टीबी या ट्यूबरकुलोसिस, बैक्टीरिया के कारण होने वाला एक गंभीर संक्रमण है। इसे तपेदिक, यक्ष्मा या तपेदिक भी कहा जाता है। टीबी एक बहुत ही संक्रामक बीमारी है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत आसानी से फैल जाती है। ये बीमारी आमतौर पर फेफड़ों में होती है, लेकिन शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती है।
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टीबी में मुख्य रूप से लगातार खांसी और बुखार जैसे लक्षण होते हैं और व्यक्ति को थकान व कमजोरी महसूस होती है।
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जब टीबी से संक्रमित कोई व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो उसके मुंह में मौजूद टीबी के बैक्टीरिया हवा में फैल जाते हैं और जब ये बैक्टीरिया किसी स्वस्थ व्यक्ति की सांस के द्वारा उसके शरीर में चले जाते हैं, तो उसे भी टीबी हो जाता है। इसके बाद ये बैक्टीरिया व्यक्ति के खून में मिल जाता है और शरीर के अंगों संक्रमित करना शुरू कर देता है, साथ ही ये गुणन भी करने लगता है। जिन लोगों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, उन्हें टीबी होने का खतरा अधिक होता है।
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टीबी का पता लगाने के लिए डॉक्टर एक्स-रे, स्किन टेस्ट, थूक या बलगम का टेस्ट और ब्लड टेस्ट करते हैं। अगर आपको लगता है कि आपको टीबी है या आपको इसके लक्षण अनुभव हो रहे हैं या फिर आप किसी ऐसे व्यक्ति के अास-पास रहे हैं जिसे टीबी है, तो आपको डॉक्टर के पास अवश्य जाना चाहिए क्योंकि ये एक गंभीर बीमारी है, जिसका सही उपचार न होने से आपको कई जटिलताएं हो सकती हैं, जैसे मस्तिष्क को ढकने वाली झिल्ली में सूजन, लिवर संबंधी समस्याएं, हृदय विकार और किडनी रोग आदि। कुछ मामलों में ज्यादा नुकसान होने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो जाती है।
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टीबी के लिए बच्चों को टीका लगता है, जिससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होती है और उन्हें टीबी होने का खतरा कम हो जाता है। हालांकि, ये बीमारी टीका लगने के बाद भी आपको प्रभावित कर सकती है। टीबी के इलाज के लिए डॉट्स (DOTS) का इलाज होता है, जिसमें डॉक्टर आपको दवाएं देते हैं और ये इलाज 6 महीनों तक चलता है क्योंकि टीबी के बैक्टीरिया को मरने में समय लगता है।
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इस लेख में टीबी हो जाए तो क्या करें और इसके लिए डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए के बारे में बताया गया है।