विटामिन डी क्या है?
विटामिन डी वसा में घुलनशील विटामिन है। ये सूर्य के प्रकाश (धूप) के संपर्क में आने पर शरीर की कोशिकाओं द्वारा बनने वाला एक स्टेरॉयड है। अगर आप पर्याप्त मात्रा में धूप नहीं ले सकते हैं या आप किसी ऐसी जगह पर रहते हैं जहां धूप कम आती है तो ऐसी स्थिति में सप्लीमेंट्स से भी विटामिन डी की पूर्ति की जा सकती है।
(और पढ़ें - विटामिन डी की कमी)
दूध या अंडे जैसे खाद्य पदार्थों से मिलने वाना विटामिन डी हड्डियों और संपूर्ण सेहत के लिए पर्याप्त नहीं होता है। अब, आपको कैसे पता चलेगा कि आपको पर्याप्त धूप मिल रही है और शरीर इसे विटामिन डी में परिवर्तित कर रहा है? तो चलिए इस लेख के ज़रिए जानते हैं विटामिन डी से जुड़ी कुछ महत्वूपर्ण बातें।
- विटामिन डी कहाँ से मिलता है? - Vitamin D ke srot
- विटामिन डी के फायदे - Vitamin D ke fayde
- अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने से नुकसान - Vitamin D jyada lene ke nuksan
- विटामिन डी की कमी के नुकसान
- एक दिन में कितना विटामिन डी लेना चाहिए? - Vitamin D kitna khana chahiye
- विटामिन D कितना होना चाहिए?
- विटामिन D की कमी को कैसे पहचानें?
- विटामिन D कम होने का क्या कारण है?
- विटामिन D के लिए क्या खाएं?
- विटामिन D के लिए कौन सी सब्जी खाएं?
- विटामिन D के लिए कौन सा जूस पीना चाहिए?
- विटामिन D कौन से फल में होता है?
- विटामिन D की कमी से क्या दिक्कत आती है?
- विटामिन D कैप्सूल के नाम
- विटामिन D कैसे बढ़ाएं?
- विटामिन D बढ़ाने के घरेलू उपाय
- सारांश
विटामिन डी कहाँ से मिलता है? - Vitamin D ke srot
विटामिन डी के कुछ अच्छे स्रोत इस प्रकार हैं:
- धूप
- दूध (और पढ़ें - दूध पीने के फायदे)
- अंडे का पीला भाग (और पढ़ें - अंडे खाने के फायदे)
- टमाटर (और पढ़ें - टमाटर खाने के फायदे)
- हरी सब्जियां
- शलजम (और पढ़ें - शलजम खाने के फायदे)
- नींबू (और पढ़ें - नीम्बू के फायदे)
- माल्टा
- मूली (और पढ़ें - मूली खाने के फायदे)
- पत्ता गोभी (और पढ़ें - पत्ता गोभी खाने के लाभ)
- पनीर (और पढ़ें - पनीर खाने के लाभ)
विटामिन डी के फायदे - Vitamin D ke fayde
विटामिन डी हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी है। इसके कुछ लाभ इस प्रकार हैं:
- विटामिन डी हमारे शरीर में सीरम कैल्शियम और फास्फोरस की सही मात्रा को बनाये रखने में मदद करता है।
- साथ में यह आंत से इन खनिजों को अवशोषण कर के हड्डियों तक पहुंचाने का काम भी करता है।
- विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक है।
- यह हमारे शरीर में संक्रमण की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
- विटामिन डी मांसपेशियों, नसों के लिए बहुत ही आवश्यक है।
- यह हृदय रोग और हाई बीपी से भी हमें छुटकारा दिलाने में मदद करता है।
- यह दिमाग को तेज रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
अधिक मात्रा में विटामिन डी लेने से नुकसान - Vitamin D jyada lene ke nuksan
विटामिन डी हमारे लिए बहुत उपयोगी है। यह एक एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है जो कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है। विटामिन डी का अधिक सेवन हमारे लिए हानिकारक हो सकता है। इसके अधिक सेवन से हमारे शरीर में कैल्शियम की मात्रा अधिक हो जाती है जिसके कारण शरीर में अनेक प्रकार की समस्या होने लगती हैं जैसे
विटामिन डी की कमी के नुकसान
विटामिन डी एक एंटी-ऑक्सीडेंट के रूप में भी काम करता है। इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जिसके कारण हमारे शरीर की अनेकों बीमारियों से बचाव होता है। पर विटामिन डी की कमी से निम्नलिखित स्वास्थ्य परेशानियां हो सकती हैं -
बच्चों में -
- मांसपेशियों में ऐंठन
- चिड़चिड़ापन
- देर से खड़ा होना और चलना
- नरम खोपड़ी या कमजोर घुमावदार पैर
- सांस लेने में दिक्कत
- बार-बार संक्रमण
वयस्कों में -
- हड्डियों में दर्द
- मांसपेशियों में दर्द।
- मांसपेशियों की कमजोरी
- थकान
- बहुत ज्यादा पसीना आना
- बेचैनी
- सीढ़ियाँ चढ़ने में दिक्कत
- मनोबल कम होना
- बालों का झड़ना
- कमजोर दांत
- कलाई और एड़ियों का फूलना
- सोरायसिस
- डायबिटीज
- हाई ब्लड प्रेशर
- हृदय रोग
- श्वसन संक्रमण
- कब्ज
- दस्त
(और पढ़ें – मांसपेशियों में दर्द का कारण)
एक दिन में कितना विटामिन डी लेना चाहिए? - Vitamin D kitna khana chahiye
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हाल ही में , रोज कितना विटामिन डी लेना चाहिए? इस बारे में एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारतीय जनसंख्या की जरूरतों और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। विटामिन डी शरीर में कैल्शियम और फास्फोरस के अवशोषण में सहायता करता है, हड्डियों को मजबूत बनाता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है। FSSAI की नई रिपोर्ट में विभिन्न आयु समूहों के लिए विटामिन डी की जरूरी दैनिक मात्रा को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है:
1. बच्चे (1-9 वर्ष)
बच्चों के विकास और हड्डियों के सही गठन के लिए विटामिन डी महत्वपूर्ण है। FSSAI के अनुसार, 1-9 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए रोजाना 400 IU (अंतर्राष्ट्रीय इकाइयाँ) विटामिन डी की जरूरत होती है। यह मात्रा बच्चों की बढ़ती हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करती है।
2. किशोर (10-18 वर्ष)
किशोरावस्था में हड्डियों का तेजी से विकास होता है, इसलिए इस आयु वर्ग के लिए विटामिन डी की आवश्यकता अधिक होती है। FSSAI ने 10-18 वर्ष के किशोरों के लिए रोजाना 600 IU विटामिन डी की अनुशंसा की है। यह मात्रा हड्डियों के विकास और समग्र स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
3. वयस्क (19-70 वर्ष)
वयस्कों के लिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा बनाए रखना महत्वपूर्ण है ताकि हड्डियों की मजबूती और इम्यून सिस्टम की शक्ति बनी रहे। FSSAI के अनुसार, 19-70 वर्ष के वयस्कों के लिए रोजाना 600 IU विटामिन डी की जरूरत होती है।
4. वरिष्ठ नागरिक (70 वर्ष से अधिक)
वरिष्ठ नागरिकों में हड्डियों की कमजोरी और विटामिन डी की कमी का खतरा ज्यादा होता है। इसलिए 70 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को रोज 800 IU विटामिन डी लेना चाहिए , यह मात्रा हड्डियों को मजबूत बनाए रखने और गिरने के जोखिम को कम करने में मदद करती है।
5. गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं
गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने और अपने शिशु के स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त विटामिन डी की आवश्यकता होती है। रोज 600 IU विटामिन डी शिशु के हड्डियों के विकास और माताओं के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
विटामिन D कितना होना चाहिए?
विटामिन D हमारे शरीर के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना कि कैल्शियम, क्योंकि यह हड्डियों को मज़बूती देने में, मांसपेशियों को सक्रिय रखने में और इम्यून सिस्टम को ताकत देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। खून में 25(OH)D यानी 25-hydroxy vitamin D की मात्रा से इसका लेवल मापा जाता है।
लेवल (ng/mL) |
स्थिति |
< 20 |
गंभीर कमी |
20–29 |
थोड़ी कमी |
30–50 |
पर्याप्त (सही स्तर) |
> 50 |
ज़रूरत से ज़्यादा (सावधानी ज़रूरी) |
एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए 30 से 50 ng/mL के बीच का लेवल सही होता है। बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और घर में रहने वालों को विशेष ध्यान देना चाहिए। अगर विटामिन डी बहुत ज्यादा भी हो जाए तो भी नुकसानदायक हो सकता है जैसे—किडनी डैमेज, हाई कैल्शियम, उल्टी आदि।
(और पढ़ें -विटामिन डी टेस्ट)
विटामिन D की कमी को कैसे पहचानें?
शुरुआती स्तर पर विटामिन D की कमी का पता लगाना थोड़ा मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण हल्के होते हैं, लेकिन अगर समय रहते न सुधारा जाए तो ये गंभीर रूप ले सकते हैं:
लक्षण:
- थकान और कमजोरी बिना मेहनत के
- पीठ या हड्डियों में दर्द
- बार-बार जुकाम या बुखार
- नींद की दिक्कत
- बाल झड़ना
- चिड़चिड़ापन या डिप्रेशन
- मांसपेशियों में अकड़न
लंबे समय तक कमी रहने से: रिकेट्स (बच्चों में), ऑस्टियोपोरोसिस, फ्रैक्चर का खतरा, और इम्यून सिस्टम की कमजोरी। इसे चेक करने के लिए एक साधारण ब्लड टेस्ट करवाएँ जैसे “25-hydroxyvitamin D” इस टेस्ट से पता चल जाएगा कि विटामिन डी कितना है? अगर ऊपर दिए गए लक्षण लगातार बने हुए हैं तो डॉक्टर की सलाह से ये जांच कराना चाहिए।
विटामिन D कम होने का क्या कारण है?
आज के समय में लोगों की जीवनशैली में बदलाव के कारण विटामिन D की कमी एक आम समस्या बन गई है:
मुख्य कारण:
- धूप से दूर रहना (कम धूप मिलना)
- घर के अंदर रहना या ऑफिस में लंबे समय तक रहना
- सनस्क्रीन का ज्यादा प्रयोग करना
- गहरे रंग की त्वचा जिस से विटामिन डी का अवशोषण कम होता है
- बढ़ती उम्र जिस से त्वचा में D बनने की क्षमता कम हो जाती है
- मोटापा जिसके कारण फैट में विटामिन D फंस जाता है
- कुछ दवाइयाँ जैसे स्टेरॉयड, एंटी-एपिलेप्टिक जो विटामिन डी को बनने से रोकती हैं
खास बात: विटामिन D एकमात्र विटामिन है जो सूरज की रोशनी से शरीर में बनता है, इसलिए धूप से दूरी इसकी कमी की सबसे बड़ी वजह है।
(और पढ़ें -विटामिन डी के प्रमुख स्रोत : विटामिन डी कैसे बढ़ाएं)
विटामिन D के लिए क्या खाएं?
विटामिन D फूड्स की बात करें तो ज्यादातर नेचुरल सोर्स नॉन-वेज में पाए जाते हैं, लेकिन कुछ वेजिटेरियन ऑप्शन भी हैं:
नॉन-वेज सोर्स :
- अंडे की जर्दी (egg yolk)
- सैल्मन, टूना, मैकेरल मछली
- कॉड लिवर ऑयल
वेज ऑप्शन :
- मशरूम (खासकर धूप में सुखाए हुए)
- फोर्टिफाइड दूध, दही, सोया मिल्क
- फोर्टिफाइड अनाज (breakfast cereals)
- चीज़ और पनीर
ध्यान दें: वेजिटेरियन फूड्स में विटामिन D की मात्रा कम होती है, इसलिए धूप और सप्लीमेंट को लेना भी जरूरी होता है ।
विटामिन डी से संबंधित स्टडी
"The Power of Vitamin D: Is the Future in Precision Nutrition through Personalized Supplementation Plans?" नाम से एक स्टडी पब्लिश की गई है । इस अध्ययन का उद्देश्य विटामिन D की महत्ता और उसके व्यक्तिगत अनुपूरण (supplementation) की संभावनाओं की जांच करता है, जिससे स्वास्थ्य में सुधार और विभिन्न रोगों की रोकथाम संभव हो सके।
इस स्टडी में देखा गया कि विटामिन D वसा-घुलनशील होता है और इसका अवशोषण आंतों में फैट की उपस्थिति से बढ़ता है। यह सूर्य के UVB किरणों से त्वचा में ले लेता है , मोटापे से ग्रस्त व्यक्तियों को सामान्य वजन वाले व्यक्तियों की तुलना में अधिक मात्रा की आवश्यकता हो सकती है।
विटामिन डी का स्वास्थ्य पर प्रभाव
- विटामिन D की कमी से श्वसन संक्रमण, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, ऑटोइम्यून रोग और विभिन्न प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है।
- एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन D3 की दैनिक 2,000 IU खुराक लेने वाले लोगों में टिलोमियर (telomere) की लंबाई में कमी कम देखी गई, जो जैविक उम्र बढ़ने का संकेतक है।
अगर ये देखा जाए कि लोगों को विटामिन डी कि कितनी जरूरत होती है तो ये देखा गया कि हर व्यक्ति की विटामिन D की आवश्यकता अलग होती है, जो उनके आनुवंशिकी, जीवनशैली और स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करती है। इस अध्ययन के अनुसार भविष्य में डिजिटल हेल्थ टूल्स और पहनने योग्य उपकरणों की मदद से सूर्य के संपर्क और अन्य कारकों को मापकर विटामिन D की आवश्यकता का अनुमान लगाया जा सकता है , और नैनोपार्टिकल्स और लिपोसोमल फॉर्मूलेशन जैसे नए वितरण विधियों के माध्यम से विटामिन D की जैव उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।
(और पढ़ें -विटामिन डी और कोलेस्ट्रॉल)
विटामिन D के लिए कौन सी सब्जी खाएं?
कई सब्जियों में विटामिन D नहीं पाया जाता, क्योंकि यह एक वसा-घुलनशील विटामिन है और मुख्यतः पशु उत्पादों या सूर्य की रोशनी से ही ये मिलता है। लेकिन मशरूम एकमात्र ऐसी सब्जी है जिसमें विटामिन D पाया जाता है, खासकर जब उसे धूप में सुखाया गया हो।
आप मशरूम को धूप में 30 मिनट सुखाकर या सब्ज़ी, सूप या स्टर-फ्राय करके खा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, बिना धूप के मशरूम में विटामिन D नहीं पाया जाता ।
विटामिन D के लिए कौन सा जूस पीना चाहिए?
जूस में विटामिन D प्राकृतिक रूप से नहीं पाया जाता, लेकिन आजकल कुछ जूस कंपनियाँ विटामिन D से फोर्टिफाइड जूस बना रही हैं:
उदाहरण:
- फोर्टिफाइड ऑरेंज जूस
- फोर्टिफाइड सोया मिल्क या बादाम दूध (जूस के रूप में प्रयोग)
घर में बना जूस: अगर आप फल-सब्ज़ियों का जूस पीते हैं, तो विटामिन D नहीं मिलेगा, पर इनमें मौजूद पोषक तत्व इम्यून सिस्टम को मजबूत जरूर करते हैं।
विटामिन D कौन से फल में होता है?
अधिकतर फलों में विटामिन D नहीं पाया जाता। ये विटामिन फलों की कैटेगरी में बहुत ही कम मात्रा में उपलब्ध है।
क्या खाएं?
- फल तो प्रत्यक्ष रूप से विटामिन D नहीं देते, पर उनमें मौजूद फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट शरीर को मजबूत बनाते हैं और सप्लीमेंट को अवशोषित करने में हेल्प करते हैं।
- आप ऐसे फोर्टिफाइड जूस चुन सकते हैं जिसमें विटामिन D मिला हो।
(और पढ़ें -विटामिन डी और जोड़ों के दर्द का संबंध )
विटामिन D की कमी से क्या दिक्कत आती है?
यह कोई मामूली कमी नहीं है, बल्कि शरीर में इसके अभाव से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं:
मुख्य दिक्कतें:
- हड्डियों का कमजोर होना, फ्रैक्चर
- मांसपेशियों में दर्द और ऐंठन
- बार-बार सर्दी-खांसी
- थकान और चिड़चिड़ापन
- मूड स्विंग और डिप्रेशन
- इम्यून सिस्टम कमजोर होना
Study
"The Role of Vitamin D in Health and Disease: A Narrative Review on the Mechanisms Linking Vitamin D with Disease and the Effects of Supplementation" के इस अध्ययन का उदेश्य विटामिन D की जैविक क्रियाविधियों और विभिन्न रोगों के साथ इसके संबंधों की समीक्षा करता है, साथ ही अनुपूरण (supplementation) के प्रभावों का भी विश्लेषण करता है।
विटामिन D के कार्य और जैविक तंत्र
- कैल्सियम और फॉस्फोरस का संतुलन: विटामिन D आंतों में कैल्सियम और फॉस्फोरस के अवशोषण को बढ़ाता है, जिससे हड्डियों की मजबूती सुनिश्चित होती है।
- इम्यून सिस्टम का समर्थन: यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- सेलुलर कार्य: विटामिन D सेल विभाजन और भिन्नता को नियंत्रित करता है, जो कैंसर जैसी बीमारियों की रोकथाम में मदद कर सकता है।
विटामिन D की कमी से संबंधित रोग
- हड्डियों से संबंधित रोग: रिकेट्स (बच्चों में) और ऑस्टियोमलेशिया (वयस्कों में) विटामिन D की कमी से होते हैं।
- ऑटोइम्यून रोग: मल्टीपल स्क्लेरोसिस, रुमेटॉइड आर्थराइटिस, और टाइप 1 डायबिटीज़ जैसी बीमारियों में विटामिन D की कमी का संबंध पाया गया है।
- संक्रमण: विटामिन D की कमी से श्वसन संक्रमणों और COVID-19 जैसी बीमारियों का जोखिम बढ़ सकता है।
सप्लीमेंटेशन के प्रभाव
- हड्डियों का स्वास्थ्य: विटामिन D और कैल्सियम का अनुपूरण हड्डियों की मजबूती बढ़ाता है और फ्रैक्चर के जोखिम को कम करता है।
- इम्यून सिस्टम: कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि विटामिन D का अनुपूरण प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है, जिससे संक्रमणों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है।
- अन्य प्रभाव: हालांकि विटामिन D का अनुपूरण कई लाभ प्रदान कर सकता है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता व्यक्ति की विटामिन D की मौजूदा स्थिति पर निर्भर करती है।
विटामिन डी से संबंधित सावधानियाँ
- अधिक सेवन के जोखिम: विटामिन D का अत्यधिक सेवन हाइपरकैल्सीमिया (रक्त में कैल्सियम की अधिकता) का कारण बन सकता है, जिससे किडनी और हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- व्यक्तिगत आवश्यकताएं: विटामिन D की आवश्यक मात्रा व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति, और जीवनशैली पर निर्भर करती है; इसलिए अनुपूरण से पहले चिकित्सकीय परामर्श आवश्यक है।
अंत में इस अध्ययन के अनुसार विटामिन D शरीर के विभिन्न कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और इसकी कमी कई रोगों से जुड़ी हुई है। अनुपूरण से हड्डियों का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है और कुछ संक्रमणों का जोखिम कम हो सकता है, लेकिन इसके प्रभाव व्यक्ति की मौजूदा विटामिन D स्थिति पर निर्भर करते हैं। इसलिए, विटामिन D के स्तर की नियमित जांच और चिकित्सकीय परामर्श के बाद ही अनुपूरण करना उचित है।
https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC10163584/#:~:text=Vitamin%20D%20exists%20in%20two,to%20increase%20vitamin%20D%20synthesis.
(और पढ़ें -डी 2 और डी 3: जानिए विटामिन डी के प्रकारों )
विटामिन D कैप्सूल के नाम
अगर टेस्ट में ये पता चल जाए कि विटामिन D की कमी है, तो डॉक्टर कुछ कैप्सूल या सैशे दे सकते हैं जैसे -
- Uprise-D3 60K
- Calcirol
- DBoost
- D-Shine
- Tayo 60K
कैसे लिया जाता है? अक्सर हफ्ते में एक बार 60,000 IU की खुराक दी जाती है, लेकिन यह डॉक्टर की सलाह के बिना नहीं लेना चाहिए।
विटामिन D कैसे बढ़ाएं?
- रोजाना 20–30 मिनट धूप में रहें (सुबह 8 से 11 बजे तक)
- विटामिन D युक्त आहार लें
- डॉक्टर द्वारा बताए गए सप्लीमेंट लें
- वजन को कंट्रोल करें
- समय-समय पर टेस्ट कराएँ
विटामिन D बढ़ाने के घरेलू उपाय
घरेलू तरीके:
- धूप में बैठें रोज़ाना बिना सनस्क्रीन लगाए
- मशरूम को धूप में सुखाकर खाएं
- अंडे, दूध, पनीर का सेवन करें
- तिल का तेल, नारियल तेल, गाय का घी – ये फैट विटामिन D के अवशोषण में मदद करते हैं
- हल्दी और अश्वगंधा जैसे आयुर्वेदिक हर्ब्स इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं
(और पढ़ें -जानिए विटामिन शरीर के लिए क्यों आवश्यक है)
सारांश
विटामिन डी हमारे शरीर के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और इसकी पर्याप्त मात्रा सुनिश्चित करना स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है। FSSAI की नई रिपोर्ट ने विभिन्न आयु समूहों और विशेष परिस्थितियों के लिए विटामिन डी की दैनिक अनुशंसित मात्रा को बताया गया है। बच्चों, किशोरों, वयस्कों, वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए सभी के लिए विटामिन डी की मात्रा निर्धारित की है। सूर्य की रोशनी, भोजन और सप्लीमेंट्स को मिला कर विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा को सुनिश्चित किया जा सकता है, जिससे हड्डियों की मजबूती और समग्र स्वास्थ्य में सुधार होता है।
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विटामिन डी के स्रोत, फायदे और नुकसान के डॉक्टर

Dr. Dhanamjaya D
पोषणविद्
16 वर्षों का अनुभव

Dt. Surbhi Upadhyay
पोषणविद्
3 वर्षों का अनुभव

Dt. Manjari Purwar
पोषणविद्
11 वर्षों का अनुभव

Dt. Akanksha Mishra
पोषणविद्
8 वर्षों का अनुभव
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