शारीरिक गतिविधियों में कमी और तनाव ने कई रोगों को जन्म दिया है। हाल के वर्षों में मधुमेह एक सामान्य स्वास्थ्य समस्या बन गई है, जो दुनिया भर में लाखों लोगों को अपना शिकार बना रही है। शुगर (मधुमेह) एक आजीवन बीमारी है और पूरे जीवन के लिए इसकी दवाएं लेने से कई दुष्प्रभाव और स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। ऐसे में मधुमेह को नियंत्रित करने का सबसे बेहतरीन तरीका आयुर्वेद और घरेलू उपाय हैं। ऐसी कई प्राकृतिक सामग्रियां हैं, जो ग्लूकोज को विनियमित और रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।

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आज इस लेख में आप जानेंगे कि शुगर को कम करने के लिए घरेलू नुस्खे किस प्रकार कारगर हैं -

  1. शुगर को जड़ से खत्म करने का उपाय है करेला - Sugar kam karne ke tarika hai bitter gourd
  2. शुगर कम करने का उपाय है त्रिफला - Sugar kam karne ke upay hai triphala churna
  3. शुगर कंट्रोल करे विजयसार से - Sugar ka gharelu nuskhe hai vijaysar powder
  4. डायबिटीज से बचने का उपाय है हल्दी पाउडर - Diabetes ka gharelu upay hai turmeric powder
  5. शुगर तुरंत कम करने के उपाय है जामुन - Diabetes ko turant control kare ka tarike hai jamun
  6. शुगर खत्म करने का तरीका है गुड़मार - Diabetes khatam karne ke gharelu nuskhe hai gurmar
  7. डायबिटीज कंट्रोल करने का उपाय है शिलाजीत - Sugar kam karne ka gharelu upay hai shilajit
  8. शुगर से छुटकारा दिलाता है नीम - Diabetes se bachne ka upay hai neem
  9. मधुमेह के घरेलू नुस्खे हैं बेलपत्र - Sugar ko control karne ka nuskha hai bel patra
  10. डायबिटीज ठीक करने के उपाय हैं मेथी - Diabetes dur karne ka gharelu upay hai fenugreek

खाली पेट पर हर सुबह कड़वा करेले का रस पीना शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है और लगातार आ रहें पेशाब से राहत दिलाता है। इसमें चरन्तिन (charantin) नामक एक सक्रिय घटक होता है जो रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करता है। आप इसके बीज बाहर निकालकर इसका पाउडर बनाकर दैनिक रूप से इसका सेवन करें।

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
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रोगों का इलाज करने के लिए आयुर्वेद में त्रिफला सबसे व्यापक रूप से मौजूद जड़ी-बूटियों में से एक है। जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, त्रिफला तीन फलों का एक संयोजन है। ये सभी तीन फल शक्तिशाली जड़ी बूटी हैं और त्रिफला इन तीनों के बहुमूल्य औषधीय गुणों को मिलाता है। यह अग्न्याशय के कार्यों में मदद करता है और इंसुलिन के स्राव को बढ़ावा देता है। आप गर्म पानी के साथ 1 चम्मच पाउडर का सेवन कर सकते हैं या आप रक्त शर्करा के स्तर में बड़े बदलावों से बचने के लिए, इसे लेने से पहले किसी विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श लेना बेहतर होगा।

विजयसार के पेड़ की छाल शुगर (मधुमेह) रोगियों के लिए वरदान से कम नहीं है। यह न केवल रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करती है बल्कि इंसुलिन के स्राव को बढ़ावा देने और शरीर से अतिरिक्त वसा को बाहर निकालने में भी प्रभावी है। यह रक्त में स्वस्थ लिपिड स्तर को बनाए रखती है और मधुमेह से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को रोकती है। आयुर्वेदिक ग्रंथ विजयसार को मधुमेह के लिए एक उत्कृष्ट जड़ी बूटी बताते हैं। आप पानी के साथ इसकी छाल का चूर्ण या पाउडर का सेवन कर सकते हैं।

हल्दी अपने शक्तिशाली उपचार शक्तियों के लिए जानी जाती है और हर किसी के रसोई घर में इसकी विशेष जगह है। यह रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है और मधुमेह के मूल कारणों को हल करने में भी मदद करती है। प्रभावी और शीघ्र परिणामों के लिए, आप हल्दी को आंवला के साथ ले सकते हैं। बस अपने आहार में 2-3 ग्राम हल्दी शामिल करें और इसके फायदे का आनंद लें।

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जामुन में ग्लाइकोसाइड होता है जो रक्त शर्करा के स्तर पर रोक लगाने में मदद करता है। यह मधुमेह के लिए एक शक्तिशाली जड़ी बूटी के रूप में कार्य करता है और चीनी को ऊर्जा में बदलकर मधुमेह के प्रभाव को ख़त्म करता है। तो जल्दी से अपने रसोई घर की ओर जाए और जामुन के बीजों को पीसकर एक महीन पाउडर बनाएं और दिन में दो बार 3 ग्राम पाउडर को छाछ के साथ लें।

गुड़मार का मतलब है 'चीनी का नाश करना' और आयुर्वेद में पारंपरिक रूप से मधुमेह के इलाज के लिए इसका उपयोग किया जाता है। यह शरीर में इंसुलिन को बढ़ाता है और रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में सहायता करता है। यह वसा को सोखने और चीनी के रूपांतरण की प्रक्रिया को धीमा कर देता है। यह शरीर की चयापचय गतिविधियों में भी मदद करता है, वजन का संतुलन बनाए रखने में सहायता करता है और रक्त में कोलेस्ट्रॉल के सही स्तर को भी बनाए रखता है। गुड़मार की कुछ पत्तियों को रोजाना चबाएं या 400 mg गुड़मार चूर्ण से चाय बनाकर पिएं।

शिलाजीत रक्तप्रवाह में ग्लूकोज को रोकता है और स्वस्थ रक्त शर्करा के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है। यही कारण है कि इसे "डायबिटीज़ को ख़त्म करने वाला" भी कहा जाता है। यह अग्न्याशय के कामकाज को उत्तेजित करता है और इंसुलिन स्राव को प्रोत्साहित करता है और बाहरी इंसुलिन सेवन पर निर्भरता को कम करने में मदद करता है। यह मधुमेह के कारण थकान को दूर करने में भी मदद करता है। आप रोजाना 100 मिलीग्राम शिलाजीत पाउडर का उपभोग कर सकते हैं।

शिलाजीत का नियमित सेवन करने से डायबिटीज को नियंत्रित किया जाता है अगर आप भी डायबिटीज को कंट्रोल करना चाहते है तो आज ही आर्डर करे myUpchar Ayurveda द्वारा तैयार किए गए Urjas शिलाजीत कैप्सूल और एक नया कदम स्वस्थ जीवन की और बढ़ाये।

नीम के पत्ते औषधीय गुणों से भरा होते हैं और ये आसानी से उपलब्ध भी हो जाते हैं। नीम कफ दोष को संतुलित करता है और इंसुलिन की निर्भरता को कम करता है। वैदिक और पारंपरिक स्वास्थ्य संबंधी ग्रंथों के अनुसार यह मधुमेह में सुधार लाने में बहुत प्रभावी है। यह न केवल शरीर में शर्करा के स्तर को कम करता है बल्कि रक्त के प्रवाह को सामान्य करने में भी मदद करता है। एथोरोसलेरोसिस और हृदय संबंधी जटिलताओं को रोकने की लिए आप नीम के 4-5 पत्ते चबा सकते हैं या नीम के रस का सेवन कर सकते हैं। यह आपकी इंसुलिन सेवन पर निर्भरता कम करने में भी आपकी मदद कर सकता है।

यदि आप अपने उच्च रक्त शर्करा के स्तर के बारे में चिंतित हैं, तो जल्दी से बेल के कुछ पत्तों को लेकें उन्हें पीसकर रस निकाल लें और लगभग 20 मिलीलीटर रस में काली मिर्च और नमक की एक चुटकी मिलाएँ और अपने खून में उच्च रक्त शर्करा स्तर को कम करने के लिए इसका सेवन करें।

मेथी के बीजों में ट्रायोनिललाइन और एल्कालोइड होते हैं जो रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में सहायक होते हैं। वे कार्बोहाइड्रेट के पाचन और अवशोषण की प्रक्रिया को भी धीमा कर देते हैं। मेथी के बीजों को पीसकर पाउडर बना लें और रोजाना सुबह एक चम्मच पाउडर का सेवन करें। आप इससे बनी चाय भी पी सकते हैं। यदि आप गर्भवती महिला या आपने बच्चे को जन्म दिया है या फिर आप गर्भ धारण करने की कोशिश कर रहे हैं तब इसका उपयोग करने से बचें। दूसरों के लिए इसका उपयोग करना सुरक्षित है लेकिन उन्हें 6 महीनों से भी अधिक समय तक इसका सेवन नहीं करना चाहिए।


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