परिचय
टाइप 1 मधुमेह दुनियाभर में डायबिटीज के सभी मामलों में काफी कम पाया जाने वाला रोग होता है। टाइप 1 मधुमेह तब होता है, जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली अग्न्याशय मे मौजूद कोशिकाओं को नष्ट कर देती है। ये कोशिकाएं इन्सुलिन बनाने का काम करती हैं। टाइप 1 डायबिटीज को “इन्सुलिन डिपेंडेन्ट डायबिटीज” (इन्सुलिन पर निर्भर मधुमेह) भी कहा जाता है।
ज्यादातर लोग समझते हैं कि टाइप 1 मधुमेह बचपन में होने वाला रोग है, जबकि ऐसा नहीं है यह बचपन में होने वाला रोग नहीं है। यह किसी भी उम्र या नस्ल के व्यक्ति को हो सकता है। वास्तव में बच्चों के मुकाबले वयस्कों में टाइप 1 मधुमेह अधिक पाया जाता है। हालांकि पहले इस रोग को “जुवेनाइल डायबिटीज” (बचपन का मधुमेह) के नाम से जाना जाता था।
टाइप 1 मधुमेह से जुड़े लक्षणों में अधिक प्यास लगना, अधिक पेशाब आना, वजन घटना, बहुत थकान होना और बार-बार मूड बदलना आदि शामिल है। मधुमेह का पता लगाने के लिए ज्यादातर मामलों में खून टेस्ट किया जाता है। टाइप 1 मधुमेह के कारण शरीर में होने वाली क्षति का पता लगाने के लिए डॉक्टर आपके कुछ अन्य टेस्ट भी कर सकते हैं।
टाइप 1 मधुमेह के इलाज में मरीज को इन्सुलिन देना और उसकी जीवनशैली में कुछ बदलाव करना आदि शामिल है। टाइप 1 मधुमेह होने से कई जटिलताएं पैदा हो जाती हैं, जैसे पैर, नसों, आंखों या फिर किडनी में किसी प्रकार की क्षति होना।
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- टाइप 1 मधुमेह क्या है - What is Type 1 Diabetes in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह के प्रकार - Types of Type 1 Diabetes in hindi
- टाइप 1 मधुमेह के लक्षण - Type 1 Diabetes Symptoms in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह के कारण व जोखिम कारक - Type 1 Diabetes Causes & Risk Factors in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह का परीक्षण - Diagnosis of Type 1 Diabetes in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह के बचाव - Prevention of Type 1 Diabetes in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह का इलाज - Treatment of Type 1 Diabetes in Hindi
- टाइप 1 मधुमेह की जटिलताएं - Complication of Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह क्या है - What is Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह क्या है?
टाइप 1 मधुमेह का मतलब है कि कोशिकाओं में ग्लूकोज पहुंचाने के लिए इन्सुलिन नहीं है और इस कारण से खून में शुगर बनने लग जाता है। इन्सुलिन एक हार्मोन होता है, जिसकी मदद से शरीर खून से ग्लूकोज निकाल कर शरीर की कोशिकाओं में डालता है। टाइप 1 मधुमेह से जीवन के लिए घातक स्थिति पैदा हो सकती है।
(और पढ़ें - शुगर में क्या खाना चाहिए)
टाइप 1 मधुमेह के प्रकार - Types of Type 1 Diabetes in hindi
टाइप 1 मधुमेह कितने प्रकार का होता है?
टाइप 1 डायबिटीज मुख्य रूप से तीन प्रकार की होती है:
- टाइप 1 डायबिटीज:
इसमें शरीर में लगभग पूरी तरह से इन्सुलिन की कमी हो जाती है, जो आमतौर पर स्व: प्रतिरक्षित रोगों के कारण होती है। यह आमतौर पर बचपन में ही विकसित होता है और 30 साल की उम्र के बाद बहुत ही कम मामलों में डायबिटीज का यह प्रकार हो पाता है। इसमें शरीर का वजन सामान्य रहता है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पहले कभी टाइप 1 मधुमेह नहीं हुआ है, तो भी उसे यह रोग हो सकता है। इसमें खून में शुगर का स्तर अस्थिर हो जाता है। टाइप 1 मधुमेह में जल्द से जल्द इन्सुलिन ट्रीटमेंट करवाने की आवश्यकता पड़ती है। (और पढ़ें - रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के उपाय)
- टाइप 1 बी या आइडियोपैथिक डायबिटीज:
यह टाइप 1 मधुमेह का एक असाधारण प्रकार होता है, जिसमें शरीर में इन्सुलिन की मात्रा लगभग ना के बराबर होती है। यदि किसी व्यक्ति के परिवार में पहले किसी को यह मधुमेह हो चुका है या है, तो इसके होने के जोखिम बहुत अधिक होते हैं। यह प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण होता है या नहीं इसके कोई सबूत नहीं है।
- लेटेंट ऑटोइम्यून डायबिटीज ऑफ एडल्टहुड (LADA):
यह टाइप 1 मधुमेह का ऐसा प्रकार होता है, जो वयस्कों में पैदा होता है। यह धीरे-धीरे बढ़ता है और अंत में इन्सुलिन ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ जाती है। हालांकि शुरुआत में खाद्य पदार्थों व खाने की दवाओं से इसके लक्षणों में सुधार हो जाता है।
(और पढ़ें - डायबिटीज डाइट चार्ट)
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण - Type 1 Diabetes Symptoms in Hindi
टाइप 1 मधुमेह के लक्षण क्या हैं?
टाइप 1 मधुमेह में होने वाले लक्षण काफी अलग-अलग हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं:
- बहुत अधिक प्यास लगना
- अधिक पेशाब आना
- थकावट और सुस्ती महसूस होना
- हमेशा भूखा महसूस होना (और पढ़ें - भूख न लगने के लक्षण)
- त्वचा पर कट या घाव धीरे-धीरे ठीक होना
- खुजली व त्वचा संक्रमण
- धुंधला दिखना
- शरीर का वजन कम होना, जिसके कारण का पता ना हो
- बार-बार मूड बदलना
- सिरदर्द होना
- चक्कर आना
- टांग की मांसपेशियों में ऐंठन
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको टाइप 1 मधुमेह है और आपको निम्नलिखित लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए:
- हाथ व पैर सुन्न होना
- धुंधला दिखना
- अत्यधिक पेशाब आना (और पढ़ें - बार बार पेशाब आने के इलाज)
- घाव व छाले आदि ठीक होने में अधिक समय लगना।
(और पढ़ें - आँख से कीचड़ आने कारण)
टाइप 1 मधुमेह के कारण व जोखिम कारक - Type 1 Diabetes Causes & Risk Factors in Hindi
टाइप 1 मधुमेह क्यों होता है?
टाइप 1 मधुमेह के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। लेकिन इतना पता है कि यह एक पारिवारिक समस्या है और यदि परिवार में किसी एक सदस्य को यह है तो बाकी सदस्यों को भी यह रोग होने का खतरा अधिक हो जाता है। टाइप 1 मधुमेह की रोकथाम करना संभव नहीं है और यह समस्या हमारी जीवनशैली से संबंधित भी नहीं होती है।
- आनुवंशिक:
टाइप 1 मधुमेह में आपका जीन एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, खासकर उन मरीजों में जिन्हें बचपन या किशोरावस्था में यह रोग हो जाता है। बचपन में शरीर में एक प्रोटीन बनता है, जिसकी मदद से प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर को स्वस्थ रखती है। टाइप 1 मधुमेह एक स्व प्रतिरक्षित रोग है, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर की इन्सुलिन बनाने वाली कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त कर देती है। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)
- वातावरणीय कारक:
वातावरण के कारकों में वायरस (रूबेला, कॉक्सेकिवायरस बी और एंटेरोवायरस), टॉक्सिन (विषाक्त पदार्थ) और पोषक तत्व (गाय का दूध, सेरियल) शामिल हैं।
टाइप 1 मधुमेह होने का खतरा कब बढ़ता है?
कुछ स्थितियां हैं, जो टाइप 1 डायबिटीज होने का खतरा बढ़ाती हैं:
- पारिवारिक समस्या:
यदि किसी व्यक्ति के मां-बाप या सगे भाई-बहन में से किसी को टाइप 1 मधुमेह है, तो उसके लिए भी यह रोग होने का खतरा बढ़ जाता है।
- उम्र:
वैसे तो टाइप 1 मधुमेह किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन इसके मामले विशेष रूप से खासकर 4 से 7 साल के बच्चों में अधिक होते हैं। कुछ मामलों में 10 से 14 साल के बच्चों में भी इसके मामले अधिक देखे गए हैं।
(और पढ़ें - प्रोटीन की कमी से होने वाले रोग)
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टाइप 1 मधुमेह का परीक्षण - Diagnosis of Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह का परीक्षण कैसे करें?
परीक्षण के दौरान आपके डॉक्टर आपसे लक्षणों व आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली स्थिति के बारे में पूछेंगे। इसके अलावा आपके खून में शुगर के स्तर की जांच करने के लिए डॉक्टर कुछ टेस्ट भी कर सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित टेस्ट शामिल हैं:
- ब्लड टेस्ट:
किसी व्यक्ति को डायबिटीज है या नहीं यह पता लगान के लिए, उसके खून में शुगर के स्तर की जांच की जाती है। यह टेस्ट दो बार किया जाता है एक बार खाना खाने से पहले और फिर खाना खाने के बाद। अस्पताल में खून के कुछ सेंपल लिए जा सकते हैं और फिर जांच के लिए उन्हें लेबोरेटरी में भेजा जा सकता है।
(और पढ़ें - ब्लड शुगर टेस्ट क्या है)
- एचबीए1सी टेस्ट:
यह पता लगाने के लिए कि कहीं काफी लंबे समय से ब्लड शुगर का स्तर अधिक तो नहीं हो रहा, उसके लिए एचबीए1सी के स्तर की जांच की जाती है। इस टेस्ट की मदद से यह पता लगाया जाता है कि पिछले दो या तीन महीनों में आपका शुगर औसतन कितना अधिक रहा है।
(और पढ़ें - एचबीए1सी टेस्ट क्या है)
यदि डायबिटीज के टाइप का पता नहीं है, तो इस बारे में पता लगाने के लिए आपके डॉक्टर निम्नलिखित में से कोई एक या अधिक टेस्ट कर सकते हैं:
- कीटोन टेस्ट
- जीएडी ऑटो एंटीबॉडीज टेस्ट
- सी-पेपाइड टेस्ट
(और पढ़ें - इन्सुलिन टेस्ट क्या है)
टाइप 1 मधुमेह के बचाव - Prevention of Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह की रोकथाम कैसे करें?
- अभी तक ऐसी कोई थेरेपी उपलब्ध नहीं है, जो प्रतिरक्षा प्रणाली में बदलाव कर सके और अग्न्याशय की कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचा सके। (और पढ़ें - हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी क्या है)
- टाइप 1 मधुमेह की रोकथाम करने के लिए अभी तक किसी उपाय का पता नहीं चल पाया है। लेकिन जिन लोगों का हाल ही में टाइप 1 मधुमेह का परीक्षण हुआ है, उनके लिए शोधकर्ता अभी भी टाइप 1 मधुमेह को बढ़ने से रोकने और अग्न्याशय की कोशिकाओं में क्षति से बचाव के लिए उपाय खोज रहे हैं।
(और पढ़ें - अग्नाशयशोथ का इलाज)
टाइप 1 मधुमेह का इलाज - Treatment of Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह का इलाज कैसे किया जाता है?
डायबिटीज को पूरी तरह से ठीक करना संभव नहीं है। इसके इलाज का मुख्य लक्ष्य जितना संभव हो सके खून में शुगर के स्तर को सामान्य रखना होता है, ताकि इससे होने वाली जटिलताओं की रोकथाम हो सके।
टाइप 1 मधुमेह को नियंत्रित किया जा सकता है, जिसकी मदद से इससे ग्रस्त लोग एक स्वस्थ व एक्टिव जीवन जी सकते हैं।
- टाइप 1 मधुमेह में, इलाज का मुख्य लक्ष्य रोजाना ब्लड शुगर पर नजर रखना और नियमित रूप से इन्सुलिन इस्तेमाल करना होता है। इन्सुलिन थेरेपी शरीर में इन्सुलिन के स्तर को बढ़ाने और खून में शुगर के स्तर को कम करने का काम करती है। खून में शुगर का स्तर बहुत अधिक या बहुत कम होने से बचाव करने के लिए, इन्सुलिन को बहुत अधिक या बहुत कम मात्रा में नहीं लेना चाहिए। इसके अलावा इलाज का लक्ष्य डायबिटीज के कारण होने वाली दीर्घकालिक जटिलताओं से बचाव करना भी होता है। अलग-अलग प्रकार के इन्सुलिन के लिए अलग-अलग प्रकार के उपचार तरीके होते हैं।
- ब्लड शुगर का स्तर सिर्फ उस इन्सुलिन से ही प्रभावित नहीं होता, जो आप टीके की मदद से लेते हैं। बल्कि आप क्या खाते या पीते हैं इससे भी प्रभावित होता है। साथ ही साथ आप किसी शारीरिक गतिविधि के दौरान शरीर की कितनी एनर्जी का उपयोग करते हैं, इससे भी आपके खून में शुगर का स्तर प्रभावित होता है। इसलिए ज्यादातर लोग अपने शरीर व आदतों के अनुसार इन्सुलिन थेरेपी को बारीकी से एडजस्ट करना सीख जाते हैं। (और पढ़ें - हार्मोन चिकित्सा क्या है)
- टाइप 1 मधुमेह के इलाज को सफल करने के लिए, मरीज को अपने डायबिटीज की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी रखना, अपनी थेरेपी को मैनेज करना और एक अच्छे डॉक्टर से इलाज करवाना जरूरी होता है। लेकिन लंबे समय के बाद मरीज का स्वास्थ्य सिर्फ शुगर के स्तर के अलावा स्वास्थ्य संबंधी अन्य कई चीजों पर निर्भर करने लगता है। ब्लड प्रेशर जैसे कुछ पहलू भी डायबिटीज पर बहुत बड़ा प्रभाव डाल सकते हैं। इसी वजह से टाइप 1 मधुमेह से ग्रस्त लोगों को अन्य प्रकार की दवाएं भी लेनी पड़ती हैं, उदाहरण के लिए कार्डियोवास्कुलर रोग के लिए दवाएं लेना। (और पढ़ें - लो बीपी का इलाज)
- शारीरिक रूप से गतिशील रहना, नियमित रूप से एक्सरसाइज करना और अच्छे व स्वस्थ आहार खाने से भी ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में और डायबिटीज से होने वाली दीर्घकालिक जटिलताओं से बचाव करने में मदद मिलती है। सही आहार खाना व नियमित रूप से एक्सरसाइज करना टाइप 1 मधुमेह को मैनेज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन इनकी मदद से इन्सुलिन की आवश्यकता या रोग को पूरी तरह से खत्म नहीं किया जा सकता है।
(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए एक्सरसाइज)
टाइप 1 मधुमेह की जटिलताएं - Complication of Type 1 Diabetes in Hindi
टाइप 1 मधुमेह से क्या जटिलताएं होती हैं?
यदि टाइप 1 मधुमेह को बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए, तो इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ग्लूकोज की अधिक मात्रा से रक्त वाहिकाएं, नसें और अंदरुनी अंग क्षतिग्रस्त होने लग जाते हैं।
टाइप 1 मधुमेह से होने वाली जटिलताएं जो कम समय तक रहती हैं:
यदि खून में ग्लूकोज का स्तर बहुत कम हो जाता है या यदि इन्सुलिन का इंजेक्शन लगवाना भूल गए हैं, तो इससे अल्पकालिक जटिलताएं विकसित हो सकती हैं:
- हाइपोग्लाइसीमिया:
यह तब होता है जब खून में शुगर का स्तर अत्यधिक कम हो जाता है। (और पढ़ें - हाइपोग्लाइसीमिया का इलाज)
- कीटोएसिडोसिस:
ऐसा तब होता है, जब इन्सुलिन का इंजेक्शन लगाना भूल जाएं या खून में ग्लूकोज का स्तर अत्यधिक बढ़ जाए।
(और पढ़ें - ब्लड ग्लूकोज टेस्ट क्या है)
टाइप 1 मधुमेह से होने वाली दीर्घकालिक जटिलताएं:
डायबिटीज से होने वाली जटिलताएं आखिर में मरीज को दुर्बल बना देती हैं और यहां तक कि जीवन के लिए हानिकारक स्थिति भी पैदा कर सकती हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं:
- हृदय और रक्त वाहिकाओं जुड़े रोग:
डायबिटीज कई प्रकार के कार्डियोवास्कुलर रोगों का खतरा बढ़ा देता है, जैसे कोरोनरी आर्टरी डिजीज, छाती में दर्द, हार्ट अटैक, स्ट्रोक, एथेरोस्क्लेरोसिस और हाई ब्लड प्रेशर आदि।
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- नसें क्षतिग्रस्त होना (न्यूरोपैथी):
अत्यधिक शुगर से सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं (जिन्हें केशिकाएं कहा जाता है) की परत क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। ये केशिकाएं, रक्त वाहिकाओं (खासकर टांग की वाहिकाओं) को पोषण प्रदान करती हैं। इससे झनझनाहट, सुन्नता, जलन या दर्द होने लगता है। ऐसा आमतौर पैरों या हाथों की उंगलियों में महसूस होता है और फिर धीरे-धीरे ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है। यदि ब्लड शुगर को ठीक से कंट्रोल नहीं किया जाए, तो आखिर में उस से प्रभावित अंग में स्पर्श महसूस होना बिलकुल बंद हो जाता है।
- जठरांत्र पथ की समस्याएं:
गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट (जठरांत्र पथ) से जुड़ी कोई नस क्षतिग्रस्त होने से दस्त, कब्ज, मतली और उल्टी जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं। पुरुषों में स्तंभन दोष जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
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- किडनी क्षतिग्रस्त होना (नेफ्रोपैथी):
किडनी में लाखों सूक्ष्म रक्त वाहिकाओं के गुच्छे (समूह) होते हैं, जो व्यर्थ पदार्थों को फिल्टर करने का काम करते हैं। डायबिटीज इस नाजुक अंग को क्षतिग्रस्त कर सकता है। गंभीर रूप से क्षति होने पर किडनी खराब हो जाती है या किडनी संबंधी कोई ऐसा गंभीर रोग हो जाता है जिसको ठीक नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में किडनी डायलिसिस या किडनी प्रत्यारोपण (किडनी ट्रांसपलांट) करने की आश्यकता पड़ती है।
(और पढ़ें - किडनी को खराब करने वाली आदतें)
- आंखें क्षतिग्रस्त होना:
टाइप 1 मधुमेह से रेटिना की रक्त वाहिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं, इस स्थिति को “डायबिटिक रेटिनोपैथी” कहा जाता है। यह संभावित रूप से अंधेपन का कारण भी बन सकती है।
- गर्भावस्था से जुड़ी जटिलताएं:
खून में शुगर की अधिक मात्रा मां व उसके गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकती है। यदि टाइप 1 मधुमेह को ठीक से कंट्रोल ना किया जाए तो उससे मिसकैरेज, मृत बच्चा जन्म लेने और अन्य जन्म दोष की समस्या हो सकती है।
- नजर संबंधी समस्याएं:
टाइप 1 मधुमेह अन्य कई गंभीर स्थितियों का कारण भी बन सकता है जैसे मोतियाबिंद और काला मोतियाबिंद आदि।
(और पढ़ें - मोतियाबिंद का घरेलू उपाय)
- पैर क्षतिग्रस्त होना:
पैर की नसें क्षतिग्रस्त होने या फिर पैर तक पर्याप्त खून ना जा पाने के कारण पैर संबंधी कई प्रकार की जटिलताएं विकसित हो सकती हैं।
- घाव ठीक ना होना:
टाइप 1 मधुमेह को यदि कंट्रोल ना किया जाए तो टांग आदि पर बने घाव या फफोले ठीक नहीं होते और लगातार गंभीर होते रहते हैं। घाव लगातार बढ़ने से रोकने के लिए प्रभावित अंग का हिस्सा काटना भी पड़ सकता है।
(और पढ़ें - घाव भरने के उपाय)
- इन्फेक्शन:
टाइप 1 मधुमेह से मुंह व त्वचा का इन्फेक्शन होने का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है, इसमें बैक्टीरियल इन्फेक्शन और फंगल इन्फेक्शन आदि शामिल हैं।
(और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन में क्या खाएं)
- मसूड़ों के रोग:
टाइप 1 मधुमेह से ग्रस्त लोगों को मसूड़ों के रोग होना और मुंह सूखना आदि जैसी समस्याएं होने लग जाती हैं।
(और पढ़ें - मसूड़ों से खून आने का कारण)