महिला नसबंदी सबसे बेहतर और प्रभावी गर्भनिरोधक उपायों में से एक है। यह उपाय वे महिलाएं अपनाती है जो अपना परिवार पूरा कर चुकी है। महिला नसबंदी को अंग्रेजी में ट्यूबेक्टोमी या ट्यूबल लिगेशन या फीमेल स्टरलाइजेशन आदि नामों से जाना जाता है।

इस लेख में महिला नसबंदी के बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमें बताया गया है कि महिला नसबंदी क्या है, कैसे होती है, महिला नसबंदी के बाद क्या सावधानी रखे, साथ ही यह भी बताया गया है कि महिला नसबंदी के फायदे और नुकसान क्या हो सकते हैं। लेख में सरकार की महिला नसबंदी योजना के बारे में भी बताया गया है।

(और पढ़ें - पुरुष नसबंदी)

  1. महिला नसबंदी क्या है? - Mahila nasbandi kya hai in hindi
  2. महिला नसबंदी कैसे होती है? - Mahila nasbandi kaise hoti hai in hindi
  3. महिला नसबंदी कब करवानी चाहिए?
  4. महिला नसबंदी के कितने दिन बाद संबंध बनाना चाहिए?
  5. क्या महिला नसबंदी से पीरियड्स बंद हो जाते हैं?
  6. नसबंदी से महिला को ठीक होने में कितना समय लगता है?
  7. महिला नसबंदी में कितना दर्द होता है?
  8. क्या नसबंदी के बाद महिला प्रेग्नेंट हो सकती है?
  9. क्या महिला नसबंदी के बाद महिलायें मोटी हो जाती है?
  10. महिला नसबंदी के फायदे - Mahila nasbandi ke fayde in hindi
  11. महिला नसबंदी के बाद सावधानी - Mahila nasbandi ke baad sawdhani in hindi
  12. महिला नसबंदी के नुकसान - Mahila nasbandi ke nuksan in hindi
  13. महिला नसबंदी योजना - Mahila nasbandi yojana in hindi
  14. सारांश

महिला नसबंदी एक प्रभावी गर्भनिरोधक उपाय है जिसका उद्देश्य किसी भी महिला को हमेशा के लिए गर्भ धारण से सुरक्षा प्रदान करना होता है। इस महिला नसबंदी ऑपरेशन में आमतौर पर अंडाशय से गर्भाशय तक अंडे ले जाने वाली नली फैलोपिन ट्यूब को या तो अवरुद्ध किया जाता है या उसे बीच से काट दिया जाता है ताकि अंडे गर्भ तक पहुँच न सके और गर्भ धारण न हो। ये काफी छोटा ऑपरेशन होता है और ऑपरेशन करवाने के बाद महिला को सामान्य रूप से उसी दिन छुट्टी दे दी जाती है।

अधिकांश मामलों में महिला नसबंदी 99 प्रतिशत प्रभावी होती है और 200 में से केवल 1 महिला के ऑपरेशन के बाद भी गर्भवती होने की आशंका होती है। विकासशील देशों में ट्यूबक्टोमी के दौरान सीज़ेरियन ऑपरेशन और मिनी लैपरोटोमी अधिक लोकप्रिय विधियां हैं जबकि विकसित देशों में "लैप्रोस्कोपिक नसबंदी" और "हिस्टोरोस्कोपिक ट्यूबल ओक्लुज़न" (hysteroscopic tubal occlusion) पसंदीदा तरीके हैं।

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आमतौर पर नसबंदी का ऑपरेशन जनरल एनेस्थेटिक देकर किया जाता है किंतु लोकल या रीजनल एनेस्थेटिक देकर भी यह ऑपरेशन किया जा सकता है। अधिकांश महिलाओं में यह ऑपरेशन लैप्रोस्कोप एक विशेष टेलिस्कोप की मदद से किया जाता है।

लैप्रोस्कोप को आपके पेट में एक छोटा सा छेद करके अंदर डाला जाता है। लैप्रोस्कोप से सर्जन ये देखते हैं कि ऑपरेशन सही हो रहा है। इसके बाद एक ओर छोटा चीरा लगा कर ट्यूब को अवरुद्ध करने का उपकरण डाला जाता है। इसके लिए कई तरीकों का उपयोग किया जाता है। अक्सर ट्यूब में क्लिप या रिंग को लगाया जाता है। ये क्लिप या रिंग ट्यूब में अवरोध पैदा करके अंडे को स्पर्म के साथ मिलने से रोकते हैं।

कुछ महिलाओं में थोड़ा बड़ा चीरा लगा कर पारंपरिक तरीके से ऑपरेशन करने की जरुरत होती है। यह तब अधिक जरुरी होता है जब उनको पहले भी कई ऑपरेशन हुए हो या मोटापा हो तो लेप्रोस्कोपी में जोखिम हो सकता है। इस तरह के ऑपरेशन को मिनी-लैपरोटोमी कहा जाता है।

अगर फेलोपिन ट्यूब को अवरुद्ध करने से काम नहीं बनता है तो ट्यूब का एक हिस्सा या फिर पूरी ट्यूब निकाली जा सकती है। इसे “सल्पीनजेक्टोमी” (salpingectomy) कहा जाता है।

नसबंदी जब सिजेरियन डिलीवरी के लिए चीरा लगाया जाता है तब भी की जा सकती है। बच्चा पैदा होने के बाद यह ऑपरेशन किया जा सकता है।

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नसबंदी एक स्थायी गर्भनिरोधक प्रक्रिया है, जिसे तब ही करवाना चाहिए जब कपल  भविष्य में और बच्चे नहीं चाहते। यह फैसला सोच-समझकर, भावनात्मक और मानसिक रूप से तैयार होकर लेना ज़रूरी है। आमतौर पर नसबंदी के लिए सही समय है:

  • जब परिवार पूरा हो चुका हो (2 या 3 बच्चे हो चुके हों)
  • महिला की उम्र 25 वर्ष से अधिक हो
  • गर्भावस्था से जुड़ी कोई स्वास्थ्य समस्या हो और डॉक्टर दोबारा प्रेग्नेंसी के लिए मना करें।

नसबंदी डिलीवरी के तुरंत बाद (पोस्टपार्टम ट्यूबल लिगेशन) भी की जा सकती है या फिर कुछ हफ्तों बाद प्लान करके भी की जा सकती है। ध्यान दें कि नसबंदी के बाद इसको reverse करना बहुत मुश्किल और महंगा होता है, और कई बार सफल भी नहीं होता।

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नसबंदी के बाद कम से कम 7–10 दिन तक यौन संबंध नहीं बनाना चाहिए ताकि टांकों की सही से रिकवरी हो सके और इन्फेक्शन न हो। कुछ मामलों में डॉक्टर 2 हफ्तों तक रुकने की सलाह देते हैं। अगर महिला की डिलीवरी के तुरंत बाद नसबंदी हुई है, तो यौन संबंध का समय 6 हफ्ते तक टालना बेहतर होता है। यौन संबंध शुरू करने से पहले यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि महिला को दर्द न हो, टांके पूरी तरह ठीक हो गए हों और डॉक्टर की मंजूरी मिल चुकी हो।

नहीं, ट्यूबल लिगेशन का पीरियड्स से कोई सीधा संबंध नहीं है क्योंकि इस प्रक्रिया में सिर्फ अंडाणु को शुक्राणु से मिलने से रोका जाता है, हार्मोन पर कोई असर नहीं होता। इसलिए पिरियड्स सामान्य रूप से चलते रहते हैं । हालांकि, कुछ महिलाओं को नसबंदी के बाद शुरुआती कुछ महीनों में पीरियड्स अनियमित या थोड़ा ज्यादा हो सकते हैं लेकिन ये हार्मोनल नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक कारणों से हो सकता है। समय के साथ पीरियड्स सामान्य हो जाते हैं।

महिला नसबंदी एक छोटा ऑपरेशन होता है, लेकिन इसके बाद शरीर को पूरी तरह से ठीक होने में थोड़ा समय चाहिए होता है। आमतौर पर:

  • मिनी लैप नसबंदी के बाद 5-7 दिन का आराम काफी होता है।
  • कुछ महिलाओं को पहले 2-3 दिन हल्का पेट दर्द, सूजन या कमजोरी महसूस हो सकती है।
  • टांकों को सूखने में 1 हफ्ता लगता है।
  • अगर लैप्रोस्कोपी से की गई हो तो रिकवरी और तेज़ हो सकती है (3-4 दिन)।

लेकिन पूरी तरह से शरीर के अंदर सूजन कम होने और हल्के बदलाव सामान्य होने में 2 हफ्ते तक लग सकते हैं। इस दौरान भारी सामान न उठाएं, झुककर काम न करें और सेक्स से बचें। अगर बुखार, तेज दर्द या भारी ब्लीडिंग हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें।

नसबंदी के दौरान आमतौर पर लोकल या जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है, जिससे ऑपरेशन के समय कोई दर्द नहीं होता। लेकिन प्रक्रिया के बाद:

  • 1–2 दिन हल्का पेट दर्द या गैस जैसा अहसास हो सकता है।
  • चीरे वाली जगह पर कुछ दिन तक जलन या खिंचाव हो सकता है।
  • कुछ महिलाओं को पीठ या कंधे में हल्का दर्द भी महसूस होता है (लैप्रोस्कोपी के कारण पेट में गैस भरने की वजह से)।

यह दर्द सामान्य होता है और पेनकिलर दवा से ठीक हो जाता है। अगर दर्द असहनीय हो, तो डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं।

ट्यूबल लिगेशन एक permanent method है और इसकी सफलता दर 99.5% से ज़्यादा होती है। लेकिन कोई भी प्रक्रिया 100% गारंटी नहीं देती। 1000 में से 1–2 मामलों में ट्यूब्स दोबारा जुड़ सकती हैं या ठीक से बंधी न हों, जिससे प्रेग्नेंसी हो सकती है।

ऐसे मामलों में Ectopic Pregnancy (गर्भाशय के बाहर गर्भधारण) का खतरा बढ़ जाता है, जो खतरनाक हो सकता है। इसलिए अगर नसबंदी के बाद भी प्रेग्नेंसी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से जांच कराएं।

यह एक आम मिथ है कि नसबंदी के बाद महिलाएं मोटी हो जाती हैं। असल में नसबंदी से न तो हॉर्मोन बदलते हैं, न ही मेटाबॉलिज़्म। वजन बढ़ने का कारण ये हो सकते हैं:

  • डिलीवरी के बाद आराम और कम शारीरिक गतिविधि
  • तनाव या हार्मोनल बदलाव (डिलीवरी से जुड़े)
  • खानपान में बदलाव

अगर आप एक्टिव रहें, संतुलित आहार लें और नियमित व्यायाम करें, तो नसबंदी के बाद वजन नहीं बढ़ेगा।

महिला नसबंदी उन महिलाओं के लिए एक प्रभावी और अच्छा विकल्प है जो गर्भ नियंत्रण का एक स्थायी उपाय करना चाहती है। यह अधिकांश महिलाओं के लिए सुरक्षित है और असफलता की दर भी बहुत कम है।

नसबंदी से दूसरे गर्भनिरोधक उपायों जैसे कि गर्भनिरोधक गोलियां, गर्भनिरोधक इंजेक्शन, इम्प्लांट्स या फिर कोई इंट्रायूटेरियन उपकरण (आईयूडी) आदि के सामान साइड इफेक्ट्स भी नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए यह प्रक्रिया आपके हार्मोन, माहवारी और कामेच्छा को प्रभावित नहीं करती है।

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कुछ तथ्य यह भी बताते है कि महिला नसबंदी से अंडाशय का कैंसर होने की आशंका भी कम हो जाती है।

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महिला नसबंदी ऑपरेशन करवाने के बाद निम्नलिखित सावधानियां रखनी होती हैं -

  • सर्जन के पास फॉलो अप के लिए जाने का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
  • दवाई और एंटी बायोटिक्स का कोर्स पूरा करें।
  • अगर आपको बुखार, लगातार पेट दर्द, चीरे से खून या पीप आ रहे हो तो अपने सर्जन को सूचित करें। (और पढ़े - पेट दर्द के घरेलू उपाय)
  • अपने सर्जन के बताए अनुसार या ऑपरेशन के बाद सात दिन तक सेक्स नहीं करें।
  • अगर आपके पीरियड नहीं आते है या पीरियड में देरी हो रही है तो अपने सर्जन को बताएं।

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नसबंदी एक स्थायी प्रक्रिया है और इसे बदलना कठिन है। कुछ महिलाओं को ऑपरेशन करवाने के बाद भविष्य में पछतावा हो सकता है, विशेष कर तब जब उनकी परिस्थितियां बदल जाती है।

बहुत ही कम ऐसा होता है की ऑपरेशन फैल हो जाए और आप गर्भवती हो जाएं, ऐसे में गर्भाशय के बाहर ही गर्भ ठहरने की अधिक आशंका होती है, इसे एक्टोपिक प्रेगनेंसी कहा जाता है। इस तरह का गर्भ आमतौर पर फेलोपिन ट्यूब में ठहरता है। अगर ऐसा होता है तो आपको तत्काल इलाज की जरुरत पड़ती है। अगर आपको लगता है कि नसबंदी करवाने के बाद भी आप गर्भवती हो गयी है या बिना बात के खून आ रहा है या पेट में दर्द हो रहा है तो तुरंत अपने डॉक्टर को दिखाए।

(और पढ़े - पेट दर्द के घरेलू उपाय)

पुरुष नसबंदी की तुलना में महिला नसबंदी करवाना न तो आसान है और न ही उतना प्रभावशाली। लैप्रोस्कोप का उपयोग करने से थोड़ा जोखिम होता है क्योंकि बिना कोई इमेज देखे ऑपरेशन करना पड़ता है। इसका मतलब यह है की सर्जन को यह नहीं दिखता है कि वह पेट के अंदर उपकरण कैसे लगा रहा है। यह बात आपको थोड़ा परेशान कर सकती है किंतु घबराने की कोई बात नहीं है क्योंकि आपके डॉक्टर उपकरण लगाते हुए काफी सावधानी रखते हैं ताकि किसी अन्य अंग को नुकसान न हो और अधिकांश मामलों में ऐसी कोई परेशानी नहीं होती है।

नसबंदी आपको सेक्स द्वारा फैलने वाली बिमारियों से नहीं बचाती है इसलिए अगर आपको लगता है कि आपको एसटीआई का जोखिम हो सकता है तो कंडोम का उपयोग करें।

किसी भी अन्य ऑपरेशन की तरह इसमें भी चीरे वाली जगह पर संक्रमण हो सकता है और जनरल एनेस्थेटिक का हल्का जोखिम हो सकता है। आपको पेट में परेशानी, गैस बनना और दर्द हो सकता है।

महिला नसबंदी और उसके नुकसानों के लिए स्टडी 

Clinical study of tubectomy and it’s complications  नाम की इस स्टडी में महिला नसबंदी और इसके कुछ जटिलताओं की पहचान की गई है।

एक 18 महीने की अवधि में किए गए एक अध्ययन में, 50 ट्यूबेक्टॉमी जटिलताओं के मामले सामने आए, जिनमें से 80% पेट के माध्यम से और 20% लैप्रोस्कोपिक विधि से संबंधित थे। इनमें से 66% मामलों में नसबंदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में की गई थी। अध्ययन में तीन मृत्यु के मामले भी दर्ज किए गए।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि 82% मामलों में पेट के माध्यम से नसबंदी की गई, जबकि 18% मामलों में लैप्रोस्कोपिक विधि अपनाई गई। इस अध्ययन में जटिलताओं की दर 5.5% थी, जिसमें से 2.5% मामलों में ऑपरेशन के दौरान और 3% मामलों में ऑपरेशन के बाद जटिलताएं देखी गईं। लैप्रोस्कोपिक नसबंदी में जटिलताओं की दर केवल 0.25% थी। अधिकांश जटिलताओं का इलाज एंटीबायोटिक्स और लक्षणात्मक उपचार से किया गया, जबकि कुछ मामलों में सर्जिकल हस्तक्षेप की आवश्यकता पड़ी।

इन अध्ययनों से यह निष्कर्ष निकलता है कि जबकि महिला नसबंदी एक प्रभावी और स्थायी गर्भनिरोधक विकल्प है, इसके साथ कुछ जोखिम जुड़े हो सकते हैं, विशेष रूप से यदि प्रक्रिया कम संसाधन वाले केंद्रों में की जाए। लैप्रोस्कोपिक विधि से जटिलताओं की संभावना कम होती है। इसलिए, नसबंदी से पहले महिलाओं को सभी संभावित जोखिमों और लाभों के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि व सूचित निर्णय ले सकें।

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भारत में महिला नसबंदी यानि ट्यूबेक्टोमी और पुरुष नसबंदी यानि वासेक्टोमी प्रोग्राम चलाया जाता है जो स्वैच्छिक होता है और जोड़े जो प्रक्रिया उनको सबसे उपयुक्त लगती है उसका चयन करते हैं। वर्ष 2013-14 के दौरान भारत में 40,92,806 नसबंदी ऑपरेशन किये गए हैं।

सरकार की योजना के अनुसार अगर इस ऑपरेशन में किसी की मृत्यु हो जाती है या ऑपरेशन असफल हो जाता है तो सरकार उस परिवार को मुआवजा देती है।

ऑपरेशन के 7 दिन के अंदर मृत्यु हो जाती है तो 2,00,000 रुपये, हॉस्पिटल से जाने के 8-30 दिन के अंदर अगर मृत्यु हो जाती है तो 50,000 रुपये, अगर ऑपरेशन असफल हो जाता है तो 30,000 रुपये और हॉस्पिटल के अंदर ऑपरेशन का सारा खर्च और हॉस्पिटल से जाने की तारीख से 60 तक ऑपरेशन के कारण कोई परेशानी हो तो उसका खर्च सरकार देती है। जो कि अधिकतम 25,000 रुपये है।

नोट - ये लेख केवल जानकारी के लिए है। myUpchar किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है। आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।

ट्यूबल लिगेशन एक स्थायी और प्रभावशाली गर्भनिरोधक प्रक्रिया है, जिसमें फेलोपियन ट्यूब्स को काटकर या बाँधकर अंडाणु और शुक्राणु के मिलन को रोका जाता है, जिससे महिला गर्भवती नहीं हो पाती। यह प्रक्रिया आमतौर पर उन महिलाओं के लिए उपयुक्त होती है जो परिवार पूरा कर चुकी हैं और भविष्य में गर्भधारण नहीं चाहतीं। नसबंदी मिनी लैप या लैप्रोस्कोपी से की जाती है, और ऑपरेशन के बाद 5–7 दिनों में महिला सामान्य दिनचर्या में लौट सकती है। इस प्रक्रिया में हार्मोनल बदलाव नहीं होते, पीरियड्स सामान्य रहते हैं, और यौन जीवन पर भी कोई असर नहीं पड़ता। नसबंदी के बाद कुछ दिन आराम, टांकों की देखभाल और साफ-सफाई जरूरी होती है, और यौन संबंध 7–10 दिन बाद बनाए जा सकते हैं। नसबंदी पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन बहुत ही दुर्लभ मामलों में संक्रमण, दर्द या असफलता हो सकती है। इसे लेकर फैली भ्रांतियाँ जैसे मोटापा बढ़ना या पीरियड्स बंद हो जाना, गलत हैं। सरकारी अस्पतालों में यह प्रक्रिया मुफ्त होती है, जबकि निजी अस्पतालों में ₹5000–₹20,000 तक खर्च हो सकता है। नसबंदी की सफलता दर 99.5% से अधिक है, लेकिन अगर किसी को ऑपरेशन के बाद भी गर्भधारण के लक्षण लगें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। कुल मिलाकर, महिला नसबंदी एक समझदारी भरा फैसला है, बशर्ते सही जानकारी और डॉक्टरी सलाह के साथ किया जाए।

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