आजकल लोग अपनी फिजिकल हेल्थ के साथ ही अपनी मेंटल हेल्थ के लिए भी काफी जागरूक हैं और दोनों का ही खयाल रख रहे हैं। यही वजह है कि लोग स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी समस्याओं को लेकर जागरूक हैं। अगर मेंटल हेल्थ की बात की जाए , तो आप सभी ने कभी न कभी डोपामाइन का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन कभी सोचा है कि डोपामाइन क्या होता है ? और इसकी कमी से शरीर पर क्या असर पड़ता है?अगर नहीं जानते हैं , तो आज के इस आर्टिकल में हम इसी डोपामाइन के बारे में बाते करेंगे। सबसे पहले शुरुआत करते हैं डोपामाइन के इतिहास के बारे में -
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- डोपामाइन का इतिहास
- डोपामाइन क्या है?
- दिमाग में डोपामाइन कहाँ बनता है?
- डोपामाइन क्या करता है?
- मानसिक स्वास्थ्य में डोपामाइन की भूमिका
- अन्य बीमारियों में डोपामाइन की भूमिका
- डोपामाइन शरीर में क्या काम करता है?
- ज्यादा और कम डोपामाइन लेवल के लक्षण
- डोपामाइन कैसे बढ़ाएँ?
- डोपामाइन डिटॉक्स कैसे करें?
- सारांश
डोपामाइन का इतिहास
डोपामाइन को पहली बार 1910 में जॉर्ज बार्गर और जेम्स इवेन्स ने लंदन, इंग्लैंड में वेलकम प्रयोगशाला में देखा। इसके बाद 1958 में, स्वीडन के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के केमिकल फार्माकोलॉजी के प्रयोगशाला में अरविद कार्लसन और निल्स-ओके हिलर्प ने न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में डोपामाइन क्या क्या करता है ? इस बात का पता लगाया। अरविद कार्लसन को 2000 में मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार दिया गया था, क्योंकि उन्होंने दिखाया था कि डोपामाइन न केवल नॉरपेनेफ्रिन और एपिनेफ्रिन से जुड़ा है , बल्कि एक न्यूरोट्रांसमीटर भी है।
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डोपामाइन क्या है?
डोपामाइन एक हार्मोन और एक प्रकार का न्यूरोट्रांसमीटर या Chemical messenger है, जो हमारे दिमाग में बनता है। हमारा Nervous system , तंत्रिका कोशिकाओं के बीच संदेश भेजने के लिए इसका उपयोग करता है। और यही संदेश दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच भी घूमते रहते हैं । यह न्यूरोट्रांसमीटर हमारे शरीर, दिमाग और व्यवहार को प्रभावित करता है। हम खुशी महसूस करते हैं , ये डोपामाइन के कारण ही होता है । तभी तो इसे हैप्पी हॉर्मोन भी कहते हैं। डोपामाइन के कारण ही हम सोच पाते हैं और कोई योजना बना पाते हैं
यह हमें ध्यान केंद्रित करने, लक्ष्यों की दिशा में काम करने और चीजों में कुछ अच्छा और खुशी वाला देखने में मदद करता है। जब तक कोई भी बीमारी या समस्या हमें परेशान नहीं करने लगती , तब तक हम उसके ऊपर ध्यान नहीं देते या हमें ऐसा नहीं लगता कि कोई परेशानी है भी । और ऐसा ही डोपामाइन के साथ भी है लेकिन बहुत ज्यादा या बहुत कम डोपामाइन होने से हेल्थ पर अलग-अलग प्रभाव पड़ते हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकते हैं। इसी के कारण कुछ गंभीर समस्याएँ जैसे पार्किंसंस रोग हो सकता है और कुछ कम गंभीर समस्याएँ भी हो सकती हैं। अब बात करते हैं कि डोपामाइन के काम क्या क्या हैं?
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दिमाग में डोपामाइन कहाँ बनता है?
दिमाग में न्यूरॉन्स फेज में डोपामाइन का उत्पादन करते हैं। सबसे पहले, अमीनो एसिड टायरोसिन को दूसरे अमीनो एसिड में परिवर्तित किया जाता है, जिसे एल-डोपा कहा जाता है। फिर एंजाइम एल-डोपा को डोपामाइन में बदल देते हैं। डोपामाइन टायरोसिन से बनता है, और टायरोसिन अमीनो एसिड से बनता है जिसे हम भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं । टायरोसिन से भरपूर खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
- चिकन और दूसरे डेरी प्रोडक्ट
- दूध, पनीर और दही जैसे डेयरी खाद्य पदार्थ
- एवोकैडो
- केले
- कद्दू और तिल के बीज
- सोया।
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डोपामाइन क्या करता है?
डोपामाइन हमारे दिमाग में चार रास्तों से होकर गुजरता है। जिनमें बीच बीच में पिट स्टॉप यानि डोपामाइन रिसेप्टर्स भी हैं। डोपामाइन इन रिसेप्टर्स पर रुककर अलग अलग संदेश शरीर के अलग अलग भागों में पहुंचाता है। और यही संदेश हमारी गति, शरीर के साथ हमारा संबंध , खुशी और महसूस करने की शक्ति और सोच को प्रभावित करते हैं।
डोपामाइन खास कर हमारी खुशी की भावना को हमें महसूस कराने में एक बड़ी भूमिका निभाता है। जब आप कुछ ऐसा करते हैं जो आपको अच्छा लगता है, तो दिमाग कुछ मात्रा में डोपामाइन रिलीज करता है। जिस से हमें खुशी और अच्छी भावना महसूस होती है। जब आप अच्छा खाना खाते हैं , या कोई अपनी पसंद का काम करते हैं , या कोई गिफ्ट आपको मिलता है , या आपका परिणाम अच्छा आता है , कोई भी सिचूऐशन हो सकती है जिसमें आपको खुशी महसूस हो। यह आपके व्यवहार और शारीरिक कार्यों के कई हिस्सों को प्रभावित करता है, जैसे:
- कुछ सीखना
- कहीं से प्रेरणा मिलना
- गुर्दे का सही से कार्य करना
- स्तनपान कराना
- नींद में
- याददाश्त को ठीक रखने में
- तनाव को नियंत्रित करने में
- मनोदशा के लिए
- ध्यान लगाने में
- पाचन और ब्लड सर्कुलेशन को कंट्रोल करने में
- दर्द को कम या ज्यादा करने में
- हृदय गति को ठीक से चलाने में
- रक्त वाहिका के कार्य में
- चक्कर और उल्टी को कंट्रोल करने में
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मानसिक स्वास्थ्य में डोपामाइन की भूमिका
ज्यादातर मानसिक समस्याओं का कारण बताना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन कुछ मानसिक समस्या तब भी होती हैं जब दिमाग में बहुत कम या बहुत ज्यादा डोपामाइन रिलीज होता है। जैसे
- सिज़ोफ्रेनिया - यह गंभीर समस्या है लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है । इस में मतिभ्रम होता है मतलब ऐसी चीजें देखना जो वास्तविक नहीं हैं और भ्रम मतलब झूठ पर भी मजबूती से विश्वास करना । अन्य लक्षणों में असंतुलित विचार और असामान्य शारीरिक हरकतें शामिल हैं। दिमाग में अलग अलग रास्तों में डोपामाइन असंतुलन इन लक्षणों का कारण बनता है।
- एडीएचडी - ये निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि एडीएचडी का क्या कारण है। कुछ स्टडी के अनुसार ये डोपामाइन की कमी के कारण हो सकता है या आपके जीन के कारण हो सकती है । एडीएचडी की दवा मेथिलफेनिडेट या रिटालिन, डोपामाइन को बढ़ाकर काम करती है।
- नशीली दवाओं की लत - कोकीन जैसी दवाएँ दिमाग में डोपामाइन को बहुत तेजी से बढ़ा सकती है । तभी तो इस तरह की नशीली दवाएँ लेने के बाद बहुत खुशी और शांति महसूस होती है । और इसी कारण इस तरह का नशा करने कि लत लग जाती है । लेकिन बहुत लंबे समय तक या बहुत ज्यादा मात्रा में इस तरह के नशे किए जाएँ तो बॉडी में डोपामाइन कम बनने लगता है , जिसके कारण आप व्यक्त के साथ भावनात्मक रूप से कमज़ोर हो जाते हैं।
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अन्य बीमारियों में डोपामाइन की भूमिका
डोपामाइन उन स्वास्थ समस्याओं को भी प्रभावित करता है जो सीधी तरह से दिमाग से संबंधित नहीं है। यह उन बीमारियों में भी भूमिका निभाता है जो मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित नहीं हैं। इनमें से एक है पार्किंसंस रोग और दूसरा है मोटापा।
पार्किंसंस रोग - डोपामाइन ही हमारे दिमाग में न्यूरॉन्स या तंत्रिका कोशिकाओं को एक दूसरे के साथ संवाद करने और गति को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है। पार्किंसंस में वो तंत्रिका और कोशिकाएँ टूटने लगती हैं , जो शरीर की गति को नियंत्रित करती हैं , और शरीर में कम डोपामाइन बनने लगता है।
मोटापा - ज़्यादातर मामलों में, अगर आप जितनी कैलोरी जलाते हैं, उससे ज़्यादा खाते हैं, तो आपका वज़न बढ़ जाएगा। तो मोटापे से ग्रस्त लोग कम क्यों नहीं खा सकते और अपना वजन कम क्यों नहीं कर सकते? इसका जवाब इतना आसान नहीं है। अध्ययनों से पता चलता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों में, शरीर पर्याप्त डोपामाइन और सेरोटोनिन नहीं बनाता है।
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डोपामाइन शरीर में क्या काम करता है?
डोपामाइन रक्त वाहिकाओं यानि नसों को आराम देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । डॉक्टर निम्नलिखित बीमारियों के इलाज के लिए डोपामाइन को प्रिस्क्रिप्शन में इनोट्रोपिन के रूप में लिखते है:
- लो ब्लड प्रेशर
- जब हृदय सही से रक्त पंप नहीं करता है
- महत्वपूर्ण अंगों में रक्त प्रवाह सही से नहीं होता है
- सेप्टिक शॉक
अगर डोपामाइन लेने से आपको निम्न परेशानियाँ होती हैं तो ध्यान दें । जैसे -
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ज्यादा और कम डोपामाइन लेवल के लक्षण
सबसे पहले तो ये समझिए कि डोपामाइन के लेवल को किसी ब्लड टेस्ट करने से नहीं नाप सकते , इसे सिर्फ मन की भावनाओं और शरीर की क्रियाओं के द्वारा ही पहचान जा सकता है ।
कम डोपामाइन के लक्षण
यदि आपके मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर कम है, तो आपको निम्न लक्षण हो सकते हैं:
- कार्यों को समय से पूरा न कर पाना
- ऐसे कामों में खुशी महसूस न होना जिसमें पहले हुआ करती थी
- ऊर्जा कम होना
- चिंता या उदासी होना
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होना
- नींद में परेशानी होना
- कम सेक्स ड्राइव होना
ज्यादा डोपामाइन के लक्षण
यदि आपके डोपामाइन का लेवल ज्यादा है, तो आप निम्न महसूस कर सकते हैं:
- उत्साह, या बहुत ज्यादा खुशी होना
- शरीर में अच्छी ऊर्जा होना
- सेक्स ड्राइव अच्छी होना , लेकिन ज्यादा डोपामाइन लेवल होने से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं -
- नींद में परेशानी होना
- गुस्सा आना
- अपने कार्यों को नियंत्रित करने में कठिनाई
- डोपामाइन हमारे दिमाग में ऐक्टिव रहता है और हमें खुशी महसूस करने में मदद करता है।
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डोपामाइन कैसे बढ़ाएँ?
डोपामाइन दिमाग में बहने वाला केमिकल है । कुछ शोध से पता चलता है कि मैग्नीशियम और टायरोसिन से भरपूर कुछ खाद्य पदार्थ, जिसमें एमिनो एसिड होता है , दिमाग में डोपामाइन में बदल जाता है, और डोपामाइन का लेवल भी बढ़ सकता है । उदाहरण हैं चिकन, बादाम, सेब, हरी पत्तेदार सब्जियाँ, ग्रीन टी, टमाटर और हल्दी। जब आप ऐसी चीजें करते हैं जो आपको खुश और तनावमुक्त महसूस कराती हैं तो डोपामाइन का लेवल बढ़ जाता है। डोपामाइन के स्तर को बढ़ाने वाले सप्लीमेंट हैं:
- टायरोसिन
- एल-थेनाइन
- विटामिन डी, बी5 और बी6
- ओमेगा-3 आवश्यक फैटी एसिड
- मैग्नीशियम
डोपामाइन डिटॉक्स कैसे करें?
डोपामाइन डिटॉक्स, जिसे डोपामाइन उपवास भी कहा जाता है, को हाल के वर्षों में लोकप्रियता मिली है। डोपामाइन डिटॉक्स को सबसे पहले डॉ. कैमरून सेपाह ने एक cognitive Behavioural Therapy के रूप में विकसित किया था, जिसका उद्देश्य ऐसे लोगों के लक्षणों में सुधार करना है जिन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आता है या जिन्हें नशे की लत है। डोपामाइन डिटॉक्स का मतलब यह नहीं है कि आप उन सभी ऐक्टिविटी को छोड़ दें जो आपको खुशी देती हैं। इसके बजाय, आप उन व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो आपके जीवन में समस्याएँ पैदा करते हैं। जैसे-
- परेशानी में ज्यादा खाना
- इंटरनेट या गेमिंग करते रहना
- जुआ खेलना
- पोर्न या हस्तमैथुन करना
- नशीली दवाओं का उपयोग करना
डोपामाइन डिटॉक्स का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग होता है। कुछ लोगों के लिए, इसका मतलब है कि वे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सोशल मीडिया से पूरी तरह से अलग हो जाते हैं। जबकि कुछ लोग उन ऐक्टिविटी को भी छोड़ देते हैं जो अच्छी हैं जैसे व्यायाम जैसी स्वस्थ गतिविधियों से दूर रहना।
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सारांश
डोपामाइन एक हार्मोन और न्यूरोट्रांसमीटर है जो भावनाओं, व्यवहार और गति को प्रभावित करता है। यह इस बात में एक प्रमुख भूमिका निभाता है कि हम कैसे खुशी महसूस करते हैं । डोपामाइन का स्तर बहुत अधिक या बहुत कम होने पर पार्किंसंस रोग और सिज़ोफ्रेनिया जैसी मानसिक और शारीरिक स्थितियाँ पैदा हो सकती हैं। अगर आप अपने डोपामाइन के स्तर को लेकर चिंतित हैं, तो अपने डॉक्टर से बात करें।