कीमोथेरपी कैंसर के इलाज के लिए उपयोग की जाती है। कीमोथेरपी शब्द का प्रयोग उन दवाओं के लिए किया जाता हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने और विभाजित होने से रोकती हैं।

इस थेरेपी का लाभ कुछ हद तक इस पर निर्भर करता है की कैंसर किस स्टेज पर है। कीमोथेरपी के कुछ साइड इफेक्ट्स भी है किन्तु इसके फायदे अधिक है।

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इस लेख में हम आपको विस्तार से बताएंगे कीमोथेरपी क्या है, यह कैसे की जाती है, इसके क्या फायदे और नुकसान होते हैं। 

  1. कीमो क्या है - Chemotherapy kya hai in hindi
  2. कीमोथेरपी के प्रकार - Chemotherapy ke prakar in hindi
  3. कीमो कैंसर ट्रीटमेंट कैसे की जाती है - Chemotherapy kaise ki jati hai in hindi
  4. कीमो के फायदे - Chemotherapy ke fayde in hindi
  5. कीमो के नुकसान - Chemotherapy ke nuksan in hindi

हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से पुरानी कोशिकाएँ की जगह नयी कोशिकाएँ ले लेती हैं। लेकिन जब किसी को कैंसर होता है तो ये कैंसर कोशिकाएँ अनियंत्रित हो जाती हैं। इस कारण तेजी से नयी कोशिकाएं बनती हैं और दूसरी उपयोगी कोशिकाओं की जगह ये ले लेती हैं।

कीमोथेरेपी दवाएँ इन कैंसर कोशिकाओं की विभाजित होने और पुनर्निर्माण की क्षमता को प्रभावित करती हैं। कोई एक प्रकार की दवा या अलग-अलग दवाओं को एक साथ दिया जाता है। ये दवाएँ या तो सीधे नसों में चढ़ाई जाती हैं, या कैंसर वाले अंग पर केंद्रित होती हैं।

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कीमोथेरेपी दवाओं के और उनके उपयोग के विभिन्न तरीके होते हैं। चार मुख्य प्रकार निम्न हैं:-

  • आल्कयलटिंग एजेंट(क्षारीकरण एजेंट) - ये एजेंट सीधे हमारे डीएनए पर कार्य करते हैं और कैंसर कोशिकाओं को मार देते हैं। इसमें क्लोरमबुसिल, साईक्लोफॉस्फेमाइड, थिओटेपा, और बूसुल्फान आदि शामिल हैं।
  • एंटीमेटाबोलाइट्स - ये कैंसर कोशिकाओं के लिए नकली प्रोटीन्स का निर्माण करती हैं, जिसे खाने से इन कोशिकाओं को कोई फायदा नहीं होता और वे भूख से मर जाती हैं। इसमें  प्यूरीन एंटागोनिस्ट्स, पाईरिमीडाइन एंटागोनिस्ट्स, और फोलेट एंटागोनिस्ट्स आदि आते हैं। (और पढ़ें - ब्रेस्ट कैंसर का इलाज)
  • प्लांट एल्कलॉइड्स - ये कैंसर कोशिकाओं की विभाजित होने और वृद्धि की क्षमता को अवरुद्ध कर  देते हैं। इनमें एक्टिनोमायसिन डी, डॉक्सोरूबिसिन, और माइटोमायसिन आदि शामिल हैं।
  • एंटीट्यूमर एंटीबायोटिक्स - यह डीएनए के साथ जुड़ कर आरएनए को सिन्थेसाइज करने से रोकता है, ताकि कैंसर कोशिकाएं पुनर्निर्माण न कर सके। ये सामान्य एंटीबायोटिक्स से अलग हैं। इसमें डॉक्सोरूबिसिन, माइटोक्सैनट्रोन, और ब्लेओमायसिन आदि शामिल हैं।

डॉक्टर हर व्यक्ति को उसको होने वाले कैंसर के प्रकार और स्टेज के हिसाब से उसे दवा देते हैं।

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कीमो से कैंसर का इलाज किस तरह किया जाता है?

डॉक्टर कैंसर की अलग-अलग स्टेज पर अलग-अलग तरह से कीमोथेरेपी का उपयोग करते हैं। इसमें निम्न तरीके शामिल हैं -

  • रेडिएशन थेरेपी या सर्जरी से पहले ट्यूमर सिकुड़ने के लिए की जाने वाली थेरेपी, इसे निओएडजुवेंट कीमोथेरेपी (neoadjuvant chemotherapy) कहते है।
  • सर्जरी या रेडिएशन थेरेपी के बाद बची हुए कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए की जाने वाली थेरेपी, इसे एडजुवेंट कीमोथेरेपी (adjuvant chemotherapy) कहते है।
  • खून या लिम्फेटिक सिस्टम (लसिका तंत्र) के कैंसर, जैसे ल्युकेमिआ या लिंफोमा, के इलाज के लिए की जाने वाली थेरेपी। (और पढ़ें - ब्लड कैंसर का इलाज)
  • उपचार के बाद अगर कैंसर फिर से हो जाये (जिसे आवर्तक कैंसर या रेकर्रेंट कैंसर कहा जाता है) तो इसके उपचार में की जाने वाली थेरेपी। 
  • ऐसे कैंसर को ठीक करने के लिए जो शरीर के अन्य अंगो में फ़ैल जाये (जिसे मेटास्टेटिक कैंसर कहते हैं) के इलाज के लिए की जाने वाली थेरेपी। 

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कीमो कब और कितनी दी जाती है?

किसी कैंसर के मरीज को दी जाने वाली कीमोथेरेपी दवाओं का प्रकार, उसकी मात्रा और इलाज का तरीका निम्न बातों पर निर्भर करता है -

  • कैंसर का प्रकार
  • ट्यूमर का आकार
  • यह शरीर के किस अंग में है और कहा तक फ़ैल चूका है यानि की अभी कैंसर किस स्टेज में है
  • रोगी की उम्र क्या है और उसका सामान्य स्वास्थ्य कैसा है
  • दवाओं से होने वाले कुछ साइड इफेक्ट्स से रोगी का शरीर कितना संतुलन बिठा पता है
  • रोगी को कोई अन्य बीमारी तो नहीं है, यदि रोगी पहले भी कैंसर का उपचार ले चुका है इत्यादि।

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कीमो से कैंसर ट्रीटमेंट कैसे की जाती है?

कीमोथेरेपी के तरीके निम्नलिखित हैं, जिनका प्रयोग उपचार के लिए किया जाता हैं -

  • नसों में कीमोथेरेपी (इंट्रावेनस (IV) कीमोथेरेपी) - कुछ दवाओं को सीधा रोगी की नसों के द्वारा शरीर में पहुंचाया जाना आवश्यक होता है, इसलिए इसे इंट्रावेनस या आइवी (IV) कीमोथेरेपी कहते है। इसमें कुछ मिनट से लेकर कुछ घंटो का समय लग सकता है। ये दवाएं एक छोटे पंप द्वारा शरीर की नसों में पहुंचाई जाती हैं जिसे आपको हमेशा अपने साथ रखना होता है, इसे कंटीन्यूअस इन्फ्यूजन कीमोथेरेपी (continuous infusion chemotherapy) कहा जाता है।
  • ओरल कीमोथेरेपी - कुछ दवाएं रोगी को मुँह के माध्यम से दी जाती हैं, ये दवाएं गोली, कैप्सूल या तरल रूप में हो सकती हैं। इस उपचार को आप घर पर भी ले सकते हैं। अब इसी प्रकार का उपचार अधिक किया जाता है क्योंकि बहुत सारी दवाएं इसी तरह से लाभ देती हैं। ऐसी कुछ दवाएं रोगी को रोज लेनी होती हैं तथा कुछ कभी-कभी लेनी होती हैं, जैसे एक दवा 4 हफ्तों तक देने के बाद 2 हफ्तों तक न देना।   
  • इंजेक्टेड कीमोथेरेपी - इसमें रोगी के शरीर के अंदर दवा को इंजेक्ट किया जाता है, कुछ मामलों में यह इंजक्शन मांसपेशियों में और कुछ मामलों में त्वचा में किया जाता है। यह रोगी के हाथ, पैरों या पेट में किया जा सकता है।
  • धमनी (आर्टरी) के माध्यम से कीमोथेरेपी - धमनी शरीर में ह्रदय से अन्य हिस्सों में रक्त का संचार करती है, कभी-कभी कीमोथेरेपी दवा सीधी धमनी में इंजेक्ट की जाती है जो कैंसर कोशिका को प्रभावित करती है।
  • पेरिटोनियम में कीमोथेरेपी - कुछ मामलों में कीमोथेरेपी दवा को सीधा रोगी के पेट में पहुंचाया जाता है। यह तरीका तब उपयोग किया जाता है जब कैंसर पेरिटोनियम (पेट के अंदर एक प्रकार की झिल्ली) में हो जाता है। ओवरियरन कैंसर एक ऐसा कैंसर है जो पेरिटोनियम में फ़ैल जाता है। 
  • टोपिकल कीमोथेरेपी - कुछ तरह की कीमोथेरेपी रोगी को त्वचा पर लगाने वाली क्रीम के रूप में दी जाती है।

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कीमोथेरेपी से निम्न लाभ हो सकते है -

  • यह कैंसर को कम कर सकती है या इसके प्रभाव को धीमा कर सकती है ,
  • सर्जरी के बाद कीमोथेरेपी कैंसर दुबारा होने के जोखिम को कम कर सकती है,
  • रोगी नियमित जाँच, टेस्ट और डॉक्टर के संपर्क में रहता है, इससे आश्वस्त रहता है,
  • कुछ लोगो में कैंसर की आरम्भिक अवस्था में कीमोथेरेपी कैंसर को इतना सिकोड़ सकती हैं की सर्जरी से उसे पूरी तरह निकाला जा सकता है।

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कीमोथेरेपी के दौरान ली जाने वाली अलग-अलग दवाओं के अलग-अलग साइड इफेक्ट्स होते हैं। कुछ दवाओं के निश्चित साइड इफ़ेक्ट होते हैं लेकिन हर रोगी का अनुभव अलग-अलग हो सकता है। निचे कुछ साइड इफेक्ट्स की लिस्ट दी गयी हैं - 

कीमोथेरेपी से संबंधित अधिकांश तरह का दर्द इलाज के दौरान कम हो जाता है या चला जाता है किन्तु नसों के क्षतिग्रस्त होने पर इलाज की हर खुराक के साथ यह अधिक गंभीर हो सकता है। कभी-कभी यदि ऐसा हो तो जो दवा नसों को क्षतिग्रस्त कर रही है, उनको बंद किया जाता हैं।

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नसों को सही होने में महीनों या सालों लग सकते हैं। कुछ लोगो में यह पूरी तरह कभी ठीक नहीं हो पाती है। हालाँकि, रोगी को होने वाले दर्द का कीमोथेरेपी के अलावा कोई अन्य कारण भी हो सकता है जैसे की रोगी को दर्द कैंसर के कारण भी सकता है।

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रोगी के नर्वस सिस्टम में उपचार के बाद भी परिवर्तन आ सकता है। जिन बच्चों की कीमोथेरेपी हुई हो उनमें साइड इफेक्ट्स महीनों या सालों बाद भी उत्त्पन्न हो सकते हैं। इन्हे देर से होने वाले साइड इफेक्ट्स कहते हैं।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

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संदर्भ

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