शीर्षासन का नाम शीर्ष शब्द पर रखा गया है, जिसका मतलब होता है सिर। शीर्षासन को सभ आसनों का राजा माना जाता है। इसे करना शुरुआत में कठिन ज़रूर है लेकिन इसके लाभ अनेक हैं। इस लेख में शीर्षासन के फायदों और उसे करने के तरीको के बारे में बताया है। साथ ही इस लेख में शीर्षासन के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में भी जानकारी दी गई है। लेख के अंत में शीर्षासन से संबंधित एक वीडियो शेयर किया गया है।

  1. पहली बार शीर्षासन कैसे करें?
  2. शीर्षासन कितने मिनट तक करना चाहिए?
  3. शीर्षासन के फायदे - Sirsasana ke fayde
  4. बालों के लिए शीर्षासन के फायदे
  5. शीर्षासन करने से पहले कौन सा आसन करें? - Sirsasana karne se pehle yeh aasan kare
  6. शीर्षासन कैसे करते हैं? - Sirsasana karne ka tarika
  7. शीर्षासन करने में क्या सावधानी बरती जाए? - Sirsasana karne me kya savdhani barte
  8. शीर्षासन के बाद कौन सा आसन करना चाहिए ? - Sirsasana karne ke baad aasan
  9. शीर्षासन के बाद क्या करना चाहिए?
  10. शीर्षासन कब नहीं करना चाहिए?
  11. क्या शीर्षासन करने से हाइट बढ़ती है?
  12. सिरसासन किस बीमारी को ठीक करता है?
  13. शीर्षासन के क्या नुकसान हैं?
  14. सारांश

अगर आप पहली बार शीर्षासन करने जा रहे हैं, तो सबसे पहले ये समझना जरूरी है कि ये कोई साधारण योगा नहीं है। इसे सही तरीके से करना बहुत जरूरी होता है, वरना गर्दन, रीढ़ और सिर पर दबाव पड़ सकता है । पहली बार ये आसन करने से पहले, किसी योग गुरु या एक्सपर्ट की निगरानी में ही करें। शुरुआत में दीवार का सहारा लेकर बेलेन्स बना कर करें । इस आसन के लिए सबसे पहले वज्रासन में बैठें, फिर सामने की ओर झुककर अपनी कोहनियों को ज़मीन पर टिकाएं और हथेलियों की उंगलियों को आपस में फंसाकर एक त्रिकोण जैसा फ्रेम बनाएं। अब सिर को इस फ्रेम के बीच में ज़मीन पर रखें और धीरे-धीरे अपने घुटनों को उठाते हुए पैरों को सीधा करें। जब शरीर संतुलित लगे, तो धीरे-धीरे एक पैर और फिर दूसरा पैर ऊपर की ओर ले जाएं। शुरुआत में सिर्फ कुछ सेकंड के लिए रुकें और फिर धीरे से नीचे आएं। ये ध्यान रखें कि किसी भी स्थिति में झटके से ऊपर या नीचे न जाएं। अभ्यास के साथ संतुलन और समय दोनों में सुधार होगा।

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शीर्षासन एक शक्तिशाली योगासन है, और इसे करने का समय व्यक्ति की शारीरिक क्षमता, अनुभव और अभ्यास पर निर्भर करता है। यदि आप शुरुआत कर रहे हैं तो पहले सप्ताह में इसे सिर्फ 10-15 सेकंड के लिए करें। जैसे-जैसे आपकी गर्दन और कंधे की मांसपेशियां मजबूत होती जाएंगी, आप समय को धीरे-धीरे बढ़ा सकते हैं। आदर्श रूप से, एक स्वस्थ व्यक्ति 1 से 3 मिनट तक शीर्षासन कर सकता है। हालांकि कई अनुभवी योगी इसे 5 मिनट तक भी करते हैं, लेकिन ऐसा तभी करें जब शरीर पूरी तरह तैयार हो। बहुत ज्यादा समय तक शीर्षासन करना मस्तिष्क पर अत्यधिक रक्त संचार की वजह से सिरदर्द, आंखों में दबाव या चक्कर आने जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। महिलाओं को पिरियड्स के दौरान या गर्भावस्था में इसे करने से बचना चाहिए। हमेशा याद रखें, अधिक समय से ज्यादा जरूरी है कि आप इसे सही तकनीक से करें। जब शरीर में थकान महसूस हो या मानसिक रूप से बेचैनी लगे, तो तुरंत आसन करना बंद कर दें ।

हर आसन की तरह शीर्षासन के भी कई लाभ होते हैं। उनमें से कुछ हैं यह:

  • दिमाग़ को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद से राहत देने में मदद करता है।
  • शीर्षासन पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।
  • हाथों, टाँगों, और रीढ़ की हड्डी को मज़बूत करता है।
  • शीर्षासन फेफड़ों की कार्यकौशलता बढ़ाता है।
  • शीर्षासन से पाचन अंगों पर सकारात्मक असर होता है जिस से कब्ज़ में राहत मिलती है।
  • रजोनिवृत्ति के लक्षणों से राहत देता है शीर्षासन।
  • अस्थमा, बांझपन, अनिद्रा, और साइनस के लिए चिकित्सीय है। 

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शीर्षासन को बालों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है। जब आप सिर को नीचे और पैर को ऊपर करते हैं, तो शरीर के ऊपरी हिस्से, खासकर सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है। इस बढ़े हुए ब्लड सर्कुलेशन की वजह से स्कैल्प यानी सिर की त्वचा को ज़्यादा ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं, जिससे बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। ये बालों के झड़ने को कम करने, रूसी और समय से पहले सफेद होने की समस्या को कंट्रोल करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, तनाव भी बालों के झड़ने का बड़ा कारण होता है। शीर्षासन तनाव को कम करके मानसिक स्थिति को संतुलित करता है, जिससे बालों पर अच्छा असर पड़ता है। हालांकि, यह ध्यान रखें कि शीर्षासन कोई जादू नहीं है। अगर बाल झड़ने का कारण थायरॉइड, हार्मोनल असंतुलन, पोषण की कमी या जेनेटिक है, तो केवल शीर्षासन करने से कुछ नहीं होगा । फिर भी इसे बालों की देखभाल रूटीन में शामिल करने से फायदा मिल सकता है।

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शीर्षासन करने का तरीका हम यहाँ विस्तार से दे रहे हैं, इसे ध्यानपूर्वक पढ़ें।

  • शीर्षासन करने के लिए अपनी योगा मैट या ज़मीन पर कंबल या कोई मोटा तौलिया बिछाकर वज्रासन में बैठ जाएं। बाद में इस पर आपको अपना सिर टीकाना है, तो यह आपके सिर को एक नरम पैड देगा।
  • अब आगे की ओर झुककर दोनों हाथों की कोहनियों को जमीन पर टिका दें।
  • दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में सख्ती से जोड़ लें। इनके बीच में आपको सिर रख कर उसे सहारा देना है।
  • अब सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रखें। सांस सामान्य रखें।
  • पैर की उंगलियों पर उपर आ जायें आपका शरीर त्रिकोण मुद्रा में होगा।
  • धीरे से आयेज की तरफ पारों को लेकर आयें ताकि आपकी पीठ एकदम सीधी हो जाए -- ज़मीन और आपकी पीठ में 90 डिग्री का ऐंगल होना चाहिए।
  • जब पीठ एकदम सीधी हो जाए, धीरे-धीरे शरीर का पूरा वजन बाज़ुओं (फोरआरम) पर डालते हुए शरीर को ऊपर की उठाना शुरू करें।
  • पहले टाँगों को सिर्फ़ "आधा" उठायें, ताकि आपके घुटने छाती को छू रहे हूँ और पैर मुड़े हों इस मुद्रा में 1-2 मिनिट रहना का अभ्यास करें और फिर ही अगला स्टेप करें (इस में आपको कुछ हफ्ते या महीने भी लग सकते हैं)।
  • जब आप पिछले स्टेप में निपुण हो जायें, फिर दोनो टाँगों को सीधा उपर उठाने की कोशिश करें। कोशिश करें की कम से कम भार सिर पर लें। शरीर को सीधा कर लें।
  • शुरुआत में कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं — 5 मिनिट से ज़्यादा ना करें। 30 सेकेंड से 5 मिनिट का सफ़र तय करने में आपको कुछ महीने या साल भी लग सकते हैं तो जल्दबाज़ी ना करें!

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  • आपको शीर्षासन का ज़्यादा अभ्यासञहीँ है, या पहली बार कर रहें हैं, तो किसी अनुभवी टीचर के साथ करें ताकि वह चोट लगने से बचा सके।
  • अगर आपको पीठ या गर्दन में चोट, सिरदर्द, हृदय रोग, उच्च रक्त चाप, माहवारी, या लो बीपी हो तो शीर्षासन ना करें।
  • शीर्षासन के बाद बालासन ज़रूर करें।
  • गर्भावस्था: अगर आपको शीर्षासन करने का अनुभव है तो आप गर्भावस्था में यह जारी रख सकती हैं। मगर ध्यान रहे कि पहली बार शीर्षासन का अभ्यास गर्भवती होने के बाद ना करें।
  • अपनी शारीरिक क्षमता से अधिक ज़ोर न लगायें।
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शीर्षासन करने के बाद शरीर में ज्यादा ब्लड सिर की ओर होता है। इसलिए जरूरी होता है कि इसके बाद ऐसे आसन किए जाएं जो शरीर को संतुलित करें और रक्त संचार नॉर्मल करें। सबसे पहला आसन होता है बालासन – जिससे सिर को राहत मिलती है और दिमाग शांत होता है। इसके बाद शवासन करें जिससे पूरे शरीर को आराम मिलता है। यदि आप आगे प्रैक्टिस करना चाहते हैं, तो भुजंगासन, मकरासन या अर्ध मत्स्येन्द्रासन जैसे आसन करें। अगर सुबह खाली पेट शीर्षासन कर रहे हैं, तो बाद में 10 मिनट का ध्यान भी करें ताकि शरीर और मस्तिष्क दोनों संतुलित रहें। 

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शीर्षासन करने के बाद शरीर को तुरंत नॉर्मल अवस्था में लाना जरूरी होता है, वरना सिर दर्द, चक्कर या थकावट महसूस हो सकती है। जब आप शीर्षासन से नीचे आते हैं, तो एकदम खड़े न हों। सबसे पहले बालासन (शिशु आसन) में आकर कुछ देर विश्राम करें। इससे सिर और आंखों का रक्त प्रवाह धीरे-धीरे सामान्य होता है। बालासन में घुटनों के बल बैठकर माथा जमीन पर रखें और हाथ पीछे या सामने फैलाएं। कम से कम 1-2 मिनट इस स्थिति में रहें। इसके बाद शवासन करें जिससे पूरे शरीर को पूरी तरह से विश्राम मिलता है। शीर्षासन के बाद भारी या कठिन योगासन न करें, शरीर को शांति दें। इसके अलावा, अगर आसन करने के दौरान थकान, भारीपन, आंखों में दबाव या सांस लेने में तकलीफ हुई हो, तो तुरंत ठंडे पानी से चेहरा धोएं और विश्राम करें। कई बार लोग शीर्षासन के तुरंत बाद कुछ खा लेते हैं या उठकर भागते हैं – ऐसा बिल्कुल न करें। योग में संयम और संतुलन जरूरी होता है।

शीर्षासन एक प्रभावशाली योगासन है, लेकिन सभी लोगों के लिए ये उपयुक्त नहीं होता। यदि किसी को हाई ब्लड प्रेशर, सिर में रक्तस्त्राव, मिर्गी, ग्लूकोमा (आंखों में दबाव), गर्दन की चोट, स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या हाल में ब्रेन सर्जरी हुई हो, तो इस आसन से दूर रहना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को भी शीर्षासन नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भ पर दबाव पड़ सकता है। माहवारी के दौरान भी इस आसन से बचना चाहिए क्योंकि उस समय शरीर के हार्मोनल परिवर्तन होते हैं और उल्टे आसन से ऊर्जा का प्रवाह उल्टा हो सकता है। बच्चों को भी यह आसन सावधानी से करना चाहिए । यदि मानसिक बेचैनी, चक्कर, सिर दर्द या आंखों में दर्द हो रहा हो, तो भी शीर्षासन न करें। 

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यह एक आम सवाल है और कई लोग शीर्षासन को हाइट बढ़ाने वाला आसन मानते हैं। असल में शीर्षासन सीधे तौर पर लंबाई नहीं बढ़ाता, लेकिन यह रीढ़ की हड्डी को सीधा और मजबूत बनाकर पोस्चर को बेहतर बनाता है, जिससे व्यक्ति लंबा दिख सकता है। साथ ही यह पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करता है, जो ग्रोथ हार्मोन (growth hormone) को नियंत्रित करती है। Teenage years में यदि यह आसन नियमित रूप से किया जाए, तो यह हॉर्मोनल संतुलन और हड्डियों के विकास में मदद कर सकता है, जिससे लंबाई बढ़ने की संभावना बनती है। लेकिन अगर हाइट बढ़ाने की उम्र निकल चुकी है, तो शीर्षासन हाइट को सीधे नहीं बढ़ाता। फिर भी यह शरीर को लंबा, सीधा और संतुलित बनाने में मदद करता है, जिससे आपका स्टेचर यानी कद बेहतर दिख सकता है। यदि आप हाइट बढ़ाने के लिए योग कर रहे हैं, तो शीर्षासन के साथ-साथ ताड़ासन, भुजंगासन, पश्चिमोत्तानासन और चक्रासन भी करें।

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शीर्षासन कई बीमारियों की रोकथाम और सुधार में सहायक होता है। यह मानसिक बीमारियों जैसे तनाव, अवसाद और चिंता को कम करता है , पिट्यूटरी ग्रंथि को उत्तेजित करता है जिससे हार्मोनल समस्याएं जैसे थायरॉइड, PCOS, और अनियमित मासिक धर्म में सुधार हो सकता है ,  पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है, जिससे कब्ज, गैस और एसिडिटी जैसी समस्याएं दूर हो सकती हैं , आंखों और चेहरे तक रक्त प्रवाह बढ़ने से आंखों की रोशनी, त्वचा की चमक और बालों की गुणवत्ता में भी सुधार होता है। इसके अलावा यह रीढ़ और गर्दन की मांसपेशियों को मज़बूत बनाता है जिससे पीठ दर्द, कंधे की अकड़न जैसी मस्कुलोस्केलेटल समस्याओं में राहत मिलती है। 

जहाँ एक ओर शीर्षासन फायदों से भरपूर है, वहीं दूसरी ओर यदि इसे गलत तरीके से किया जाए या गलत समय पर किया जाए तो यह खतरनाक भी हो सकता है। सबसे पहला नुकसान गर्दन और रीढ़ पर अत्यधिक दबाव है, जो स्पॉन्डिलाइटिस, डिस्क हर्नियेशन या स्नायु चोट जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशर, आंखों में समस्या (जैसे ग्लूकोमा) या ब्रेन संबंधी विकार हैं, उनके लिए यह जानलेवा भी हो सकता है। अगर बिना तैयारी और अभ्यास के शीर्षासन किया जाए तो सिर दर्द, चक्कर, उल्टी और आंखों में भारीपन हो सकता है। महिला स्वास्थ्य की दृष्टि से, पीरियड्स और प्रेगनेंसी के दौरान यह वर्जित है। इसके अलावा यह आसन अगर ज़रूरत से ज़्यादा देर तक किया जाए तो मस्तिष्क पर रक्त का दबाव बढ़ सकता है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें । 

स्टडी

एक अध्ययन “ Compressive Cervical Myelopathy Due To Sirsasana, A Yoga Posture”: एक दुर्लभ मामले का वर्णन करता है जिसमें शीर्षासन करने के बाद एक व्यक्ति में ब्रांच रेटिनल वेन ओक्लूज़न (BRVO) विकसित हुआ।

एक 48 वर्षीय पुरुष, धूम्रपान करने वाले, अनियमित रूप से उच्च रक्तचाप का इलाज कर रहे थे। उनकी बीमारी के लक्षण थे , दाहिनी आंख में अचानक, दर्द रहित दृष्टि की कमी और महीन, काले जाले जैसे फ्लोटर्स। वो रोज़ाना 2 मिनट के लिए बिना किसी पर्यवेक्षण के शीर्षासन का अभ्यास करते थे।

  • इस अध्ययन का ये निष्कर्ष निकाला गया कि दाहिनी आंख में प्रीरेटिनल और फ्लेम-आकार का रक्तस्राव हो रहा है।
  • ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (OCT): दाहिनी आंख में हाइपरइकोइक क्षेत्रों के साथ विट्रियस हेमरेज का संकेत हैं।
  • फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी: इन्फेरोटेम्पोरल आर्केड के चारों ओर और फोवेआ के पास ब्लॉक्ड फ्लोरेसेंस के क्षेत्र, सुपरोटेम्पोरल आर्केड के साथ लीकिंग क्षेत्र।

यह मामला दर्शाता है कि शीर्षासन जैसे उल्टे योग आसनों का अभ्यास, विशेष रूप से उच्च रक्तचाप वाले व्यक्तियों में, आंखों की गंभीर जटिलताओं जैसे BRVO का कारण बन सकता है। इसलिए, ऐसे आसनों का अभ्यास करने से पहले पूर्ण चिकित्सा जांच और योग्य योग प्रशिक्षक की निगरानी में अभ्यास करना आवश्यक है।

 

https://www.academia.edu/93026300/Compressive_Cervical_Myelopathy_Due_To_Sirsasana_A_Yoga_Posture_A_Case_Report?uc-sb-sw=56614613 

और पढ़ें - (योग क्या है, लाभ, नियम, प्रकार और योगासन )

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शीर्षासन एक शक्तिशाली योग मुद्रा है, जो शरीर, मन और आत्मा – तीनों पर असर डालती है। यह मस्तिष्क में रक्त संचार बढ़ाकर मानसिक स्पष्टता, बालों की सेहत, हार्मोनल संतुलन और पाचन शक्ति में सुधार करता है। मगर इसके लाभ तभी मिलते हैं जब इसे सही तकनीक से, सही समय पर और सावधानीपूर्वक किया जाए। यह हर किसी के लिए नहीं है – खासकर गर्भवती महिलाएं, उच्च रक्तचाप वाले या गर्दन की समस्या वाले लोग इसे न करें। बालों की समस्या, तनाव, कब्ज, पीसीओएस जैसी स्थितियों में यह सहायक भूमिका निभा सकता है। लेकिन गलती से किया गया शीर्षासन नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए योग शिक्षक या डॉक्टर की सलाह लेकर ही शुरुआत करें।

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