डायबिटीज एक सामान्य बीमारी है. इसमें शरीर इंसुलिन को सही तरीके से बनाने या उपयोग करने में असमर्थ हो जाता है. इसकी वजह से ब्लड शुगर बढ़ने लगता है. जब ब्लड शुगर का स्तर बढ़ता है, तो कई तरह की परेशानियां होनी शुरू हो जाती हैं. डायबिटीज का असर हृदय, किडनी और लिवर पर बुरी तरह से पड़ता है. इतना ही नहीं यह स्ट्रोक का कारण भी बन सकता है. अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, डायबिटीज वाले लोगों में स्ट्रोक होने की आशंका अन्य लोगों की तुलना में दोगुनी होती है. यहां तक कि प्रीडायबिटीज में भी स्ट्रोक का जोखिम अधिक होता है. जब डायबिटीज से स्ट्रोक होता है, तो मस्तिष्क के टिश्यू को नुकसान पहुंचने लगता है, जिससे व्यक्ति की मृत्यु तक हो सकती है.
आज इस लेख में आप डायबिटीज स्ट्रोक के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -
(और पढ़ें - शुगर की दवा)
- डायबिटीज व स्ट्रोक में संबंध
- डायबिटीज स्ट्रोक के लक्षण
- डायबिटीज स्ट्रोक के कारण
- डायबिटीज स्ट्रोक का इलाज
- सारांश
डायबिटीज व स्ट्रोक में संबंध
डायबिटीज होने पर स्ट्रोक सहित कई स्वास्थ्य समस्याएं होने का जोखिम कई गुना बढ़ सकता है. अमेरिकन स्ट्रोक एसोसिएशन के अनुसार, डायबिटीज से ग्रस्त लोगों को सामान्य लोगों की तुलना में स्ट्रोक होने की आशंका दोगुनी होती है. साथ ही ऐसे लोगों को कम उम्र में ही स्ट्रोक होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है और भविष्य में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. प्रीडायबिटीज वाले मरीज को सामान्य लोगों की तुलना में हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है.
(और पढ़ें - डायबिटीज के लिए व्यायाम)
डायबिटीज स्ट्रोक के लक्षण
डायबिटीज होने पर स्ट्रोक आने के लक्षण निम्न प्रकार के हो सकते हैं -
- हाथों और पैरों में कमजोरी महसूस होना.
- बातचीत को समझने में परेशानी.
- एक या दोनों आंखों से देखने में कठिनाई होना.
- चक्कर आना या संतुलन न बन पाना.
- चलने में परेशानी होना.
- बिना किसी कारण के गंभीर सिरदर्द होना.
- बात करने में कोई परेशानी.
- अचानक भ्रम होना.
- शरीर के एक तरफ कमजोरी या सुन्नता.
(और पढ़ें - डायबिटीज में न खाए जाने वाले फल)
डायबिटीज स्ट्रोक के कारण
डायबिटीज हृदय रोगों का कारण बन सकता है. इसकी वजह से ब्लड प्रेशर हाई हो सकता है और कोलेस्ट्रॉल लेवल बढ़ सकता है. डायबिटीज की वजह से स्ट्रोक भी हो सकता है. डायबिटीज स्ट्रोक के कारण निम्न हो सकते हैं -
हाई ब्लड शुगर लेवल
डायबिटीज या शुगर शरीर की इंसुलिन बनाने की क्षमता को प्रभावित कर देता है. साथ ही इंसुलिन का उपयोग भी सही तरीके से नहीं कर पाता है. दरअसल, इंसुलिन रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को कोशिकाओं में लाने में अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में डायबिटीज वाले लोगों के ब्लड में शुगर अधिक होती है. हाई ब्लड शुगर लेवल शरीर की रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे स्ट्रोक की संभावना बढ़ जाती है.
(और पढ़ें - क्या ज्यादा फल खाने से टाइप 2 डायबिटीज होती है)
वाहिकाओं में फैट जमा होना
शुगर की वजह से वाहिकाओं में थक्के या फैट जमा होने लगता है. इस प्रक्रिया को एथेरोस्क्लेरोसिस के रूप में जाना जाता है. जब वाहिकाओं में थक्के और फैट बढ़ते जाते हैं, तो रक्त वाहिका की दीवार संकुचित होने लगते हैं और इनमें रुकावट पैदा हो सकती है. इससे स्ट्रोक हो सकता है.
(और पढ़ें - डायबिटीज की दवा लेने का सही समय)
डायबिटीज से होने वाली अन्य समस्याएं
डायबिटीज की वजह से कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होने शुरू हो जाती है. इसमें मोटापा, हृदय रोग, हाई शुगर लेवल, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल भी स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इसलिए, स्ट्रोक से बचाव के लिए इन सभी को नियंत्रण में रखना जरूरी होता है.
(और पढ़ें - टाइप 2 डायबिटीज के चरण)
डायबिटीज स्ट्रोक का इलाज
अगर डायबिटीज की वजह से होने वाले स्ट्रोक की पहचान जल्दी हो जाती है, तो कुछ उपचार स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं. डायबिटीज स्ट्रोक का इलाज करने के लिए डॉक्टर जीवनशैली में बदलाव करने के साथ ही कुछ दवाइयां भी लिख सकते हैं. डायबिटीज स्ट्रोक का इलाज इस प्रकार से हो सकता है -
- रक्त के थक्कों को तोड़ने के लिए दवाइयां.
- रक्त वाहिका को खोलने और रक्त प्रवाह को बढ़ाने के लिए स्टेंट लगाना. इसमें स्टेंट लगाने के लिए सर्जरी की जाती है.
- धमनियों को अवरुद्ध करने वाले फैट को हटाने के लिए कैरोटीड एंडाटेरेक्टॉमी सर्जरी
- ऑक्यूपेशनल थेरेपी, ताकि रोजमर्रा के काम जैसे- लिखना व कपड़े पहनना आदि आसानी से किए जा सकें.
- अगर स्ट्रोक बोलने के तरीके को प्रभावित करता है, स्पीच थेरेपी दी जा सकती है.
(और पढ़ें - टाइप 1 डायबिटीज के चरण)
यहां समान श्रेणी की दवाएं देखें
सारांश
डायबिटीज हृदय रोग और किडनी फेलियर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है. जिन लोगों को डायबिटीज होता है, उनमें स्ट्रोक होने की संभावना अधिक होती है. इससे व्यक्ति का संपूर्ण जीवन प्रभावित हो सकता है. वहीं, अगर डायबिटीज रोगी ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रण में रखते हैं, तो स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है. अगर डायबिटीज की वजह से किसी को स्ट्रोक हो ही गया है, तो जीवनशैली को बेहतर बनाएं. साथ ही डॉक्टर की सलाह पर स्ट्रोक और डायबिटीज की दवाइयों का सेवन करना शुरू कर दें.
(और पढ़ें - डायबिटीज रैश का इलाज)
डायबिटीज स्ट्रोक के लक्षण, कारण व इलाज के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव
