बैक्टीरिया, वायरस या फंगल संक्रमण के कारण फेफड़ों में हुई सूजन-संबंधी समस्या को निमोनिया कहते है। इसमें आमतौर पर फेफड़ों की वायुकोशी तरल पदार्थ या मवाद से भर जाती है। निमोनिया की गंभीरता सूक्ष्मजीव के प्रकार, व्यक्ति की आयु और स्वास्थ्य आदि कारकों पर निर्भर करती है। यह पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु का प्रमुख कारण है। निमोनिया से प्रति दिन लगभग 2,400 रोगियों की जान चली जाती है।

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यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार, 2016 में पांच साल से कम उम्र के 56 लाख बच्चों की मौत में 16% मौतों का कारण निमोनिया था। इसके अलावा, 65 वर्ष से अधिक आयु के वयस्क, मधुमेह, हृदय की बीमारी, अस्थमा या फेफड़ों से संबंधित रोग, एचआईवी एड्स, प्रत्यारोपण या कीमोथेरेपी के कारण कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को भी निमोनिया होने का खतरा रहता है।

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निमोनिया के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं:

  • बैक्टीरियल निमोनिया:
    बैक्टीरियल निमोनिया का सबसे आम प्रकार न्यूमोकोकल न्यूमोनिया है, जो स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया के कारण होता है। हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा, क्लैमाइडोफिला न्यूमोनिया, लेगियोनेला न्यूमोफिला और माइकोप्लाज्मा न्यूमोनिया आदि कुछ ऐसे बैक्टीरिया है जो निमोनिया का कारण बन सकते हैं। (और पढ़ें - न्यूमोकोकल वैक्सीन क्या है
     
  • वायरल निमोनिया:
    निमोनिया ऊपरी श्वसन तंत्र को संक्रमित करने वाले वायरस के कारण भी हो सकता है। इन्फ्लूएंजा वायरस और रेस्पिरेटरी सिंसिशीयल वायरस (आरएसवी) वयस्कों और छोटे बच्चों में वायरल निमोनिया के सबसे आम कारण हैं। अन्य वायरस जैसे कि राइनोवायरस, ह्यूमन पैरेन्फ्लुएंजा वायरस (एचपीआईवी) और ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) भी निमोनिया का कारण बन सकते हैं। (और पढ़ें - इन्फ्लूएंजा टीका क्या है
     
  • फंगल निमोनिया:
    फंगल निमोनिया न्यूमोसाइटिस जिरोवेसी, हिस्टोप्लाज्मा कैप्सुलैटम, क्रिप्टोकोकस नियोफ़ॉर्मन्स और कोक्‍सीडिओइडीस इमिटिस आदि के संक्रमण के कारण होता है।
     
  • एस्पिरेशन निमोनिया:
    इस प्रकार का निमोनिया हानिकारक भोजन, धूम्रपान या किसी केमिकल के संपर्क में आने के कारण होता है। (और पढ़ें - धूम्रपान की लत का इलाज
     
  •  हॉस्पिटल-अक्वायर्ड निमोनिया:
    जैसा कि नाम से पता चलता है, यह निमोनिया हॉस्पिटल में ऑपरेशन या किसी अन्य बीमारी के इलाज के दौरान होता है।

होम्योपैथी, निमोनिया के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वैकल्पिक चिकित्सा का एक रूप है, जो व्यक्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है। यह जीवन शैली, परंपरागत कारकों, व्यक्तित्व के साथ-साथ किसी व्यक्ति के चिकित्सा इतिहास को ध्यान में रखती है और व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और शारीरिक स्वास्थ्य का इलाज करती है।

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एकोनिटम नेपेलस, एंटीमोनियम टार्टारिकम, ब्रायोनिया, फेरम फास्फोरिकम, फास्फोरस, सल्फर और वेरेट्रम विरिड जैसी कुछ होम्योपैथिक दवाएं निमोनिया के लिए प्रभावी होती हैं।

  1. होम्योपैथी में निमोनिया का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me Pneumonia ka upchar kaise hota hai?
  2. निमोनिया की होम्योपैथिक दवा - Pneumonia ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में निमोनिया के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me Pneumonia ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. निमोनिया के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Pneumonia ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. निमोनिया के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Pneumonia ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
निमोनिया की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथिक उपचार निमोनिया रोगी के सामान्य स्वास्थ्य को ठीक करने में और इसके लक्षणों से राहत प्रदान करने में मदद करता है। यह बीमारी से लड़ने के लिए शरीर की प्राकृतिक प्रतिरक्षा प्रणाली को बिना किसी दुष्प्रभाव के ठीक करता है। इसके अलावा, होम्योपैथिक उपचार गंभीर रूप से बीमार शिशुओं या रोगियों का इलाज करने के लिए भी सुरक्षित है। हालांकि, सही उपचार सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना ज़रूरी है।

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एक अध्ययन में यह देखा गया की 15 साल का एक बच्चा जो निमोनिया से पीड़ित था, फास्फोरस (एक होम्योपैथिक दवा) के उपयोग से उसके लक्षणों में सुधार आया। निमोनिया से जल्दी ठीक होने के लिए पारंपरिक दवाओं के साथ होम्योपैथिक दवाओं को भी लिया जा सकता है।

पैसिफिक जर्नल ऑफ एनर्जी मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, होम्योपैथिक दवाएं अकेले या एंटीबायोटिक दवाओं के साथ लेने पर माइकोप्लाज़्मा निमोनिया संक्रमण के लक्षणों को सुधारने में मदद करती हैं।

इसके अलावा, बढ़ते रोगाणुरोधी प्रतिरोध के कारण एंटीबायोटिक दवाओं के बजाय होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग ज़्यादा सुरक्षित माना जाता है। एक अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथी (41 में से 3 रोगियों) दवाओं से इलाज किए जाने वाले निमोनिया रोगियों की मृत्यु दर पारंपरिक उपचार से 30% कम थी।

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निमोनिया के लिए होम्योपैथिक दवाएं:

निमोनिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली कुछ होम्योपैथिक दवाओं के बारे में नीचे बताया गया है। होम्योपैथिक डॉक्टर बताए गए लक्षणों के आधार पर निमोनिया के लिए सही दवा देते हैं।

होम्योपैथिक दवाएं अत्यधिक पतली खुराक में तैयार की जाती हैं, इस कारण से वे आसानी से कुछ खाद्य पदार्थों और सुगंधित पदार्थों के कारण अपना असर खो सकती हैं। इसलिए, होम्योपैथी के अनुसार निमोनिया के रोगियों के लिए आहार और जीवन शैली में निम्नलिखित परिवर्तन किए जाते हैं:

क्या करें:

क्या न करें:

होम्योपैथिक उपचार अत्यधिक पतली खुराक में तैयार किए जाते हैं और जिनकी लत नहीं लगती है। इस प्रकार, इनका उपयोग करना पूरी तरह से सुरक्षित है और इनका कोई साइड इफेक्ट भी नही है। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं और उपचार रोगी में दिखने वाले लक्षणों पर आधारित होते हैं। एक ही दवा जो किसी एक व्यक्ति को फायदा करती है, दूसरे व्यक्ति में दुष्प्रभाव भी पैदा कर सकती है। इसलिए, इन दवाओं का सेवन करने से पहले एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

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निमोनिया एक ऐसी स्थिति है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है और आमतौर पर बैक्टीरिया, वायरस या कवक जैसे संक्रामक सूक्ष्मजीवों के कारण होती है। इसके कारण फेफड़े पस से भर जाते हैं, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है। निमोनिया सभी उम्र के लोगों, विशेषकर शिशुओं और बुजुर्गों को प्रभावित कर सकता है।

निमोनिया के इलाज में वैज्ञानिक होम्योपैथिक उपचार को सुरक्षित और प्रभावी मानते हैं। होमपैथिक दवाएं अत्यधिक घोल बनाकर तैयार की जाती हैं और व्यक्तिगत लक्षणों के अनुसार उपयोग की जाती हैं। इसलिए, साइड इफेक्ट के जोखिम के बिना, निमोनिया के उपचार के लिए पारंपरिक चिकित्सा के साथ-साथ होम्योपैथी का उपयोग किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर की देखरेख में ही इन दवाओं को लेना सबसे अच्छा होता है।

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Dr. Anmol Sharma

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DR. JITENDRA SHUKLA

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संदर्भ

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