अगर किसी को डायबिटीज है, तो मरीज को गाउट होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है. इसी तरह से गाउट से ग्रस्त मरीज को डायबिटीज होने की आशंका बनी रहती है. गाउट एक प्रकार का गठिया है, जो जोड़ों में अचानक दर्द और सूजन का कारण बन सकता है. वहीं, डायबिटीज तब होता है, जब किसी व्यक्ति का ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है. शोधकर्ताओं का मानना है कि गाउट और डायबिटीज दोनों के तार इंसुलिन रेजिस्टेंस से जुड़े हैं.
आज इस लेख में आप जानेंगे कि गाउट और डायबिटीज में क्या संबंध हैं -
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गाउट क्या है ?
गाउट को अर्थराइटिस का ही एक प्रकार माना गया है. इसकी वजह से जोड़ों में सूजन और दर्द हो सकता है. यह अमूमन एक बार में एक ही जोड़ को प्रभावित करता है, खासकर पैर के बड़े अंगूठे के नीचे. गाउट होने का मुख्य कारण शरीर में यूरिक एसिड की मात्रा का ज्यादा होना है. इस अवस्था को हाइपरयूरिसीमिया कहा जाता है. इसके कारण ही जोड़ों में सूजन और दर्द होता है. अमूमन पेशाब के जरिए शरीर यूरिक एसिड को बाहर निकाल देता है, लेकिन हाई प्यूरिन डाइट के सेवन से किडनी तेजी से यूरिक एसिड को बाहर निकाल पाने में असमर्थ होती है.
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गाउट और डायबिटीज के बीच संबंध
टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को हाइपरयूरिसीमिया होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. वहीं, जिन लोगों को गाउट होता है या हाई यूरिक एसिड से ग्रस्त होते हैं, उन्हें डायबिटीज होने की आशंका ज्यादा रहती है. यहां यह बात समझना जरूरी है कि हर वह व्यक्ति जिसे हाइपरयूरिसीमिया है, उसे गाउट नहीं होता है, लेकिन इसका शिकार होने की आशंका ज्यादा रहती है.
यह समझना जरूरी है कि टाइप 2 डायबिटीज क्यों होता है. यह तब होता है, जब शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं कर पाता है और शुगर कोशिकाओं में जाने की बजाय खून में रह जाता है. इसे ही इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है. शोध के अनुसार, इंसुलिन रेजिस्टेंस गाउट और हाइपरयूरिसीमिया के विकास में अहम भूमिका निभाता है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जिन लोगों का यूरिक एसिड स्तर बढ़ा हुआ होता है, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका ज्यादा रहती है.
एक अन्य शोध के अनुसार, गाउट और डायबिटीज का संबंध महिलाओं में ज्यादा मजबूत है. शोध बताते हैं कि जिन महिलाओं को गाउट होता है, उन्हें डायबिटीज होने का खतरा 71 प्रतिशत ज्यादा होता है.
इसी तरह जिन लोगों को डायबिटीज होता है, उनमें से करीब 90 प्रतिशत लोग मोटे या ज्यादा वजन वाले होते हैं. इन लोगों को गाउट होने का जोखिम उन लोगों के मुकाबले ज्यादा रहता है, जिनका वजन सामान्य रहता है. दरअसल, ज्यादा वजन होने से किडनी की यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता कम हो जाती है.
यही नहीं, टाइप 2 डायबिटीज वालों में से 80 प्रतिशत लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है. यह एसिड स्तर को भी बढ़ा देता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस से भी संबंधित है. गाउट और डायबिटीज का संबंध किडनी डैमेज और हृदय रोग से भी है.
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सारांश
गाउट और डायबिटीज दोनों अलग रोग हैं, लेकिन शोध कहते हैं कि दोनों में गहरा संबंध है. अगर गाउट है, तो डायबिटीज होने की आशंका बनी रहती है और अगर डायबिटीज है, तो गाउट होने का डर बना रहता है. इसलिए, गाउट और डायबिटीज से बचने के लिए जरूरी है वजन को संतुलित रखा जाए, शारीरिक गतिविधि करते रहना चाहिए, संतुलित भोजन व जीवनशैली का पालन करना चाहिए..
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गाउट और डायबिटीज में संबंध के डॉक्टर

Dr. Narayanan N K
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra
एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव
