माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो बार-बार होता रहता है। यह दर्द बहुत गंभीर होता है। व्यक्ति को मध्यम से लेकर तेज सिरदर्द का अनुभव हो सकता है। माइग्रेन के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है। हालांकि, ज्यादातर डॉक्टर ये मानते हैं कि माइग्रेन अनुवांशिक कारण से होता है।
इसके अलावा, ऐसे कई कारक हैं, जिनसे माइग्रेन का सिरदर्द हो सकता है। ये कारक हैं, स्ट्रेस, हार्मोन असंतुलन, शोर वाला वातावरण, तेज गंध वाले परफ्यूम, नींद पूरी न होना, मौसम में अचानक या बहुत ज्यादा बदलाव आना और उत्तेजित करने वाले पदार्थ लेना, जैसे कैफीन या शराब। कुछ खाने की चीजें, जैसे खमीर और प्रोसैसेड पदार्थ से भी माइग्रेन का सिरदर्द शुरू हो सकता है।
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माइग्रेन होने का खतरा उन लोगों को ज्यादा होता है, जिनके परिवार के किसी सदस्य को माइग्रेन है। माइग्रेन का अटैक 4 से 72 घंटों तक रह सकता है और आपको इसके अलग-अलग चरण अनुभव हो सकते हैं, हालांकि ऐसा जरुरी नहीं है कि व्यक्ति को एक के बाद एक सारे चरण अनुभव हों। माइग्रेन के चार चरण होते हैं:
- पहला चरण (प्रोड्रोम):
ये चरण कुछ घंटों से दिनों तक रहता है।
- दूसरा चरण (ऑरा):
इस चरण में लक्षण पांच मिनट से एक दिन तक रहते हैं।
- तीसरा चरण (हेडेक):
ये चरण चार घंटों से 3 दिनों तक रह सकता है।
- चौथा चरण (पोस्टड्रोम):
इस चरण में लक्षण एक से दो दिन तक अनुभव होते हैं।
माइग्रेन से संबंधित सिरदर्द और अन्य लक्षण आमतौर पर सिर के एक ही हिस्से में सीमित रहते हैं और ज्यादातर इसके साथ अन्य लक्षण भी अनुभव होते हैं, जैसे मतली, धुंधला दिखना, चिड़चिड़ापन और बार-बार मूड बदलना।
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माइग्रेन का पता लगाने के लिए अक्सर लक्षणों और नसों का परीक्षण किया जाता है। माइग्रेन के इलाज का अभी तक पता नहीं चल पाया है, इसीलिए इसके उपचार में लक्षणों की गंभीरता को कम करने और असुविधा घटाने पर ध्यान दिया जाता है। माइग्रेन के लिए किए जाने वाले सामान्य उपचार में पेन किलर दवाओं का उपयोग किया जाता है और रोगी की जीवनशैली में कुछ बदलाव किए जाते हैं।
ऐसी कुछ होम्योपैथिक दवाएं उपलब्ध हैं, जिनसे माइग्रेन के लक्षण सुधारे जा सकते हैं, जैसे बेलाडोना (Belladonna), जेल्सीमियम (Gelsemium) और नक्स वोमिका (Nux Vomica) आदि। ये दवाएं कारण के आधार पर अलग-अलग प्रकार के सिरदर्द को ठीक करने में काम आती हैं।
- होम्योपैथी में माइग्रेन का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me migraine ka ilaj kaise hota hai
- माइग्रेन की होम्योपैथिक दवा - Migraine ki homeopathic dawa
- होम्योपैथी में माइग्रेन के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me migraine ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
- माइग्रेन के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Migraine ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
- माइग्रेन के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Migraine ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
होम्योपैथी में माइग्रेन का इलाज कैसे होता है - Homeopathy me migraine ka ilaj kaise hota hai
माइग्रेन और सिरदर्द के होम्योपैथिक उपचार को काफी अच्छा माना जाता है, क्योंकि ये माइग्रेन करने वाले कारण को ठीक करता है। सिरदर्द के लिए सही होम्योपैथिक दवा चुनने के लिए, अलग-अलग कारक पर ध्यान देना और उनका अवलोकन करना चाहिए। ध्यान देने योग्य सबसे मुख्य कारक हैं, सिरदर्द होने का समय और सिरदर्द को उत्तेजित करने वाले कारण। इसके बाद दर्द होने की जगह पर ध्यान दिया जाता है।
ज्यादातर मामलों में, लोगों को सिर की एक ही तरफ दर्द होता है, जो नीचे की तरफ गर्दन की मांसपेशियों तक फैलता है। इसके अलावा, दर्द की भावना या उसके प्रकार को भी ध्यान में रखा जाता है। कुछ लोगों को तेज दर्द होता है और ऐसा महसूस होता है, जैसे कोई उनके सिर में छुरा भौंक रहा हो। कुछ लोगों को सिर फटने वाला दर्द होता है, जो अन्य जगहों पर भी फैल जाता है। होम्योपैथिक दवा देने से पहले, दर्द के अलावा इसके साथ होने वाले अन्य लक्षणों का भी ध्यान रखा जाता है। सामान्य तौर पर किए जाने वाले उपचार के विपरीत, होम्योपैथी में लक्षण के कारण को ठीक किया जाता है, जिससे दोबारा ये समस्या होने से बचाव होता है।
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माइग्रेन की होम्योपैथिक दवा - Migraine ki homeopathic dawa
माइग्रेन का इलाज करने के लिए निम्नलिखित होम्योपैथिक दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है:
- बेलाडोना (Belladonna)
सामान्य नाम: डेडली नाइटशेड (Deadly Nightshade)
लक्षण: ये दवा बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए उपयोग की जाता है, जो माइग्रेन के कारण तेज सिरदर्द अनुभव कर रहे हैं। नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- सिर में फड़कता हुआ तेज दर्द महसूस होना।
- ऐसा महसूस होना जैसे सिर में कोई नस तेजी से फड़क रही है।
- तेज रौशनी और शोर न सह पाना।
- दर्द से कराहते रहना।
- सिर की दाईं तरफ दर्द होना, जो लेटने से और रात में बढ़ जाता है।
- ऊपरी होंठ और पलकों की सूजन। (और पढ़ें - पलक में गांठ बनने के कारण)
- गर्दन में अकड़न।
- अच्छी नींद न आना। (और पढ़ें - अच्छी गहरी नींद आने के घरेलू उपाय)
- आंखों की पिछली तरफ नस फड़कने जैसा महसूस होना, खासकर लेटने पर।
- गुनगुनाने की आवाज़ें सुनाई देना।
- कानों और दांत में तेज दर्द होना। (और पढ़ें - कान के दर्द के लिए क्या करें)
- भूख न लगना।
- मतली और उल्टी होना, जो नियंत्रित नहीं हो पाती।
- पेट पर हाथ लगाने पर दर्द होना। (और पढ़ें - पेट में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
- ब्रायोनिया (Bryonia)
सामान्य नाम: वाइल्ड हॉप्स (Wild Hops)
लक्षण: निम्नलिखित लक्षण होने पर इस दवा का उपयोग किया जाता है:- उलझन होना।
- सुबह के समय और खाना खाने के बाद सिरदर्द होना।
- मतली और उल्टी के साथ अचानक सिरदर्द शुरू हो जाना। (और पढ़ें - खून की उल्टी आने के कारण)
- दिमाग पर दबाव महसूस होना और सिर भारी होना।
- माथे और आंखों में जलन होना। (और पढ़ें - आंखों में जलन होने पर क्या करे)
- हिलने-डुलने या कोई अन्य शारीरिक गतिविधि करने पर सिरदर्द होना।
- आंखों में दर्द। (और पढ़ें - आंख में दर्द होने पर क्या करना चाहिए)
- सिर की दाईं तरफ तेज दर्द।
- गाल की हड्डी और जबड़े में फैलने वाला दर्द होना। (और पढ़ें - जबड़े में दर्द का उपचार)
- अत्यधिक प्यास लगना।
- माथे पर पसीना आना।
- ठीक तरह से पढ़ न पाना।
- कोई शारीरिक गतिविधि करने का प्रयास करने पर आंखों में भारीपन और दबाव महसूस होना। (और पढ़ें - आँखों की थकान दूर करने के उपाय)
- कान में गुंजन होना।
- चेहरे पर लाली के साथ छोटे-छोटे लाल धब्बे पड़ना।
- भूख कम लगना।
- मुंह का स्वाद कड़वा होना।
- ज्यादा भूख लगने के साथ मतली अनुभव होना।
- जेल्सीमियम (Gelsemium)
सामान्य नाम: येलो जैस्मीन (Yellow Jasmine)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए अधिक असरदार है, जिन्हें माइग्रेन की समस्या तनाव तथा चिंता के कारण शुरू होती है। ये निम्नलिखित समस्याओं में उपयोग की जाती है:- सिर में भारीपन महसूस होना।
- सिर में हल्का दर्द होना।
- माथे में दर्द होना।
- गर्दन और कंधों में दर्द होना। (और पढ़ें - कंधे के दर्द के घरेलू उपाय)
- सिर की त्वचा में दर्द होना।
- पलकों का भारीपन।
- पलकें अपने आप बंद होना। (और पढ़ें - पलकें फड़कने के कारण)
- लगातार छींक आना।
- त्वचा पर फ्लशिंग।
- धुंधला दिखना।
- निगलने में कठिनाई।
- कान में तेज दर्द होना।
- गले में गांठ जैसा महसूस होना।
- प्यास कम लगना।
- ग्लोनॉइन (Glonoine)
सामान्य नाम: नाइट्रो ग्लिसरीन (Nitro Glycerine)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए असरदार है जिन्हें गर्मी के कारण तेज सिरदर्द होता है। नीचे दिए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- उलझन होना।
- सिर चकराने के साथ मतली और चिड़चिड़ापन। (और पढ़ें - बच्चों में चिड़चिड़ेपन के कारण)
- गुस्सा आना। (और पढ़ें - गुस्सा कैसे कम करें)
- नस फड़कने जैसा सिरदर्द होना।
- सिर में दबाव व जमाव महसूस होना।
- धूप में जाने पर सिरदर्द होना।
- आंखों के सामने रौशनी दिखाई देना। (और पढ़ें - आंखों की चोट का इलाज)
- कान में धड़कन सुनाई देना।
- गर्दन में भारीपन महसूस होना। (और पढ़ें - स्पोंडिलोसिस के लक्षण)
- दम घुटने जैसा महसूस होना।
- चेहरे में दर्द होना।
- दांत में दर्द। (और पढ़ें - दांत दर्द के घरेलू उपाय)
- कब्ज होना। (और पढ़ें - कब्ज में क्या खाना चाहिए)
- कान में घंटी की आवाज सुनाई देना।
- सिरदर्द का नाक तक फैलना।
- जबड़े में दर्द और अकड़न।
- मुंह का स्वाद कड़वा होना।
- जीभ में चुभन होना।
- हमेशा प्यास लगना।
- इग्नेशिया (Ignatia)
सामान्य नाम: सेंट इग्नेशियस बीन (St.Ignatius Bean)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए सबसे अच्छी है जिन्हें चिंता और मानसिक तनाव के कारण माइग्रेन अटैक आता है। इसे नीचे दिए गए लक्षण ठीक करने के लिए उपयोग किया जाता है:- बार-बार मूड बदलना और दुखी होना। (और पढ़ें - प्रेगनेंसी में बदलते मूड के कारण)
- सिर की एक तरफ दर्द के साथ तेज व गंभीर दर्द होना और साथ ही गुस्सा भी आना।
- सिर में भारीपन।
- पलकों के संकुचित होने के साथ आंखों में दर्द होना। (और पढ़ें - आँखों में दर्द का घरेलू इलाज)
- नजर की समस्याएं।
- चेहरे की मांसपेशियों में अपने आप खिंचाव आना।
- दांतों में दर्द होना, जो कॉफी पीने से या धूम्रपान करने से बढ़ जाता है।
- मुंह में खट्टा स्वाद आना। (और पढ़ें - खट्टी डकार के कारण)
- पेट फूलना।
- पेट में मरोड़ और मल करते समय कुलबुलाना।
- नींद न आना।
- आइरिस वर्सिकलर (Iris Versicolor)
सामान्य नाम: ब्लू फ्लैग (Blue Flag)
लक्षण: नीचे दिए लक्षणों को ठीक करने के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है:- सिरदर्द होना, जो आराम करने से बढ़ जाता है।
- मतली और उल्टी। (और पढ़ें - गर्भावस्था में उल्टी क्यों होती है)
- सिर की त्वचा में खिंचाव।
- माथे की दाईं तरफ दर्द।
- धुंधला दिखना।
- कान में घंटी के साथ कुछ देर सुनाई देना बंद होना।
- गले में जलन। (और पढ़ें - गले में जलन होने पर क्या करें)
- नैट्रम म्यूरिएटिकम (Natrum Muriaticum)
सामान्य नाम: क्लोराइड ऑफ सोडियम (Chloride of Sodium)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है जिन्हें दुखी रहने के कारण और तेज रौशनी में जाने से माइग्रेन की समस्या होती है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:- तेज सिरदर्द के साथ कुछ देर के लिए एक आंख से दिखना बंद होना।
- सुबह के समय तेज सिरदर्द।
- सिर में भारीपन महसूस होना और ऐसा लगना जैसे आपका सिर बहुत बड़ा है।
- होंठ और जीभ सुन्न होना और उनमें गुदगुदी होना। (और पढ़ें - मुंह के कैंसर के शुरुआती लक्षण)
- पलकें भारी होना।
- तेज रौशनी सहन न कर पाना।
- आंख में जलन। (और पढ़ें - आँखों की जलन दूर करने के उपाय)
- नीचे देखते समय आंखों में दर्द।
- सांस लेने में दिक्कत।
- सीने में जलन के साथ धड़कन तेज होना।
- माइग्रेन अटैक के दौरान पेट दर्द।
- जीभ में सूजन।
- दोपहर के समय उनींदापन।
- नींद की समस्याएं, जैसे नींद में झटके लगना।
- नक्स वोमिका (Nux Vomica)
सामान्य नाम: पाइजन नट (Poison nut)
लक्षण: शराब, खाने-पीने के पदार्थ या कैफीन के कारण होने वाले माइग्रेन का इलाज इस दवा से किया जाता है। निम्नलिखित लक्षण अनुभव करने वाले लोगों को ये दवा दी जाती है:- चिड़चिड़ापन।
- तेज आवाज और रौशनी सहन न होना।
- आंखों की ऊपरी तरफ लगातार दर्द होना।
- हाथ में तेज दर्द होना, जैसे हाथ में कोई कील ठोक रहा हो। (और पढ़ें - हाथ में दर्द के कारण)
- कान में खुजली होना। (और पढ़ें - कान की खुजली दूर करने के उपाय)
- नाक बंद होना। (और पढ़ें - बंद नाक खोलने के उपाय)
- जबड़ों में दबाव।
- दांत दर्द। (और पढ़ें - दांत दर्द हो तो क्या करना चाहिए)
- गले में खिंचाव।
- सुबह के समय या खाना खाने के बाद मतली।
- सांगुनेरिया कैनाडेंसिस (Sanguinaria Canadensis)
सामान्य नाम: ब्लड रुट (Blood Root)
लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए असरदार है जिन्हें सिर की दाईं तरफ का माइग्रेन है, जो गर्दन और कंधों में फैलता है। निम्नलिखित लक्षणों में ये दवा अच्छे से काम करती है:- सिर की दाईं तरफ तेज दर्द, जो थोड़ी-थोड़ी देर में होता है।
- धूप न सह पाना।
- सिर की पिछली तरफ दर्द। (और पढ़ें - नस दबने के लक्षण)
- आंखो में जलन के साथ पुतली को हिलाने पर दर्द होना।
- कानों में जलन के साथ घंटी की आवाज सुनाई देना।
- गले में सूजन।
- मतली और बेहोशी। (और पढ़ें - बेहोश होने क्या करना चाहिए)
- गर्दन में अकड़न। (और पढ़ें - गर्दन में अकड़न के उपाय)
- सिर की त्वचा में झुनझुनी।
- पेट में सूजन और जलन।
- सेपिया (Sepia)
सामान्य नाम: इंकी जूस ऑफ कैटलफिश (Inky Juice of Cuttlefish)
लक्षण: नीचे दिए गए लक्षण अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:- सिर की बाईं तरफ तेज चुभन वाला दर्द।
- मतली और उल्टी। (और पढ़ें - सफर में उल्टी आने के कारण)
- घर के अंदर रहने पर सिरदर्द बढ़ जाना।
- सिर को बार-बार आगे-पीछे झटके देना।
- सिर की त्वचा पर हाथ लगाने में दर्द। (और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन के लक्षण)
- जीभ पर सफेद परत जमना। (और पढ़ें - मुंह में सफेद दाग का इलाज)
- दुखी और चिंता जैसे मूड बदलना और साथ ही चिड़चिड़ापन होना।
- सीलिशिया (Silicea)
सामान्य नाम: सिलिका (Silica)
लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है जिन्हें सिर की पिछली तरफ दर्द की शिकायत होती है। ऐसे लोगों को तेज आवाज और ठंडी हवा से माइग्रेन होता है। नीचे दिए गए लक्षण इस दवा से ठीक किए जा सकते हैं:- सिर की पिछली तरफ दर्द।
- माथे पर पसीना आना। (और पढ़ें - ज्यादा पसीना आना रोकने के घरेलू उपाय)
- गर्दन में दर्द।
- मतली और उल्टी।
- आंखों में दर्द।
(और पढ़ें - माइग्रेन के लिए योग)
होम्योपैथी में माइग्रेन के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me migraine ke liye khan-pan aur jeevanshaili ke badlav
होम्योपैथिक दवाओं के साथ आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, इनके बारे में नीचे दिया गया है:
क्या करें:
- अपने आस-पास सफाई रखें और पर्सनल हाइजीन का भी ध्यान रखें।
- प्रोसेस्ड खाना कम से कम खाएं। (और पढ़ें - माइग्रेन में क्या खाएं और क्या नहीं)
- सही तरीके से उठें व बैठें।
- अपनी जीवनशैली को सक्रिय रखें, इसके लिए शारीरिक व मानसिक गतिविधियां करें।
- थोड़े खुले और आरामदायक कपडे पहनें।
क्या न करें:
- कॉफी, चाय, बियर या फ्लेवर सोडा लेने से बचें।
- तीखा खाना और प्याज व लहसुन जैसे उत्तेजक पदार्थों का उपयोग न करें या कम करें।
- ज्यादा नमक या ज्यादा चीनी वाली चीजें न खाएं। (और पढ़ें - काले नमक के फायदे)
- तेज गंध वाले रूम फ्रेशनर या परफ्यूम का उपयोग न करें।
- एसी (A.C.) या रूम हीटर का उपयोग न करें।
- दवाओं को सीधी धूप में न रखें।
(और पढ़ें - माइग्रेन के घरेलू उपाय)
माइग्रेन के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Migraine ke homeopathic ilaj ke nuksan aur jokhim karak
होम्योपैथिक उपचार में दवाएं व्यक्ति के लक्षणों और उसके जीवन के अलग-अलग पहलू के आधार पर दी जाती है। इन दवाओं को बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है, जिससे इनका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता। होम्योपैथिक दवाएं देने से पहले डॉक्टर व्यक्ति को कोई बीमारी होने की संभावना और उसके चिकिस्ता इतिहास का अच्छे से अवलोकन करते हैं, इसीलिए ये दवाएं बहुत ही सुरक्षित हैं। हालांकि, उचित और सुरक्षित इलाज के लिए एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरुरी है।
(और पढ़ें - माइग्रेन के लिए एक्यूप्रेशर)
माइग्रेन के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Migraine ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
माइग्रेन एक ऐसी डबल कर देने वाली स्थिति मानी जाती है, जिससे व्यक्ति के रोजमर्रा के जीवन पर बहुत असर पड़ता है। होम्योपैथी में लक्षणों को नियंत्रित करके दर्द को कम किया जाता है और माइग्रेन अटैक को उत्तेजित करने वाले कारक के प्रति व्यक्ति की सहनशीलता भी बढ़ाई जाती है। इसी कारण, होम्योपैथिक उपचार उन लोगों के लिए एक बहुत अच्छा विकल्प है जो अपने नियमित उपचार के साथ किसी अन्य इलाज का भी सहारा लेना चाहते हैं।
(और पढ़ें - सिरदर्द का होम्योपैथिक उपचार)
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संदर्भ
- The Migraine Trust [Internet]. UK; Migraine – what is it?
- MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Migraine.
- British Homeopathic Association [Internet]. United Kingdom; Headaches and migraine (2004).
- National Center for Homeopathy Homeopathy for headaches. Mount Laurel, New Jersey [Internet].
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- James Tyler Kent B. Lectures on Homoeopathic Materia Medica. Jain Publishers, 1989. Robert Séror 2000
- Wenda Brewster O’really. Organon of the Medical Art . 1st edition 2010 , 3rd impression 2017, pg 227, 228 and 229, aphorisms 259, 261 and 263