हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की जरूरत होती है। वैसे तो फल, सब्जियां, अनाज और डेयरी उत्पाद जैसी चीजों का अगर सही मात्रा में सेवन किया जाए तो शरीर को जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं लेकिन कई बार किसी पोषक तत्व की शरीर में ज्यादा कमी हो जाती है तो डॉक्टर हमें सप्लिमेंट्स यानी अनुपूरक आहार लेने की सलाह देते हैं। कॉड लिवर ऑयल भी ऐसा ही एक डायट्री सप्लिमेंट है जिसमें पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है। कॉड लिवर ऑयल एक फिश ऑयल (मछली का तेल) सप्लिमेंट है जो काफी फेमस है और कैप्सूल और लिक्विड दोनों ही रूपों में पाया जाता है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि कॉड लिवर का इस्तेमाल सैंकड़ों सालों से किया जा रहा है। पहली बार 1789 में रुमैटिज्म यानी गठिया से जुड़ी बीमारी में कॉड लिवर का इस्तेमाल किया गया था और इसके बाद 1824 में रिकेट्स (सूखा रोग) के इलाज में कॉड लिवर का उपयोग किया गया। साल 1930 के बाद से बच्चों को रिकेट्स बीमारी और विटामिन डी की कमी की वजह से होने वाली कई और बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से कॉड लिवर का इस्तेमाल किया जाने लगा।
(और पढ़ें - विटामिन डी के स्त्रोत)
सेहत से जुड़ी कई तरह की समस्याएं आने पर आपने भी कॉड लिवर ऑयल के बारे में सुना जरूर होगा। तो आखिर कॉड लिवर ऑयल क्या है, कॉड लिवर ऑयल का उपयोग कैसे किया जाता है और इसके फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।