लो ब्लड प्रेशर को हाइपोटेंशन भी कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति का ब्लड प्रेशर लेवल सामान्य स्तर से नीचे गिर जाता है। ब्लड प्रेशर का सामान्य स्तर 120/80 एमएमएचजी होता है। 90/60 एमएमएचजी से ब्लडप्रेशर कम होने की स्थिति को हाइपोटेंशन कहा जाता है।
अधिकतर लोगों में लो ब्लड प्रेशर के कारण कोई बड़ी समस्या नहीं होती है। हालांकि, अगर ब्लड प्रेशर अचानक या ज्यादा गिरने पर चक्कर आने और बेहोशी जैसे लक्षण सामने आएं तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करें क्योंकि इस वजह से व्यक्ति को शॉक लग सकता है। डॉक्टर पर्याप्त मात्रा में पानी पीने, आहार में नमक का सेवन बढ़ाने और शराब एवं कैफीन छोड़ने तथा कंप्रेशन स्टॉकिंग्स पहनने की सलाह दे सकते हैं।
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आयुर्वेद के अनुसार लो ब्लड प्रेशर का प्रमुख कारण वात है। हालांकि, पित्त और कफ भी अप्रत्यक्ष रूप से रक्तचाप को प्रभावित करते हैं। पित्त और कफ के असंतुलन के कारण उत्पन्न हुई समस्याएं, एनीमिया और कमजोरी लो ब्लड प्रेशर का कारण बनती हैं।
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लो ब्लड प्रेशर के आयुर्वेदिक उपचार के लिए सरवांग शीरोधरा (पूरे शरीर पर तेल डालना), पिझिचिल (तेल की मालिश), शोधन कर्मा (शुद्धि चिकित्सा), अभ्यंग ( मालिश) और स्वेदन क्रिया (पसीना निकालने की चिकित्सा) की सलाह दी जाती है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और दवाओं से लो ब्लड प्रेशर के इलाज और प्रबंधन में अर्जुन, तुलसी, रसोनम (लहसुन), मंजिष्ठा (भारतीय मजीठ), त्रिकटु और मकरध्वज रस असरकारी होता है।
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