एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम - Antiphospholipid Syndrome in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

December 07, 2019

March 06, 2020

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम
एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम क्या है?

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम ऐसी स्थिति है, जिसमें खून का थक्का बनने लगता है। ऐसा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा गलती से एंटीबॉडीज बनाने के कारण होता है। 

यह एक गंभीर रोग है, जिसके कारण पैरों, गुर्दों, फेफड़ों और मस्तिष्क में खून का थक्का बनने लगता है। गर्भवती महिलाओं में एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम की वजह से गर्भपात या शिशु मृत पैदा हो सकता है।

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम का कोई इलाज नहीं है, लेकिन दवाओं से खून का थक्का बनने की स्थिति को कम किया जा सकता है।

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम के लक्षण

  • टांगों में खून का थक्का:
    इसे मेडिकल भाषा में डीप वेन थ्रोम्बोसिस (डीवीटी) कहा जाता है, जो कि टांगों में खून का थक्का जमने से जुड़ी एक स्थिति होती है। डीवीटी के लक्षणों में प्रभावित हिस्से में दर्द, सूजन और लालिमा होना शामिल हैं। ये थक्के टांग में विकसित होकर खून के साथ फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं, जिस स्थिति को पल्मोनरी एम्बोलिस्म कहा जाता है।
     
  • गर्भपात:
    इससे ग्रस्त महिला को बार-बार गर्भपात या मृत बच्चा पैदा होने या फिर गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड प्रेशरसमय से पहले बच्चे का जन्म होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
     
  • स्ट्रोक:
    युवा व्यक्ति को हृदय रोग न होते हुए भी स्ट्रोक आना, एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम का लक्षण हो सकता है।
     
  • ट्रांसिएंट इस्कीमिक अटैक (टीआईए):
    टीआईए को एक चेतावनी या मिनी स्ट्रोक भी कहा जाता है, जिसमें खून का एक थक्का आपके मस्तिष्क में अस्थायी रूप से रक्त प्रवाह को ब्लॉक कर देता है। हालांकि, इसके लक्षण केवल कुछ समय के लिए ही रहते हैं।
     
  • रैशेज:
    कुछ लोगों में इस बीमारी के कारण त्वचा पर लाल चकत्ते या लाल रंग की धारीयां विकसित हो जाती हैं।

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम के कारण

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम ऐसी स्थिति होती है, जिसमें खून का थक्का बनने लगता है, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारा इम्यून सिस्टम गलती से एंटीबॉडी बनाना शुरु कर देता है।एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम किसी अन्य बीमारी जैसे स्व प्रतिरक्षित रोग, संक्रमण या कुछ दवाओं की वजह से भी हो सकता है। आप में बिना किसी अंदरुनी कारण के भी एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम विकसित हो सकता है।

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम का इलाज

खून का थक्का रोकने के लिए ब्लड थिनर (खून को पतला करने वाली दवा) का उपयोग किया जाता है, इन्हें थक्का-रोधी दवाएं भी कहा जाता है। थक्के को दोबारा विकसित होने से रोकने के लिए, कुछ लोगों को खून पतला करने की दवाएं लंबे समय तक खानी पड़ती हैं।

एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम से पीड़ित गर्भवती महिलाओं को खून पतला करने के इंजेक्शन लगाए जाते हैं और डिलीवरी से कुछ समय पहले तक एस्पिरिन की कम खुराक दी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इलाज को फिर से शुरू कर दिया जाता है।

इसके अलावा खून का थक्का बनने की स्थिति पैदा करने वाली अन्य बीमारियों का इलाज भी जरुरी होता है, जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, हाई कोलेस्ट्रॉल, मोटापा, डायबिटीज और ऑटोइम्यून डिसऑर्डर। साथ ही अगर आपको एंटीफोस्फोलिपिड सिंड्रोम है तो धूम्रपान का सेवन और एस्ट्रोजन थेरेपी बंद कर दें।