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व्यक्ति को "बाइसेक्सुअल" (bisexual) तब कहा जाता है जब वह पुरुष और महिलाओं, दोनों ही की तरफ मानसिक या शारीरिक रूप से आकर्षित होता है। बाइसेक्सुअल होना व्यक्ति के मन की इच्छाओं और व्यवहार की एक सामान्य स्थिति है। यह कोई रोग या संक्रामक बीमारी नहीं है। यह बात अभी तक नहीं मालूम कि कोई महिला या पुरुष बाइसेक्सुअल क्यों होता है। लेकिन रिसर्च के अनुसार - किसी भी व्यक्ति का विपरीत, समान या दोनों ही लिंग के लोग के साथ मानसिक व शारीरिक आकर्षण जन्म के पूर्व से ही जैविक कारकों पर निर्भर करता है।

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इस लेख में विस्तार से बताया जा रहा है कि बाइसेक्सुअल होना क्या है, बाइसेक्सुअल होने के कारण व लक्षण क्या होते हैं और यदि आप या आपका कोई परिचित बाइसेक्सुअल हो तो आपको क्या करना चाहिए ? और बाइसेक्सुअल के अलावा और कौन कौन से सेक्शुअल ओरिएंटेशन होते हैं?  इस लेख में विस्तार से बताया जा रहा है कि बाइसेक्सुअल होना क्या है, बाइसेक्सुअल होने के कारण व लक्षण क्या होते हैं और यदि आप या आपका कोई परिचित बाइसेक्सुअल हो तो आपको क्या करना चाहिए आदि।

  1. बाइसेक्सुअल क्या है? - Bisexual kya hai
  2. बाइसेक्सुअल होने के कारण - Bisexual hone ke karan
  3. कैसे पहचाने की आप बाइसेक्सुअल हैं? - Kaise pehchane ki aap bisexual hai
  4. कोई प्रियजन बाइसेक्सुअल हो तो क्या करना चाहिए? - Koi priyajan bisexual ho to kya karna chahiye
  5. बाइसेक्सुअल लोगों में होने वाली स्वास्थ समस्याएँ - Health Problems Of Bisexual
  6. अन्य सेक्शुअल ओरिएंटेशन - Other Sexual Orientations
  7. एलजीबीटीक्यू + (LGBTQ) क्या होता है?
  8. सारांश
यौन रोग के डॉक्टर

एक से अधिक लिंग के लोगों के साथ शारीरिक, यौन और भावनात्मक आर्कषण महसूस करने वाले व्यक्ति को "बाइसेक्सुअल" कहते हैं ।  अगर आप समान और विपरीत लिंग के लोगों की सिर्फ तारीफ करते हैं तो ये बाइसेक्सुअल होना नहीं होता है। लेकिन अगर बात सराहने से आगे बढ़ कर महिला और पुरुष दोनों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने तक पहुँच जाए, तो उसे बाइसेक्सुअल होना कहा जाता है।

जीव और सेक्स वैज्ञानिक अल्फ्रेड किन्ज़ी ने लैंगिकता के पैमाने के बारे में बताते हुए कहा है कि -  इसको काले और सफेद (विपरीत लिंग से आकर्षण और समान लिंग से आकर्षण) के आधार पर व्यक्त नहीं किया जा सकता है। यह इन दोनों ही अवस्था के बीच की स्थिति होती है। उन्होंने इसके लिए एक पैमाना बनाया जिसे "किन्ज़ी स्केल" कहा जाता है। यह पैमाना 0 से 6 तक होता है। 0 को विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण और 6 को समान लिंग के प्रति आकर्षण कहा जाता है। तो इस पैमाने के हिसाब से बाइसेक्सुअल को किन्ज़ी स्केल पर 3 माना जाता है।

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किन्ज़ी स्केल क्या है? - 1940 के दशक में अल्फ्रेड किन्से और उनके साथियों ने वार्डेल पोमेरॉय और क्लाइड मार्टिन द्वारा विकसित किन्से स्केल का निर्माण किया । ये स्केल किसी व्यक्ति के सेक्शुअल ओरिएंटेशन को विशेष रूप से विषमलैंगिक से लेकर विशेष रूप से समलैंगिक तक के स्पेक्ट्रम पर मापता है। किन्से इंस्टीट्यूट के अनुसार, इस स्केल का उद्देश्य यह स्वीकार करके मानव के अलग अलग सेक्शुअल ओरिएंटेशन को स्वीकार करना और चित्रित करना है कि सेक्शुअल ओरिएंटेशन केवल विषमलैंगिक या समलैंगिक श्रेणियों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि उसके आगे भी मौजूद है।

किन्ज़ी स्केल कैसे काम करता है? - किन्से स्केल में 0 से 6 तक नंबर होते हैं और इसमें "X" नामक एक अतिरिक्त श्रेणी शामिल होती है। यहाँ विभिन्न रेटिंग और उनकी परिभाषाएँ दी गई हैं:

  • 0: विशेष रूप से विपरीत लिंग/विषमलैंगिक व्यवहार या आकर्षण
  • 1: मुख्य रूप से विषमलैंगिक, लेकिन समान लिंग के प्रति आकर्षित होने या समलैंगिक व्यवहार में भी आकर्षण 
  • 2: मुख्य रूप से विषमलैंगिक, लेकिन समान लिंग के प्रति आकर्षित होने या समलैंगिक व्यवहार में भी आकर्षण 
  • 3: समान रूप से विषमलैंगिक और समलैंगिक व्यवहार या आकर्षण
  • 4: मुख्य रूप से समलैंगिक, लेकिन विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने या विषमलैंगिक व्यवहार में भी आकर्षण
  • 5: मुख्य रूप से समलैंगिक, लेकिन विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होने या विषमलैंगिक व्यवहार में भी आकर्षण
  • 6: विशेष रूप से समान-लिंग/समलैंगिक व्यवहार या आकर्षण
  • X: कोई सामाजिक-यौन संपर्क या प्रतिक्रिया/अलैंगिक नहीं

किन्से और उनके साथियों ने कई लोगों पर परीक्षण करने के बाद इस स्केल  का उपयोग किया।

किसी व्यक्ति के समलैंगिक (गे या लेस्बियन) और बाइसेक्सुअल होने के कारणों के बारे में कुछ भी सही तरह से मालूम नहीं चल सका है, लेकिन कुछ रिसर्च से पता चलता है कि जन्म से पहले के कुछ जैविक कारकों द्वारा "सेक्सुअल ओरिएंटेशन" यानि आप जिस लिंग के व्यक्ति के साथ संबंध बनाने के लिए आकर्षित होते हैं “ की संभावना आंशिक रूप निर्धारित होती है। 

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सेक्सुअल ओरिएंटेशन कोई विकल्प नहीं है और ना ही इसको बदला जा सकता है। किसी भी थेरेपी, उपचार या अन्य उपाय से व्यक्ति की सेक्सुअल ओरिएंटेशन को नहीं बदला जा सकता है। इसके अलावा आप किसी भी व्यक्ति को बाइसेक्सुअल में परिवर्तित नहीं कर सकते हैं।

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आप युवावस्था में ही इस बात के बारे में जान सकते हैं कि आप किसके प्रति (महिला या पुरुष) आकर्षित होते हैं। यहां पर आकर्षित होने का मतलब यह नहीं है कि आप में यौन इच्छाएं हैं, बल्कि मतलब है कि आप यह पहचान पाते हैं कि किस लिंग के लोग आपको आकर्षित करते हैं। कई लोग बताते हैं कि उन्होंने किशोरावस्था से पहले ही पता चल गया था कि वह गे, लेस्बियन या बाइसेक्सुअल हैं। 

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सेक्सुअल ओरिएंटेशन आमतौर पर जीवन में शुरूआती दौर में ही निर्धारित हो जाती है, लेकिन जीवन के किसी भी पड़ाव में आपकी इच्छाओं में बदलाव हो सकता है । इसे "फ्लयूडिटी" (Fluidity) कहा जाता है।

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बाइसेक्सुअल होना प्राकृतिक है और इसका यह मतलब बिलकुल न निकाले कि आप में कोई दोष है। कुछ लोगों को अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन के बारे में सही तरह से समझ पाने में कई साल लग जाते हैं। इसके निर्धारण में लोग खुद से कई तरह के सवाल करते हैं और वह कभी खुद को "हैट्रोसेक्सुअल" (heterosexual: इतरलिंगी - वितरीत लिंग के प्रति आकर्षण) तो कभी "होमोसेक्सुअल" (homosexual: समलैंगिक - समान लिंग के प्रति आकर्षण) समझते हैं। 

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कुछ लोग अपनी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को समझने के लिए अपने लिए हैट्रोसेक्सुअल या होमोसेक्सुअल में से एक "लेबल" का चयन करते हैं, और अगर वह उन्हें ठीक न लगे तो दूसरा लेबल आज़माते हैं। यदि आप एक लेबल में खुद को सहज न महसूस करें, तो ऐसे में आप दूसरा लेबल भी अपना सकते हैं। कुछ लोग दोनों में से किसी भी लेबल का इस्तेमाल नहीं करते। आप किसी भी लेबल का चयन करें या न करें, यह पूरी तरह से आप पर निर्भर करता है। 

कुछ लोग अपने बाइसेक्सुअल होने का इज़हार सबके सामने समाज और भेदभाव के डर की वजह से नहीं करते हैं। अगर आप खुद को बाइसेक्सुअल महसूस करते हैं तो आपको इस बारे में अपने नजदीकी और अपने मित्रों और परिवार वालों से बात करनी चाहिए, ताकि इस स्थिति में वह आपकी मदद कर सकें। 

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कैसे पहचानें कि कोई प्रियजन बाइसेक्सुअल है या नहीं?

कई बार कुछ लोग गे, लेस्बियन और बाइसेक्सुअल को उनके व्यवहार और पहनावे के आधार पर पहचान लगाने की कोशिश करते हैं , लेकिन किसी भी व्यक्ति की सेक्सुअल ओरिएंटेशन का उनके पहनावे के आधार पर अनुमान लगाना गलत है। सामान्य व्यक्ति के व्यवहार और पहनावे के अलग-अलग तरीकों की तरह ही होमोसेक्सुअल और बाइसेक्सुअल लोगों का भी पहनावा और व्यवहार अलग अलग हो सकता है । इससे उनको समाज में अलग दृष्टि से देखना बेहद गलत है , ये उन्हें मानसिक पीड़ा पहुंचाता है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका कोई प्रियजन समलैंगिक या बाइसेक्सुअल है तो इसका सिर्फ एक ही तरीका है  - उनसे पूछें। केवल वो ही आपको बता सकते हैं कि उनकी सेक्सुअल ओरिएंटेशन क्या है। अगर वो आपको बताना न चाहें तो ज़बरदस्ती न करें। और अगर वो बता दें, तो जो भी उनकी सेक्सुअल ओरिएंटेशन हो, आप उनका साथ दें । 

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किसी की भी सेक्सुअल ओरिएंटेशन को दूसरो द्वारा तय नहीं किया जा सकता है। इसके बारे में होमोसेक्सुअल या बाइसेक्सुअल व्यक्ति खुद ही जान पाता है। आप खुद को किस स्थिति में महसूस करते हैं, यह आपकी मन की स्थिति पर निर्भर करता है। 

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यदि आप अपने किसी प्रियजन की बाइसेक्सुअलिटी के बारे में जानना चाहते है तो आपको सबसे पहले उन्हें सहज करने के बाद ही इस बारे में पूछना चाहिए और यह उनका निजी मामला है, इसलिए इस बारे में बताना या ना बताना केवल उनकी इच्छा पर ही निर्भर करता है। इसके बारे में पूछने के लिए आप उन पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं डाल सकते हैं। आज के दौर में कई बड़े शहरों में बाइसेक्सुअल लोगों के ग्रुप बन गए हैं। नीचे कुछ सुझाव दिए गए हैं जिससे आप खुद की या बाइसेक्सुअल प्रियजन की मदद कर सकते हैं।

बाइक्सुअलिटी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें – अपने प्रियजन से इस बारे में बात करने से पहले आप खुद बाईसेक्सुअलिटी के बारे में जानें और इसे समझने की कोशिश करें। साथ ही इस बात को भी समझिये कि बाइसेक्सुअल लोगों को हमारे समाज में कितने भेद-भाव का सामना करना पड़ता है। सामान्यतः बाइसेक्सुअलिटी को समाज में मान्यता नहीं दी जाती है, ऐसे में बाइसेक्सुअल लोगों को समाज में हीन दृष्टि से देखा जाता है। जबकि यह बाइसेक्सुअल होना पूरी तरह से प्राकृतिक बात है। 

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 प्रोत्साहन दें – बाइसेक्सुअल होने के बारे में खुल्ले में बताना बेहद ही हिम्मत वाली बात होती है। ऐसे लोगों की सराहना करें और उनको बताएं कि आप उनके बारे में अच्छी सोच रखते हैं।

 बाइसेक्सुअल व्यक्ति को 'गे और हैट्रोसेक्सुअल' न समझें – जब कोई खुद को बाइसेकसुअल कहे तो आप उनको गे या हैट्रोसेक्सुअल न समझें। बेशक यह सच हो कि कई बार होमोसेक्सुअल अपने बारे में लोगों को न बताने के लिए खुद को बाइसेक्सुअल कह देते हैं, लेकिन इन सब बातों के बारे में विचार न करते हुए आपको केवल व्यक्ति की बातों पर ही विश्वास करना चाहिए। बाइसेक्सुअलिटी के बारे में आज भी कई लोग विश्वास नहीं करते हैं। लेकिन इन लोगों को समाज में आने के लिए बेहद साहसी होने की जरूरत पड़ती है। अगर आपका कोई प्रियजन बाइसेक्सुअल है तो उनके साथ आदर और सम्मान से बात करें। आपको यह समझना ज़रूरी है कि एक बाइसेक्सुअल व्यक्ति वाकई में समलैंगिक या इतरलिंगी नहीं होता है। 

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 हैट्रोसेक्सुअल 'बन जाने' का सुझाव देना गलत है – आपको बाइसेक्सुअल व्यक्ति को हैट्रोसेक्सुअल रहने का सुझाव नहीं देना चाहिए। इनको किस लिगं के प्रति आकर्षण होगा इस बात का निर्धारण नहीं किया जा सकता है। 

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 बाइसेक्सुअल व्यक्ति का साथ दें – बाइसेक्सुअल व्यक्ति को समझना, उसकी मदद करना और उसके समर्थन देने से, बाइसेक्सुअल व्यक्ति के व्यवहार में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलते हैं। अगर वह इस स्थिति में किसी परेशानी में हैं तो उनसे बात करें और उनके प्रति सहानुभूति प्रकट करें। 

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बायसेक्सुअल होने का क्या मतलब है? जवाब है - यह निर्भर करता है। सेक्शुअल ओरिएंटेशन में किसी व्यक्ति की पहचान, आकर्षण और व्यवहार शामिल हैं। मिलर और सहकर्मियों ने बायसेक्सुअल को इस प्रकार परिभाषित किया: "एक से अधिक लिंग या लिंग के प्रति भावनात्मक, रोमांटिक या शारीरिक आकर्षण बायसेक्सुअल होता है। 

यूनाइटेड स्टेट्स के जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षणों के डेटा के आधार पर, यूएस की लगभग 1.8% आबादी बायसेक्सुअल है । अन्य देशों जैसे ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नॉर्वे और यूनाइटेड किंगडम में करीब 0.5% से 1.2% लोग बायसेक्सुअल हैं ,लेकिन ये अनुमान प्रत्येक देश में एकल जनसंख्या-आधारित सर्वेक्षण पर आधारित थे। इसके बावजूद, लोगों का और भी हिस्सा एक से अधिक लिंग के प्रति आकर्षित होने या महिलाओं और पुरुषों दोनों के साथ यौन संबंध बनाने को पसंद करते हैं। 

रिसर्च के अनुसार ,  बायसेक्सुअल व्यक्तियों में मोनोसेक्सुअल यानि गे या लेस्बियन व्यक्तियों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य और यौन स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है । 

मानसिक स्वास्थ्य - निरंतर किये जा रहे सर्वे के अनुसार , बायसेक्सुअल व्यक्तियों में मोनोसेक्सुअल व्यक्तियों की तुलना में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ ज्यादा होती हैं।  उदाहरण के लिए, समलैंगिक महिलाओं जिनमें 44.4% मूड से जुड़ी समस्याएँ होती हैं और 40.8% चिंता से संबंधित परेशानियाँ और विषमलैंगिक महिलाओं (मूड विकारों के लिए 30.5%, चिंता विकारों के लिए 31.3%) की तुलना में बायसेक्सुअल पहचान वाली महिलाओं में मूड विकारों के लिए प्रतिशत 58.7% और चिंता का प्रतिशत 57.8% है। इसी तरह पुरुषों में भी अन्य सेक्शुअल पहचान वाले लोगों की अपेक्षा चिंता और तनाव होने का प्रतिशत ज्यादा है।  

यौन स्वास्थ्य - यौन स्वास्थ्य बायसेक्सुअल पुरुषों के बीच एचआईवी और अन्य यौन संचारित संक्रमणों (एसटीआई) पर केंद्रित है।एक हाल में की गई समीक्षा में यह निष्कर्ष निकाला गया कि  बायसेक्सुअल पुरुषों में , विषमलैंगिक पुरुषों की तुलना में एचआईवी का खतरा ज्यादा होता है। लेकिन एचआईवी से मौत होने वाले पुरुषों में विषमलैंगिक पुरुषों का प्रतिशत ज्यादा है। बायसेक्सुअल पुरुष यौन स्वास्थ के लिए खतरा होने वाले सभी कामों की शुरुआत पहले करते हैं जैसे - एक से अधिक यौन साथी, कंडोम रहित सेक्स, और सेक्स से पहले नशे का सेवन करना। एक अध्ययन में पाया गया है कि हर्पीज सिम्प्लेक्स वायरस टाइप 2 का खतरा बायसेक्सुअल अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं में विषमलैंगिक अफ्रीकी अमेरिकी महिलाओं की तुलना में दोगुना था (54% बनाम 26%)। एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि बायसेक्सुअल महिलाओं में समलैंगिक और क्वीर वाली महिलाओं की तुलना में एसटीआई ज्यादा होती है। 

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5603307/#S11

https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC5603307/pdf/nihms846005.pdf

बाइसेक्सुअल के अलावा यूनिसेक्सुअल , पैनसेक्सुअल , होमोसेक्सुअल , असेक्सुअल , डेमिसेक्सुअल , एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) , स्ट्रेट भी होते हैं जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए , ताकि अगर ऐसेकोई भी लोग आपको मिलें तो आपको मालूम हो कि उनके साथ कैसा व्यवहार करना है और उनका खुद का मानसिक और शारीरिक व्यवहार कैसा होगा? 

यूनिसेक्सुअल (Unisexual) का मतलब क्या होता है?
जब किसी व्यक्ति में केवल एक ही तरह का लिंग (gender) पाया जाता है, तो उसे यूनिसेक्सुअल कहते हैं। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति या तो केवल पुरुष होता है या केवल महिला । उसमें दोनों लिंग एक साथ नहीं होते। जैसे हम सब इंसान यूनिसेक्सुअल होते हैं – कोई व्यक्ति या तो लड़का होता है या लड़की। यूनिसेक्सुअल लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए एक साथी की ज़रूरत होती है जो विपरीत लिंग का हो। इसका उल्टा होता है बाइसेक्सुअल या हर्माफ्रोडाइट, जिसमें एक ही व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के लक्षण होते हैं। 

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पैनसेक्सुअल (Pensexual) का मतलब क्या होता है?
पैनसेक्सुअल का मतलब होता है – ऐसा व्यक्ति जिसे किसी भी लिंग (gender) वाले व्यक्ति चाहें महिला हो या पुरुष , दोनों से प्यार हो सकता है या आकर्षण महसूस हो सकता है। पैनसेक्सुअल लोग यह नहीं देखते कि सामने वाला लड़का है, लड़की है, ट्रांसजेंडर है, नॉन-बाइनरी है या कोई और। उनके लिए भावनाएं और इंसान की अंदरूनी खूबियाँ ज़्यादा मायने रखती हैं, न कि उसका लिंग। यानी, पैनसेक्सुअल लोग प्यार और संबंधों को दिल और सोच के आधार पर देखते हैं, न कि सिर्फ शरीर या लिंग के आधार पर। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि पैनसेक्सुअल व्यक्ति किसी भी इंसान से जुड़ सकता है, अगर वह उसे पसंद आए, चाहे वह किसी भी जेंडर का क्यों न हो।

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होमोसेक्सुअल (Homosexual) का मतलब क्या होता है?
होमोसेक्सुअल का मतलब होता है – जब कोई व्यक्ति अपने ही लिंग (gender) के व्यक्ति की ओर आकर्षित होता है या उसे पसंद करता है। यानी अगर कोई लड़का किसी लड़के को पसंद करता है या लड़की किसी लड़की को पसंद करती है, तो ऐसे लोगों को होमोसेक्सुअल कहा जाता है। यह आकर्षण प्यार, भावनाओं या शारीरिक रूप में हो सकता है। उदाहरण के तौर पर, अगर एक लड़का किसी लड़के के साथ रिश्ते में रहना चाहता है, तो वह गै यानी पुरुष होमोसेक्सुअल कहलाता है। और अगर कोई लड़की किसी लड़की के प्रति आकर्षित हो, तो वह लेस्बियन यानी महिला होमोसेक्सुअल कहलाती है। होमोसेक्सुअल होना एक स्वाभाविक बात है – जैसे कुछ लोग विपरीत लिंग की ओर आकर्षित होते हैं, वैसे ही कुछ लोग अपने ही लिंग की ओर आकर्षित होते हैं। यह भी एक प्रकार का sexual orientation है, और आज के समय में इसे समाज में धीरे-धीरे समझा और स्वीकार किया जा रहा है।

(और पढ़ें -क्या है कामोत्तेजना और इसके चरण?)

असेक्सुअल (Asexual) का मतलब क्या होता है?
असेक्सुअल का मतलब होता है – ऐसा व्यक्ति जिसे किसी के प्रति sexual attraction महसूस नहीं होता। यानी वे किसी लड़के या लड़की या किसी भी लिंग के व्यक्ति को देखकर भी शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा महसूस नहीं करते। इसका ये मतलब नहीं कि असेक्सुअल लोग प्यार या भावनात्मक रिश्ता नहीं चाहते, बल्कि बहुत से असेक्सुअल लोग अच्छे दोस्त, जीवनसाथी या साथी बनाना चाहते हैं, लेकिन उनके रिश्ते में यौन संबंध जरूरी नहीं होते। कुछ असेक्सुअल लोग बिल्कुल भी यौन इच्छा नहीं रखते, जबकि कुछ को कभी-कभी या बहुत कम समय के लिए ये भावना हो सकती है। इसे एक तरह की यौन पहचान (sexual orientation) माना जाता है, जैसे होमोसेक्शुअल या हेट्रोसेक्शुअल होती है। असेक्सुअल होना कोई बीमारी या समस्या नहीं है, बल्कि ये सिर्फ इस बात को दर्शाता है कि किसी व्यक्ति की सोच और अनुभव यौन आकर्षण को लेकर अलग है।

(और पढ़ें -यौनशक्ति बढ़ाने के घरेलू उपाय और आहार)

डेमिसेक्सुअल (Demisexual) का मतलब क्या होता है?
डेमिसेक्सुअल का मतलब होता है – ऐसा व्यक्ति जिसे तब तक यौन आकर्षण महसूस नहीं होता जब तक वह किसी के साथ गहरा emotional bond न बना ले। यानी डेमिसेक्सुअल लोग किसी को सिर्फ उसकी सुंदरता, शरीर या पहली नज़र में देखकर आकर्षित नहीं होते। वे तब ही किसी के प्रति शारीरिक रूप से आकर्षित होते हैं जब उनके बीच दोस्ती, विश्वास और भावनात्मक संबंध बन चुका हो। इसका मतलब यह नहीं कि वे प्यार नहीं कर सकते, बल्कि वे धीरे-धीरे और दिल से जुड़ने वाले रिश्तों को ज़्यादा महत्व देते हैं। डेमिसेक्सुअल होना एक तरह की sexual orientation है, और यह पूरी तरह स्वाभाविक है। जैसे कुछ लोग पहली नज़र में आकर्षित हो जाते हैं, वैसे ही डेमिसेक्सुअल लोग तब ही आकर्षण महसूस करते हैं जब उनका रिश्ता किसी से गहरा हो चुका हो।

(और पढ़ें -सेक्सुअल फ्रस्ट्रेशन क्या है?)

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LGBTQ+ एक ऐसा शब्द है जो उन लोगों की पहचान को दर्शाता है जो लैंगिकता यानि sexuality और gender identity के मामले में औरों से अलग होते हैं। इस शब्द में कई प्रकार की पहचानें शामिल हैं।

  • L का मतलब है Lesbian – यानि लड़की जिसे लड़कियों की ओर आकर्षण होता है।
  • G का मतलब है Gay – यानी लड़का जिसे लड़कों की ओर आकर्षण होता है।
  • B का मतलब है Bisexual – यानी ऐसा व्यक्ति जिसे लड़के और लड़की दोनों की ओर आकर्षण हो सकता है।
  • T का मतलब है Transgender – यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी लैंगिक पहचान (gender identity) उसके जन्म के समय तय लिंग से अलग होती है।
  • Q का मतलब है Queer – यह एक खुला शब्द है, जो उन सभी लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो अपनी लैंगिकता या पहचान को परंपरागत तरीके से अलग मानते हैं।

“+” (प्लस) इस बात का संकेत है कि और भी कई पहचानें हैं जो इस समुदाय में शामिल हैं, जैसे Asexual, Pansexual, Demisexual, आदि।

(और पढ़ें -सेक्सुएलिटी के 5 प्रकार)

बायसेक्सुअल ऐसा व्यक्ति होता है जिसे लड़कों और लड़कियों दोनों के प्रति यौन या भावनात्मक आकर्षण हो सकता है। यह आकर्षण एक समय पर किसी एक लिंग की ओर ज़्यादा हो सकता है और समय के साथ बदल भी सकता है। बायसेक्शुअलिटी के पीछे कोई एक निश्चित कारण नहीं होता। यह biological, psychological , और सामाजिक कारणों से मिल कर बना हुआ हो सकता है। यह इंसान की सोच, भावनाओं और अनुभवों से जुड़ा होता है, न कि किसी बाहरी प्रभाव से। व्यक्ति खुद महसूस करता है कि वह लड़कों और लड़कियों दोनों के प्रति कैसा आकर्षण रखता है। हो सकता है कि वह दोनों के साथ रोमांटिक रिश्ते या भावनात्मक जुड़ाव महसूस करे। अगर आप बायसेक्सुअल हैं या ऐसा महसूस करते हैं, तो सबसे ज़रूरी बात है खुद को स्वीकार करना और समझना कि यह बिल्कुल नॉर्मल है। चाहें तो किसी भरोसेमंद दोस्त, परिवारजन या काउंसलर से बात करें। 

Dr. Hakeem Basit khan

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सेक्सोलोजी
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Zeeshan Khan

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9 वर्षों का अनुभव

Dr. Nizamuddin

Dr. Nizamuddin

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5 वर्षों का अनुभव

Dr. Tahir

Dr. Tahir

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20 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Bisexual Resource Center [Internet]. Massachusetts. US; What is bisexuality
  2. American Institute of Bisexuality [Internet]. US; The Kinsey Scale
  3. Psychology Today [Internet]. Sussex Publishers. New York. US; The Invisible Sexuality
  4. Centers for Disease Control and Prevention [internet]. Atlanta (GA): US Department of Health and Human Services; Dental dam use
  5. William L. Jeffries. Beyond the Bisexual Bridge. American Journal of Preventive Medicine. 2014; 47(3): 320-329.
  6. Human Rights Campaign [Internet]. Washington DC. US; Health Disparaties among Bisexual People
  7. California’s Counselling and Psychological Services: University of Califrnia [Internet]. Santa Cruz. California. US; A resource Guide to Coming out as Bisexual
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