टाइप 2 डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को हाइपरयूरिसीमिया होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है. वहीं, जिन लोगों को गाउट होता है या हाई यूरिक एसिड से ग्रस्त होते हैं, उन्हें डायबिटीज होने की आशंका ज्यादा रहती है. यहां यह बात समझना जरूरी है कि हर वह व्यक्ति जिसे हाइपरयूरिसीमिया है, उसे गाउट नहीं होता है, लेकिन इसका शिकार होने की आशंका ज्यादा रहती है.
यह समझना जरूरी है कि टाइप 2 डायबिटीज क्यों होता है. यह तब होता है, जब शरीर इंसुलिन का इस्तेमाल सही तरीके से नहीं कर पाता है और शुगर कोशिकाओं में जाने की बजाय खून में रह जाता है. इसे ही इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है. शोध के अनुसार, इंसुलिन रेजिस्टेंस गाउट और हाइपरयूरिसीमिया के विकास में अहम भूमिका निभाता है.
अमेरिकन जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, जिन लोगों का यूरिक एसिड स्तर बढ़ा हुआ होता है, उन्हें टाइप 2 डायबिटीज होने की आशंका ज्यादा रहती है.
एक अन्य शोध के अनुसार, गाउट और डायबिटीज का संबंध महिलाओं में ज्यादा मजबूत है. शोध बताते हैं कि जिन महिलाओं को गाउट होता है, उन्हें डायबिटीज होने का खतरा 71 प्रतिशत ज्यादा होता है.
इसी तरह जिन लोगों को डायबिटीज होता है, उनमें से करीब 90 प्रतिशत लोग मोटे या ज्यादा वजन वाले होते हैं. इन लोगों को गाउट होने का जोखिम उन लोगों के मुकाबले ज्यादा रहता है, जिनका वजन सामान्य रहता है. दरअसल, ज्यादा वजन होने से किडनी की यूरिक एसिड को शरीर से बाहर निकालने की क्षमता कम हो जाती है.
यही नहीं, टाइप 2 डायबिटीज वालों में से 80 प्रतिशत लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ा हुआ रहता है. यह एसिड स्तर को भी बढ़ा देता है और इंसुलिन रेजिस्टेंस से भी संबंधित है. गाउट और डायबिटीज का संबंध किडनी डैमेज और हृदय रोग से भी है.
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