi Bati - ₹80
- Kerala Ayurveda Narasimha Rasayanam - ₹260
- Kerala Ayurveda Iogen - ₹180
- Planet Ayurveda Gum Care Tooth Powder - ₹380
- Zandu Khadiradi Gutika Tablet - ₹112
- Vedobi Bestone Anti Itching Capsules, Itching And Skin Problems, 100 Gm - ₹999
- Anju Chhala Go Gel - ₹30
- Baidyanath Nagpur Madhumehari Granules 200gm - ₹255
- Baidyanath Nagpur Madhumehari Granules 100gm - ₹148
- Planet Ayurveda Khadir Churna - ₹500
- Baidyanath Surakta Syrup 100ml - ₹97
- Kerala Ayurveda Prostact - ₹580
- Sewa Susmit Dantmanjan Powder - ₹70
- Baidyanath Surakta Syrup 200ml - ₹97
- Sitaram Ayurveda Arimedadi Thailam 200ml Pack Of 3 - ₹690
- Baidyanath Madhumehari Granules 100gm - ₹189
- Baidyanath Madhumehari Granules 100gm - ₹189
- Gumtone Gel 50gm - ₹77
- Vaidyamrit Hemiklean Syrup 200ml - ₹150
- Jaffman Ayurvedic Lotion 100gm - ₹200
- Sitaram Ayurveda Helmolite A Liquid 200ml - ₹130
- Sitaram Ayurveda Narasimham Shampoo 100ml Pack of 2 - ₹200
- Arya Vaidya Sala Kottakkal Khadirarishtam - ₹110
- Charak Posex Forte Capsules - ₹95
- Dabur Lavangadi Vati - ₹51
- Patanjali Divya Kayakalp Vati Extra Power (1) - ₹56
- Patanjali Divya Kayakalp Vati Extra Power (1) - ₹150
- Bactimo-Psor Capsules - Ayurvedic Solution for Psoriasis (100) - ₹600
- Nagarjuna Khadir Ghritam - ₹210
- Charak Gum Tone Powder - ₹65
- Patanjali Divya Khadiradi Vati - ₹45
- Vigini Natural Actives Sexual Lubricant Gel - ₹299
- Charak Urtiplex Capsule - ₹149
- Elzac Herbals Elz Pure Syrup - ₹118
- Chandigarh Ayurved Centre Blood Purifier Syrup - ₹144
- Elzac Herbals MSK Pure Tablet - ₹175
- Elzac Herbals Neem Plus Tablets - ₹232
- Gum Tone Gel - ₹49
- Charak Pilief Tablet - ₹99
- Maha Herbals Throat Infection Peace Tablet - ₹153
- Nagarjuna Naarasimha Rasayanam - ₹260
- Vaidyaratnam Narasimharasayanam - ₹190
- Vyas Shvitrina Tablet - ₹230
- Dhootapapeshwar Khadiradi Gutika - ₹71
- Dabur Active Blood Purifier Syrup 200ml - ₹90
- Dabur Khadiradi Gutika - ₹127
- Kerala Ayurveda Khadirarishtam - ₹135
- Vaidyaratnam Khadirarishtam - ₹120