इन दिनों ज्यादातर लोग कंप्यूटर, लैपटाॅप और टीवी इन्हीं के बीच रहते हैं। इस वजह से आजकल गर्दन दर्द की समस्या बेहद आम हो गई है। कई बार गर्दन दर्द की समस्या इतनी भयावह हो जाती है कि गर्दन हिलाने में समस्या आने लगती है। नियमित कुछ एक्सरसाइज करके गर्दन दर्द से आराम पाया जा सकता है। लेकिन आपके गर्दन में हो रहे दर्द की वजह को निश्चित रूप से जान लें। अगर किसी दुर्घटना या कमजोर प्रतिरक्षा तंत्र की वजह से ऐसा हो रहा है, तो यहां बताई जा रही एक्सरसाइज को करने से पहले डाक्टर से सलाह अवश्य लें।

( और पढ़ें- गर्दन में दर्द के घरेलू उपाय)

  1. गर्दन दर्द क़ी एक्सरसाइज के लिए गर्दन घुमाएं - Gardan dard ki exercise ke liye gardan ghumayen
  2. गर्दन दर्द के लिए फोम रोल की मदद लें - Neck pain ke liye exercise me foam roll ki madad lein
  3. गर्दन दर्द के लिए हाथों की अलग अलग पोजीशन बनाएँ - Neck pain me vyayam hai hathon ki alag alag position
  4. सर्वाइकल के लिए बैठे बैठे शरीर घुमाएं - Neck pain ki exercise ke liye baithe baithe shareer ghumaye
  5. सर्वाइकल पेन के लिए घुटनों के बल बैठने का अभ्यास करें - Gardan dard ke liye vyayam me ghutnon ke bal shareer kholen
  6. सारांश

ठुड्डी दाएं कंधे की ओर घुमाएंः 
यह एक्सरसाइज गर्दन की मांसपेशियों को मजबूत करता है। इसे करने के लिए सबसे पहले एक शांत जगह बैठ जाएं। अब अपनी ठुड्डी को दाए कंधे की ओर घुमाएं। इसी अवस्था में 20 सेकेंड तक रहें। आप चाहें तो ठुड्डी को और स्ट्रेच देने के लिए हाथ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। कुछ देर बाद सामान्य अवस्था में आ जाएं। अपने सिर को सीधा कर लें। इसके बाद इसी प्रक्रिया को बाए कंधे की ओर दोहराएं। इस तरह एक रोटेशन पूरा होता है। प्रत्येक रोटेशन को तीन बार दोहराएं।

गर्दन साइड की ओर झुकाएंः 
यह एक्सरसाइज गर्दन की मांसपेशियों को लचीला बनाता है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए कान को कंधे की ओर लाते हुए सिर को दाईं ओर झुकाएं। गर्दन में खिंचाव बढ़ाने के लिए हल्के हाथों से सिर पर दबाव बनाएं। इसी अवस्था में 20 सेकेंड तक  रहें। इसके बाद पुनः पुरानी अवस्था में लौट आए। इस तरह एक रोटेशन पूरा होता है। हर रोटेशन को तीन से पांच बार दोहराएं।

(और पढ़ें - मांसपेशियों में खिंचाव का कारण)

ठुड्डी आगे-पीछे करें: 
इस एक्सरसाइज के दो हिस्से होते हैं। पहले हिस्से में सीधे होकर बैठ जाएं। इस बात का ध्यान रखें कि आपकी नजर सामने की ओर और कान, कंधे एक सीध में होने चाहिए। दूसरे हिस्से में अपने सिर को आगे-पीछे की ओर इस तरह ले जाएं कि सिर और गर्दन में खिंचाव महसूस हो। 5 सेकेंड आगे और 5 सेकेंड पीछे रहें। इस तरह एक स्ट्रेच पूरा हुआ। इस स्ट्रेच एक्सरसाइज को दस बार दोहराएं।

(और पढ़ें - स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज करने के तरीके)

गर्दन को गोल घुमाएंः 
इस एक्सरसाइज को या तो सुबह नींद से उठकर करें या फिर रात को सोने से पहले करें। एक्सरसाइज को करने के लिए सबसे पहले एक आरामदायक जगह पर बैठ जाएं। अपनी पीठ और गर्दन सीधी रखें। अंदर सांस खींचे और अपनी गर्दन को दाईं ओर घुमाएं। इसके बाद सांस छोड़ते हुए गर्दन को छाती की ओर नीचे झुकाएं। अब यही प्रक्रिया बाईं ओर से दोहराएं। इस तरह एक रोटेशन पूरा होता है। प्रत्येक रोटेशन को तीन बार दोहराएं। ध्यान रखें कि इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें।

(और पढ़ें - सर्वाइकल दर्द का इलाज)

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शुरुआती पोजीशन: 
पीठ के बल लेट जाएं। अपने कंधे के नीचे फोम रोल रखें। नितंब को जमीन से ऊपर उठाएं और अपने एब्स पर भी जोर पड़ने दें। ध्यान रखें कि आपके कंधे और नितंब एक सीध में होने चाहिए। हाथों को सिर के पीछे ले जाएं जिससे गर्दन को सपोर्ट मिल सके।

कैसे करेंः  
लेटे-लेटे फोम रोल की मदद से आगे-पीछे हों। इससे आपकी पीठ की मांसपेशियों की मसाज होगी। साथ ही आपकी गर्दन को भी आराम मिलेगा।

विकल्पः 
अगर आप इस एक्सरसाइज को फोम रोल के साथ नहीं करना चाहते तो टेनिस बाॅल की भी मदद ले सकते हैं। इसमें टेनिस बाॅल को पीठ के उस हिस्से में रखें, जहां दर्द हो। इसके बाद बाॅल पर प्रेशर देने की कोशिश करें। ऐसा 20 से 40 सेकेंड तक करें।

(और पढ़ें - गर्दन में अकड़न से निजात के लिए उपाय)

शुरुआती पोजीशन: 
अपनी पीठ को दीवार से सटाकर खड़े हो जाएं। आपके हाथ और कंधे दीवार को छूने चाहिए। अपने कंधों में खिंचाव महसूस करें। कोहनी, हथेली और कंधे पर दीवार को छूते हुए दबाव बनाएं।

कैसे करेंः 

  • अपने हाथों को अंग्रेजी के अलग-अलग अक्षर के अनुसार घुमाएं।
  • सबसे पहले अपनी दोनों कोहनी को मोड़ें और हाथों को छाती के स्तर तक लेकर जाएं। यह पोजीशन दिखने में डब्लू जैसी लगनी चाहिए।
  • अपने हाथों को छाती या कंधों के स्तर पर बाहरी ओर खींचें। यह पोजीशन दिखने में अंग्रेजी अक्षर टी जैसा होगा।
  • अपनी कोहनी को 90 डिग्री की सीध में कंधे के स्तर तक ले जाएं। इससे आपकी हाथ की पोजीशन अंग्रेजी के अक्षर यू जैसी बनेगी।
  • अपनी कोहनी को सीधा करें और भुजाओं को तिरछा कर अपने सिर के ऊपर उठाएं। इस तरह पोजीशन वी बनेगा।
  • अपने हाथों को सीधे सिर के ऊपर तक ले जाएं। इस पोजीशन से अंग्रेजी का अक्षर आई की तरह बनेगा।
  • इस एक्सरसाइज को कई बार दोहराएं।
  • इसी एक्सराइज को आप पेट के बल लेटकर भी कर सकते हैं।

(और पढ़ें - कंधे में दर्द का इलाज)

शुरुआती पोजीशन: 
सबसे पहले एक चेयर पर बैठें। अपने शरीर को सीधा रखें। अपने हाथों को सिर के पीछे कुछ इस तरह ले जाएं कि कोहनी बाहर की ओर प्वाइंटेड होनी चाहिए। फोम रोलर को अपनी जांघों के बीच में रखें। कूल्हों को स्थिर करने के लिए जांघों में दबाव बनाएं।

कैसे करेंः
अपने सिर, कोहनी, कंधे और गर्दन को एक ओर घुमाएं। इस दौरान शरीर को हल्का सा झुकाएं। इसी पोजीशन में कुछ देर रहें। फिर सामान्य अवस्था में लौट आएं। इसी तरह एक्सरसाइज को कई बार दोहराएं।

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शुरुआती पोजीशन: 
सबसे पहले बच्चे जिस तरह घुटनों के बल चलते हैं, उसी स्थिति में बैठ जाएं। आपके हाथों को कंधे की चैड़ाई पर रखें और कोहनी को हल्का सा मोड़ें। घुटनें और नितंब भी खुले रखें। आपका शरीर जमीन के समानांतर होना चाहिए। अब एक हाथ सिर के पीछे ले जाएं।

कैसे करेंः
अपने शरीर को उसी ओर पीछे की ओर खोलें, जिस ओर आपने हाथ पीछे किया है। अब अपनी मुड़ी हुई कोहनी को जमीन की ओर ले आएं। इसी तरह कई बार करें। कुछ देर बाद हाथ बदल लें। मतलब यह कि अगर आपने पहला रोटेशन दाएं हाथ से किया था, तो अब बाएं हाथ से इस एक्सरसाइज को दोहराएं। इस दौरान अपने कूल्हों को स्थिर बनाए रखनें की कोशिश करें।

गर्दन दर्द की समस्या को कुछ एक्सरसाइज के जरिए आसानी से दूर किया जा सकता है। यहां बताए गए एक्सरसाइजेज आपके लिए उपयोगी साबित होंगे। इन्हें अपनी जीवनशैली में जरूर शामिल करें।

गर्दन के दर्द से तुरंत आराम पाने के लिए कुछ सरल एक्सरसाइज बहुत प्रभावी हो सकती हैं। इनमें गर्दन को धीरे-धीरे आगे, पीछे, और बगल में मोड़ने वाली स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज शामिल हैं, जो मांसपेशियों के खिंचाव को कम करके तनाव को दूर करती हैं। सर्कुलर नेक मूवमेंट, शोल्डर रोल्स और चिन टक जैसी एक्सरसाइज भी गर्दन की जकड़न और दर्द को कम करने में मदद करती हैं। इन व्यायामों को नियमित रूप से करने से गर्दन की मांसपेशियों में लचीलापन और मजबूती आती है, जिससे दर्द में राहत मिलती है और भविष्य में दर्द होने की संभावना भी कम होती है।

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